रोज़गार समाचार
सदस्य बनें @ 530 रु में और प्रिंट संस्करण के साथ पाएं ई- संस्करण बिल्कुल मुफ्त ।। केवल ई- संस्करण @ 400 रु || विज्ञापनदाता ध्यान दें !! विज्ञापनदाताओं से अनुरोध है कि रिक्तियों का पूर्ण विवरण दें। छोटे विज्ञापनों का न्यूनतम आकार अब 200 वर्ग सेमी होगा || || नई विज्ञापन नीति ||

नौकरी फोकस


Volume-31, 28 October-3 November, 2017

प्राणिविज्ञान में कॅरिअर

उषा अल्बुकर्क एवं निधि प्रसाद

क्या आप पशुओं से प्रेम करते हैं और वन्यजीव के प्रति भावावेश रखते हैं? क्या आप नेशनल जियोग्राफिक और डिस्कवरी चैनलों को देखते हैं? प्राणिविज्ञान आपके लिए कॅरिअर का श्रेष्ठ विकल्प हो सकता है.
प्राणिविज्ञान - जीवविज्ञान की एक शाखा, प्रोटोजोआ, मछलियों, सरीसृप, पक्षियों और स्तनपायियों सहित पशुओं का वैज्ञानिक अध्ययन है. आम शब्दों में कहें तो प्राणिविज्ञान विश्वभर में पशु-जीवन का अध्ययन है. यह एक ऐसा विज्ञान है जिसमें पशु जगत, जीवित एवं लुप्त-दोनों का अध्ययन निहित है. इस विषय में विविध प्रकरणों का अध्ययन शामिल है, उदाहरण के लिए प्राकृतिक चयन एवं उसका व्यवहार पर प्रभाव, कीटविज्ञान, कीड़ों का अध्ययन, सेल जीवविज्ञान और पारिस्थितिक प्रणाली - बरसाती वनों के विनाश की समस्या आदि. इसमें जीव संरचना से लेकर जीवन की सब सेलुलर इकाइयों तक के विविध क्षेत्र समाहित हैं.
इस क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने वालों को प्राणिविज्ञानी कहा जाता है. प्राणिविज्ञानी पशु व्यवहार, उनकी प्रजातियों की विशेषताओं तथा पशुओं में विकासमूलक प्रवृत्तियों का अध्ययन करते हैं. प्राणिविज्ञानियों को पशुविज्ञानी या वैज्ञानिक भी कहा जाता है, क्योंकि प्राणिविज्ञान जीवविज्ञान की वह शाखा है जो पशु-जगत से संबंधित है प्राणिविज्ञानी विभिन्न जीवों की प्रजातियों की संरचना, जीवन-प्रक्रिया, शरीरविज्ञान तथा वर्गीकरण का व्यापक रूप में विश्लेषण करते हैं. वे यह भी विश्लेषण करते हैं कि किस तरह विभिन्न पशु परस्पर प्रतिक्रिया करते हैं और उनके माहौल को अपने अनुकूल बनाते हैं. प्राणिविज्ञानियों को, इस कारण पशु वैज्ञानिक भी कहा जाता है.
उनकी भूमिकाओं में निम्नलिखित शामिल है :-
*पशु प्रजातियों की पहचान करना, वर्गीकरण करना, दर्ज करना और निगरानी करना
*उनका डाटा एकत्र करना एवं उसकी व्याख्या करना
*जटिल पद्धतियों का प्रयोग करना, उदाहरण के लिए कम्प्यूटरीकृत मोलेक्यूलर तथा सेलुलर विश्लेषण तथा इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन
*क्षेत्रगत एवं प्रयोगशाला अनुसंधान निष्कर्ष निष्पादित करना
*पशुओं के प्राकृतिक परिवेश में या अधीनता स्थिति में उनका अध्ययन करना
*व्यापक तकनीकी रिपोर्टें तैयार करना
*पत्र-पत्रिकाओं तथा पुस्तकों में सूचना प्रस्तुत एवं प्रकाशित करना
*तकनीशियनों का पर्यवेक्षण करना
पशुओं तथा वन्यजीवों के प्रति सच्ची रुचि और प्रेम रखने वाला कोई भी व्यक्ति एक व्यावसायिक प्राणिविज्ञानी के रूप में कॅरिअर चुन सकता है. प्राणिविज्ञानी के रूप में कॅरिअर उन व्यक्तियों के लिए एक आकर्षक विकल्प है जो प्रकृति के साथ समय बिताना चाहते हैं. प्राणिविज्ञान में कई विशेषताएं हैं :-
