वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन 2017
उद्यमिता में रोजग़ार को प्रोत्साहन
डॉ एस पी शर्मा और मेघा कौल
नवंबर 28, 2017 से 30 नवंबर, 2017 तक हैदराबाद में हुए वैश्विक उद्यमशीलता सम्मेलन (जीईसी) का महत्व वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में महाकुंभ के समान है. सम्मेलन में नवीन विचारों को प्रेरित करने, देशों के बीच सहयोग की नई इबारत लिखने और न केवल बढ़ती युवा आबादी के लिए बल्कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए भी आर्थिक अवसरों में बढ़ोतरी करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो अत्यंत समीचीन था. इस सम्मेलन ने उद्यमियों, निवेशकों, शिक्षाविदों, सरकारी अधिकारियों और स्टार्ट-अप्स के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान किया ताकि वे भारत के विकास की कहानी को अगले स्तर पर ले जाने में मजबूती प्रदान करने के बारे में सार्थक विचार-विमर्श कर सकें.
पृष्ठभूमि
वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन की शुरूआत सही अर्थों में वैश्विक भागीदारी के साथ 2010 में हुई थी. हर वर्ष सम्मेलन का एक खास विषय होता है और विभिन्न क्षेत्रों और विविध स्थानों के उद्यमियों को निर्धारित विषय के बारे में आमंत्रित किया जाता है. सम्मेलन में मुख्य रूप से व्यापक स्तरीय वार्ताएं, परामर्श और नेटवर्किंग सत्र, परिचर्चाएं, प्रतिस्पर्धाएं और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं, जिनका उद्देश्य उद्यमियों को जानकारी प्राप्त करने और विशेषज्ञों के साथ जुडऩे का एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करना है, जिससे उन्हें अपना व्यापार बढ़ाने में मदद मिलती है. इस वर्ष हैदराबाद में आयोजन से पहले, पिछले 7 वर्षों में यह कार्यक्रम वाशिंगटन डीसी, इस्तांबुल, दुबई, मारक्केच, नैरोबी, क्वालालंपुर, सिलिकन वैली जैसे शहरों में सफलतापूर्वक आयोजित किया जा चुका है.
हैदराबाद में संपन्न वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन यानी जीईएस 2017 के आठवें संस्करण में भारत और विदेश से करीब 1500 व्यापार प्रतिनिधियों, उद्यमियों, शिक्षाविदों, सरकारी अधिकारियों और निवेशकों ने हिस्सा लिया. यह पहला अवसर था जब यह सम्मेलन दक्षिण एशिया में आयोजित किया गया. सम्मेलन के दौरान भारत और विश्वभर से आए प्रमुख उद्यमियों, निवेशकों, महिला उद्यमियों ने अपने विचार व्यक्त किए. इस वर्ष के सम्मेलन का विषय था, विमेन फस्र्ट, पर्सपैरिटी फॉर ऑल यानी सबकी खुशहाली के लिए महिलाओं को प्रथम वरीयता. यह अपने में महत्वपूर्ण बात थी कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सलाहकार इवांका ट्रम्प के नेतृत्व में अमरीकी शिष्टमंडल ने सम्मेलन में हिस्सा लिया. सम्मेलन का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुश्री इवांका ट्रम्प ने संयुक्त रूप से किया.
श्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि 2022 तक नए भारत के निर्माण में कुछ न कुछ महत्वपूर्ण योगदान देश के प्रत्येक युवा को करना है. उन्होंने निवेशकों को भारत में आने और मेक इन इंडिया के लिए भारत में निवेश करने हेतु आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि वे 80 करोड़ संभावित उद्यमियों से उम्मीद करते हैं जो विश्व की बेहतरी के लिए काम कर सकते हैं.
सुश्री इवांका ट्रम्प ने वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन के आयोजन के लिए भारत को बधाई दी और इस बात पर बल दिया कि यह सम्मेलन भारत और अमरीका के बीच सुदृढ़ मित्रता का प्रतीक है, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक और सुरक्षा हिस्सेदारी बढ़ाने में सहायक है. सम्मेलन के विषय पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर भारत अपने श्रमिकों में लिंग भेदभाव में 50 प्रतिशत अंतराल भी दूर कर ले, तो वह अगले 3 वर्षों में अपनी अर्थव्यवस्था में 150 अरब अमरीकी डॉलर का इजाफा कर सकता है.
