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विशेष लेख


अंक संख्या 41 ,8-14 जनवरी 2022

स्मार्ट सिटी मिशन

समीरा सौरभ

स्मार्ट सिटी मिशन का शुभारंभ माननीय  प्रधानमंत्री ने 25 जून 2015 को  किया था. इसका उद्देश्य मुख्य रूप से ऐसे शहरों को प्रोत्साहन देना था जो स्मार्ट समाधान के ज़रिए बुनियादी ढांचा, स्वच्छ और उचित वातावरण के प्रावधानों के साथ अपने नागरिकों को गुणवत्ता पूर्ण जीवन प्रदान करते हैं. मिशन अनुकरणीय नमूनों का सृजन करते हुए (क्षेत्र आधारित विकास और अखिल भारतीय शहरी विकास के माध्यम से) सतत और समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, ताकि वह अन्य शहरों के लिए प्रकाशस्तंभ की तरह से कार्य करे.

स्मार्ट सिटीज योजनाओं के अन्तर्गत एक सौ स्मार्ट शहरों ने, चयन की तारीखों से पांच वर्षों के भीतर 2,05,018 करोड़ रुपये मूल्य की कुल 5,१५१ परियोजनाओं को निष्पादित करने का प्रस्ताव रखा है.  एक सौ स्मार्ट शहरों में स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए विशेष प्रयोजन संस्थाएं (एसपीवी) स्थापित की गई हैं. दो चरणों में कराई  गई राष्ट्रीय प्रतियोगिता के माध्यम से एक सौ शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए चुना गया था. यह अभियान केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना के रूप में संचालित किया जा रहा है.

मिशन का संचालन केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम के रूप में किया जा रहा है. केंद्र सरकार 5 वर्षों में 48 हज़ार करोड़ की वित्तीय सहायता देगी, अर्थात् प्रत्येक शहर के लिए प्रति वर्ष औसतन एक सौ करोड़ की सहायता दी जाएगी. राज्य/शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) भी समान राशि प्रदान करेंगे. अतिरिक्त संसाधन समन्वय के माध्यम से जुटाए जाएंगे, जैसे शहरी स्थानीय निकाय के स्वयं के कोष,  वित्त आयोग के अंतर्गत  अनुदान, म्यूनिसिपल बांड जैसी नई वित्तीय व्यवस्था, अन्य सरकारी कार्यक्रमों और ऋणों के माध्यम से संसाधन जुटाए जाएंगे. सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी पर जोर दिया गया है. चयनित शहरों द्वारा तैयार किए गए स्मार्ट सिटी प्रस्तावों (एससीपी) में नागरिकों की आकांक्षाओं को शामिल किया गया था. राष्ट्रीय स्तर पर इन प्रस्तावों में कुल मिलाकर 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की 5 हजार से अधिक परियोजनाएं शामिल थीं, जिनमें से लगभग 45 प्रतिशत मिशन अनुदान, 21 प्रतिशत समन्वय, 21 प्रतिशत पीपीपी और शेष अन्य स्रोतों से वित्त पोषित की जानी हैं. मिशन में पैन-सिटी और क्षेत्र-आधारित विकास परियोजनाओं की द्वि-आयामी रणनीति शामिल हैं.

