सरकार लोगों के द्वार
सुशासन दिवस पर विशेष
ज नप्रिय, स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी अपने राजनीतिक सिद्धांतों में दृढ़ थे और महिला सशक्तिकरण तथा सामाजिक समानता के प्रबल समर्थक थे. वे एक भविष्योन्मुखी, प्रगतिशील, सतत आधुनिक, नित नवीन और अपने में स्वत: उत्साहित भारत में विश्वास रखते थे. सरकार की जवाबदेही के बारे में जागरूकता फैलाने के उनके सपने को साकार करने के लिए 25 दिसंबर (पूर्व प्रधान मंत्री की जयंती) को हर साल सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है.
गुड गवर्नेंस यानी सुशासन किसी भी राष्ट्र की प्रगति की कुंजी है. सरकार सिद्धांत वाक्य-''न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन का अनुपालन करते हुए समय-समय पर प्रशासनिक सुधार लाती है ताकि अधिक दक्ष, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन और जवाबदेही को प्रोत्साहित किया जा सके तथा मन-मर्जी का दायरा परिसीमित किया जा सके. सरकार देश के लोगों के प्रति सहभागितापूर्ण, जवाबदेह, पारदर्शी, उत्तरदायी प्रशासन के माध्यम से सुशासन के लक्ष्यों की दिशा में लगातार काम कर रही है.
पिछले कुछ वर्षों में, विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा ई-गवर्नेंस के युग की शुरुआत के लिए अनेक उपाय किए गए हैं. सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में सुधार लाने और उन तक पहुंचने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई स्तरों पर निरंतर प्रयास किए गए हैं. भारत में ई-गवर्नेंस सरकारी विभागों के कम्प्यूटरीकरण से लेकर उन उपायों तक तेजी से विकसित हुआ है जिनमें शासन के बेहतर पहलू, जैसे नागरिक केंद्रितता, सेवा अभिविन्यास और पारदर्शिता समाहित हैं. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में, ''ई-गवर्नेंस सुशासन का मार्ग प्रशस्त करता है.
आईटी का उपयोग करते हुए सरकारी प्रक्रियाओं को सरल और अधिक कुशल बनाने और उनमें वांछनीय परिवर्तन लाने के लिए गवर्नेन्मेंट प्रोसेस री-इंजीनियरिंग महत्वपूर्ण है ताकि सरकार के विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी सेवाओं के वितरण को अधिक कार$गर बनाया जा सके. ऐसी किसी भी पहल में मूल विचार यह है कि प्रौद्योगिकी का उपयोग सरकार और नागरिकों के बीच की खाई पाटने के एक उपकरण के रूप में किया जाना चाहिए. प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार में सुधार का मुख्य उद्देश्य यह है कि सभी डेटाबेस और जानकारी इलेक्ट्रॉनिक रूप में होनी चाहिए न कि मैनुअल, ताकि पूरी प्रणाली को पारदर्शी और तीव्र बनाया जा सके. डिजिटल इंडिया, माइ गव डॉट इन, जीवन प्रमाण, ई-भाषा, ई-संपर्क, ई-ग्रीटिंग्स, डॉट भारत और अन्य कार्यक्रम, कुछ ऐसे ही डिजिटल उपाय हैं, जो हाल ही में मंत्रालय द्वारा देश में सुशासन का लक्ष्य हासिल करने के लिए किए गए हैं.
आधार (Aadhaar)
आधार पहचान मंच 'डिजिटल इंडिया के प्रमुख स्तंभों में से एक है, जिसमें देश के प्रत्येक निवासी को एक विशिष्ट पहचान या आधार संख्या प्रदान की जाती है. दुनिया में सबसे बड़ी बायोमेट्रिक्स-आधारित पहचान प्रणाली, आधार सामाजिक और वित्तीय समावेशन, सार्वजनिक वितरण सुधार, वित्तीय बजट के प्रबंधन, सुविधा बढ़ाने और बाधा-मुक्त जन-केंद्रित शासन को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यनीतिक उपकरण है. यह डुप्लिकेट या नकली पहचान की समस्या दूर करने के लिए विशिष्ट और पुख्ता है और इसका इस्तेमाल अनेक सरकारी कल्याण योजनाओं और कार्यक्रमों के संचालन में प्रभावकारी सेवा वितरण के लिए, बुनियादी/प्राथमिक पहचान प्रमाण के रूप में किया जा सकता है, जिससे पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा मिलता है.