भारत की नीतिगत व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन
यह सम्मेलन इस दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा कि इसका विषय भारत में परिवर्तित नीतिगत वातावरण के साथ सम्बद्ध था. सम्मेलन में उद्यमियों और निवेशकों को आकर्षित करने और उपयोगी विचार-विमर्श का मंच प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना समीचीन था. इससे निवेश को गति प्रदान करने में मदद मिलेगी. इस वर्ष के लिए सम्मेलन के विषयों में स्वास्थ्य देखभाल और लाइफ साइंसेज; डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रौद्योगिकी; ऊर्जा और बुनियादी ढांचा; तथा मीडिया और मनोरंजन आदि शामिल किए गए थे. देश के करोड़ों लोगों को रोजग़ार के अवसर प्रदान करने को ध्यान में रखते हुए सरकार का लक्ष्य न केवल विदेशी बल्कि घरेलू निवेशकों और उद्यमियों को भी भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित करना था.
मेक इन इंडिया जैसी भारत की औद्योगिक नीति एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य भारत और विदेश से निवेशकों को आकर्षित करना है. वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश जुटाने के लिए भारत की वचनबद्धता की पुष्टि करने का उपयुक्त मंच था. इस सम्मेलन से विश्व के विभिन्न भागों से आए निवेशकों और उद्यमियों को भारत में व्यापार की बढ़ोतरी और समृद्धि के लिए सुचारू वातावरण प्रदान करने में सरकार के प्रयासों को समझने में मदद मिली.
भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधारों के इतिहास में मील का पत्थर समझे जाने वाले जीएसटी कार्यान्वयन ने निवेशकों को इसके आकर्षण के बारे में सोचने, विचार-विमर्श करने और भारत के विकास की कहानी में शामिल होने का अवसर प्रदान किया. जीएसटी ने भारत को एकल एकीकृत बाजार बना दिया है, जिसने कराधान व्यवस्था को सरलीकृत कर दिया है तथा व्यापार को सुगम बनाने में मदद पहुंचाई है. इससे यह उम्मीद की जा रही है कि देश में उद्यमिता को मजबूती मिलेगी.
इन सुधारों और जनधन योजना, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोलना, स्वच्छ भारत मिशन, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, मुद्रा योजना, इन्सोल्वेंसी (दिवाला) एंड बैंक्रप्सी (दिवालियापन) कोड (कानून), और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की स्थापना जैसे अन्य कार्यक्रमों ने अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत की छवि सुधारने में मदद की है. दुनिया की विभिन्न अर्थव्यवस्थाएं भारत को एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में देख रही हैं और देश में निवेश करने की इच्छुक हैं.
इसके अलावा भारत में वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन का आयोजन इस दृष्टि से और भी सार्थक एवं प्रासंगिक हो जाता है कि हाल के वर्षों में भारत की ग्लोबल रैंकिंग में सुधार हुआ है और हम वैश्विक चार्ट पर निरंतर प्रतिस्पर्धी बनते जा रहे हैं. ग्लोबल खुदरा विकास सूचकांक 2017 में भारत को 30 देशों की सूची में पहला स्थान प्राप्त हुआ जो उसने चीन को पीछे धकेल कर हासिल किया. लॉजिस्टिक्स कार्य निष्पादन सूचकांक (एलपीआई) के क्षेत्र में भारत 160 देशों की सूची में 35वें स्थान पर रहा. वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक 2016 में 138 देशों की सूची में भारत का 40वां स्थान रहा. इतना ही नहीं, समृद्धि सूचकांक में 149 देशों में भारत का 104वां स्थान रहा तथा उसने विश्व की समृद्धि में करीब 20 प्रतिशत योगदान किया. पिछले 10 वर्षों में भारत को वैश्विक समृद्धि बढ़ाने की दिशा में ‘सबसे बड़े संचालकों में से एक’ का खिताब मिला है, जहां लाखों लोग गरीबी से समृद्धि की तरफ बढ़े हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स यानी व्यापार में सहूलियत सूचकांक में भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ और वह 100वें स्थान पर आ गया जो अत्यंत उत्साहजनक है.