स्मार्ट सिटी के मुद्दों को मुख्य रूप से तीन स्तम्भों में रखा जा सकता है- बेहतर जीवन, आर्थिक-क्षमता और निरंतरता. नागरिकों द्वारा रेखांकित किए गए प्रमुख मुद्दों में व्यापक तौर पर शहरी गतिशीलता, किफायती आवास, पानी और साफ सफाई, स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सुरक्षा, संरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और ऊर्जा सुरक्षा जैसे विषय सामने रखे गए. ये मुद्दे जीवंतता से संबंधित हैं- जो पहला स्तंभ है. आर्थिक विकास को संचालित करने की शहरों की क्षमता पर व्यापक शोध किया गया है और इसे स्वीकार किया गया है. निवेश के बेहतर माहौल की आवश्यकता, प्रतिभा के अनुसार रोज़गार, निवेश, नवाचार, बेरोज़गारी कम करना जैसी अन्य जन आकांक्षाएं हैं. ये सभी आर्थिक-क्षमता स्तम्भ के अंतर्गत आते हैं. जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और सतत विकास सभी के लिए चिंता का विषय हैं. सतत विकास गतिशील संतुलन की एक स्थिति है जिसमें प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे, प्रक्रियाओं, निवेश के बारे में रोजमर्रा की कार्रवाई इस तरह से की जाती है, जो समाज की वर्तमान और भविष्य, दोनों की चिंताओं को संतुलित करती है. स्मार्ट सिटी स्थिरता को बढ़ावा देते हैं, जो तीसरा स्तंभ है.

वर्तमान कार्यान्वयन स्थिति

10 दिसंबर 2021 तक समग्र मिशन के कार्य निष्पादन में काफी प्रगति दिखाई देती है. 10 दिसंबर 2021 तक स्वीकृत स्मार्ट सिटी योजनाओं के अनुसार 2,05,018 करोड़ रुपये के कुल योजनाबद्ध निवेश में से 1,86,245 करोड़ रुपये (90 प्रतिशत) की 6,499 परियोजनाओं के लिए निविदा जारी की गई हैं. इनमें से 1,57,784 करोड़ रुपये (77त्न) की 5,873 परियोजनाओं पर या तो काम हो चुका है या कार्यान्वयन हो रहा हैं. इनमें से 53,485 करोड़ रुपये (26त्न)  की 3,184  परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं. पिछले तीन वर्षों में, परियोजनाओं के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और तदनुरूप निविदा में 272 प्रतिशत, परियोजना आवंटन/कार्य संचालन में 410 प्रतिशत और परियोजनाएं संपूर्ण करने में 918 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

भारत सरकार ने 48,000 करोड़ रुपये की प्रतिबद्ध केंद्रीय सहायता में से 27,749.60 करोड़ रुपये (57.8त्न) स्मार्ट सिटीज को हस्तांतरित किए हैं. भारत सरकार द्वारा दी गई राशि में से 22,866.25 करोड़ रुपये (82.4त्न) स्मार्ट सिटीज द्वारा पहले ही इस्तेमाल किए जा चुके हैं.

स्मार्ट सिटीज में निष्पादित की जा रही परियोजनाओं को इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है:

·         प्रमाण-आधारित स्मार्ट गवर्नेंस में शहरों की मदद करने के लिए एकीकृत कमान और नियंत्रण केन्द्र (आईसीसीसीज) 75 शहरों में चालू किए गए हैं और शेष 25 शहरों में प्रगति पर हैं. मिशन के तहत 15,000 करोड़ रुपये से अधिक के कुल निवेश की योजना है.

·         शहरी गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए, स्मार्ट सिटीज ने 344 से अधिक स्मार्ट सड़क परियोजनाओं को पूरा किया है और 438 परियोजनाएं 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ पूरी होने वाली हैं.

·         दक्षता लाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग/साझेदारी की आवश्यकता स्वीकार करते हुए 140 पीपीपी परियोजनाओं को पूरा किया गया है और लगभग 25,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 161 परियोजनाएं प्रगति पर हैं.

·         नदी/झील के सामने, पार्कों और खेल के मैदानों, पर्यटन स्थलों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर ध्यान देने के साथ, 79 जीवंत शहरी स्थल परियोजनाएं पूरी की गई हैं, और 6,600 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ 65 परियोजनाएं प्रगति पर हैं.

·         शहरों को अधिक रहने योग्य और टिकाऊ बनाने की दिशा में, 119 स्मार्ट जल परियोजनाएं और 63 स्मार्ट सौर परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं. इसके अलावा, 196 स्मार्ट जल और 32 स्मार्ट सौर परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं.

अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम

मिशन के अंतर्गत कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं जो केवल शहरी विकास के विभिन्न पहलुओं में एकीकृत विकास सुनिश्चित करेंगे बल्कि देश में अच्छी गुणवत्ता वाले शहरीकरण के लिए दीर्घकालिक नींव रखने में भी मदद करेंगे. इनमें से कुछ कार्यक्रम हैं:

1. जीवनयापन सुविधा सूचकांक (ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स):  जीवन की गुणवत्ता और शहर के कार्यनिष्पादन को मापने के लिए जीवनयापन सुविधा सूचकांक और नगर निकाय कार्यनिष्पादन सूचकांक (म्युनिसिपल परफॉर्मेंस इंडेक्स-2019 में प्रारंभ) 14 शहरों में शुरू किया गया. नागरिक धारणा सर्वेक्षण के हिस्से के रूप में 31 लाख से अधिक नागरिक इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं. जीवनयापन सुविधा सूचकांक 2020 से प्राप्त निष्कर्ष पोर्टल https://eol.smartcities.gov.in / पर दर्ज किए गए हैं.

2. सिटी जीडीपी फ्रेमवर्क-शहर के सकल घरेलू उत्पाद-जीडीपी को मापने से उसे अपने सामाजिक-आर्थिक और बुनियादी ढांचे की योजना में सुधार करने में मदद मिलती है.

3. क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज असेसमेंट फ्रेमवर्क- यह जलवायु प्रासंगिक मापदंडों पर अपनी तरह का पहला सार्वजनिक मूल्यांकन ढांचा है, जो जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की दिशा में शहरों के लिए एक स्पष्ट कार्य-योजना प्रदान करता है. इसे 2019 में भारत के शहरों में जलवायु-संवेदनशील विकास पद्धतियों का आकलन करने और उन्हें मजबूत करने के लिए एक तंत्र के रूप में शुरू किया गया था. वार्षिक मूल्यांकन का दूसरा संस्करण, सीएससीएएफ 2.0 सितंबर 2020 में शुरू किया गया था. मूल्यांकन की अंतिम रिपोर्ट 25 जून 2021 को जारी की गई थी. मूल्यांकन सभी स्मार्ट सिटीज, सभी राजधानी शहरों और 500,000 से अधिक आबादी वाले सभी शहरों के लिए खुला था. इसमें भाग लेने वाले 126 शहरों का मूल्यांकन 5 विषयगत क्षेत्रों में 28 विविध संकेतकों के माध्यम से  किया गया था. सीएससीएएफ 2.0 के परिणाम https://niua.org/c-cube/c-cube-documents पर उपलब्ध हैं.

4. डेटा मैच्योरिटी असेसमेंट फ्रेमवर्क (डीएमएएफ) - 100 स्मार्ट सिटीज में शहर की डेटा तैयारी का आकलन करने के लिए तैयार किया गया है. परिणाम डैशबोर्ड, शहर की सिफारिशें और अंतिम मूल्यांकन रिपोर्ट डीएमएएफ पोर्टल www.dmaf.mohua.gov.in  पर उपलब्ध हैं.

5. आईसीसीसी मैच्योरिटी असेसमेंट फ्रेमवर्क (आईएमएएफ)- एक सेल्फ-असेसमेंट टूल किट है, जो  प्रमुख पहलुओं के संदर्भ में एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केन्द्र  (आईसीसीसी) की परिपक्वता का आकलन करने के लिए विकसित किया गया है.

