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संपादकीय लेख


अंक संख्या 45, 5-11 फरवरी,2022

ड्रोन के व्यावसायिक उपयोग के लिए

भारत का नियामक परिदृश्य

मार्च 2021 में, नागर विमानन मंत्रालय ने मानव रहित विमान प्रणाली-यूएएस नियम, 2021  प्रकाशित किये. उन्हें शिक्षाविदों, स्टार्ट-अप्स, उपयोगकर्ताओं और अन्य हितधारकों के विचारों के आधार पर तैयार किया गया था. इस प्रणाली के प्रतिबंधात्मक प्रकृति की होने के कारण इसके लिए काफी कागजी कार्रवाई तथा हर ड्रोन उड़ान के लिए अनुमति की आवश्यकता होती थी  और बहुत कम 'फ्री टू फ्लाईग्रीन जोन उपलब्ध थे. सरकार ने फीडबैक के आधार पर, मानव रहित विमान प्रणाली-यूएएस नियम, 2021 को निरस्त करने और इनके स्थान पर उदारीकृत ड्रोन नियम, 2021 लागू  करने का निर्णय लिया.

सरकार का अनुमान है कि ड्रोन और ड्रोन कंपोनेंट निर्माण उद्योग में अगले तीन वर्षों में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हो सकता है. ड्रोन निर्माण उद्योग का वार्षिक कारोबार वित्त वर्ष 2023-24 में 900 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है, जिससे अगले तीन वर्षों में 10,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे.

ड्रोन सेवा उद्योग (संचालन, रसद, डेटा प्रोसेसिंग, यातायात प्रबंधन आदि) बड़े पैमाने पर आगे बढ़ा है. अगले तीन वर्षों में इसके बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का होने की संभावना है और इस दौरान 5 लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की आशा है.

ड्रोन नियम, 2021

फॉर्म, शुल्क और स्वीकृतियां

·         ड्रोन संचालित करने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को अब केवल 5 फॉर्म भरने होंगे जबकि पहले इसके लिए 25 फार्म भरने होते थे.

·         भुगतान की जाने वाली फीस की कुल संख्या पहले के 72 की तुलना में घटाकर सिर्फ  4 कर दी गई है.

·         शुल्क की मात्रा, जो पहले ड्रोन के आकार से जुड़ी थी, उसे भी कम कर दिया गया है और इसे आकार से असंबद्ध कर दिया गया है.

·         इन नियमों का दायरा पहले के 300 किलोग्राम वजन के ड्रोन से बढ़ाकर 500 किलोग्राम वजन तक के ड्रोन को कवर करने के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे ड्रोन टैक्सियों को भी इनके अंतर्गत लाया गया है.

·         निम्नलिखित अनुमोदन अब आवश्यक नहीं हैं:

·         विशिष्ट प्राधिकार संख्या

·         विशिष्ट प्रोटोटाइप पहचान संख्या

·         विनिर्माण और उड़ान योग्यता का प्रमाण पत्र

·         पुष्टि प्रमाण पत्र

·         रखरखाव का प्रमाण पत्र

·         आयात मंजूरी

·         मौजूदा ड्रोन की स्वीकृति

·         ऑपरेटर परमिट

·         अनुसंधान एवं विकास संगठन का प्राधिकरण

·         छात्र रिमोट पायलट लाइसेंस

·         रिमोट पायलट इंस्ट्रक्टर प्राधिकरण

·         ड्रोन पोर्ट प्राधिकरण

डिजिटलस्काई प्लेटफॉर्म

डिजिटलस्काई जिसका पहली बार दिसंबर 2018 में अनावरण किया गया था, वर्तमान में भारत की नई ड्रोन नीति के अनुरूप बनने के लिए सुधार के दौर से गुजर रहा है. यह प्लेटफार्म निम्न प्रकार से  कार्य करता है:

·         सभी आवश्यक मंजूरी के लिए सिंगल विंडो प्लेटफॉर्म है.