सम्मेलन की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं
*जीईएस 2017 के प्रतिभागी सही अर्थों में वैश्विक थे, जिसमें विश्व के लगभग सभी क्षेत्रों से प्रतिनिधियों ने समान रूप से हिस्सा लिया.
*उद्यमियों ने विश्व के विविध स्थानों, उद्योगों, व्यापार आकारों और पैमानों का प्रतिनिधित्व किया.
*उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने वाले निवेशकों और प्रतिनिधियों को इस सम्मेलन से निवेश नेटवर्किंग और परामर्श में तेजी लाने में मदद मिली.
*युवा और महिला उद्यमियों और देश की खुशहाली बढ़ाने में उनकी भूमिका पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया.
*सम्मेलन में डिजिटल इकोनोमी और वित्तीय प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य देखभाल और लाइफ साइंसेज तथा मीडिया और मनोरंजन जैसे विषयों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया.
*जीईएस के दौरान स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में स्टार्ट अप्स, स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए कम लागत वाले नवाचारों और स्वास्थ्य क्षेत्र के भविष्य को पुन: परिकल्पित करने जैसे विषयों पर सत्र आयोजित किए गए.
*सम्मेलन के दौरान डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर चर्चा हुई, जो अन्य बातों के अलावा, भुगतान के तौर तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाने और समाज को नकदीरहित समुदाय में रूपांतरित करने में सहायक सिद्ध हुए हैं.
*इस अवसर पर विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित करने के बारे में भी एक सत्र आयोजित किया गया.
*फिल्म बनाने, उद्यमशीलता सृजित करने और मीडिया उद्योग में महिलाओं के लिए अवसर बढ़ाने जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श का एक सत्र आयोजित किया गया.
सम्मेलन में विचार विमर्श भारत के नीति संकेंद्रण के अनुकूल रहा, जिसमें पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है. देश में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार एफडीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में महत्वपूर्ण उपाय लागू कर रही है, जिनके फलस्वरूप भारत विश्व में सबसे अधिक एफडीआई प्राप्त करने वाला देश बन गया है. 2016-17 में भारत ने 43.47 अरब अमरीकी डॉलर मूल्य का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया, जो पिछले 17 वर्षों में सर्वाधिक है.
अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमईज़) का योगदान बढ़ाने के लिए सरकार ने मुद्रा बैंक की स्थापना की है, जिसका प्राथमिक लक्ष्य ‘‘धन रहित का वित्त पोषण’’ करना है, ताकि पुनर्वित्त के रूप में वित्तीय मदद करने सहित उन्हें विभिन्न प्रकार की सहायता पहुंचाई जा सके. मुद्रा कार्यक्रम भारत में उद्यमशीलता के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ है, चूंकि इस कार्यक्रम से 5.5 करोड़ लोगों के लिए स्वरोजग़ार के अवसर पैदा हुए हैं. इसके अंतर्गत कुल संवितरण में वित्तीय वर्ष 2016 के 1.37 लाख करोड़ रुपये की तुलना में वित्तीय वर्ष 2017 के दौरान महत्वपूर्ण इजाफा हुआ और यह 1.86 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. वर्तमान वित्तीय वर्ष (01.12.2017 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार) 117569.17 करोड़ रुपये के ऋण मंजूर किए जा चुके हैं, जिनमें से 112975.09 करोड़ रुपये मूल्य के ऋण संवितरित हुए हैं. इससे पता चलता है कि एमएसएमईज़ अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए सरकार के कार्यक्रमों का लाभ प्राप्त कर रहे हैं.
