रोज़गार समाचार
सदस्य बनें @ 530 रु में और प्रिंट संस्करण के साथ पाएं ई- संस्करण बिल्कुल मुफ्त ।। केवल ई- संस्करण @ 400 रु || विज्ञापनदाता ध्यान दें !! विज्ञापनदाताओं से अनुरोध है कि रिक्तियों का पूर्ण विवरण दें। छोटे विज्ञापनों का न्यूनतम आकार अब 200 वर्ग सेमी होगा || || नई विज्ञापन नीति ||

संपादकीय लेख


Volume-18, 4-10 August, 2018

 

स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रमुख पहल

डॉ. अंकुर गर्ग

चाहे अमेरिका हो या ब्रिटेन, स्वास्थ्य हर एक देश के प्राथमिकता वाले मुद्दों में शामिल होता है. भारत में संसाधनों की कमी और देश की विशाल जनसंख्या को देखते हुए यह कार्य और भी अधिक बड़ा हो जाता है. फिर भी सरकार ने देशवासियों को कार्यकुशल और उद्देश्यपूर्ण स्वास्थ्य प्रणाली उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाए हैं. सरकार की ओर से इस क्षेत्र में कईं पहल की गयी हैं.  

आयुष मंत्रालय

आयुष का मतलब है आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी. इसकी शुरूआत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय चिकित्सा प्रणाली और होम्योपैथी (आईएसएमएंडएच) के रूप में मार्च 1995 में आज की दुनिया में प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए हुई थी. 2003 में इसका दायरा बढ़ाकर और योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी और सिद्ध, आयुर्वेदिक और होम्योपैथी चिकित्सा प्रणालियों को इसमें शामिल कर दिया गया और इसका नाम बदल का आयुष कर दिया गया.

2014 में जब नये मंत्रिमंडल का गठन किया जा रहा था तो आयुष मंत्रालय के रूप में एक नये मंत्रालय का गठन किया गया. इसका उद्देश्य आज की दुनिया में वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली को प्रोत्साहित करना और आधुनिक एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति पर निर्भरता कम करना. दूसरे शब्दों में बीमारियों के इलाज की बजाय उनकी रोकथाम पर आधारित दृष्टिकोण अपनाया गया. इससे भारत के लोगों को देश की प्राचीन और परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों को अपनाने का मौका देना था जिन्होंने आज भी अपनी प्रासंगिकता नहीं खोई है.       

अमृत फार्मेसी योजना

इस परियोजना के तहत 15 नवंबर 2015 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली (एम्स) में एचएलएच लाइफकेयर (जो पहले हिन्दुस्तान लेटैक्स लि. था) ने पहला अमृत (एफोर्डेबल मेडिसिन्स एंड रिलाएबल इम्प्लांट्स फार ट्रीटमेंट-इलाज के लिए वाजिब दामों पर दवाएं और भरोसेमंद इम्प्लांट्स) नाम का दवा बिक्री केन्द्र खोला. इसका उद्देश्य डॉक्टर के प्रामाणिक नुस्खे के आधार पर रोगियों को बेहद वाजिब दामों पर मूल दवाएं उपलब्ध कराना था.

पिछले 3 वर्षों में भारत के 22 राज्यों में 131 अमृत दवा बिक्री केन्द्र खोले जा चुके हैं जो केन्द्र सरकार की 29 संस्थाओं, राज्य सरकार की 101 संस्थाओं की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. इसके अलावा अलग से एक बिक्री केन्द्र भी खोला गया है. पिछले तीन वर्षों में अमृत दवा बिक्री केन्द्रों ने देश भर में 65.07 लाख रोगियों की सेवा की है. इसने 5200 से अधिक दवाओं, इम्प्लांट्स, शल्य चिकित्सा में काम आने वाली डिस्पोजेबल वस्तुओं की बिक्री अधिकतम खुदरा मूल्य के मुकाबले औसतन 60 प्रतिशत की छूट पर की है. इन केन्द्रों के जरिए कुल 609.07 करोड़ रुपये मूल्य की दवाएं (न्यूनतम खुदरा मूल्य) कुल 273.82 करोड़ रुपये में रोगियों को बेची हैं. इससे देश भर में 65.07 लाख रोगियों को कुल 335.79 करोड़ रुपयों की बचत हुई है. (15 अप्रैल 2018 की स्थिति http//www.life carehll.com/page/render/reference/Amrit-Retail-Phar macy-stores).   

राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए)

राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण ने विभिन्न दवाओं के फाम्र्यूलेशन्स और चिकित्सकीय उपकरणों और इम्प्लांट्स की अधिकतम कीमतें तय कर दी हैं. इससे विनिर्माता कंपनियों और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजी कार्यकर्ताओं के मुनाफा कमाने की सीमा निर्धारित हो गयी है जिससे आम जनता को राहत मिली है. दिल के रोगियों को लगने वाले स्टेंट्स और घुटने के इम्प्लांट्स ऐसी प्रमुख वस्तुएं हैं जिनके लिए अधिकतम मूल्य की सीमा निर्धारित कर दी गयी है जिससे वे गरीबों और समाज के उपेक्षित वर्गों के लोगों की पहुंच के दायरे में आ गये हैं.

 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल

2015 में भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत ई-स्वास्थ्य योजना प्रारंभ की थी. इसी के तहत डिजिटल इंडिया मिशन को आगे बढ़ाया गया और एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल शुरू किया गया. इस पोर्टल का उद्देश्य नागरिकों, विद्यार्थियों, स्वास्थ्य कर्मियों और अनुसंधान करने वालों के लिए स्वास्थ्य संबंधी प्रामाणिक एक ही स्थान पर उपलब्ध कराना था. इसके जरिए उपभोक्ता स्वास्थ्य संबंधी मामलों के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं. इस पोर्टल में बीमारियों, स्वास्थ्य सेवाओं, स्वस्थ जीवन के सूत्रों, स्वास्थ्य कार्यक्रमों, बीमा योजनाओं, स्वास्थ्य संबंधी मोबाइल एप्स और विजेट्स (उपकरण) के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. इससे स्वास्थ्य संबंधी हैल्पलाइन नंबरों, ब्लड बैंकों आदि के बारे में भी विवरण प्राप्त कर सकते हैं. भारत के लोगों के लिए कई ऑनलाइन सेवाएं और एप्स जैसे ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली, मेरा अस्पताल और ई-रक्त कोश की शुरूआत की गयी है. इन एप्स का उद्देश्य स्वास्थ्य की देखभाल की प्रणाली के कामकाज के तौर तरीकों को सुचारू बनाना है. अब कोई भी व्यक्ति विभिन्न अस्पतालों में धर बैठे अपना पंजीकरण करा सकता है और लंबी कतार में खड़े हुए बिना डाक्टर के साथ मुलाकात का वक्त ले सकता है. इसी तरह एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भागदौड़ किये बगैर ब्लड बैंकों में रक्त और उसके उत्पादों की उपलब्धता का पता लगा सकता है.

नयी स्वास्थ्य नीति

2002 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के 13 साल बाद जनवरी 2015 में सरकार ने नयी स्वास्थ्य नीति तैयार की. यह नीति सरकार के इस संकल्प की घोषणा है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए आर्थिक विकास का फायदा उठाया जाना चाहिए. यह नीति इस बात की भी स्वीकारोक्ति है कि बेहतर स्वास्थ्य से उत्पादकता में सुधार के साथ-साथ समता मूलक समाज की स्थापना में भी बड़ी मदद मिलती है.

मिशन इंद्रधनुष

भारत सरकार के इस स्वास्थ्य मिशन की शुरूआत 25 दिसंबर, 2014 को हुई थी. इस मिशन का उद्देश्य 2 साल से कम उम्र के सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं की रोकथाम की जा सकने वाली सात बीमारियों के लिए टीकाकरण करना है. प्रारंभ में जिन बीमारियों को लक्ष्य किया गया उनमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटेनस, पोलियो, क्षय रोग, खसरा और हेपटाइटिस-बी शामिल थीं. 2016 में इस सूची में चार नयी बीमारियां भी जोड़ दी गयीं जिनके नाम हैं- रुबेला, जापानी एनसेफेलाइटिस, इंजेक्शन से दिया जाने वाला पोलियो का टीका और रोटावायरस शामिल हैं. 2017 में इसका और विस्तार करते हुए न्यूमोनिया की न्यूमोकोक्कल कंजुगेट वैक्सीन को भी इसमें शामिल कर लिया गया. इसके अलावा भारत सरकार देश के चुने हुए जिलों और शहरी इलाकों में ‘‘सघन मिशन इंद्रधनुष’’ भी शुरू कर रही है ताकि 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को इसके दायरे में लाने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके.  

