तनाव से मुक्त रहकर कैसे करें परीक्षा की तैयारी
श्री प्रकाश शर्मा
‘‘जब यह स्पष्ट हो जाये कि लक्ष्यों तक नहीं पहुंचा जा सकता है, तो लक्ष्यों को समायोजित न करें, उठाये जाने वाले कदमों का संयोजन करें’’-कन्फुसियस
परीक्षा की बात कीजिए और कोई छात्र अनायास ही चिंता, दुविधा, तनाव और भ्रम की स्थिति से ग्रसित होने लगता है. क्योंकि परीक्षा का नाम लेते ही छात्रों के रोंगटे खड़े होने लगते हैं, यह एक ऐसी भावना है जो सर्वव्यापी होती है और इसमें कुछ भी अज़ीब नहीं है. क्या आपने कभी यह कल्पना की है कि कुछ छात्र जब उन्हें कोई परीक्षा देनी होती है वे बहुत अधिक तनाव से ग्रसित हो जाते हैं तथा मानसिक तौर पर परेशान हो जाते हैं; वास्तव में, परीक्षा का तनाव आशंकाओं और एक निर्धारित परीक्षा में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करने के आत्मविश्वास की कमी के कारण होता है. लेकिन इस तनाव की जड़ निश्चित तौर पर परीक्षा के लिये समय पर तैयारी न करना तथा उपयुक्त योजना बनाने की कमी होती है.
परीक्षा का डर, जिसे आमतौर पर ‘परीक्षा का भय’ कहा जाता है, न केवल किसी परीक्षार्थी की मनोवैज्ञानिक स्थिति पर बल्कि उसके शैक्षणिक प्रदर्शन और होनहार कॅरिअर पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है.
यद्यपि, दुनिया भर के मनोविश्लेषक अब यह मानने लगे हैं कि तनाव, कुछ हद तक, छात्रों के लिये हमेशा ख़तरनाक नहीं होता है; बल्कि यह एक प्रेरणा कारक के रूप में काम करता है जो उन्हें विचलन और शिथिलता से बचाता है. हमें तनाव को नियंत्रण में रखने के लिये निम्नलिखित तकनीकें सीखने की आवश्यकता है:-
नियमित परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है.
इस दुनिया में किसी भी कार्य को पूरा करने के लिये लगातार कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है. अंकों और परिणामों के साथ परीक्षा उत्तीर्ण करना इस सत्य से बिल्कुल अलग नहीं है. इस बात से कौन इन्कार कर सकता है कि कड़ी मेहनत एक छात्र की स्थिति को बदलने में जादू की तरह काम करती है. यह कमज़ोर छात्रों को अत्यधिक प्रतिभाशाली छात्रों में परिवर्तित करने की चमत्कारी ताक़त रखती है. परिश्रम छात्र की अंतर्निहित प्रतिभा और उसमें व्याप्त क्षमता को दर्शाता है तथा परीक्षा का सामना करने के लिये उसे सक्षम बनाता है.
महान चीनी शिक्षक और दार्शनिक कन्फुसियस ने एक बार कहा था, ‘‘हमारा सबसे बड़ा गौरव कभी न गिरना है, परंतु आगे बढऩे में हम हर बार गिरते हैं’’
असफलताओं के बावजूद, हमने जो भी सपना देखा है, उसे पूरा करने के लिये हमें ईमानदारी से मेहतन करनी चाहिये. पाठ्यक्रम के विषयों का संपूर्णता और गहनता के साथ अध्ययन करें तथा पाठों से जुड़े रहने के लिये लगातार अभ्यास करें. यह परीक्षा के दबाव से, यदि कोई है, निपटने के लिये हमें शांत और मज़बूत बनाता है.