·         न्यूनतम मानव इंटरफेस. अधिकांश अनुमति स्व-सृजित है.

·         ड्रोन ऑपरेटर अपने विमान सिस्टम को कहां उड़ा सकते हैं और कहां इन्हें उड़ाना वर्जित है, यह बताने के लिए तीन - यैलो, ग्रीन और रैड ज़ोन को दर्शाने वाला इंटरएक्टिव हवाई क्षेत्र का नक्शा है.

ड्रोन पायलट लाइसेंस

·         नागरिक उड्डयन महानिदेशालय-डीजीसीए, ड्रोन प्रशिक्षण आवश्यकताओं को निर्धारित करता है, ड्रोन स्कूलों की देखरेख करता है और ऑनलाइन पायलट लाइसेंस प्रदान करता है.

·         डीजीसीए द्वारा रिमोट पायलट लाइसेंस, डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से अधिकृत ड्रोन स्कूल से रिमोट पायलट सर्टिफिकेट प्राप्त करने के 15 दिनों के भीतर जारी किया जाता है.

·         माइक्रो ड्रोन (गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए) और नैनो ड्रोन के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है.

·         ग्रीन जोन में स्थित अपने या किराए के परिसर में ड्रोन का संचालन करने वाली अनुसंधान एवं विकास संस्थाओं को रिमोट पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है.

ड्रोन का परीक्षण

·         टाइप सर्टिफिकेट जारी करने के लिए ड्रोन का परीक्षण, भारतीय गुणवत्ता परिषद या अधिकृत परीक्षण संस्थाओं द्वारा किया जाता है.

·         टाइप सर्टिफिकेट की जरूरत तभी पड़ती है जब भारत में ड्रोन का संचालन किया जाना हो.

·         निर्माता और आयातक स्व-प्रमाणन के माध्यम से डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अपने ड्रोन की विशिष्ट पहचान संख्या जनरेट कर सकते हैं.

·         आयात और पूरी तरह से निर्यात के लिए निर्मित ड्रोन को टाइप सर्टिफिकेशन और विशिष्ट पहचान संख्या से छूट दी गई है.

·         नैनो और मॉडल ड्रोन (अनुसंधान या मनोरंजन के उद्देश्य से बने) को टाइप सर्टिफिकेशन से छूट दी गई है.

·         डिजिटलस्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से ड्रोन के हस्तांतरण और विपंजीकरण के लिए आसान प्रक्रिया निर्दिष्ट की गई है.

ड्रोन प्रमाणन योजना

भारत सरकार ने 26 जनवरी, 2022 को 'ड्रोन प्रमाणन योजनाÓ (डीसीएस) को अधिसूचित किया, जो भारत में ड्रोन के उपयोग के नियमों को काफी आसान बनाने वाले जुलाई 2021 के ड्रोन नियमों के साथ शुरू की गई कवायद पर आधारित हैं. 'ड्रोन प्रमाणन योजनाका उद्देश्य ड्रोन के लिए उड़ान योग्यता- सुरक्षा आवश्यकताओं- के लिए न्यूनतम आवश्यकताएं प्रदान करना और प्रमाणन के लिए उनके मूल्यांकन को सक्षम करना है.

सुरक्षा मंजूरी

·         इससे पहले, पंजीकरण या लाइसेंस जारी करने से पहले, सुरक्षा मंजूरी आवश्यक थी, लेकिन अब सुरक्षा मंजूरी का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है.

·         विदेशी कंपनियों को अब भारत में ड्रोन संचालित करने की अनुमति है.

·         विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा ड्रोन के आयात को विनियमित किया जाना जारी रहेगा.

·         उद्योग को समय-समय पर अधिसूचित 'नो परमिशन-नो टेकऑफ’ (एनपीएनटी), रीयल-टाइम ट्रैकिंग बीकन, जियो-फंसिंग आदि जैसी सुरक्षा व्यवस्था का पालन करना होगा.