इसके अतिरिक्त सरकार ने नए उद्यमियों को नवाचार के जरिए आगे बढऩे और देश में उद्यमशीलता की भावना में तेजी लाने के लिए स्टार्ट अप इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत नया उद्यम शुरू करने वाले स्टार्ट अप्स 7 वर्ष के ब्लॉक में 3 वर्ष तक कर छूट का लाभ हासिल कर सकते हैं बशर्ते उन्होंने अपना कारोबार 1 अप्रैल 2016 के बाद प्रारंभ किया हो. इस कार्यक्रम के अंतर्गत अन्य बातों के अलावा सुधार प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए 941 स्कूलों की पहचान की गई. उल्लेखनीय है कि सरकार का लक्ष्य जीईएस 2017 के विषय के अनुरूप स्टार्ट-अप्स पर ध्यान देना है, जिसमें स्टार्ट अप्स को ऐसे निवेशकों से मिलने का अवसर भी मिला, जो अच्छी परियोजनाओं में निवेश के इच्छुक हैं.
इन सभी उपायों से भारत में व्यापार करने में सहूलियत में सुधार आया है. दक्षिण एशिया और ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाओं में भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसने इस वर्ष व्यापार करने में सुगमता संबंधी वैश्विक रिपोर्ट में स्थान हासिल किया. भारत ने 10 संकेतकों में से 6 में अपनी रैंकिंग में सुधार किया और वह उत्कृष्ट अंतर्राष्ट्रीय पद्धतियां अपनाने (सूची में पिछले पायदान से आगे आने) की दृष्टि से आगे बढ़ा. इसका श्रेय प्रधानमंत्री के ‘‘रिफार्म, परफार्म, ट्रांसफार्म’’ यानी ‘‘सुधार, कार्य निष्पादन और परिवर्तन’’ के मंत्र को दिया जा सकता है, जिसके अंतर्गत एक सुदृढ़ नेतृत्व ने राजनीतिक इच्छाशक्ति प्रदान की है, ताकि व्यापक और जटिल सुधारों को अंजाम दिया जा सके और तत्संबंधी कार्य निष्पादन में नौकरशाही की प्रतिबद्धता हासिल की जा सके.
वर्ष 2016 और 2017 के दौरान, व्यापार में सुगमता के क्षेत्र में भारत की रैंकिंग से पता चलता है कि हालांकि 2016 में 53.93 अंकों की तुलना में 2017 में 56.05 अंक अर्जित कर भारत ने पिछले से अगले पायदान पर आने की स्थिति में सुधार किया, लेकिन उसकी रैंकिंग 130वें स्थान पर स्थिर रही, जबकि उसकी तुलना में अन्य अर्थव्यवस्थाओं की रैंकिंग में सुधार दर्ज हुआ. परंतु, वर्ष 2018 में व्यापार सुगमता की भारत की रैंकिंग में 30 पायदान का इजाफा हुआ और पिछले से अगले पायदान पर आने में उसकी स्थिति में काफी सुधार आया.
भारत की व्यापार सुगमता रैंकिंग में सुधार आने से जीईएस 2017 के लिए प्रतिभागियों को आकर्षित करने में मदद मिली, क्योंकि रिपोर्ट से पता चलता है कि सरकार व्यापार में सहूलियतें प्रदान करने की दिशा में परिश्रम कर रही है. यही वजह है कि अनेक व्यापारियों और उद्योगपतियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया.
इसके अतिरिक्त इन्सोल्वेंसी और बैंक्रप्सी कोड एक व्यापक और व्यवस्थित सुधार कार्यक्रम है, जो जीएसटी के बाद सबसे बड़ा आर्थिक सुधार है. इससे मौजूदा ऋण बाजार की कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार आएगा. यह कानून कंपनियों के दिवालिया होने से संबंधित सभी कानूनों को एकीकृत करता है, जो पहले अलग अलग थे, उन्हें एकल कानून का रूप दिया गया है. ऐसे एकीकरण से कानून में स्पष्टता आई है और इससे व्यापार विफल होने या ऋण अदा करने में अक्षम होने की स्थिति में विभिन्न प्रभावित प्रतिभागियों के संदर्भ में संगत और सामंजस्यपूर्ण प्रावधान लागू करने में मदद मिलती है. इस कानून के लागू होने से भारत की व्यापार में सुगमता रैंकिंग में सुधार आया है और वह पिछले वर्ष के 136 से 33 स्थानों की छलांग लगा कर 2018 में 103 पर पहुंच गया, जो अत्यंत सराहनीय है.