माता-पिता से बातचीत करना और उनका मार्गदर्शन प्राप्त करना एक जादू का काम कर सकता है
छात्रों में परीक्षा का तनाव होना आम बात है और ऐसी स्थिति में उन्हें अपनी समस्याओं के बारे में अपने माता-पिता से बात करना अच्छा रहता है. बेहतर यह होगा कि छात्र किसी ऐसे व्यक्ति के साथ अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात करें, जिसमें वे विश्वास करते हैं और सबसे अधिक भरोसा रखते हैं. इस प्रकार से अपनी समस्याओं को साझा करने से तनाव काफी हद तक कम होता है. माता-पिता और कऱीबी दोस्तों की सहानुभूति और देखभाल करने वाला रवैया तनाव कम करने के लिये बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है, जो आमतौर पर निराधार डर और गलत धारणा के कारण उत्पन्न
होता है.
शिक्षक भी परीक्षा के भय और डर को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. वे डर या भय को दूर करने के लिये अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिये अपने छात्रों का मार्गदर्शन कर सकते हैं और उन्हें सलाह दे सकते हैं.
स्वयं से पूछें कि आपका किस बात से तनाव है
ऐसा कहा जाता है कि इलाज से परहेज अच्छा. चिंताओं की पहचान करना तनाव दूर करने की दिशा में पहला कदम है. एक बार चिंताओं और तनाव के कारणों के बारे में पता चल जाने पर ही हम तेज़ी के साथ उनसे मुक्ति पा सकते हैं.
कुछ छात्रों के लिये परीक्षा का पाठ्यक्रम पूरा न होना बहुत बड़ी समस्या हो जाती है जबकि अन्य की दुखती रग पढ़े गये पाठों को याद न रख पाना होती है. कुछ छात्र विषयों को समझ न पाने की समस्या से ग्रसित होते हैं और परीक्षा का सामना करने में बहुत ही मज़बूर महसूस करते हैं. समस्याओं का समाधान करने से पहले
उन्हें समझना और छात्रों की मानसिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव डालने से उन्हें रोकने की आवश्यकता होती है. किसी की ताकत और कमज़ोरी का ईमानदार मूल्यांकन बहुत आवश्यक है. उन क्षेत्रों में पेशेवरों और विशेषज्ञों की मदद से सुधार करने की पूरी कोशिश करें, जिन्हें आप समस्याग्रस्त पाते हैं.
जितना जल्दी आप इन क्षेत्रों में महारत हासिल करेंगे उतनी ही जल्दी आप डर को बाहर करने में सक्षम होंगे और अंत में आत्मविश्वास और साहस से परिपूर्ण बनेंगे.
योजना ज़रूरी है, इसे बनायें और संयम के साथ इसे पूरा करें
जीवन में आप जो कुछ हासिल करना चाहते हैं उसके लिये उपयुक्त योजनाएं बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है. एक योजनाबद्ध जीवन अच्छी तरह से व्यतीत और सुखद जीवन होता है. परंतु ज़्यादातर छात्र योजना बनाने में असफल रहते हैं और यही वजह है कि उन्हें बात का कोई ज्ञान नहीं होता कि आने वाले समय में उन्हें कितना अधिक कार्य करने की आवश्यकता है. इसका अर्थ एक निश्चित अवधि के लिये जिम्मेदारियों का आकलन करना और उन पर अमल करने से होता है.
देरी से योजना बनाना भी परीक्षा के उद्देश्य के लिये अच्छा नहीं होता है क्योंकि इस मामले में छात्रों के पास अपने कार्यों को पूरा करने के लिये समय कम रह जाता है जिससे वे कठिनाई में पड़ जाते हैं. शैक्षणिक वर्ष के दौरान शामिल किये जाने वाले विभिन्न विषयों के लिये एक सुनियोजित अध्ययन अनुसूची से परीक्षा के तनाव का मुकाबला करने के लिये बहुत अपेक्षित विश्वास उत्पन्न होता है.
छात्रों को सभी विषयों के लिये सत्र की शुरूआत में एक व्यापक समयसारणी तैयार करने की आवश्यकता होती है. अध्ययन की योजना बनाते समय, उन विषयों पर अधिक ज़ोर देना फायदेमंद होता है जो उनके लिये कठिन माने जाते हैं. इसके अलावा योजनाबद्ध अध्ययन के लिये घण्टों तक पढ़ाई से चिपके रहना भी महत्वपूर्ण है. यह आदत उपलब्धता को सर्वोत्तम तरीके से और सर्वोत्तम परिणामों के लिये उपयोग करने में मदद करती है.
