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नौकरी फोकस


अंक संख्या 11, 11-17 जून,2022

भाषा अध्ययन में कॅरिअर के अवसर

चंदन शर्मा

यह पूछे जाने पर कि आपके व्यक्तित्व को सबसे अच्छा क्या परिभाषित करता है? हम तुंरत कहते हैं कि हमारी फैशन स्टाइल, हमारा चेहरा, ज्ञान के साथ-साथ संचार कौशल, सभी तय करते हैं कि हम कौन हैं? लेकिन तथ्य यह है कि बातचीत, साक्षात्कारों और अन्य अवसरों पर संचार कौशल के जरिये ज्ञान ही हमारे वास्तविक व्यक्तित्व को परिभाषित करता है. यह निश्चित रूप से कोई बाहरी विशेषता नहीं है और कुछ दिनों में विकसित नहीं होती है. वास्तव में यह कौशल कई वर्षों के अध्ययन, सीखने और अनुभव के माध्यम से अर्जित किया जाता है. यह केवल अवसरों के नए मार्ग खोलता है बल्कि समाज में और पीअर समूहों और सहकर्मियों के बीच, यहां तक कि कक्षाओं में भी कई अन्य लाभ प्रदान करता है.लेकिन इसे कैसे अर्जित किया जा सकता है? यह एक मिलियन डॉलर का प्रश्न है. इस कौशल को अर्जित करने के कई तरीके हैं लेकिन भाषाओं का अध्ययन इस की कुंजी है. वर्तमान लेख भाषा अध्ययन के लाभों के बारे में बात करेगा. दुनिया में कई भाषाएं हैं. भारत कई भाषाओं का घर है. उनमें से कई भाषाएं देश की आधिकारिक भाषा के रूप में सूचीबद्ध हैं. भारत के संविधान में अनुच्छेद 344(1) और 351 शामिल हैं जो भाषाओं से संबंधित हैं. इन्हें आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है जो 22 भाषाओं अर्थात असमिया, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू को मान्यता देती है. इन भाषाओं के अलावा, देश के विभिन्न हिस्सों में 7000 से अधिक बोलियां बोली जाती हैं. लेकिन बोली और भाषा में बड़ा अंतर है. कोई बोली असंरचित होती है और आमतौर पर यह व्याकरण का पालन नहीं करती है, जबकि एक भाषा अच्छी तरह से संरचित होती है और बिना किसी अपवाद के उसकी एक नियम पुस्तिका या व्याकरण होना चाहिए. यह भारतीय या विदेशी किसी भी भाषा के मामले में हो सकता है. भाषा और संचार कौशल शिक्षा के पहले वर्ष से शुरू होता है अर्थात किंडरगार्टन या नर्सरी से लेकर उच्च अध्ययन तक. हालांकि, भाषाओं में विशेष अध्ययन के लिए, आपको सामान्य संचार में उपयोग किए जाने वाले व्याकरण तथा शब्दावली की तुलना में व्याकरण और शब्दावली का एक उच्च सेट सीखना होगा. भाषा अध्ययन से जुड़े कई घटक हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, भाषा और कुछ नहीं बल्कि संचार का एक प्रतीक है जिसे अक्षर, वाक्य या संचार के अन्य विभिन्न रूपों के माध्यम से अभिव्यक्त या प्रस्तुत किया जाता है.

जैसा कि हम सभी जानते हैं, भाषा के बिना ज्ञान का संप्रेषण या संचार नहीं किया जा सकता है, इसलिए भाषा कौशल प्राप्त करना किसी भी समाज में शिक्षा का पहला उद्देश्य है. यहां तक कि सुनने और बोलने में अक्षम लोगों ने भी सीखने और अध्ययन की प्रक्रिया में भाषा उपकरणों के विशेष सेट का उपयोग किया. भारत के लगभग सभी प्रमुख विश्वविद्यालय स्नातक स्तर से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक भाषाएं पढ़ाते हैं और कुछ में अनुसंधान स्तर की सुविधाएं भी हैं. पिछले कुछ वर्षों में, नए मीडिया और सूचना प्लेटफार्मों के आगमन और शिक्षण और शिक्षा के विस्तार के साथ भाषाविदों की मांग में रोज़गार के बाजार में भारी वृद्धि देखी गई है.

भाषा में उच्च अध्ययन केवल रोज़गार प्राप्त करने की संभावनाओं को बढ़ाता है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों-जिन्हें भाषा में विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, में प्रत्यक्ष रोज़गार के रास्ते भी खोलता है. ऐसे में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भाषा अध्ययन के लिए प्रख्यात कुछ बेहतरीन संस्थान और कॉलेज प्रवेश के लिए योग्यता परीक्षा में उच्च अंकों की मांग करते हैं. लेकिन सीयूईटी (कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) की शुरुआत के साथ, जिन उम्मीदवारों ने अर्हक परीक्षा में कम अंक प्राप्त किए हैं, वे सीयूईटी में अच्छा स्कोर करने पर भाषा पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्राप्त करने में सक्षम होंगे.