6. डेटा-संचालित शासन (smartcities.data.gov.in) के लिए डेटा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में शहरों की मदद करने के वास्ते 100 स्मार्ट सिटीज में डेटास्मार्ट सिटी योजना शुरू की गई. एनआईयूए में एक डेटा परिपक्वता आकलन फ्रेमवर्क (डीएमएएफ) शुरू किया गया है ताकि शहरों को स्व-विकास की प्रक्रिया से गुजरने और डिजिटल गवर्नेंस के लिए एक डेटा-कल्चर केंद्र (सीडीजी) अपनाने में मदद की जा सके. 2019-20 और 2020-21 के दौरान वार्षिक मूल्यांकन के दो दौर पूरे हुए.

7. इंडिया अर्बन ऑब्जर्वेटरी (आईयूओ) - आवासन और शहरी मामले  मंत्रालय (एमओएचयूए) में स्थापित, भारतीय शहरों पर सामूहिक अंतर्दृष्टि का एक अत्याधुनिक केन्द्र है, जिसमें उन्नत एआई/एमएल, डेटा साइंस, एनालिटिक्स और विज़ुअलाइज़ेशन क्षमताओं का लाभ उठाया गया है.

8. इंडिया अर्बन डाटा एक्सचेंज (आईयूडीएक्स)- विभिन्न डेटा प्लेटफार्म के बीच सुरक्षित डटा एक्सचेंज की सुविधा के लिए इसे 2020-21 में शुरू किया गया.

9. र्स्माट सिटीज ओपन डेटा इनिशिएटिव- स्मार्ट सिटी मिशन के लिए एनआईसी ने एक समर्पित और अलग ओपन गवर्नमेंट डेटा (ओजीडी) तैयार किया है. इसके लिए 2019 में एक पोर्टल https://smartcities.data.gov.in शुरू किया गया. पोर्टल 100 स्मार्ट शहरों के ओपन डेटा होस्ट कर सकता है और 3800 डेटासेट पहले ही अपलोड हो चुके हैं.

10. नेशनल अर्बन इनोवेशन स्टैक (एनयूआईएस) - एनयूआईएस का उद्देश्य एक साझा डिजिटल सार्वजनिक हितों के माध्यम से शहरी पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तनकारी सहयोग को उत्प्रेरित करना है.

11. राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन (एनयूडीएम)-राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन (एनयूडीएम) की स्थापना 2024 तक सभी शहरों और कस्बों में शहरी शासन और सेवा वितरण के लिए नागरिक केंद्रित और पारिस्थितिकी तंत्र-संचालित दृष्टिकोण को संस्थागत बनाने के लिए की गई थी.

12. आईसीटी मानक- भारतीय मानक ब्यूरो के साथ निरंतर संपर्क की 3 साल की लंबी यात्रा में पंद्रह स्मार्ट सिटी मानक विकसित किए गए हैं जो कार्यनीतियों और पद्धतियों में आईसीटी को अपनाने की उनकी यात्रा में शहरों के लिए दिशानिर्देश के रूप में कार्य करेंगे.

13. ट्रांसपोर्ट 4 ऑल (टी4ऑल) चैलेंज- ट्रांसपोर्ट 4 ऑल चैलेंज की स्थापना आईटीडीपी के सहयोग से 15 अप्रैल 2021 को की गई थी. अब तक ट्रांसपोर्ट4ऑल चैलेंज के लिए कुल 130 शहरों (सभी 100 स्मार्ट और 30 गैर-एससीएम शहरों) ने पंजीकरण कराया है.  इस चैलेंज का उद्देश्य ऐसे समाधान विकसित करने के लिए शहरों, नागरिक समूहों और स्टार्ट-अप्स को एक साथ लाना है जो सभी नागरिकों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए सार्वजनिक परिवहन में सुधार करते हैं.

14. ईट स्मार्ट सिटीज चैलेंज-स्मार्ट सिटीज मिशन ने एफएसएसएआई के सहयोग से 15 अप्रैल 2021 को भारतीय स्मार्ट सिटीज के लिए एक राष्ट्रव्यापी चैलेंज - 'ईटस्मार्ट सिटीज चैलेंजका शुभारंभ किया. यह चुनौती स्मार्ट शहरों के बीच एक वार्षिक प्रतियोगिता है, जिसमें ईट राइट इंडिया के तहत विभिन्न उपायों को अपनाने और आकार प्रदान करने में उनके प्रयासों को मान्यता दी गई है.