शांत रहें
नियमित ध्यान के अभ्यास से सुसुप्त ऊर्जा जागृत होती है और यह स्थिति मन और शरीर में जबरदस्त परिवर्तन लेकर आती है. यह मन को शांति और शरीर को आराम देता है. आंतरिक ऊर्जा का संचार होता है और इससे ताक़त मिलती है. चिंता का स्तर काफी हद तक कम हो जाता है.
इससे मन को शांति और शरीर को आराम मिलता है. आंतरिक ऊर्जा मन और शांति और शरीर को आराम प्रदान करती है. आंतरिक ऊर्जा जारी होती है और मज़बूत होती है. घबराहट का स्तर काफी नीचे चला जाता है.
ध्यान का लक्ष्य मन को केंद्रित और शांत करना होता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ध्यान अंतज्र्ञान की अपार शक्ति को विकसित करने में मदद करता है जो तनाव से संबंधित दबाव और समस्याओं को कम करने में भी काफी मदद करती है. तेज़ दिमाग, बृहद फोकस और मज़बूत एकाग्रता के रूप में यह व्यक्तिगत कायापलट छात्रों को विषय संबंधी बातों को समझने और शांत बने रहने में सहायता करता है.
परिश्रम करें, समझने का प्रयास करें
रटकर पढऩा लंबी अवधि तक मददगार नहीं होता है क्योंकि इसकी अवधारण अवधि बहुत कम होती है. रटकर हम जो सीखते हैं वह बहुत जल्द साफ हो जाता है, विशेषकर उस वक्त जब छात्रों को इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है. और याद किये गये पाठों को परीक्षा के विभिन्न स्तरों पर पुन: प्राप्त करने में विफलता तनाव का कारण बनती है. हालांकि कुछ अवधारणाएं और फार्मूले काफी लाभप्रद होते हैं परंतु इस तरह की युक्तियों और प्रणालियों का बग़ैर ध्यान रखे इस्तेमाल नहीं करना चाहिये. प्रक्रियाओं को समझने और एक निश्चित सिद्धांत कार्यों के तरीके को स्पष्ट रूप से जानने के लिये यह हमेशा फायदेमंद होता है. विषयों की विभिन्न अवधारणाओं को समझने के लिये समय दें. समझ से सीखना किसी विषय में महारत हासिल करने का सही तरीका माना जाता है.
खुद का आकलन और वास्तविक लक्ष्य निर्धारित करें
हर कोई वह सब कुछ हासिल करने का सपना देखता है जिसे वह प्यार करता है अथवा जिसकी उसे ज़रूरत होती है. परंतु जिसे कोई हासिल करने का सपना लेता है उसे पूरा करना किसी की क्षमता और संसाधनों के वास्तविक आकलन पर भी आधारित होना चाहिये. केवल जब हम अपने लक्ष्यों को वास्तविक रूप से निर्धारित नहीं करते हैं तो चिंता उत्पन्न होती है, तनाव अपना बुरा चेहरा दिखाना शुरू कर देता है जिससे निराशा और अवसाद उत्पन्न होता है.
यही वजह है कि पहला काम खुद को पहचानना होता है, ये जानना कि आप कौन हैं और अपनी पूरी ताकत और कमज़ोरियों का ईमानदारी से आकलन करने की पूरी कोशिश करते हैं. इस शक्ति और कमज़ोरियों के आधार पर हमें परीक्षा के लिये अपने लक्ष्य निर्धारित करने और जिसे हम निश्चित रूप से पूरा कर सकते हैं उसका निर्धारण करने की आवश्यकता होती है. यह चिंता और तनाव को कम करता है.