ड्रोन हवाई क्षेत्र का नक्शा

ड्रोन संचालन के लिए भारत के हवाई क्षेत्र का नक्शा 24 सितंबर 2021 को जारी किया गया था. नक्शा, नागर विमानन महानिदेशालय के डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म https://digitalsky.dgca.gov.in/homeपर उपलब्ध है. मानचित्र की मुख्य विशेषताएं हैं:

·         इंटरेक्टिव मानचित्र जो पूरे देश में ग्रीन, येलो और रेड जोन का सीमांकन करता है.

·         ग्रीन जोन 400 फीट तक का हवाई क्षेत्र है जिसे रेड या येलो ज़ोन के रूप में नामित नहीं किया गया है; और एक क्रियाशील हवाई अड्डे की परिधि से 8-12 किमी के बीच स्थित क्षेत्र से 200 फीट तक ऊपर है.

·         ग्रीन जोन में, 500 किलोग्राम तक वजन वाले ड्रोन के संचालन के लिए किसी भी तरह की अनुमति की आवश्यकता नहीं है.

·         येलो जोन एक निर्दिष्ट ग्रीन जोन में 400 फीट से ऊपर का हवाई क्षेत्र है; एक क्रियाशील हवाई अड्डे की परिधि से 8-12 किमी के बीच स्थित क्षेत्र में 200 फीट से ऊपर और एक क्रियाशील हवाई अड्डे की परिधि से 5-8 किमी के बीच स्थित क्षेत्र में जमीन के ऊपर है.

·         येलो जोन में ड्रोन संचालन के लिए संबंधित हवाई यातायात नियंत्रण प्राधिकरण - एएआई, आईएएफ, नौसेना, एचएएल आदि से अनुमति की आवश्यकता होती है, जैसा भी मामला हो.

·         येलो जोन को हवाई अड्डा परिधि को 45 किमी से घटाकर 12 किमी कर दिया गया है.

·         रेड जोन 'नो-ड्रोन जोनहै जिसके भीतर केंद्र सरकार की अनुमति के बाद ही ड्रोन का संचालन किया जा सकता है.

·         हवाई क्षेत्र के नक्शे को अधिकृत संस्थाओं द्वारा समय-समय पर संशोधित किया जा सकता है.

·         ड्रोन संचालित करने की योजना बनाने वाले किसी भी व्यक्ति को क्षेत्र की सीमाओं में किसी भी बदलाव के लिए नवीनतम हवाई क्षेत्र के नक्शे को अनिवार्य रूप से देखना चाहिए.

·         ड्रोन हवाई क्षेत्र का नक्शा बिना किसी लॉगिन आवश्यकता के सभी के लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है.

पीएलआई योजना

केंद्र सरकार ने सितंबर 2021 में ड्रोन और ड्रोन कम्पोनेंट के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना-पीएलआई को मंजूरी दी. नए ड्रोन नियमों के साथ इस योजना का उद्देश्य ड्रोन क्षेत्र में असाधारण वृद्धि को उत्प्रेरित करना है. योजना की मुख्य विशेषताएं हैं:

·         ड्रोन और ड्रोन कम्पोनेंट के लिए पीएलआई योजना के वास्ते आवंटित कुल राशि 120 करोड़ रुपये है जो तीन वित्तीय वर्षों के लिए है. यह राशि वित्त वर्ष 2020-21 में सभी घरेलू ड्रोन निर्माताओं के संयुक्त कारोबार से लगभग दोगुनी है.

·         ड्रोन और ड्रोन कम्पोनेंट का विनिर्माण करने वाले उद्यम के लिए प्रोत्साहन उसके द्वारा किए गए मूल्यवर्धन के 20 प्रतिशत अधिक होगा.