15. नवप्रवर्तन, एकीकरण और निरंतरता की चुनौती के लिए शहरी  निवेश - सीआईटीआईआईएस, स्मार्ट सिटी मिशन का एक उप-घटक है, जो एएफडी से 10 करोड़ यूरो के ऋण और यूरोपीय संघ से 60 लाख  यूरो के अनुदान के माध्यम से वित्तपोषित है. फरवरी 2019 में इस कार्यक्रम के तहत वित्त पोषण के लिए 12 स्मार्ट सिटीज से 12 परियोजनाओं का चयन किया गया था. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान, सीआईटीआईआईएस कार्यक्रम में 12 चयनित एसपीवी एक अभिनव डिजाइन चरण से गुजरे.

16. शहरों के लिए जलवायु केंद्र- मंत्रालय ने एनआईयूए के तत्वावधान में भारतीय शहरों में जलवायु कार्रवाई के संचालन हेतु शहरों के लिए जलवायु केंद्र (सी-क्यूब) की घोषणा की. यह केंद्र शहरी भारत में जलवायु संबंधी कार्यों के लिए वन स्टॉप शॉप के रूप में कार्य करेगा.

17. क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज एलायंस- मंत्रालय ने शहरी भारत में जलवायु कार्यों को मुख्यधारा में लाने के लिए क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज एलायंस की परिकल्पना की है. अब तक, 54 संगठनों ने भारत में 100 स्मार्ट शहरों सहित गठबंधन का सदस्य बनने के लिए सहमति प्रदान की है.

 

18. इंडिया स्मार्ट सिटीज फेलोशिप प्रोग्राम- इंडिया स्मार्ट सिटीज फेलोशिप (आईएससीएफ) कार्यक्रम 9 जुलाई 2018 को शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य होनहार युवा पेशेवरों के एक समूह का चयन करना था, जिनके पास नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान करने की क्षमता है जो एससीएम के इर्द-गिर्द तेजी से विकसित हो रहा है. अब तक 123 स्मार्ट सिटी फेलो शामिल किए जा चुके हैं और 85 ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है.

19. अर्बन लर्निंग इंटर्नशिप प्रोग्राम (ट्यूलिप) - नए स्नातकों की सीखने की जरूरतों के साथ यूएलबी/स्मार्ट सिटीज में अवसरों का मिलान करने के लिए जून 2020 में लॉन्च किया गया.

20. कोविड-19 वार रूम के रूप में आईसीसीसीज : 75 स्मार्ट शहरों में एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसीज) चालू किए गए हैं. राज्य/जिला/नगर प्रशासन ने आईसीसीसीज को कोविड-19 वॉर रूम में बदल दिया और महामारी के प्रभावी प्रबंधन के लिए मौजूदा स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया. स्मार्ट शहरों में कोविड-19 की प्रतिक्रिया को चार क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जा सकता है, अर्थात् सूचना, संचार, प्रबंधन और तैयारी.

एकेएएम के दौरान की गई एससीएम गतिविधियां

भारत की आजादी के 75वें वर्ष को आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के रूप में मनाने के लिए, 27 सितंबर से 3 अक्टूबर 2021 तक सप्ताह के दौरान, भारत सरकार ने 100 स्मार्ट शहरों सहित राज्यों और शहरों में कई कार्यक्रमों की योजना बनाई.