विषयों की प्राथमिकता
क्या आपने कभी महसूस किया है कि परीक्षा की तैयारी के लिये समय की उपलब्धता खोजऩे पर छात्रों को काफी तनाव हो जाता है, जो काम में महारत हासिल करने की तुलना में अपेक्षाकृत कम होता है? इस स्थिति में, किसी विशेष विषय के प्रत्येक अध्याय से गुजरना लगभग मुश्किल हो जाता है. यही कारण है कि छात्रों को अंकों के बहुत उच्च और निम्न बोझ वाले अध्यायों में पाठ्यक्रम को वर्गीकृत करना चाहिये. अध्यायों को उनके सरल होने, आसानी से समझ में आने योग्य और कठिनता के स्तर के पैरामीटर पर वर्गीकृत किया जा सकता है.
इसके अलावा, हमें सबसे आसान और कठिन विषयों की पहचान करने की भी आवश्यकता है ताकि हम उनकी तैयारी के अनुसार समय वितरण को तर्कसंगत बना सकें. आसान विषयों की तुलना में कठिन विषयों को अपेक्षाकृत अधिक समय दिया जा सकता है.
घबरायें नहीं
ऐसा लगता है कि पूरी दुनिया संभावित विफलता के कारण बिखर सी गई है. जीवन जीने के लिये कुछ भी रुचिकर और आनंददायक नहीं लगता है. लेकिन जल्दबाजी से कुछ हासिल नहीं होता है. जीवन के इस चौराहे पर छात्रों को बहुत युक्तिसंगत होने की ज़रूरत है और उन्हें दृढ़ संकल्पित रहना चाहिये.
घबराहट से स्थिति बिगड़ जायेगी. इसलिए जब भी आप अपने आप को ग़ैर प्रदर्शन-प्रेरित-चिंता-प्रेरित-हताशा-और-तनाव के भंवर में पाते हैं, तो अपनी भावनाओं को नियंत्रित करें और धैर्य से व्यवहार करें. हमेशा यह विश्वास करें कि हालांकि रास्ता अंधेरा हो सकता है लेकिन सुरंग के अंत में हमेशा प्रकाश होता है.
सकारात्मक बनें
सफलता के विपरीत, असफलता किसी व्यक्ति को निंदक और निराशावादी बनाती है. इसके कारण वह खुद पर और अपनी क्षमता पर भी शक करने लगता है और सब कुछ उसके खिलाफ काम करने लगता है. यह एक बहुत ही गंभीर समस्या है जो एक छात्र की अंतर्निहित क्षमता को खा जाती है. अपनी ताकत पर विश्वास करना आपको प्रेरित और महत्वाकांक्षी बने रहने में मदद करता है. अपनी क्षमता में मन के सकारात्मक झुकाव और अडिग विश्वास के साथ, आप किसी भी कार्य को पूरा कर सकते हैं, भले ही यह कितना भी कठिन हो. परीक्षा की तैयारी इससे अलग कला नहीं है.
छात्रों को अपनी प्रतिभा पर अदम्य विश्वास होना चाहिए और वे जो हासिल करना चाहते हैं उसके लिये कड़ी मेहनत करते रहना चाहिये. यह छात्रों के लिये बहुत पोषित सफलता लाने के लिये बाध्य है और मार्ग में तनाव बनाए रखता है.
अभ्यास के महत्व की अनदेखी न करें
अभ्यास मनुष्य को परिपूर्ण बनाता है. एक निश्चित विषय-वस्तु और विषयों पर लगातार काम करके, छात्र इतनी आसानी और इतनी जल्दी उन पर महारत हासिल करने में सक्षम होना चाहिये. कभी-कभार अलग-अलग अभ्यास करने के तरीके भिन्न-भिन्न होते हैं, लेकिन एक सामान्य अभ्यास, सभी विषयों के बावजूद, उन्हें बार-बार लिखकर विषयवस्तु को सीखना होता है.
बार-बार लिखने का अभ्यास सीखने को आसान बनाता है. इससे लेखन क्षमता भी बढ़ती है. सभी विषयों के नोट्स तैयार करें, उन्हें अच्छी तरह से समझें और उन्हें बार-बार लिखें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे पूरी तरह से समझ में आ गये हैं और दिमाग में तय हो गये हैं.
सभी अध्यायों के अभ्यास में दिये गये प्रश्नों को हल करना भी एक छात्र को अद्भुत आत्मविश्वास आत्म-सम्मान से भर सकता है और इससे छात्रों को हताशा और तनाव की चपेट में आने से रोका जा सकता है.
आप क्या कुछ खा रहे हैं, उसका ध्यान रखें
अच्छा स्वास्थ्य उन सभी उपलब्धियों की पूर्वापेक्षा है जो मनुष्य की इच्छा और जुड़ाव के लिये होती हैं. लेकिन अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखना इतना आसान नहीं होता है. यह वास्तव में नियमित व्यायाम, ध्यान और अच्छे पौष्टिक आहारों की बात है.
हम जो खाते हैं वह हमारी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य स्थिति को निर्धारित करता है. इसके लिये व्यक्ति को फास्ट या जंक फूड वाली चीजों से बचना चाहिये क्योंकि ये शरीर की पाचन और रोग निरोधक क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं. आमतौर पर आहार में हरी और पत्तेदार सब्जियां, मछली और फल शामिल होते हैं, जो एक छात्र की ऊर्जा की ज़रूरत को पूरा करता है. इस तरह का संतुलित आहार छात्रों को कई प्रकार की बीमारियों से दूर रखता है और अंत में किसी भी प्रकार के मानसिक दबाव से मुक्त करता है.
मित्रों और परिवार को न भूलें
मित्र और परिवार मुश्किल समय में सहारे का काम करते हैं क्योंकि वे हमें किसी और की तुलना में समर्थन और प्रोत्साहन देते हैं. लेकिन दुर्भाग्य से हम अपने लक्ष्य और सपनों का पीछा करते हुए उनकी अनदेखी करके गलतियां कर देते हैं. यही कारण है कि हमारी स्वयं की देखभाल करने के लिये कोई नहीं बचा होता है. यह बहुत ख़तरनाक स्थिति है.
दुनिया भर के मनोवैज्ञानिकों ने अब यह स्थापित कर दिया है कि मित्रों और परिवार के सदस्यों के साथ शैक्षणिक अथवा व्यक्तिगत, समस्याओं को साझा करने से तनाव कम होता है, भले ही वह कितना भी अनचाहा तनाव और दबाव क्यों न हो. हालांकि, किसी को भी बहुत ही विवेकपूर्ण तरीके से यह तय करना चाहिये कि एक छात्र को मित्रों के साथ कितना समय बिताना चाहिये, ऐसा न हो कि पढ़ाई का कार्यक्रम ही गड़बड़ा जाये.
परीक्षा की तैयारी का राज
एक संतुलित और नियोजित तैयारी परीक्षा के तनाव को रोकने का काम करती है. परीक्षा की बेहतर तैयारी के लिये समय-समय पर अपनी कसौटी पर खरी उतरीं कुछेक युक्तियां निम्नलिखित हैं, यदि पूरी निष्ठा और दृढ़ता के साथ अपनाई जायें तो तनाव के स्तर को कम करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है:-
** इनमें कहा गया है कि यदि आप योजना बनाने में विफल रहते हैं तो इसका मतलब है कि आप असफल होने की योजना बना रहे हैं. इसलिये अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये योजना बनाना बहुत आवश्यक है. पूर्व योजना बनाना और कड़ाई से इसका पालन करना जरूरी है, जिसे हम सफलता का प्रवेश द्वार कह सकते हैं.
** पाठ्यक्रम की संपूर्ण सामग्री और विषयवस्तु से सुपरिचित हों.
** महत्वपूर्ण बिंदुओं को नोट करें, सार बनाएं और प्रकाश डालें ताकि उन्हें सर्वाधिक उपयोग करने में आसानी हो.
** सामग्री समझने पर ध्यान दें. रटना लंबे समय तक अधिक लाभकारी साबित नहीं होगा.
** अध्यायों के माध्यम से ब्राउज़ करें ताकि उनकी ठोस जानकारी हासिल हो सके. एक पैराग्राफ पढ़ें, पुस्तक को मोडि़ए, अपनी आंखें बंद करो और अपने आप से पूछें कि आपने पठन से क्या सीखा है. यह प्रक्रिया आपको एक निश्चित अध्याय के माध्यम से ध्यान केंद्रित करने, सीखने और बेहतर बनाए रखने में मदद करेगी.
