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विशेष लेख


Issue no 35, 27 November -3 December 2021

एड्स चुनौतियों का मुकाबला

विश्व एड्स दिवस हर साल एक दिसंबर को मनाया जाता है. एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) एक दीर्घकालिक और जीवन के प्रति घातक स्थितियां पैदा करने वाली बीमारी है, जो ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के कारण होती है. विश्व एड्स दिवस एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने, शिक्षित करने और उसमें सुधार लाने के लिए समर्पित है. यह एड्स को समाप्त करने और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और स्वास्थ्य के अधिकार की दिशा में प्रगति के बीच परस्पर-निर्भरता को समझने का अवसर प्रदान करता है. इस दिन दुनियाभर के लोग एचआईवी के साथ जी रहे व्यक्तियों और उससे प्रभावित लोगों के प्रति समर्थन व्यक्त करने और एड्स से जान गंवाने वालों को याद करने के लिए एकजुट होते हैं. यह सबसे अधिक मान्यताप्राप्त अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य दिवसों में से एक बन गया है और लोगों को अधिक जागरूक बनाने और  उपचार एवं रोकथाम सेवाओं तक पहुंच में वृद्धि के लिए जीत का जश्न मनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है.

इसे कब शुरु किया गया था और क्यों?

1988 में स्थापित, विश्व एड्स दिवस पहला वैश्विक स्वास्थ्य दिवस था. इस अवसर पर दुनियाभर में जागरूकता बढ़ाने वाली गतिविधियां होती हैं. बहुत से लोग लाल रिबन पहनते हैं, जो एचआईवी से पीड़ित लोगों के प्रति जागरूकता, समर्थन और एकजुटता का सार्वभौमिक प्रतीक है. एचआईवी के साथ जी रहे लोग अपने जीवन में महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद करते हैं. एचआईवी के साथ रहने वाले लोगों के समूह और एड्स के खिलाफ कार्रवाई में शामिल अन्य स्वयं सेवी संगठन उन समुदायों के लिए धन एकत्र करने और उनका समर्थन करने के लिए एकजुट होते हैं जिनकी वे सेवा करते हैं.

2004 से, हर साल संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां, सरकारें और स्वयंसेवी संगठन एचआईवी से संबंधित विशिष्ट विषयों पर अभियान चलाने के लिए एक साथ मिलकर प्रयास करते हैं. इस वर्ष का विषय है-'असमानताएं खत्म करें, एड्स खत्म करें, महामारी समाप्त करें. इस वर्ष की थीम उन चुनौतियों की बढ़ती सूची में शामिल हो गई है जिनके प्रति विश्व एड्स दिवस ने लोगों को सचेत किया है.

एचआईवी वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है, जिससे अब तक 3.6 करोड़ से अधिक लोगों की जानें जा  चुकी हैं और विश्व एड्स दिवस का उद्देश्य वैश्विक एकजुटता और साझा जिम्मेदारी की मांग करना है. 2020 में, वैश्विक स्तर पर एचआईवी से संबंधित कारणों से 6,80,000 लोग मारे गए. 2020 के अंत में 3.77 करोड़ लोग एचआईवी के साथ जी रहे थे, जिनमें वर्ष के दौरान वैश्विक स्तर पर एचआईवी से नए संक्रमित हुए व्यक्तियों की संख्या 15 लाख थी.

विश्व एड्स दिवस आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना हमेशा रहा है, लोगों और सरकारों को याद दिलाता है कि एचआईवी दूर नहीं हुआ है. एड्स के खिलाफ कार्रवाई के लिए, लोगों के जीवन पर एचआईवी के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, कलंक और भेदभाव को समाप्त करने और एचआईवी के साथ रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए, अभी भी यह दिवस एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है. सतत् विकास लक्ष्यों के हिस्से के रूप में यूएनएड्स 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में एड्स को समाप्त करने के वैश्विक प्रयास का नेतृत्व कर रहा है.

भारत में एचआईवी/एड्स की रोकथाम और नियंत्रण

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत शत-प्रतिशत केंद्र प्रायोजित योजना है. यह कार्यक्रम देश में राज्य एड्स नियंत्रण समितियों (एसएसीएस) और जिला एड्स रोकथाम और नियंत्रण इकाइयों (डीएपीसीयू) के माध्यम से नए संक्रमणों को 50 प्रतिशत तक कम करने (एनएसीपी III की 2007 बेसलाइन) और एचआईवी/एड्स के साथ जी रहे सभी व्यक्तियों के लिए व्यापक देखभाल, सहायता और उपचार प्रदान करने के लिए कार्यान्वित किया जा रहा है.

भले ही पिछले एक दशक में एचआईवी का प्रसार कम हो रहा है, एनएसीपी के तहत निम्नलिखित गतिविधियां नए संक्रमणों को रोकने में आवश्यक सहायता प्रदान करेंगी और इस तरह सतत् विकास लक्ष्यों के लिए '2030 तक महामारी को समाप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करेंगी.

