युवा आकांक्षाएं पूरी करने के लिये उठाये अनेक कदम प्रधानमंत्री
सरकार ने देश के युवा वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये अनेक पहल की हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2016 को 70वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नयी दिल्ली में लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत युवाओं का देश है और इस तथ्य को पूरी दुनिया स्वीकार करती है। उन्होंने कहा कि जिस देश की 65 प्रतिशत यानी लगभग 80 करोड़ आबादी 35 साल से कम उम्र की हो वह क्या कुछ हासिल नहीं कर सकता। इसलिये वक्त की जरूरत यह है कि युवाओं को अवसर और रोजग़ार मुहैया कराये जायें।
श्री मोदी ने याद दिलाया कि हाशिये पर खड़े व्यक्ति के कल्याण की बात करने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती नजदीक है। वह अंत्योदय के दर्शन में विश्वास करते थे जिसका अर्थ निर्धनतम और सबसे कमजोर लोगों का कल्याण है। वह कहते थे कि हर युवा को शिक्षा, कौशल और अपने सपनों को साकार करने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिये। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने पंडित दीनदयालजी के इन सपनों तथा देश के 80 करोड़ युवाओं की उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये अनेक पहल की हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में सडक़ों के जाल के विस्तार, सर्वाधिक संख्या में वाहनों के निर्माण, सॉफ्टवेयरों के सबसे ज्यादा निर्यात तथा 50 से अधिक नयी मोबाइल फैक्टरियों की स्थापना के जरिये युवाओं के लिये अवसर सृजित किये गये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दो करोड़ शौचालयों के निर्माण से किसी को तो रोजग़ार मिला है। इनके लिये सीमेंट और लोहे की खरीद अलग-अलग जगहों से हुई और लकड़ी का काम कहीं और किया गया। कार्य विस्तार की गुंजाइश बढऩे के साथ ही रोजग़ार सृजन की संभावनाओं में भी बढ़ोतरी होती है और मौजूदा समय में हमारा जोर इसी दिशा में है।’’
श्री मोदी ने कहा, ‘‘करोड़ों युवाओं को दक्षता प्रदान करने के मकसद से हम कौशल विकास पर मिशन की तरह काम कर रहे हैं। देखने में भले ही यह छोटा लगे मगर हमने एक कानून में बदलाव किया है। यह कानून है, ‘मॉडल दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम।’’ उन्होंने कहा कि राज्यों को परामर्श भेज कर उनसे पूछा गया है कि अगर बड़े मॉलों को साल में 365 दिन और रात 12 बजे तक खुलने की इजाजत है तो गांव में छोटे दुकानदार को सूर्यास्त के बाद अपनी दुकान क्यों बंद करनी पड़ती है। गरीब को भी अपनी दुकान 365 दिन खोलने का अवसर दिया जाना चाहिये।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाओं को भी रात में काम करने का मौका मिलना चाहिये। वे रात में भी काम पर जा सकें इसके लिये कानूनी प्रावधान किये गये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं की सुरक्षा और अन्य जरूरतों की व्यवस्था की जानी चाहिये। लेकिन उन्हें काम करने का अवसर तो मिलना ही चाहिये। इन चीजों से रोजग़ार बढ़ता है और हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।’’
श्री मोदी ने अपने संबोधन में देश के सामने मौजूद महत्वपूर्ण मुद्दों के अलावा पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों का भी जिक्र किया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्रीय नेताओं के बलिदान को याद किया। साथ ही उन्होंने आजादी के लिये देश भर में बहादुरी से लडऩे वाले स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम योद्धाओं को भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा कि 125 करोड़ भारतीयों ने अब स्वराज से सुराज तक की यात्रा पूरी करने का संकल्प किया है। सुराज हासिल करने के लिये त्याग, कड़ी मेहनत, अनुशासन, प्रतिबद्धता और साहस की आवश्यकता है। पंचायत से लेकर संसद तक सभी प्रतिष्ठानों को इस दिशा में एकजुट होकर काम करना चाहिये। उन्होंने कहा कि वह सरकार के किये काम के बजाय इसकी कार्य संस्कृति पर ध्यान केन्द्रित करना चाहते हैं। उन्होंने संवेदनशीलता, जिम्मेदारी, जवाबदेही, पारदर्शिता, दक्षता और सुशासन जैसी सुराज की विभिन्न विशिष्टताओं को परिभाषित किया।
अपनी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि जन धन योजना के तहत 21 करोड़ बैंक खाते खोले गये। ग्रामीण क्षेत्रों में 2 करोड़ शौचालय बनाये गये और 10 हजार गांवों तक बिजली पहुंचायी गयी। उन्होंने बताया कि एलईडी बल्बों की कीमतों में काफी कटौती की गयी है ताकि आम आदमी इन्हें खरीद सके। एलईडी बल्बों के व्यापक इस्तेमाल से बिजली की काफी बचत होगी। उन्होंने लगातार दो सूखे के बावजूद खाद्यान्नों की पर्याप्त उपज सुनिश्चित करने पर किसानों की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने हर भारतीय को रामानुजाचार्य, महात्मा गांधी और बाबा साहब आंबेडकर जैसे महान संतों, दार्शनिकों और चिंतकों के शांति, एकता और भाईचारे के संदेशों का पालन करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सरकार की विभिन्न पहलकदमियां और कार्यक्रम युवाओं के लिये रोजग़ार सृजन में योगदान कर रहे हैं। मॉडल दुकान और प्रतिष्ठान कानून में ऐसे प्रावधान किये गये हैं कि दुकानें सभी दिन खुल सकें। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार बड़े फैसले करने से कतरा नहीं रही है। एक रैंक एक पेंशन का फैसला, नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाना और बंगलादेश के साथ भूमि सीमा समझौता इसके उदाहरण हैं। उन्होंने आतंकवादियों के शहीद के रूप में महिमा मंडन की कोशिश करने वालों की कड़े शब्दों में निंदा की।
श्री मोदी ने अपने संबोधन के अंत में कहा, ‘‘हमारी आजादी के लिये अपनी जान कुर्बान करने वाली महान विभूतियों से प्रेरणा लेकर हम नये संकल्प, नयी ऊर्जा और नूतन उत्साह के साथ आगे बढ़ें। बेशक हमें देश के लिये मरने का अवसर नहीं मिला। लेकिन हमारे सामने देश के लिये जीने का मौका है। हमें अपना जीवन देश के लिये समर्पित करना चाहिये। हमें अपने देश के लिये कुछ ठोस उपलब्धि हासिल करनी चाहिये। हम अपने दायित्व निभाने के अलावा बाकियों को भी अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने के लिये प्रेरित करें। हमें एक समाज, एक सपना, एक संकल्प, एक दिशा और एक मंजिल के निर्माण के लिये आगे बढऩा चाहिये।