माई गव (MyGov)
यह नागरिक केंद्रित मंच लोगों को सरकार से जुड़ने और सुशासन की दिशा में योगदान करने में सक्षम बनाता है. माइ गव की स्थापना भारत सरकार के नागरिक संपर्क मंच के रूप में की गई थी, जो नीति निर्माण में नागरिकों के साथ जुड़ने के लिए अनेक सरकारी निकायों / मंत्रालयों के साथ सहयोग करता है और लोक रुचि और कल्याण के मुद्दों / विषयों पर लोगों की राय लेता है. लगभग सभी सरकारी विभाग अपनी नागरिक संपर्क गतिविधियों, नीति निर्माण के लिए परामर्श और विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए नागरिकों को सूचना प्रसारित करने के वास्ते माइ गव प्लेटफॉर्म का लाभ उठाते हैं. रू4त्रश1 ने इंटरनेट, मोबाइल ऐप, आईवीआरएस, एसएमएस और आउटबाउंड डायलिंग (ओबीडी) तकनीकों का नवीन रूप से उपयोग करके चर्चा, कार्य, चुनाव, सर्वेक्षण, ब्लॉग, वार्ता, संकल्पों , प्रश्नोत्तरी और जमीनी गतिविधियों जैसी कई संपर्क पद्धतियों को अपनाया है. मंच के माध्यम से, प्रमुख राष्ट्रीय परियोजनाओं (जैसे, स्वच्छ भारत, डिजिटल इंडिया अभियान) के लोगो और टैगलाइन को क्राउडसोर्स किया गया है. रू4त्रश1 भी अक्सर मन की बात, वार्षिक बजट, परीक्षा पे चर्चा और इस तरह के कई अन्य उपायों के लिए विचार आमंत्रित करता रहा है.
ई-ग्रंथालय (e-Granthalaya)
ई-ग्रंथालय सरकारी पुस्तकालयों के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसका विकास राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किया गया है. इस मंच के तहत, एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) एकीकृत लाइब्रेरी मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर, डिजिटल लाइब्रेरी मॉड्यूल, क्लाउड होस्टिंग इन्वायर्मेंन्ट और एनआईसीएसआई पैनलबद्ध रोलआउट सेवाओं की सहायता से पुस्तकालय पोर्टल (ओपीएसी) के साथ पूर्ण आईसीटी समाधान प्रदान करता है. ई-ग्रंथालय डिजिटल लाइब्रेरी सेवाओं के साथ पारंपरिक पुस्तकालयों को ई-लाइब्रेरी में बदलने के लिए उपयोगी है, जिसमें पुस्तकालयों की आंतरिक गतिविधियों का ऑटोमेशन, डिजिटल लाइब्रेरी एकीकरण, और सिंगल विंडो एक्सेस सिस्टम का उपयोग करके विभिन्न ऑनलाइन सदस्य सेवाएं प्रदान करना शामिल है. सॉफ्टवेयर इंटरनेट पर लाइब्रेरी कैटलॉग को प्रकाशित करने के लिए बिल्ट-इन वेब ओपेक इंटरफेस प्रदान करता है. सॉफ्टवेयर यूनिकोड के अनुरूप है, इस प्रकार, स्थानीय भाषाओं में डेटा प्रविष्टि का समर्थन करता है. ई-ग्रंथालय का नवीनतम संस्करण (वज़र्न 4.0) एक क्लाउड रेडी एप्लिकेशन है और पुस्तकालयों के समूहों के लिए केंद्रीकृत डेटाबेस के साथ एंटरप्राइज़ मोड में एक वेब-आधारित समाधान प्रदान करता है.