सरकार ने एचआईवी और एड्स से संक्रमित लोगों को इलाज कराने के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने और उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव रोकने  के लिए ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएंसी वायरस (एचआईवी) और एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी डिजीज (एड्स) रोकथाम और नियंत्रण विधेयक पारित किया है.

एचआईवी के लिए 'परीक्षण और उपचार नीति के अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि 'जैसे ही किसी व्यक्ति का परीक्षण किया जाता है और सकारात्मक पाया जाता है, उसे उसकी सीडी काउंट या नैदानिक चरण के बावजूद, एआरटी प्रदान किया जाएगा.

एचआईवी रोगियों के लिए जीवन रक्षक तृतीय पंक्ति का एआरटी उपचार नि:शुल्क

एनएसीपी ने 2030 तक 'एड्स के अंत का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में 2020 तक 90-90-90 की प्राप्ति को प्रमुख लक्ष्यों के रूप में अपनाया है. इसका मतलब है कि 2020 तक पीएलएचआईवी यानी एचआईवी के साथ जी रहे कुल अनुमानित व्यक्तियों में से 90 प्रतिशत को अपनी एचआईवी स्थिति की जानकारी है (प्रथम 90); अपनी एचआईवी स्थिति जानने वाले सभी लोगों में से 90 प्रतिशत एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (दूसरा 90) पर है, और उपचार तक पहुंचने वाले 90 प्रतिशत लोगों ने वायरल लोड  का दमन कर दिया (तृतीय 90) है.

90-90-90 लक्ष्यों की पूर्ण प्राप्ति के परिणामस्वरूप पीएलएचआईवी की कुल अनुमानित संख्या के 90 प्रतिशत को अपनी एचआईवी स्थिति की जानकारी होगी, उनमें से 81 प्रतिशत एआरटी पर होंगे और 73 प्रतिशत वायरल का दमन कर चुके होंगे; इसे अक्सर एचआईवी परीक्षण और उपचार कैस्केड के रूप में जाना जाता है.

रेड रिबन एक्सप्रेस- यह एचआईवी/एड्स पर जागरूकता फैलाने, सुरक्षित व्यवहार प्रथाओं को बढ़ावा देने, इस महामारी को रोकने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में लोगों का ज्ञान बढ़ाने और एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव और तत्संंबंधी निंदात्मक सोच समाप्त करने के लिए बीमारी के बारे में समझ विकसित करने के वास्तेे एक निर्दिष्ट मार्ग चार्ट के माध्यम से पूरे देश में यात्रा करती है.

एचआईवी संचरण को रोकने के मुख्य उपाय

कंडोम जैसे सुरक्षित यौन व्यवहार का पालन करें.

यौन संचारित रोगों के लिए परीक्षण और उपचार करवाएं.

सिरिंज, चम्मच और स्वैब (इंजेक्शन से नशीली दवाएं लेने वाले  लोग) सहित सुई या इंजेक्शन लगाने वाले अन्य उपकरण कभी साझा न करें.

सभी गर्भवती महिलाओं का, नियमित प्रसव पूर्व जांच के एक भाग के रूप में, एचआईवी के लिए परीक्षण किया जाना चाहिए, और एचआईवी के लिए पॉजिटिव पाए जाने पर तुरंत एचआईवी उपचार शुरू करना चाहिए.

पोस्ट-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (पीईपी): यह आशंकित जोखिम के बाद, व्यावसायिक रूप से या संभोग के माध्यम से एचआईवी संक्रमण की आशंका को कम करने के लिए अल्पकालिक एंटीरेट्रोवाइरल उपचार है.

प्री-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस की सलाह उन लोगों को दी जाती है जिन्हें एचआईवी नहीं है, लेकिन दवा लेने से एचआईवी संक्रमण को रोकने के लिए एचआईवी होने का बहुत अधिक जोखिम है.

रेड रिबन एक्सप्रेस ट्रेन ने 50,000 से अधिक कस्बों और गांवों में एड्स जागरूकता का एक विशेष संदेश लेकर पूरे भारत में 27,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की है. देशभर में अपनी यात्रा पूरी करते हुए, रेड रिबन एक्सप्रेस ने 23 राज्यों का दौरा किया, 162 स्टेशनों पर रुककर, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में एचआईवी की रोकथाम और स्वास्थ्य के बारे में संदेशों के साथ 10 मिलियन से अधिक लोगों तक पहुंच कायम की. भारत भर में ट्रेन की सबसे हालिया एक साल की यात्रा का फोकस युवाओं पर था, जिसमें किशोरों और युवाओं को एकजुट करने पर विशेष जोर दिया गया था.

(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)

स्रोत: यूएनएड्स/राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल/नाको