स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत, एकेएएम समारोह के हिस्से के रूप में 100 स्मार्ट शहरों में निम्नलिखित तीन गतिविधियां शुरू की गईं:

·         22+शहर&75 घंटे प्लेसमेकिंग मैराथन - स्मार्ट सिटी मिशन ने शहरों को अपने शहर में कम से कम एक सार्वजनिक स्थान की फिर से कल्पना करने और इसे 75 घंटों के भीतर बदलने के लिए प्रोत्साहित किया. 32 शहरों ने सार्वजनिक कार्यक्रमों की मेजबानी में भाग लिया और परिवर्तित स्थानों की प्रोग्रामिंग इस तरह से की जो हमारी आजादी का जश्न मनाती है, साथ ही हमारे शहरों का जश्न भी मनाती है. 22+ शहर, की धारणा ने 75 घंटों में 50+ सार्वजनिक स्थानों को बदल दिया. यह शहरों में लगभग 1 लाख वर्ग मीटर सार्वजनिक स्थान के बराबर है. परियोजनाओं ने लोगों के लिए और लोगों के साथ शहरों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया. इसमें अनेक उपाय किए गए जैसे चलने और साइकिल चलाने के लिए शहरों को सुरक्षित बनाना, छोटे बच्चों के शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास में सहायता के लिए पड़ोस के पार्कों और आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य केंद्रों जैसी सार्वजनिक सुविधाओं को और अधिक प्रेरक बनाना, विशेष रूप से देखभाल करने वालों - जैसे गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं की जरूरतों को पूरा करना, और यह सुनिश्चित करना कि  सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छ भोजन तक हमारी पहुंच है. ये सभी हल्के त्वरित और सस्ते परीक्षणों के रूप में किए गए थे ताकि अधिक स्थायी और लागत-गहन परियोजनाओं को बड़े पैमाने पर शुरू करने से पहले इन विचारों का परीक्षण और सुधार किया जा सके. इन उपायों का विवरण https://smartnet.niua.org/placemaking-marathon पर देखा जा सकता है.

·         फ्रीडम वॉक/रन/साइक्लिंग अभियान- इस अभियान के माध्यम से, 1 से 3 अक्टूबर 2021 के बीच 100 प्रतिभागी शहरों में नागरिकों को चलने, साइकिल या दौड़ने के लिए प्रोत्साहित करने वाले 220 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. महिलाओं को चलने और साइकिल चलाने के लिए सशक्त बनाने के वास्तेल 40 कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. जूनियर वॉक और साइकिल चैंपियन की पहचान के लिए 25 इवेंट, अधिक पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों को सड़क पर लाने के लिए 115 इवेंट और पैदल तथा साइकिल को सुरक्षित और मज़ेदार बनाने के लिए 15 अस्थायी उपायों का परीक्षण किया गया.

·         प्रौद्योगिकी के माध्यम से स्वतंत्रता - प्रौद्योगिकी के माध्यम से स्वतंत्रता के तहत, स्मार्ट सिटीज मिशन ने शहरों को 27 सितंबर से 3 अक्टूबर 2021 के बीच अपने आईसीसीसी/आईसीटी केंद्रों में एक कार्यक्रम की मेजबानी करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसमें नागरिकों को सफल तकनीकी आईसीटी उपाय दिखाया गया कि कैसे शहर प्रौद्योगिकी सक्षम स्वतंत्रता प्राप्त कर रहे हैं. 75 शहरों ने मिलकर 7500 से अधिक नागरिकों को 200+ उपयोग के मामलों के साथ अपनी आईसीसीसी क्षमताओं का प्रदर्शन किया, जिसे नागरिकों और शहर के अन्य हितधारकों ने खूब सराहा. नौ विषयों में चुनौतियों को कम करने के लिए शहरों की तैयारी पर ध्यान केंद्रित किया गया जैसे अपराध से मुक्ति, यातायात से मुक्ति, कचरे से आजादी, पानी की कमी से आजादी, कतारों से आजादी, ग्रीन हाउस गैसों से आजादी (जीएचजी), प्रदूषण से आजादी, बीमारी से आजादी और अक्षमता से आजादी.

(लेखक भारत सरकार के आवासन और शहरी मामले मंत्रालय में निदेशक हैं).

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं