कवच : भारतीय रेलवे का बख्तरबंद
दो रेलगाड़ियां एक ही पटरी पर एक-दूसरे की ओर बढ़ रही थीं. ऐसा लग रहा था कि आमने-सामने की टक्कर होने ही वाली है. हालांकि जब दोनों इंजन एक-दूसरे से लगभग 400 मीटर की दूरी पर थे, तभी वे रुक गए, इस प्रकार दुर्घटना टल गई.इस करतब को हाल ही में भारतीय रेलवे ने 'कवच’ के व्यापक परीक्षण के दौरान अंजाम दिया. केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव गुल्लागुडा से चिटगिड्डा (दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल में) की ओर बढ़ रहे इंजन पर सवार थे. रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ श्री वी. के. त्रिपाठी चिटगिड्डा से गुल्लागुडा की ओर बढ़ रहे इंजन पर सवार थे. परीक्षण के दौरान आमने-सामने की टक्कर की स्थिति उत्पन्न की गई. 'कवच’प्रणाली ने स्वचालित ब्रेकिंग सिस्टम शुरु किया और इंजनों को एक-दूसरे से 380 मीटर की दूरी पर रोक दिया.
भारतीय रेलवे का ध्यान इंजन, पटरियों के बुनियादी ढांचे, ट्रैक्शन पॉवर और सिग्नल प्रणाली एवं दूरसंचार सहित अपनी मौजूदा परिसंपत्तियों के उपयोग की क्षमता बढ़ाने पर केंद्रित है. मौजूदा बुनियादी ढांचे पर अतिरिक्त हाई-स्पीड ट्रेन चलाकर यात्रियों और माल ढुलाई की क्षमता के साथ ही साथ राजस्व और लाभ को भी बढ़ाया जा सकता है. भारतीय रेलवे के हाई स्पीड और भीड़भाड़ वाले रेल नेटवर्क में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्वाचालित रोकथाम प्रणालियां अपनाने की जरूरत महसूस की गई. मानवीय चूक अथवा सीमाओं और उपकरणों की विफलता के कारण होने वाली रेलगाड़ियों की खतरनाक टक्करों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे ने अपने परिचालन में बेहतर सुरक्षा की अतिरिक्त परत उपलब्ध कराते हुए ऐसी प्रौद्योगिकी को स्वदेशी तरीके से विकसित करने का दायित्व लिया.
कवच क्या है?
'कवच’ जिसका वस्तुत: अर्थ 'बख्तरबंद’ है, भारतीय उद्योग के सहयोग से अनुसंधान डिज़ाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है और दक्षिण मध्य रेलवे ने इसके परीक्षणों में सहायता दी है. इसका लक्ष्य समूचे भारतीय रेलवे में ट्रेन संचालन में सुरक्षा के सम्मिलित उद्देश्य को प्राप्त करना है. यह सेफ्टी इंटेग्रिटी लेवल (एसआईएल)-4 मानकों की एक अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है. एसआईएल-4 ऐसी प्रमाणित प्रौद्योगिकियां हैं, जिनमें 10,000 वर्षों में एक त्रुटि की आशंका है.एटीपी एक प्रकार की ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, जो निरंतर इस बात की जांच करती है कि ट्रेन की गति कुछ सिग्नल पर ऑटोमेटिक रूप से रुकने सहित सिग्नलिंग द्वारा स्वीकृत गति के अनुरूप बनी रहे. यदि ऐसा नहीं होता, तो एटीपी ट्रेन को रोकने के लिए आपातकालीन ब्रेक को सक्रिय कर देती है.
दो इंजनों के बीच टक्ककर रोकने के अलावा, कवच अथवा ट्रेन कोलिशन अवॉयडेंस सिस्टम (टीसीएएस) का उद्देश्य सिग्नल पासिंग एट डेंजर (एसपीएडी), अतिशय रफ्तार और टक्कर से ट्रेनों को सुरक्षा देना है. यदि चालक दल स्पीड या रफ्तार संबंधी पाबंदियों का अनुसरण नहीं करे अथवा ऐसा कर पाने की स्थिति में न हो, तो यह प्रणाली ट्रेन की ब्रेकिंग प्रणाली को स्वचालित रूप से सक्रिय कर देती है.परीक्षण के दौरान, लाल सिग्नल को पार करने का भी परीक्षण किया गया. इंजन ने हालांकि लाल सिग्नल को पार नहीं किया, क्योंकि 'कवच’ ने स्वचालित तरीके से ब्रेक लगाने के लिए विवश कर दिया. गेट सिग्नल के निकट होने पर स्वचालित सीटी की आवाज तेज और स्पष्ट थी. चालक दल ने परीक्षण के दौरान ध्वनि और ब्रेकिंग सिस्टम को नहीं छुआ था.जब इंजन को लूप लाइन पर चलाया गया, उस समय 30 किमी प्रति घंटे की गति सीमा का परीक्षण किया गया. 'कवच’ ने इंजन की 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार को स्वचालित रूप से 30 किमी प्रति घंटे तक कम कर लूप लाइन में प्रवेश किया.कवच सबसे सस्ती एसआईएल-4 प्रौद्योगिकियों में से एक है. यह रेलवे के लिए इस स्वदेशी प्रौद्योगिकी के निर्यात के मार्ग खोलती है. स्वदेशी रूप से विकसित इस प्रणाली की लागत प्रति किलोमीटर लगभग 40-50 लाख रुपये है, जबकि यूरोपीय मॉडलों की लागत प्रति किलोमीटर लगभग 1.5-2 करोड़ रुपये है.