भाषाओं में कॅरिअर के अवसर         

शिक्षण: भाषा शिक्षण उन लोगों के लिए उपलब्ध सर्वोत्तम अवसर है जो भाषा अध्ययन कर रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार, भारत में सरकारी और निजी क्षेत्र की संस्थाओं में लगभग 20 लाख शिक्षकों में से कम से कम 20 प्रतिशत भाषा शिक्षक हैं, जिनमें से ज्यादातर अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, उर्दू और अन्य स्थानीय भाषाओं को पढ़ाते हैं. भाषा विज्ञान में उच्च अध्ययन करने वाले छात्रों की एक अच्छी संख्या को शोध अध्येतावृत्ति के लिए चुना जाता है. संबंधित भाषा में डिग्री/डिप्लोमा प्राप्त करने के अलावा, यदि उम्मीदवार स्कूल स्तर पर शिक्षण कॅरिअर बनाना चाहता है तो उन्हें शिक्षक प्रशिक्षण या बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड.) पूरा करने की आवश्यकता होती है, कॉलेज या विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ाने के लिए, किसी को जूनियर रिसर्च फेलोशिप प्राप्त करनी होगी या राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पास करनी होगी.आईआईटी, आईआईएम जैसी संस्थाएं और तकनीकी अध्ययन की अन्य संस्थाएं  तकनीकी संचार और व्यावसायिक संचार सहित संचार कौशल के शिक्षण के लिए मुख्य रूप से अंग्रेजी में मानविकी के शिक्षकों की भी नियुक्ति करते हैं. कुछ संस्थाएं अपने छात्रों के संचार कौशल को बढ़ाने के लिए हिंदी, संस्कृत और विदेशी भाषाओं के विशेषज्ञ भी नियुक्त करती हैं.

अनुवाद और व्याख्या: भाषा के छात्रों के लिए अनुवाद एक महत्वपूर्ण कॅरिअर विकल्प है. केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों और सार्वजनिक उपक्रमों के साथ-साथ विभिन्न विभागों सहित कई संस्थानों को समय-समय पर अनुवादकों की सेवा की आवश्यकता होती है. यूपीएससी, लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय जैसे अन्य निकाय भी अनुवादकों की नियुक्ति करते हैं. यूपीएससी विभिन्न विभागों और मंत्रालयों में अनुवादकों की रिक्तियों को भरने के लिए हर वर्ष कनिष्ठ अनुवादक परीक्षा आयोजित करता है.

राजभाषा अधिकारी: यह एक ऐसा पद है जो ज्यादातर मंत्रालयों, सरकारी विभागों, बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों में होता है. राजभाषा अधिकारी, जैसा कि नाम से संकेत मिलता है, को हिंदी में विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है. लेकिन साथ ही, इसके लिए अंग्रेजी में भी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है क्योंकि बड़ी संख्या में उनके कार्य अंग्रेजी से हिंदी और इसके विपरीत अनुवाद से संबंधित होते हैं.

मीडिया: मीडिया एक अन्य  महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसमें भाषा अध्ययन के छात्रों के लिए व्यापक अवसर हैं. हालांकि, पत्रकारिता या जनसंचार में योग्यता इस क्षेत्र के लिए एक पूर्वापेक्षा है, मीडिया कर्मी बनने के लिए भाषा कौशल भी उतना ही महत्वपूर्ण पहलू और आवश्यकता है. मीडिया चाहे वह प्रिंट हो, इलेक्ट्रॉनिक हो या डिजिटल, भाषा के माध्यम से सूचना प्रसारित करता है. सामग्री लेखक, उप-संपादक, सहायक संपादक, संपादक के साथ-साथ सामग्री प्रबंधक, रिपोर्टर, निर्माता और संवाददाता सहित मीडिया हाउस के अधिकांश पदों पर संबंधित भाषा का त्रुटिहीन ज्ञान होना आवश्यक है.

प्रकाशन: भाषा व्यवसायियों के लिए पुस्तक और प्रकाशन उद्योग एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है. लेखक किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं होता है. लेकिन एक भाषा के छात्र के लिए पुस्तक और प्रकाशन उद्योग के पास और भी बहुत कुछ होता है. इनमें प्रूफ रीडर, एडिटर, ट्रांसलेटर और अन्य बहुत कार्य शामिल हैं. प्रकाशन उद्योग अंशकालिक नौकरी चाहने वालों के लिए अपनी भाषा कौशल का उपयोग करने के लिए एक महान स्थान है.

रचनात्मक लेखन: भाषा के छात्रों के लिए यह एक महत्वपूर्ण शैली है. फिल्मों, विज्ञापन, थिएटर, मीडिया, डिजिटल प्लेटफॉर्म, वेबसाइट, ब्लॉग और अन्य क्षेत्रों में रचनात्मक लेखकों के लिए कई अवसर हैं, जिनमें विषय सामग्री की आवश्यकता होती है.

जनसंपर्क: यह एक अन्य क्षेत्र है जहां किसी भाषा विशेषज्ञ की सेवाओं की आवश्यकता होती है. पारंपरिक जन संपर्क, कौशल, जैसे सम्मोहक लेखन और मीडिया संबंध, हमेशा मूल्यवान होते हैं. लेकिन प्रौद्योगिकी के प्रगति के कारण, सोशल मीडिया सामग्री निर्माण जैसे अतिरिक्त कौशल ने भी आकर्षण प्राप्त किया है. जनसंपर्क विशेषज्ञ सरकार, निगमों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों, स्कूलों, मीडिया खरीदारों और व्यंवसायिक संघों सहित विभिन्न संगठनों के लिए काम करते हैं.

कई संस्थाएं हैं जो भाषाओं और संबद्ध अध्ययनों में विभिन्न पाठ्यक्रम चलाती हैं. यहां कुछ प्रमुख संस्थाओं की सूची दी गई है:

·         दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

·         जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

·         भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली

·         महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र

·         इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय

·         केन्द्रीय अनुवाद संस्थान, आगरा

·         माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल

·         बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी

·         एनसीईआरटी (बी.एड के लिए)

·         पटना विश्वविद्यालय, पटना

·         टीएम भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर,

·         इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज

·         जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली

·         कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र

·         मद्रास विश्वविद्यालय

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में विजिटिंग फैकल्टी हैं. उनसे chandansharma2@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं