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विशेष लेख


अंक संख्या 26, 24-30 सितम्बर ,2022

भारतीय उत्कृष्टता का प्रतीक: भौगोलिक संकेत

 

 

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय तथा वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) द्वारा 26-28 अगस्त, 2022 तक इंडिया जीआई फेयर यानी भारत भौगोलिक संकेत मेला 2022 का आयोजन किया गया।

 

इंडिया जीआई फेयर एक छत के नीचे भारत भर से अद्वितीय उत्पादों को प्राप्त करने के लिए अपनी तरह का पहला और एकमात्र व्यापार मंच है। इस मेले का उद्देश्य लोगों के क्षितिज को अद्वितीय उत्पादों के साथ-साथ शिल्प के क्षेत्र में व्यापक बनाना था जहां वे इनका अवलोकन कर सकें, और साथ ही साथ ये भारत के सर्वोत्तम पोषित खजाने, परंपराओं और दुर्लभताओं का स्रोत थे। यह एक्सपो इन भारतीय उत्कृष्ट कृतियों को विश्व बाजार के पारखी और ग्राहकों तक ले जाने की महत्वाकांक्षा के साथ विशिष्ट उत्पादों के प्रदर्शकों को एक साथ लेकर आया। 

 

भारत के जीआई उत्पादों की मांग इनकी अनूठी विशेषताओं के लिए की जाती है जो कोई भी अथवा या सभी प्रकार के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। खाद्य पदार्थों और सेवई से लेकर पहनने योग्य, उपहार योग्य और संग्रहणीय वस्तुओं तक, उत्पाद / उत्पादक विविधताएं होती हैं, जो अपने दुर्लभ प्राकृतिक गुणों, विशिष्टताओं, सदियों पुरानी प्रक्रियाओं या परंपरा के लिए जानी जाती है। जिस तरह आधुनिक उत्पादन तकनीक भारी मांग को पूरा करने के लिए आकलन करती है, उसी तरह समझदार उपभोक्ता में दुर्लभ, प्रामाणिक और मूल उत्पादों, जिनका इतिहास और परंपरा उनसे जुड़ी होती है, यानी जीआई-टैग वाले उत्पादों की तलाश करने की उत्‍सुकता होती है ।

 

जीआई क्या है?

 

एक भौगोलिक संकेत (जीआई) उन उत्पादों पर उपयोग किया जाने वाला एक संकेत / टैग है, जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और जो उस मूल के कारण गुण या प्रतिष्ठा रखते हैं। जीआई-टैग किए गए उत्पाद "अतुल्य भारत की अमूल्य निधि" हैं।

 

आज तक, भारत के 390+ भौगोलिक संकेत हैं जिनमें से 200+ हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पाद हैं। दार्जिलिंग चाय जीआई टैग पाने वाला पहला भारतीय उत्पाद था। इसका उद्देश्य खरीददार समुदाय के बीच विश्वास पैदा करना है। चूंकि किसी भी उत्‍पाद के गुण उत्पादन के भौगोलिक स्थान पर निर्भर करते हैं, इसलिए उत्पाद और उसके उत्पादन के मूल स्थान के बीच एक स्पष्ट संबंध होता है।

 

जीआई के रूप में कार्य करने के लिए, एक संकेत/टैग को ऐसे विशिष्ट मान्यता प्राप्त स्थान/क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले उत्पाद की पहचान उजागर करनी चाहिए। भौगोलिक संकेत के लिए सुरक्षा आमतौर पर उस संकेत पर अधिकार प्राप्त करके हासिल की जाती है जो संकेत का गठन करता है और धारक को उसी तकनीक का उपयोग करके उत्पाद बनाने से रोकने में सक्षम नहीं होता है जो उस संकेत के मानकों में निर्धारित होते हैं। भारत ने, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य के रूप में, वस्तु भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को अधिनियमित किया, जो 15 सितंबर, 2003 से लागू हुआ।

जीआई क्या अधिकार प्रदान करता है?

 

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रामीण कारीगरों के पास अद्वितीय कौशल सेट होते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी तक पारित होते रहते हैं और इसलिए पीढ़ीगत विरासत को धारण करते हैं। इस प्रकार भारत में जीआई ग्रामीण परिवेश में कसकर आपस में गुंथा हुआ है। भौगोलिक संकेतों का पंजीकरण इन समुदायों को प्रोत्साहित करता है और उनके बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

 