*वर्गीकरणविज्ञानी अधिकांशत: पशु-प्रजातियों के नामकरण और वर्गीकरण से जुड़े होते हैं
*शरीरविज्ञानी पशुओं की मेटाबॉलिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करते हैं
*एम्ब्रियोलोजिस्ट पशुओं के आदि चरणों पर प्रकाश डालते हैं
*हेप्टोलोजी सरीसृप तथा जल-थलचर जीवों का अध्ययन होता है
आप अपनी रुचि के अनुसार एक पशु-समूह में भी विशेषज्ञता कर सकते हैं, उदाहरण के लिए-
*पक्षियों के संबंध में पक्षिवैज्ञानिक
*मत्स्यविज्ञानी मछलियों का अध्ययन करते हैं
*स्तनपायीविज्ञानी स्तनपायियों से जुड़े होते हैं, आदि
पात्रता
भारत में अधिकांश विश्वविद्यालय एमएस.सी., एमफिल और पीएच.डी. स्तरों पर प्राणिविज्ञान में मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम चलाते हैं. प्रवेश के लिए , छात्र प्राणिविज्ञान एक मुख्य विषय के रूप में लेकर या सूक्ष्मजीवविज्ञान/वनस्पतिविज्ञान/रसायन-विज्ञान/भौतिकी मुख्य विषय और प्राणिविज्ञान एक सहायक विषय के साथ स्नातक डिग्री या प्राणिविज्ञान/जीवन विज्ञान/जैविकीय विज्ञान में बी.एस.सी. (प्रथम श्रेणी) रखते हों.
मास्टर स्तर पर छात्र जीवविज्ञान, जैवरसायनविज्ञान, शरीर विज्ञान, आनुवंशिक इंजीनियरी, रोगप्रतिरक्षा विज्ञान, ड्रोसोफिला आनुवंशिकी, जैवरसायन तकनीकों, आनुवंशिक विष विज्ञान, एंडोक्रायनोलाजी, विकासात्मक आनुवंशिकी, कीट शरीर विज्ञान तथा जैव रसायनविज्ञान, सूक्ष्म जैविकीय आनुवंशिकी, स्तनपायी पुन: जनन शरीर विज्ञान, टिश्यू कल्चर आदि में वैज्ञानिक लेखन और मात्रात्मक पद्धति जैसे विषयों का अध्ययन कर सकते हैं.
प्राणि विज्ञान में विभिन्न पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं:-
*प्राणिविज्ञान में विज्ञान स्नातक
*जैवप्रौद्योगिकी, प्राणिविज्ञान और रसायनविज्ञान में विज्ञान स्नातक
*वनस्पतिविज्ञान, प्राणिविज्ञान और रसायनविज्ञान में विज्ञान स्नातक
*समुद्री प्राणिविज्ञान में विज्ञान मास्टर
*प्राणिविज्ञान में विज्ञान मास्टर चिकित्सा जीवविज्ञान में विशेषता सहित
*प्राणिविज्ञान में विज्ञान मास्टर
*प्राणिविज्ञान में दर्शनशास्त्र का मास्टर
*प्राणिविज्ञान में दर्शनशास्त्र का डॉक्टर
कोई भी व्यक्ति प्राणिविज्ञान के साथ विभिन्न क्षेत्रों में विशेषता कर सकता है, उनमें कुछ निम्नानुसार हैं :- पुरातत्वविज्ञान, कीटविज्ञान, मानवविज्ञान, एपियोलोजी, सीटोलोजी, एंथ्रोजूलोजी, इथोलोजी तथा कई और विषय अपेक्षित कौशल
किसी प्राणिविज्ञानी के लिए आवश्यक :
किसी भी प्राणिविज्ञानी को एक वैज्ञानिक स्वभाव वाला होना चाहिए और वह पशुओं के प्रति सहानुभूति रखता हो
*पशु एवं पर्यावरण में रुचि हो
*समस्या समाधान कौशल हो
*व्यावहारिक कौशल हो
*डाटा अनुसंधान, विश्लेषण एवं व्याख्या करने की योजना की क्षमता हो
*व्यापक कार्य स्टीक रूप में करने में सक्षम हों
*विज्ञान विशेष रूप से जीवविज्ञान तथा रसायनविज्ञान की अभिवृत्ति हो
*सशक्त संचार और आई.टी. कौशल हो
*किसी बहु-विषयीय दल के एक भाग के रूप में कार्य करने की क्षमता हो.