कवच की विशेषताएं
1. सिग्नल पासिंग एट डेंजर (एसपीएडी) से रोकना
2. ड्राइवर मशीन इंटरफेस (डीएमआई) / लोको पायलट ऑपरेशन कम इंडिकेशन पैनल (एलपीओसीआईपी) में सिग्नल की स्थिति दिखाने के साथ ट्रेन की आवाजाही का निरंतर अपडेट
3. ओवर स्पीडिंग की रोकथाम के लिए स्वचालित रूप से ब्रेक लगाना
4. समपार फाटकों के पास पहुंचते समय स्वचालित रूप से सीटी बजना
5. क्रियाशील कवच प्रणाली से लैस दो इंजनों के बीच टक्कर रोकना
6. आपातकालीन स्थितियों के दौरान एसओएस संदेश
7. नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेन की आवाजाही की केंद्रीकृत लाइव निगरानी.
टीसीएएस के ट्रैक साइड सब-सिस्टम के अंतर्गत स्टेशन सेक्शन और ब्लॉक सेक्शन में ट्रैक पर रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टेग्स लगे होते हैं, जो इंजन में स्थापित लोको टीसीएएस यूनिट को ट्रैकसाइड सूचना देते हैं. बर्थिंग ट्रैक्स, पॉइंट एंड ब्लॉक सेक्शन सहित ट्रैक के कुछ हिस्सों को ट्रैक आइडेंटिफिकेशन नंबर (टीआईएन) नामक विशिष्ट आईडी दी जाती है. आरएफआईडी टैग्स सहित टीआईएन का उपयोग ट्रेन की दिशा निर्धारित करने में किया जाता है. इस प्रणाली में स्टेशन क्षेत्र में इंजन के साथ संपर्क बनाए रखने के लिए स्टेशन पर रेडियो टावर सहित स्टेशनरी टीसीएएस यूनिट भी स्थापित होती है. सिग्नलिंग से संबंधित रीयल-टाइम गतिशील जानकारी प्राप्त करने के लिए स्टेशनरी टीसीएएस को स्टेशन इंटरलॉकिंग के साथ जोड़ा जाता है. एक विशिष्ट स्टेशनरी टीसीएएस यूनिट द्वारा मॉनिटर की गई सभी सिग्नलों की रूट संबंधी जानकारी को टीसीएएस कंट्रोल टेबल (शंट सिग्नल और ओवरलैप को छोड़कर) के आधार पर समरूप बनाया (कॉन्फ़िगर किया) गया है. स्टेशनरी टीसीएएस यूनिट को अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी (यूएचएफ) रेडियो कम्युनिकेशन के माध्यम से अपने अधिकार क्षेत्र में विभिन्न ट्रेनों के स्थानों, गति आदि के बारे में रीयल-टाइम जानकारी मिलती है.इन उन्नत दुर्घटना निवारण उपायों को चरणबद्ध तरीके से भारतीय रेलवे में लागू किया जाएगा, इनके अंतर्गत ट्रेनें यूएचएफ/एलटीई कम्युकनिकेशन के माध्यम से सुरक्षा प्रणालियों के साथ निरंतर संपर्क में रहेंगी.
कवच तैनाती की रणनीति
रेल यातायात का 96 प्रतिशत भारतीय रेलवे के उच्च घनत्व नेटवर्क और अत्यधिक प्रयुक्त नेटवर्क मार्गों पर होता है. इस यातायात के सुरक्षित परिचालन के लिए, रेलवे बोर्ड द्वारा निर्धारित प्राथमिकता के अनुसार कवच से संबंधित कार्य केंद्रित तरीके से किए जा रहे हैं:
पहली प्राथमिकता : ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग और सेंट्रलाइज्ड ट्रैफिक कंट्रोल सहित 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के साथ भीड़भाड़ वाले मार्गों और नई दिल्ली-मुंबई और नई दिल्ली-हावड़ा सेक्शन पर. इन खंडों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है, चूंकि जैसे-जैसे ट्रेनें एक-दूसरे के करीब आती हैं, ऐसे सेक्शन में ड्राइवरों की ओर से मानवीय त्रुटियों की आशंका अधिक होती है, जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाएं होती हैं.
दूसरी प्राथमिकता : स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग और केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण के साथ अत्यधिक प्रयुक्त नेटवर्क पर.
तीसरी प्राथमिकता : स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग के साथ भीड़भाड़ वाले अन्य मार्गों पर.
चौथी प्राथमिकता : अन्य सभी मार्ग.
केंद्रीय रेल मंत्री ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत पहल को आगे बढ़ाने की दिशा में कवच भारतीय रेलवे द्वारा उठाया गया प्रमुख कदम है. विकास के चरण के दौरान कवच को दक्षिण मध्य रेलवे के वाडी-विक्रबाद-सनत नगर और विक्रबाद-बीदर खंडों में 25 स्टेशनों को कवर करने वाली 264 किलोमीटर के दायरे में लागू किया गया. बाद में, इस प्रणाली का दायरा अतिरिक्त 936 किलोमीटर क्षेत्र तक बढ़ाया गया. इस प्रकार कवच की संचयी तैनाती 1200 किलोमीटर तक हो गई. आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत 2,000 किलोमीटर के नेटवर्क को सुरक्षा और क्षमता संवर्धन के लिए 2022-23 में कवच के अंतर्गत लाया जाएगा. अगले वित्त वर्ष में इस प्रणाली को अतिरिक्त 4,000 से 5,000 किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा. इस नेटवर्क का लगभग 34,000 किलोमीटर कवच के अंतर्गत लाया जाएगा. भारतीय रेलवे कवच रक्षा प्रणाली को जल्द से जल्द अपने पूरे नेटवर्क में लागू करने की योजना बना रहा है.
संकलन : अनीशा बनर्जी एवं अनुजा भारद्वाजन
स्रोत : पीआईबी/भारतीय रेलवे/ आरडीएसओ