·         सरकार ने केवल ड्रोन उद्योग के लिए दिये गये असाधारण प्रोत्साहन के अंतर्गत सभी तीन वर्षों के लिए पीएलआई दर को 20 प्रतिशत पर स्थिर रखने पर सहमति व्यक्त की है. अन्य क्षेत्रों के लिए पीएलआई दर हर साल कम हो जाती है.

·         सरकार, ड्रोन उद्योग को दिए गए एक और असाधारण प्रोत्साहन के तहत, ड्रोन और ड्रोन कम्पोनेंट के लिए न्यूनतम मूल्यवर्धन मानक, शुद्ध बिक्री के 50 प्रतिशत के बजाय 40 प्रतिशत पर तय करने पर सहमत हुई है. इससे लाभार्थियों की संख्या में इजाफा होगा.

·         मूल्यवर्धन की गणना ड्रोन और ड्रोन कम्पोनेंट से वार्षिक बिक्री राजस्व (जीएसटी का शुद्ध) से की जाएगी. इसमें ड्रोन और ड्रोन कम्पोनेंट की खरीद लागत (जीएसटी का शुद्ध) शामिल नहीं की जाएगी.

पीएलआई योजना में कई प्रकार के ड्रोन कम्पोनेंट शामिल हैं:

एयरफे्रम, प्रोपल्शन सिस्टम (इंजन और इलेक्ट्रिक), पावर सिस्टम, बैटरियां और संबंधित कम्पोनेंट, लॉन्च और रिकवरी सिस्टम; जड़त्वीय मापन इकाई, जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली, उड़ान नियंत्रण मॉड्यूल, ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन और संबंधित कम्पोनेंट; संचार प्रणाली (रेडियो फ्रीक्यूएंसी, ट्रांसपोंडर, उपग्रह आधारित आदि); कैमरा, सेंसर, छिड़काव प्रणाली और संबंधित पेलोड आदि; 'डिटेक्ट एंड अवॉइडसिस्टम, इमरजेंसी रिकवरी सिस्टम, ट्रैकर्स आदि और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण अन्य उपकरण.

·         जैसे-जैसे  ड्रोन तकनीक विकसित होती है सरकार, समय-समय पर पात्र कम्पोनेंट की सूची का विस्तार कर सकती है.

·         सरकार ड्रोन से संबंधित आईटी उत्पादों के डेवलपर्स को शामिल करने के लिए प्रोत्साहन योजना के विस्तार पर सहमत हुई है.

·         सरकार ने छोटे स्तर पर 2 करोड़ रुपये (ड्रोन के लिए) और 50 लाख रुपये (ड्रोन कम्पोनेंट के लिए) वार्षिक बिक्री कारोबार के संदर्भ में एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए पात्रता मानदंड बनाए रखा है. इससे लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि होगी.

·         वार्षिक बिक्री कारोबार के मामले में गैर-एमएसएमई कंपनियों के लिए पात्रता मानदंड 4 करोड़ रुपये (ड्रोन के लिए) और 1 करोड़ रुपये (ड्रोन कम्पोनेंट के लिए) रखा गया है.

·          ड्रोन और ड्रोन कम्पोनेंट के विनिर्माता को देय प्रोत्साहन, मूल्यवर्धन का केवल पांचवां हिस्सा होगा.

·         विनिर्माता के लिए पीएलआई कुल वार्षिक परिव्यय के 25 प्रतिशत तक सीमित होगा. इससे लाभार्थियों की संख्या में इजाफा होगा.

·         यदि कोई विनिर्माता किसी विशेष वित्तीय वर्ष के लिए पात्र मूल्यवर्धन की सीमा को पूरा करने में विफल रहता है, तो यदि वह बाद के वर्ष में इस कमी को पूरा कर लेता है तो इस प्रोत्साहन राशि का दावा कर सकेगा.