** कोई भी विषयों या पाठों के बारे में अपने मित्रों से चर्चा कर सकता है और ज्ञान का आदान-प्रदान कर सकता है.
** जो कुछ भी पढ़ा है उसकी कल्पना करें. कल्पनाशीलता किसी के मन में आये विचारों की तस्वीर बनाना होता है. यह विषय को स्थाई रूप से मन में स्थिर करने में मदद करता है.
** अध्ययन के लिये बैठते समय, अपने मन को न भटकने दें. साथ प्रतिशत एकाग्रता के साथ अपने अध्ययन पर ध्यान देने की कोशिश करें.
** हर किसी का दिनचर्या के हिसाब से अध्ययन या पुन: अध्ययन करने का अपना तरीका होता है. पता करें कि कौन सा आपको सबसे अच्छा लगता है- सुबह या देर रात, बिना संगीत या संगीत के साथ. दूसरों की दिनचर्या का आंख मूंदकर अनुसरण करने की कोशिश न करें. यह केवल आपको हतोत्साहित करेगा और आपके उत्साह को कम करेगा.
** परीक्षा के लिये तैयारी के लिये अग्रिम योजना बनायें.
** यथार्थवादी लक्ष्य रखें. आपका लक्ष्य आपकी क्षमताओं, संसाधनों और रुचि के आत्म-मूल्यांकन पर आधारित होना चाहिये. माता-पिता, शिक्षक या साथियों के दबाव से प्रभावित होकर अपने लक्ष्य को ठीक न करें.
** अपने अध्ययन के समय के बीच में विराम या अंतराल को शामिल करें. ऐसा करने से आप लंबे समय तक अध्ययन के लिये रिचार्ज होते रहेंगे.
** शिक्षक, ट्यूटर, माता-पिता या अपने आसपास के लोगों से मदद मांगने में संकोच न करें, जिन पर आप सबसे अधिक भरोसा करते हैं.
** बातचीत करने या अपने दोस्तों के साथ मस्ती करने के लिये ब्रेक लें अथवा कोई ऐसा काम करें जिन्हें करने में आपको सबसे ज्यादा आनंद आता हो. यह आपकी मनोदशा को लंबे समय तक और केंद्रित अध्ययन की अवधि के लिये अनुकूल रहेगा.
** टेलीविजन देखने से बचें. यह किसी भी अन्य चीज़ से ज्यादा समय बर्बाद करता है. यदि टेलीविजन देखना इतना ही आवश्यक है तो आपको इसके लिये समय निश्चित करना चाहिये और ईमानदारी के साथ इसका पालन करना चाहिये.
** आत्मविश्वासी बने रहें और खुद को भी कम न समझें. इसके लिये नकारात्मक सोच रखने वाले लोगों के साथ रहने से बचें.
और परीक्षा वाले दिन क्या करें?
परीक्षा का दिन बहुत बड़ा दिन होता है और भ्रम, चिंता और भय का दिन भी होता है. इसलिये, आपमें परीक्षा का डर दूर करने के लिये आत्मविश्वास और साहस का होना ज़रूरी है.
परीक्षा के दिन एक छात्र को निम्नलिखित ज़रूरी बातों को ध्यान में अवश्य रखना चाहिये.
- आप नाश्ता अवश्य करें. इसे छोड़ें नहीं.
- परीक्षा स्थल के लिये शीघ्र रवाना हों ताकि यातायात जाम या नियंत्रण से बाहर के कारणों की वजह से परेशानी हो.
- प्रवेश-पत्र या हाल टिकट और अन्य लेखन सामग्री, बहुत ही अच्छी गुणवत्ता की हो तथा अतिरिक्त पेन, स्केल, शार्पनर युक्त अच्छी पेंसिल और अपने साथ एक इरेजऱ ले जाएं.