इसके अतिरिक्त, सरकार ने हाल ही में देश में बैंकिंग क्षेत्र के पुन:पूंजीकरण के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है, जिसे 2 वर्ष की अवधि में कार्यरूप दिया जायेगा. इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एमएसएमईज के लिए अधिक ऋण प्रदान कर सकेंगे, जिससे उनका विकास तेज होगा और रोजग़ार में वृद्धि होगी. इस उपाय से विश्वभर के व्यापारियों के लिए भारत आने और यहां निवेश करने के व्यापक द्वार खुल गए हैं. इस तरह भारत ने जीईएस 2017 में हिस्सा लेने वाले वैश्विक व्यापारियों के लिए निवेश के दिलचस्प अवसरों की पेशकश की.
भारत में सुधार के इन ऐतिहासिक उपायों के कारण अमरीका, जापान, चीन, ब्रिटेन, कनाडा सहित अन्य देश भारत में रुचि प्रकट कर रहे हैं. विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं से संबद्ध कंपनियां भारत में निवेश करने की इच्छुक हैं और भारत धीरे-धीरे निवेश का एक बड़ा केन्द्र बनता जा रहा है. विश्व अर्थव्यवस्था में भारत को एक उज्ज्वल स्थान के रूप में दर्शाया गया है. इस बात को हाल ही में आईएमएफ की अध्यक्ष सुश्री क्रिस्टाइन लेगार्ड ने भी रेखांकित किया था. हाल ही में मोर्गन स्टैंले ने अनुमान व्यक्त किया था कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2027 तक एक डिजिटल छलांग लगाते हुए 6 ट्रिलियन अमरीकी डालर मूल्य का हो जाएगा. सुधार के उपाय अर्थव्यवस्था के औद्योगिक क्षेत्र को मजबूती प्रदान कर रहे हैं और विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ोतरी दर्ज हो रही है. इससे युवाओं के लिए रोजग़ार के विपुल अवसर पैदा हुए हैं. इसके अतिरिक्त सुधारों से उद्यमिता के लिए अनुकूल वातावरण का सृजन हुआ है. इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि अमरीका में वाशिंगटन स्थित ग्लोबल आन्ट्रप्रनर्शिप एंड डिवेलॅप्मेंट इंस्टिट्यूट द्वारा जीईएस 2017 के दौरान जारी वैश्विक उद्यमिता सूचकांक 2018 में भारत की रैंकिंग में एक पायदान का सुधार हुआ और वह 68वें स्थान पर पहुंच गया. अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्र उसमें बढ़ोतरी के संवाहक के रूप में उभरे हैं. कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र, ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स, औषधि एवं फार्मास्युटिकल्स, हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योग, चमड़ा और चमड़ा उत्पाद, विद्युत, टेक्सटाइल, और अन्य कई उद्योग उद्यमियों और निवेशकों को भारत आने और यहां निवेश करने के व्यापक अवसर उपलब्ध कराते हैं. वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन ने देश की अर्थव्यस्था को गति देने वाले इन क्षेत्रों में निवेश के अवसरों की पहचान करने का एक उत्कृष्ट मंच प्रदान किया.
सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण
सामाजिक-आर्थिक विकास के परिप्रेक्ष्य में देखें तो भारत में श्रम-शक्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. राजनीति, व्यापार और मीडिया से लेकर मनोरंजन तक विभिन्न मोर्चों पर महिलाएं अब अग्रणी हैं. परन्तु, श्रम-शक्ति में महिलाओं की भूमिका को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है, क्योंकि देश में नौकरी छोडऩे वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. सेंटर फॉर मानीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार, 2017 के पहले चार महीनों में करीब 24 लाख महिलाओं को अपना रोजग़ार छोडऩा पड़ा, जो चिंता की बात है. इसके अलावा, लिंग समानता के संदर्भ में वल्र्ड इकोनोमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की लिंग अंतराल रिपोर्ट 2017 में भारत 144 देशों में 21 स्थान पीछे खिसक कर 108वें स्थान पर पहुंच गया. उल्लेखनीय है कि भारत में ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी की दर निरक्षर और कॉलेज स्नातकों की श्रेणी में सर्वाधिक है. फिर भी, वैश्विक उद्यमशीलता सम्मेलन जैसे कार्यक्रमों से, जो श्रम में महिलाओं की भागीदारी पर केन्द्रित होते हैं, आने वाले वर्षों में श्रमिकों में महिलाओं की भागीदारी कई गुणा बढ़ेगी. यह उल्लेखनीय है कि वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन में तेलंगाना के मुख्यमंत्री श्री के चंद्रशेखर राव ने घोषणा की कि उन्होंने महिला उद्यमियों के लिए 15 करोड़ रुपये का एक विशेष टी-फंड यानी तेलंगाना कोष बनाया है, जो राज्य सरकार की ओर से महिला उद्यमियों को बीज या बुनियादी निधि के तौर पर 25 लाख रुपये से 1 करोड़ तक उपलब्ध कराएगा, जिससे न केवल महिलाओं के लिए बल्कि बृहत् स्तर पर लोगों के लिए रोजग़ार के अवसर सृजित करने में मदद मिलेगी.