नये केन्द्रीय अस्पताल और वर्तमान अस्पतालों का उच्चीकरण

केन्द्र सरकार अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जैसे नये संस्थान खोल रही है और राज्य सरकारों को इलाज की सुविधा में सुधार के साथ-साथ चिकित्सा में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की सीटें बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील है ताकि देश में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी हो. प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के चौथे चरण में मंगलागिरि, नागपुर, गोरखपुर और कल्याणी में चार नये अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान खोलने की घोषणा की गयी. इसके पांचवें चरण में असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु और बिहार में 6 नये एम्स खोलने के बारे में घोषणा की गयी. प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत जम्मू-कश्मीर के दो राजधानी शहरों में दो एम्स खोलने की भी घोषणा की है. (http//pmssy-mohfw.nic.in/ listofcolleges.aspx)

आयुष्मान भारत - राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (एबी-एनएचपीएम)

2018-19 के आम बजट में भारत सरकार ने अपने अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयुष्मान भारत की घोषणा की है जो सरकार के खर्च से चलाया जाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम है. लोगों ने इसे मोदी केयरकार्यक्रम तक कहना शुरू कर दिया है. आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (एबी-एनएचपीएम) में 10.74 करोड़ से अधिक गरीब और दुर्बल परिवारों को शामिल किया जाएगा (करीब 50 करोड़ लाभार्थी) और उन्हें प्रति परिवार 5 लाख रुपये की वार्षिक बीमा सुरक्षा द्वितीय और तृतीय स्तर की स्वास्थ्य सेवा हासिल करने के लिए अस्पताल में भर्ती कराने के वास्ते उपलब्ध करायी जाएगी. इसके पीछे सोच यह है कि स्वास्थ्य पर समग्र रूप से ध्यान देने के लिए प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्तर की प्रणाली में लीक से हटकर उपाय किये जाएं और रोकथाम तथा स्वास्थ्य संवर्धन को इसके दायरे में लाया जाए. 

आम लोगों को फायदे

इसमें गरीबों, उपेक्षित ग्रामीण परिवारों और चुने हुए वर्गों के पेशेवर शहरी मजदूरों के परिवारों को शामिल किया जाएगा. इसके लिए ग्रामीण और शहरी दोनों ही तरह के क्षेत्रों के लिए सामाजिक-आर्थिक जाति गणना के आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाएगा. इस योजना में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की तरह परिवार के सदस्यों की संख्या संबंधी कोई सीमा नहीं रखी गयी है जिसमें नकदी रहित स्वास्थ्य बीमा योजना की व्यवस्था है और जिसके अंतर्गत प्रति परिवार (5 सदस्यों के लिए) 30,000 रुपये सालाना का बीमा किया जाता है. गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों और असंगठित मजदूरों की 11 अन्य परिभाषित श्रेणियों को इसके दायरे में रखा गया है. यह योजना गतिशीलता और महत्वाकांक्षा को ध्यान में रखकर बनायी गयी है और इसमें सामाजिक-आर्थिक जाति गणना के जुडऩे/ हटाने/ वंचित रहने और व्यावसायिक मानदंडों संबंधी आंकड़ों में भविष्य में होने वाले किसी भी बदलाव का इसमें ध्यान रखा गया है. इस योजना के प्रावधानों का फायदा देश में कही भी रहकर उठाया जा सकता है. योजना में शामिल किये गये लाभार्थी देश में पैनलबद्ध किये गये किसी भी निजी/सार्वजनिक अस्पताल से बिना नकदी का लेन-देन किये स्वास्थ्य सुविधाओं का फायदा उठा सकते हैं.  

कार्यान्वयन के लिए ढांचा

 आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन (एबी-एनएचपीएम) का एक बुनियादी सिद्धांत है सहकारी संघवाद और राज्यों के लिए लचीला रवैया. इसके बाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में शीर्ष स्तर पर आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन परिषद (एबी-एनएचपीएमसी) स्थापित करने का प्रस्ताव है. यह परिषद केन्द्र और राज्यों के बीच तालमेल को बढ़ावा देने तथा नीति संबंधी निर्देश देने का कार्य करेगी. योजना को लागू करने के लिए राज्यों को राज्य स्वास्थ्य एजेंसियां बनानी होंगी. वे इसे लागू करने के लिए या तो किसी मौजूदा ट्रस्ट/सोसाइटी/मुनाफे के मकसद से काम न करने वाली कंपनी/ राज्य नोडल एजेंसी का उपयोग कर सकते हैं या फिर नयी एजेंसी बना सकते हैं. केन्द्र शासित प्रदेश भी इस बात का फैसला कर सकते हैं कि इस योजना को बीमा कंपनी के जरिए लागू किया जाए या सीधे ट्रस्ट/सोसाइटी के माध्यम से या फिर इसके लिए कोई समन्वित मॉडल बनाया जाए.  