कृषि में ड्रोन

भारत में ड्रोन आधारित खेती के प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 22 जनवरी 2022 को इस क्षेत्र के हितधारकों के लिए ड्रोन तकनीक को सस्ती बनाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए. दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं हैं:

·         कृषि ड्रोन की लागत का 100 प्रतिशत तक या 10 लाख रुपये में से जो राशि कम होगी उसे  किसानों के खेतों पर इस तकनीक के बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने के लिए फार्म मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, आईसीएआर संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को ड्रोन की खरीद के लिए अनुदान के रूप में दिया जाएगा.

·         किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) किसानों के खेतों पर प्रदर्शन के लिए कृषि ड्रोन की लागत का 75 प्रतिशत तक अनुदान प्राप्त करने के पात्र होंगे.

·         उन कार्यान्वयन एजेंसियों को 6000 रुपये प्रति हेक्टेयर का आकस्मिक व्यय प्रदान किया जाएगा जो ड्रोन खरीदना नहीं चाहते हैं, लेकिन कस्टम हायरिंग सेंटर, हाई-टेक हब, ड्रोन विनिर्माताओं और स्टार्ट-अप से प्रदर्शन के लिए ड्रोन किराए पर लेंगे.

·         ड्रोन प्रदर्शनों के लिए ड्रोन खरीदने वाली कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए आकस्मिक व्यय प्रति हेक्टेयर 3000 रुपये तक सीमित होगा. वित्तीय सहायता और अनुदान 31 मार्च, 2023 तक उपलब्ध कराए जाएंगे.

·         ड्रोन और उसके अनुलग्नकों की मूल लागत का 40 प्रतिशत या 4 लाख रुपये में से जो भी राशि कम होगी, किसान सहकारी समिति, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा स्थापित मौजूदा कस्टम हायरिंग केंद्रों द्वारा ड्रोन खरीद के लिए वित्तीय सहायता के रूप में उपलब्ध होगी.

·         किसानों की सहकारी समितियों, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा एसएमएएम, आरकेवीवाई या अन्य योजनाओं की वित्तीय सहायता से स्थापित किए जाने वाले नए सीएचसी या हाई-टेक हब, ड्रोन को भी अन्य कृषि मशीनों के साथ एक मशीन के रूप में सीएचसी/हाई-टेक हब की परियोजनाओं में शामिल कर सकते हैं.

·         कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने वाले कृषि स्नातक, ड्रोन और उसके अटैचमेंट की मूल लागत का 50 प्रतिशत या ड्रोन खरीद के लिए अनुदान सहायता के रूप में 5 लाख रुपये तक प्राप्त करने के पात्र होंगे.

·         ग्रामीण उद्यमियों को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से दसवीं कक्षा की परीक्षा या इसके समकक्ष परीक्षा में उत्तीर्ण होना चाहिए; और उनके पास नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा निर्दिष्ट संस्थान से या किसी अधिकृत दूरस्थ पायलट प्रशिक्षण संगठन से दूरस्थ पायलट लाइसेंस होना चाहिए.

सीएचसी/हाई-टेक हब के लिए सब्सिडी पर कृषि ड्रोन की खरीद से यह प्रौद्योगिकी किफायती कीमत पर उपलब्ध हो सकेगी, जिसके परिणामस्वरूप उसे व्यापक रूप से अपनाया जाएगा. यह भारत में आम आदमी के लिए ड्रोन को अधिक सुलभ बनाएगा और घरेलू ड्रोन विनिर्माण को भी काफी प्रोत्साहित करेगा.

कृषि और किसान कल्याण विभाग ने कृषि, वानिकी, गैर-फसल क्षेत्रों आदि में फसल सुरक्षा के लिए कीटनाशकों और मिट्टी तथा फसल पोषकों के छिड़काव में ड्रोन के इस्तेमाल के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) भी तैयार की हैं. ड्रोन के इस्तेमाल के माध्यम से कृषि सेवाओं के सभी प्रदाताओं और प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को इन नियमों / विनियमों और मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करना होगा.

(रोज़गार टीम द्वारा संकलित-

स्रोत: पीआईबी/एआईआर/डीजीसीए)