सरकार प्रसूति लाभ अधिनियम में संशोधन जैसे उपायों के ज़रिए अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के प्रयास कर रही है, फिर भी इस दिशा में अभी और उपाय करने की आवश्यकता है. सरकार को श्रमबल में महिलाओं की मुक्त भागीदारी के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना चाहिए और स्त्री-पुरुष, दोनों को समान वेतन देने के बारे में विचार-विमर्श और बातचीत करनी चाहिए, साथ ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों के प्रति अधिक जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है.
इन उपायों से महिलाओं में उद्यमशीलता की भावना पैदा करने और उन्हें विविध क्षेत्रों में रोजग़ार हासिल करने के लिए प्रेरित करने तथा देश में समावेशी विकास और खुशहाली लाने में काफी मदद मिलेगी.
निष्कर्ष
वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन-2017, जो भारत में पहली दफा आयोजित किया गया, का विषय था, विमेन फस्र्ट, पर्सपैरिटी फार ऑल यानी सबकी खुशहाली के लिए महिलाओं को प्रथम वरीयता.
इसमें नए विचारों पर परिचर्चाएं आयोजित करने, देशों के बीच सहयोग की नई इबारत लिखने और आर्थिक अवसरों, विशेष रूप से महिलाओं के लिए अवसरों में बढ़ोतरी करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया. इस सम्मेलन ने उद्यमियों, निवेशकों, शिक्षाविदों, सरकारी अधिकारियों और स्टार्ट-अप्स के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान किया ताकि वे भारत के विकास की कहानी को अगले स्तर पर ले जाने में मजबूती प्रदान करने के बारे में सार्थक विचार विमर्श कर सकें. यह अत्यन्त सराहनीय है कि जीईसी 2017 ने विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता और व्यापार के विकास की गति में तेजी लाने के सरकार के लक्ष्य की पुरावृत्ति की.
सरकार ने व्यापार का माहौल बेहतर बनाने के लिए सुधार के अनेक उपाय प्रारंभ किए हैं ताकि अधिकाधिक घरेलू और विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश और मेक इन इंडिया के लिए आकर्षित किया जा सके. यह सर्वथा उचित था कि सम्मेलन में संसाधनों, सुधार के उपायों के संदर्भ में व्यापार की जरूरतों पर विचार विमर्श पर किया गया, जिससे सरकार को आगे बढऩे की रूपरेखा तय करने में मदद मिलेगी. सम्मेलन में विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए, जिनमें अनेक महिलाएं शामिल थीं. उन्होंने इस बात की आवश्यकता पर बल दिया कि संगठनों के शीर्ष पदों पर अधिक संख्या में महिलाओं की नियुक्तियां होनी चाहिएं. आगे बढ़ते हुए सरकार को अर्थव्यवस्था एवं व्यापार के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण सुधार कार्यक्रमों की घोषणा करनी चाहिए ताकि आने वाले समय में समावेशी विकास के सभी लक्ष्य पूरे किए जा सकें.
(डॉ. एसपी शर्मा पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में प्रमुख अर्थशास्त्री हैं और मेघा कौल पीएचडी चैम्बर में एसोशिएट अर्थशास्त्री हैं. आलेख में लेखकों ने निजी विचार व्यक्त किए हैं.)
चित्र : गूगल से साभार