*धैर्य तथा लंबे समय तक एकाग्रता रखने की क्षमता हो अंतर-वैयक्तिक संचार एवं प्रबंधकीय कौशल एक अतिरिक्त गुण होगा.
संभावना
एक कॅरिअर के रूप में प्राणिविज्ञान की अनेक विशेषज्ञताएं होती हैं, जिसके कारण छात्रों द्वारा इस क्षेत्र के साथ जुड़ जाने का निश्चय किए जाने पर उन्हें कॅरिअर के व्यापक विकल्प दिए जाते हैं. यह क्षेत्र पशु-जगत के संरक्षण तथा प्रबंधन से जुड़ा है और इस क्षेत्र में किसी कॅरिअर का अर्थ यह होगा कि आप उस जिम्मेदारी का एक भाग हैं.
चूंकि प्राणिविज्ञान विवरणात्मक एवं विश्लेषिक-दोनों हैं, इसलिए इसे एक मूल विज्ञान या अनुप्रयुक्त विज्ञान के रूप में लिया जा सकता है. मूल प्राणिविज्ञान में कोई कार्यकर्ता अपने स्वयं के लिए पशुओं के ज्ञान में रुचि रखता है, जबकि अनुप्रयुक्त जीवविज्ञान में कार्यकर्ता उन सूचनाओं में रुचि लेते हैं जो सीधे मनुष्य के लिए लाभकारी
होती हैं.
प्राणिविज्ञान का अध्ययन करने वाले व्यक्तियों को जो संगठन सेवा में रखते हंै वे संगठन हैं- प्राणि उद्यान (जू) वन्यजीव सेवाएं, वानस्पतिक उद्यान, संरक्षण संगठन, राष्ट्रीय उद्यान, प्रकृति रिजव्र्स, विश्वविद्यालय, प्रयोगशालाएं आदि. प्राणिविज्ञानियों के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्प निम्नानुसार हैं :-
जूकीपर/ जू क्यूरेटर/ नेशनल पार्क/वन्यजीव अभ्यारण्य प्रबंधक
वे चिडिय़ाघरों तथा एक्वेरियम्स का प्रबंधन करते हैं. वे पशुओं के लिए भोजन तैयार करने, परिचर्या करने, उनके अंत:क्षेत्र स्वच्छ रखने तथा उनके व्यवहार पर निगरानी रखने का कार्य करते हैं. वे चिडिय़ाघरों या वन्यजीव उद्यानों में पशुओं के अधिप्रापण या प्रजनन में भी सहायता करते हैं, और इससे जुड़े विधिक तथा संवैधानिक पहलुओं का ध्यान रखते हैं.
पशु एवं वन्यजीव शिक्षक :
वे वन्य जीव उद्यानों, अभ्यारण्यों, एक्वेरियम्स एवं संग्रहालयों को, शिक्षा साहित्य जैसे पुस्तिका, वीडियो, मार्गदर्शित टूर तथा प्रदर्शनियों के सृजन में भी सहायता करते हैं.
वन्यजीव रिहैबिलीटेटर :
ये प्राणिविज्ञानी, पर्यावरणीय आपात स्थितियों एवं प्राकृतिक आपदाओं जैसे जंगली आग, ऑयल स्पिल्स आदि जैसी स्थितियों में सहायता करते हैं. वन्य जीव पुनर्वास में रोगी, घायल या बेसहारा वन्य पशुओं की परिचर्या एवं सेवा करना शामिल है. जिन्हें ठीक होने के बाद उनके प्राकृतिक निवास स्थलों पर वापस छोड़ दिया जाता है.
पशु व्यवहारविज्ञानी :
पशु व्यवहारविज्ञानी सामान्यत: इथोलोजी, पशु व्यवहार के अध्ययन में विशेषज्ञ होते हैं और इसलिए वे, पशुओं के साथ बेहतर व्यवहार करने के लिए प्राणिविज्ञानियों तथा चिडिय़ाघर के अन्य कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर सकते हैं.
अनुसंधानकर्ता :
बड़ी संख्या में प्राणिविज्ञानी पशु अनुसंधान, पालतू एवं वन्य पशुओं के पोषण, प्रजनन, व्यवहार तथा प्रबंधन का अध्ययन करते हैं. विभिन्न अध्ययन संचालित करने वाले कई सरकारी अनुसंधान संगठन हैं, जैसे भारतीय प्राणिविज्ञान सर्वेक्षण, भारतीय वानिकी अनसंधान एवं शिक्षा परिषद, अथवा वन्य जीव संस्थान, देहरादून तथा चिकित्सा अनुसंधान संस्थापनाएं - जहां निरंतर प्रयोग किए जाते रहते हैं.
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी : प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने और  पौधों तथा पशुओं की क्षति को न्यूनतम करने के लिए प्राणिविज्ञानी पर्यावरण तथा पारिस्थितिकी के क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं. वन्य पशुओं का अध्ययन हमें पशुओं के साथ घुल-मिल कर रहने और संकटापन्न प्रजातियों के संरक्षण का ज्ञान प्राप्त करने में सहायता करता है.
रसायन एवं भेषज उद्योग
प्राणिविज्ञानी, पशुओं या मनुष्यों पर कीटनाशकों तथा उर्वरकों के प्रभावों की जांच करने, स्वस्थ पशु जनन तथा हमारी खाद्य आपूर्ति के लिए अधिक पशुओं के जनन या मत्स्य पालन बढ़ाने के उपायों के लिए रासायनिक या भेषज कंपनियों अथवा औद्योगिक संगठनों के भी कार्य करते हैं. भेषज क्षेत्र में, सूक्ष्म जीवविज्ञान में विशेषज्ञता रखने वाले प्राणिविज्ञानी माइक्रोब्स तथा जीवों (जो मानव, पशुओं एवं पौधों में रोग का कारण होते हैं) का अध्ययन , एंटिबायोटिक्स का मूल्यांकन करते हैं, तथा टीकों का विकास औषधियों का विनिर्माण करते हैं.
फिल्म एवं मीडिया :
प्राणिविज्ञानी, रचनात्मक क्षेत्रों और समाचार मीडिया में भी कार्य करते हैं. वे लेखक, फोटोग्राफर, या इलस्ट्रेटर तथा वृत्तचित्र फिल्म निर्माता होते हैं. नेशनल जियोग्राफिक, एनीमल प्लेनेट, डिस्कवरी चैनल जैसे चैनलों में अनुसंधान एवं वृत्तचित्रों के निर्माण के लिए प्राणिविज्ञानी निरंतर मांग में रहते हैं.
सरकारी सेवा
किसी भी प्राणिविज्ञान स्नातक के लिए आई.एफ.एस. (भारतीय वन सेवा) या राज्य वन सेवा (एस.एफ.एस.) में कार्य-भार ग्रहण करने के भी विकल्प उपब्ध होते हैं. भारतीय वन सेवा आपको संरक्षित वनों तथा वन्य जीव अभ्यारण्यों के संरक्षण कार्य में सक्षम बनाती है.
प्राणिविज्ञान डिग्री से सीधे जुड़े कुछ रोज़गार :
*पर्यावरणीय सलाहकार
*फील्ड ट्रायल ऑफिसर
*समुद्र वैज्ञानिक
*प्रकृति संरक्षण अधिकारी
*फिजिशियन एसोशिएट
*विज्ञान पत्रकारिता
*पेटेंट एटर्नी
इस क्षेत्र में किसी भी कॅरिअर के लिए कठोर परिश्रम करने की उमंग तथा इच्छा, धैर्य और निरंतरता होना आवश्यक है. लिखने और बोलने का प्रभावी संचार कौशल और बाहरी कार्यों में व्यापक रुचि भी इस क्षेत्र में व्यापक लाभकारी है. जो व्यक्ति इस क्षेत्र में आना चाहते हैं और अपेक्षित शैक्षिक योग्यता के बिना, उन्हें स्वैच्छिक कार्यों के माध्यम से इस क्षेत्र में आने में सहायता मिल सकती है. ऐसे कई संगठन है जो स्वयंसेवियों को रखते हैं और गैर सरकारी संगठनों को स्वयंसेवियों की निरंतर तलाश होती है. इसलिए प्रयास करें अनुभव न केवल आपको इस कॅरिअर में आगे बढ़ाने के लिए तैयार करेगा बल्कि प्रत्याशित नियोक्ताओं के साथ आपको अच्छी स्थिति में ला खड़ा करेगा.
(उषा अल्बुकर्क एवं निधि प्रसाद कॅरिअर्स प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली में निदेशक और वरिष्ठ काउंसिलिंग साइकोलॉजिस्ट हैं. ई-मेल careerssmartonline@gmail.com) व्यक्त किए गए विचार निजी हैं
चित्र: गूगल के सौजन्य से