वस्तु भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 (अधिनियम)  में हस्तशिल्प (और हथकरघा) को भौगोलिक संकेत (जीआई) के रूप में पंजीकृत करने का प्रावधान है। हस्तशिल्प (और हथकरघा) को अधिनियम की धारा 2 (एफ) के तहत शामिल किया गया है जिसमें कहा गया है कि "वस्तु" का अर्थ कृषि, प्राकृतिक या निर्मित सामान या हस्तशिल्प (और हथकरघा) या उद्योग के किसी भी सामान से है और इसमें खाद्य सामग्री शामिल है। हस्तशिल्प कारीगरों और बुनकरों को अधिनियम की धारा 17 के साथ पठित धारा 7(3) के तहत पंजीकृत भौगोलिक संकेतकों के लिए अधिकृत उपयोगकर्ता के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है। अधिनियम में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति जो वस्‍तु का उत्पादक होने का दावा करता है जिसके संबंध में धारा 6 के तहत भौगोलिक संकेत पंजीकृत किया गया है, वह ऐसे भौगोलिक संकेत के अधिकृत उपयोगकर्ता के रूप में पंजीकृत करने के लिए निर्धारित तरीके से रजिस्ट्रार को लिखित रूप में आवेदन कर सकता है।

 

एक भौगोलिक संकेत अधिकार उन लोगों को सक्षम बनाता है जिनके पास तीसरे पक्ष द्वारा इसके उपयोग को रोकने के लिए संकेत का उपयोग करने का अधिकार है, जिसका उत्पाद लागू मानकों के अनुरूप नहीं है। उदाहरण के लिए, जिन क्षेत्राधिकारों में दार्जिलिंग भौगोलिक संकेत संरक्षित है, दार्जिलिंग चाय के उत्पादक अपने चाय बागानों में नहीं उगाई जाने वाली या भौगोलिक संकेत के लिए आचार संहिता में निर्धारित मानकों के अनुसार उत्पादित नहीं होने वाली चाय के लिए "दार्जिलिंग" शब्द के उपयोग को हटा सकते हैं। हालांकि, एक संरक्षित भौगोलिक संकेत धारक को उसी तकनीक का उपयोग करके उत्पाद बनाने से रोकने में सक्षम नहीं बनाता है जो उस संकेत के लिए मानकों में निर्धारित हैं। भौगोलिक संकेत के लिए सुरक्षा आमतौर पर संकेत का गठन करने वाले संकेत पर अधिकार प्राप्त करके हासिल की जाती है।

 

जीआई के पंजीकरण के लिए कौन आवेदन कर सकता है?

कानून द्वारा या उसके तहत स्थापित उत्पादकों, व्‍यक्तियों या संगठन या प्राधिकरण का कोई भी संघ आवेदन कर सकता है।

जीआई का पंजीकृत स्वामी कौन है?

कानून द्वारा या उसके तहत स्थापित उत्पादकों, व्यक्तियों का कोई संघ, संगठन या प्राधिकरण एक पंजीकृत मालिक हो सकता है। उनका नाम भौगोलिक संकेतक के रजिस्टर में दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि भौगोलिक संकेतक के लिए पंजीकृत मालिक के रूप में आवेदन किया गया है।

जीआई का पंजीकरण कितने वक्त तक वैध होता है?

 

जीआई का पंजीकरण 10 साल की अवधि के लिए वैध होता है। इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिए नवीकृत किया जा सकता है। यदि एक पंजीकृत जीआई का नवीनीकरण नहीं किया जाता है, तो उसे रजिस्टर से हटाया जा सकता है।

 

एक पंजीकृत जीआई का उल्लंघन कब माना जाता है?

 

       जब कोई अनधिकृत उपयोगकर्ता जीआई का उपयोग करता है तो वह इस बात को इंगित करता है या सुझाव देता है कि इस तरह के उत्‍पाद ऐसे सामानों की उत्पत्ति के वास्तविक स्थान के अलावा किसी अन्य भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं जो जनता को ऐसे सामानों की भौगोलिक उत्पत्ति के बारे में गुमराह करते हैं।

       जब जीआई के उपयोग के परिणामस्वरूप पंजीकृत भौगोलिक संकेत के संबंध में पासिंग ऑफ सहित अनुचित प्रतिस्पर्धा होती है।

       जब किसी अन्य जीआई के उपयोग से जनता को यह गलत सूचना मिलती है कि उत्पाद उस क्षेत्र में उत्पन्न होता है जिसके संबंध में एक पंजीकृत भौगोलिक संकेत है।

 

 

जीआई ट्रेड मार्क से किस प्रकार भिन्न होता है?

 

ट्रेडमार्क एक ऐसा संकेत है जिसका उपयोग व्यापार के दौरान किया जाता है और यह एक उद्यम की वस्तुओं या सेवाओं को अन्य उद्यमों से अलग करता है। जबकि, जीआई एक संकेत है जिसका उपयोग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली खास विशेषताओं वाले सामानों की पहचान करने के लिए किया जाता है।

 

भारत के जीआई-टैग वाले उत्पादों के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया नीचे दी गई क्‍यू आर कोड को स्केन करें.

 

स्रोत: gifairindia.in/Vikaspedia/मन की बात बुकलैट मई 2022

(संकलन: अनीशा बैनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)