प्रगति (PRAGATI)
सक्रिय शासन और समय पर कार्यान्वयन (प्रोएक्टिव गवर्नेन्स एंड टाइमली इम्प्लिमेंटेशन), या प्रगति एक बेजोड़ एकीकृत और संवादात्मक मंच है जिस पर माननीय प्रधान मंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से, एकल मंच से सभी हितधारकों के साथ सीधे बातचीत करके विभिन्न सरकारी योजनाओं, शिकायतों, राज्य और केंद्र से संबंधित परियोजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की देखरेख करते हैं. प्रगति का उद्देश्य ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और बैठकों के माध्यम से सक्रिय शासन की संस्कृति विकसित करना है ताकि परियोजनाओं और योजनाओं को समय पर कार्यान्वित किया जा सके. यह प्रमुख हितधारकों के बीच वास्तविक समय में उपस्थिति और विनिमय के साथ ई-पारदर्शिता और ई-जवाबदेही लाने के लिए एक मजबूत प्रणाली भी है.
नेशनल सेंटर ऑफ जिओ-इंफोर्मैटिक्स (NCoG)
एनसीओजी देशभर में केंद्रीय और राज्य मंत्रालयों/विभागों/एजेंसियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थान-आधारित विश्लेषण और निर्णय समर्थन प्रणाली साझा करने के वास्ते एकल स्रोत भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) मंच है. इस परियोजना के तहत स्थान-आधारित डेटासेट, जैसे कि केंद्र सरकार के भूमि बैंकों, खनन, जंगलों, औद्योगिक पार्कों, जल संसाधनों से संबंधित डेटा को विशेषता-संबंधित डेटा के साथ मिलाया जाता है ताकि उनका उपयोग निर्णय लेने में सहायता के लिए उपयोगी अंतर्दृष्टि के रूप में किया जा सके. उपयोगकर्ता विभाग अब अपने प्रचालनों और परिसंपत्तियों को मानचित्र पर इंगित कर सकते हैं और बेहतर योजना बना सकते हैं. एनसीओजी ने सरकारी योजनाओं के तहत जियो-टैगिंग और पूर्ण किए गए कार्यों के साक्ष्य बनाने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन प्रदान किए हैं. सुशासन को बढ़ावा देते हुए, एनसीओजी के तहत खनन निगरानी प्रणाली ने स्वचालित रिमोट सेंसिंग डिटेक्शन के माध्यम से अवैध खनन को रोकने में मदद की है. जिला अधिकारी अधिसूचित किए जाते हैं और उनके द्वारा की गई कार्रवाई की सूचना मोबाइल ऐप के माध्यम से दी जाती है. ऐप सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों सहित केंद्र सरकार के भूमि संसाधनों पर निगरानी और उनके मानचित्रण में भी मदद करता है और विशेष प्रयोजनों के लिए भूमि की पहचान में भी मदद करता है.
ई-कोर्ट्स (e-Courts)
ई-कोर्ट्स एक अखिल भारतीय परियोजना है जिसकी निगरानी विधि और न्याय मंत्रालय करता है. परियोजना का उद्देश्य न्यायिक उत्पादकता को गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों रूप से बढ़ाना है, ताकि न्याय वितरण प्रणाली को वहनीय, सुलभ, किफायती, पूर्वानुमान योग्य, विश्वसनीय और पारदर्शी बनाया जा सके. अदालतों की आईसीटी सक्षमता के ज़रिए भारतीय न्यायपालिका को बदलने की दृष्टि के साथ, परियोजना वादियों, वकीलों और अन्य हितधारकों को कुशल और समयबद्ध सेवा वितरण पर जोर देती है. मोबाइल फोन, एसएमएस और ईमेल एप्लिकेशनों का उपयोग व्यापक रूप से सूचना के प्रसार के लिए प्लेटफॉर्म के रूप में किया जाता है. दस्तावेज की प्रमाणित प्रतियां ऑनलाइन जमा की जाती हैं और कोर्ट फीस, जुर्माना आदि के भुगतान के लिए ई-पेमेंट गेटवे का प्रावधान किया गया है.
ई-डिस्ट्रिक्ट (e-District)
जिले सरकार के वास्तविक फ्रंट-एंड हैं जहां अधिकांश सरकार-से-उपभोक्ता या जी टू सी इंटरैक्शन होते हैं. इस अनुभव को बेहतर बनाने और जिला स्तर पर विभिन्न विभागों की क्षमता बढ़ाने के लिए ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना की अवधारणा की गई थी ताकि नागरिकों को निर्बाध सेवा प्रदान की जा सके. परियोजना का उद्देश्य जिला स्तर पर बड़ी संख्या में नागरिक-केंद्रित सेवाएं प्रदान करना है, जैसे जन्म / मृत्यु प्रमाण पत्र, आय, अधिवास और जाति प्रमाण पत्र जारी करना, राशन कार्ड जारी करना, पेंशन का संवितरण, आदि.