- प्रश्न पत्र में दिये गये अनुदेशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें.
- उत्तर पुस्तिकाओं पर प्रविष्टियां सही ढंग से भरने के लिये अपने पर्यवेक्षकों की मदद लें. उत्तर पुस्तिकाओं के मुख पृष्ठ पर कोई गलत प्रविष्टि न करें. यहां तक कि यदि आपने कोई गलती की है, तो भी न डरें, अपने पर्यवेक्षक से अनुरोध करें और वह इसे सही करने के लिये आपकी सहायता करेगा.
- प्रश्नों को उत्तर देने से पहले बहुत ध्यान से देखें.
- उन प्रश्नों को छोड़ दें जिन्हें आप कठिन मानते हैं और समय अनुसार बाद में उन पर ध्यान दें.
- सबसे पहले उन प्रश्नों के उत्तर दें जिनके उत्तर आपको अच्छी तरह से मालूम हैं. यद्यपि क्रमानुसार उत्तर लिखना एक उत्कृष्ट व्यवहार माना जाता है. परंतु यह कोई नियम नहीं है और आप अपनी पसंद के अनुसार प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं.
- अंतिम समय में अपने उत्तरों को संशोधित करने के लिये कुछ मिनट बचाकर रखें.
- प्रश्नों की संख्याओं को बहुत ध्यानपूर्वक लिखें और उत्तरपर्णी पर गोला लगायें.
- प्रश्नों के उत्तरों के बीच अंतर रखें. आपको उत्तरों की ओवरलैपिंग से बचना चाहिये.
- दूसरा प्रश्न हल करने से पहले पूर्व के प्रश्न के अंत में रेखा खींचें.
- अपनी उत्तरपुस्तिका के विभिन्न पृष्ठों पर समान प्रश्नों के उत्तरों को न दोहराएं और न ही प्रसारित करें. परीक्षक बहुत स्मार्ट और बुद्धिमान होते हैं और इससे वे परेशान होंगे.
अंतिम, लेकिन न्यूनतम नहीं
परीक्षा का तनाव-यह केवल मन की स्थिति है, इसे बहादुरी से लड़ें
महान तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने एक बार कहा था, ‘‘याद रखें कि कभी-कभी जो आप चाहते हैं वह नहीं मिलता भाग्य का एक अद्भुत घटनाक्रम होता है.’’ यह जीवन का एक महान दर्शन है. यह उन छात्रों के लिये संतुष्टिकारक और प्रेरणादायक है जो अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने में असफल होने के बाद चिंताओं और तनावों के भंवर में गिर जाते हैं. यदि आप परीक्षा में अपने लक्ष्य के अनुरूप बहुत अधिक अंक प्राप्त करने में असफल रहते हैं तो इससे जीवन का अस्तित्व समाप्त नहीं हो जाता है और कॅरिअर के सभी मार्ग अवरुद्ध नहीं हो जाते हैं. जीवन सर्वशक्तिमान ईश्वर द्वारा दिया गया सबसे बड़ा उपहार है और हम इसे अपनी पसंद के अनुसार किसी भी समय जीने लायक बना सकते हैं.
मनोविश्लेषकों का कहना है कि परीक्षा का तनाव केवल एक मन: स्थिति होती है. परीक्षा का तनाव आत्म संतोष में कमी और टूटे हुए आत्मविश्वास के साथ, ऐसी गति से बढ़ता है जो पहले कभी नहीं देखी गई है. इसलिये मन में तबदीली लायें और जीवन शैली और जीवन की दार्शनिकता में बदलाव लाएं-आप कभी तनाव में नहीं रहेंगे, चिंताएं आपको कभी परेशान नहीं करेंगी और दबाव आपको कभी परेशान नहीं करेगा.
(लेखक जवाहर नवोदय विद्यालय, बिरौली (बिहार) में अध्यापन कार्य करते हैं. ई-मेल आईडी : spsharma.rishu@gmail)
व्यक्त विचार व्यक्तिगत है.
(छायाचित्र: गूगल से साभार)