खर्च

प्रीमियम के भुगतान का खर्च केन्द्र और राज्य सरकारें वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार एक खास अनुपात में साझा करेंगी. कुल खर्च राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों में वास्तव में भुगतान किये गये और बाजार द्वारा निर्धारित प्रीमियम पर निर्भर होगा जहां आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन को बीमा कंपनियों के माध्यम से लागू किया जाएगा. राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में जहां यह योजना ट्रस्ट/सोसाइटी के रूप में लागू की जाएगी, केन्द्र का हिस्सा वास्तविक खर्च या प्रीमियम की सीमा (जो भी कम हो) के आधार पर पूर्व निर्धारित अनुपात में किया जाएगा. इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना को भी सम्मिलित कर लिया जाएगा. लागत को नियंत्रित करने के लिए उपचार के लिए भुगतान पैकेज दरों के आधार पर किया जाएगा (जिसे सरकार पहले से निर्धारित कर देगी). पैकेज दरों में इलाज में हुआ सारा खर्च शामिल होगा. लाभार्थियों के लिए यह बिना नकदी का भुगतान किये और बिना किसी कागजी कार्रवाई के होगा. किसी राज्य विशेष की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को इन दरों में एक निश्चित सीमा के भीतर परिवर्तन करने की छूट होगी. 

इस योजना का प्रभाव

पिछले दस वर्षों में भारत में रोगियों को अस्पताल में भर्ती कराने का खर्च करीब 300 प्रतिशत बढ़ गया है. (एनएसएसओ 2015). इसमें से 30 प्रतिशत से अधिक खर्च लोग अपनी जेब से चुकाते हैं. ग्रामीण परिवार मूलत: अपनी घरेलू आमदनी/बचत’ (68 प्रतिशत) और उधार’ (25 प्रतिशत) पर निर्भर रहते हैं. शहरी परिवारों की अस्पताल में भर्ती होने के खर्च के लिए अपनी आमदनी/बचतपर निर्भरता और भी अधिक (75 प्रतिशत) है जबकि इसके लिए उधार पर निर्भरता (18 प्रतिशत) है (एनएसएसओ 2015). भारत में स्वास्थ्य पर जेब से किया जाने वाला खर्च 60 प्रतिशत से अधिक है जिससे करीब 60 लाख परिवार बीमारियों के इलाज के भारी बोझ से कंगाल हो जाते हैं. आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन (एबीएनएचपीएम) का स्वास्थ्य पर जेब से किये जाने वाले खर्च को बड़ा असर पड़ेगा. इससे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य और चिकित्सा तक लोगों की पहुंच बढ़ेगी. इसके अलावा जनता की जो आवश्यकताएं पूरी नहीं हो सकेंगी, जो वित्तीय संसाधनों के अभाव में अब तक छिपी रही थीं, उनका भी ध्यान रखा जा सकेगा. इससे रोगियों का समय पर इलाज हो सकेगा, उपचार के अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे, रोगी संतुष्टि प्राप्त करेंगे, उत्पादकता में वृद्धि होगी, कार्यदक्षता सुधरेगी और साथ में रोज़गार के नये अवसर पैदा होंगे जिसका नतीजा जीवन की गुणवत्ता में सुधार के रूप में सामने आएगा.    

स्वच्छ भारत

2 अक्तूबर, 2014 को सरकार ने स्वच्छ भारतकार्यक्रम लागू किया जिसका उद्देश्य देश में खुले में शौच करने की कुप्रवृत्ति को समाप्त करना और स्वच्छता को बढ़ावा देना है. खुले में शौच पेचिश, अतिसार, टायफाइड, पैरा टायफाइड, हैपटाइटिस और हैजा जैसे कई संचारी रोगों  का मूल कारण है.

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार की उसी भावना से भारत सरकार ने योग को पूरे उत्साह के साथ बढ़ावा दिया. एक दुर्लभ घटनाक्रम में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया. भारत के इस प्रस्ताव के सह प्रायोजकों में संयुक्त राष्ट्र के 193 में से 177 देश शामिल थे. इस तरह दुनिया ने प्राचीन भारत की आरोग्य की इस अमूर्त बौद्धिक शक्ति को स्वीकार किया. भारत सरकार इस संबंध में देश के लिए प्रधानमंत्री के स्वप्न को साकार करने के लिए ठोस कदम उठा रही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘‘संकल्प से सिद्धि तक’’ की जो बात कही है ये कदम उसी दिशा में सबके लिए आरोग्य के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं. ये न्यू इंडिया - एक भारत-श्रेष्ठ भारत, स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारतके हमारे स्वप्न के अनुरूप हैं. आशा की जा सकती है कि कारगर और उद्देश्यपूर्ण स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली भारत के जन-जन तक पहुंचेगी.  

(लेखक दिल्ली के स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं. ई-मेल: ankurgarg007@ gmail.com इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं.)