ईताल (eTaal)
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने भारत सरकार की नोडल सूचना प्रौद्योगिकी शाखा, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के साथ, इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन एग्रीगेशन एंड अनालिसिस लेयर (ईताल) पोर्टल विकसित किया है. यह पोर्टल राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (एनईजीपी) के तहत राष्ट्रीय स्तर की मिशन मोड परियोजनाओं (एमएमपी) सहित लागू किए गए ई-गवर्नेंस एप्लिकेशन के माध्यम से किए गए ई-लेन-देन का एक समग्र दृश्य प्रदान करता है. ईताल स्वचालित रूप से वेब सेवा प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाले एप्लिकेशन्स से ई-लेनदेन गणना लेता है, लेकिन व्यक्तिगत विवरण नहीं लेता है. डैशबोर्ड विभिन्न एप्लिकेशन्स की डेटा तालिका के साथ-साथ ग्राफिकल रूप में त्वरित विश्लेषण की सुविधा भी प्रदान करता है जिससे उपयोगकर्ता सर्वर की सुरक्षा और अखंडता से समझौता किए बिना विवरण के निम्नतम स्तर तक ड्रिल कर सकते हैं जहां से डेटा कैप्चर किया गया है. भारत में केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों में वितरित की जा रही ई-सेवाओं की मात्रा का वास्तविक समय में समग्र दृश्य प्रदान करने के लिए जनता के सामने ईताल 2.0 पोर्टल लॉन्च किया गया है. यह जीटूसी, जीटूबी और बीटूसी ई-सेवाओं के प्रदर्शन को मापने के लिए संकेतक के रूप में 'एंड-टू-एंड इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की संख्या प्रदर्शित करता है.
जीवन प्रमाण (Jeevan Pramaan)
इसे पेंशनभोगी योजना के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) के रूप में भी जाना जाता है, जीवन प्रमाण पेंशनभोगियों के लिए आधार आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण प्रणाली है. यह प्रणाली पेंशनभोगियों के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र प्रदान करती है और पेंशनभोगी को अपने पेंशन वितरण प्राधिकरण के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता को दूर करती है. डीएलसी को पेंशन वितरण एजेंसी (बैंक/डाकघर आदि) को भौतिक रूप से जमा करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह उनके लिए डिजिटल रूप से उपलब्ध है, और पेंशन वितरण एजेंसी द्वारा स्वचालित रूप से संसाधित किया जाता है. साथ ही प्रत्येक डीएलसी की एक विशिष्ट आईडी होती है जिसे प्रमाण-आईडी कहा जाता है. केंद्र सरकार, राज्य सरकार या किसी अन्य सरकारी संगठन के पेंशनभोगी इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं.
ईग्रामस्वराज (eGramSwaraj)
ई-ग्रामस्वराज ग्राम पंचायतों के नियोजन, लेखा और निगरानी कार्यों को एकीकृत करता है. यह, एरिया प्रोफाइलर एप्लिकेशन, स्थानीय सरकार निर्देशिका (एलजीडी), और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के संयोजन में, ग्राम पंचायत की गतिविधियों की आसान रिपोर्टिंग और ट्रैकिंग प्रदान करता है. ई-ग्रामस्वराज पंचायत की पूरी प्रोफाइल, पंचायत वित्त का विवरण, संपत्ति विवरण, ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) के माध्यम से की गई गतिविधियों, अन्य मंत्रालयों/विभागों से पंचायत की जानकारी, सर्वेक्षण रिपोर्ट आदि के साथ पंचायत की जानकारी प्राप्त करने के लिए एकल खिड़की प्रदान करता है. यह पंचायती राज के लिए एक सरल कार्य-आधारित लेखांकन अनुप्रयोग है जिसका उद्देश्य देश भर में पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) में ई-गवर्नेंस को मजबूत करना है, और विकेंद्रीकृत योजना, प्रगति रिपोर्टिंग और कार्य-आधारित लेखांकन में बेहतर पारदर्शिता लाना है.
(संकलन : अनुजा भारद्वाजन और अनीशा बनर्जी)