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विशेष लेख


अंक संख्या -02, 9-15 अप्रैल,2022

प्रधानमंत्री के मन की बात

(मुख्य बातें )

·         भारत ने पिछले सप्ताह 400 बिलियन डॉलर, यानी, 30 लाख करोड़ रुपये के एक्सपोर्ट का टार्गेट हासिल किया है. इसका एक मतलब ये कि दुनियाभर में भारत में बनी चीज़ों की डिमांड बढ़ रही है, दूसरा मतलब ये कि भारत की  supply chain दिनों-दिन और मजबूत हो रही है. अब सबसे बड़ी बात ये कि नए-नए products नए-नए देशों को भेजे जा रहे हैं. जैसे हिमाचल, उत्तराखण्ड में पैदा हुए मिलेट्स (millets) मोटे अनाज की पहली खेप डेनमार्क को निर्यात की गयी. आंध्र प्रदेश के कृष्णा और चित्तूर जिले के बंगनपल्ली और सुवर्णरेखा आम, दक्षिण कोरिया को निर्यात किये गए. त्रिपुरा से ताजा कटहल, हवाई रास्ते से, लंदन निर्यात किये गए और तो और पहली बार नगालैंड की राजा मिर्च को लंदन भेजा गया. इसी तरह भालिया गेहूं की पहली खेप, गुजरात से केन्या और श्रीलंका निर्यात की गयी. लिस्ट बहुत लम्बी है और जितनी लम्बी ये लिस्ट है, उतनी ही बड़ी Make in India की ताकत है,

 

·         उतना ही विराट भारत का सामर्थ्य है, और सामर्थ्य का आधार है - हमारे किसान, हमारे कारीगर, हमारे बुनकर, हमारे इंजीनियर, हमारे लघु उद्यमी, हमारा MSME Sector, ढेर सारे अलग-अलग profession  के लोग, ये सब इसकी सच्ची ताकत हैं. इनकी मेहनत से ही 400 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट का लक्ष्य प्राप्त हो सका है और मुझे खुशी है कि भारत के लोगों का ये सामर्थ्य अब दुनिया के कोने-कोने में, नए बाजारों में पहुंच रहा है. जब एक-एक भारतवासी लोकल के लिए वोकल होता है, तब, लोकल को ग्लोबल होते देर नहीं लगती है. आइये, लोकल को ग्लोबल बनाएं और हमारे उत्पादों की प्रतिष्ठा को और बढ़ायें.

 

 

·         आज हमारे लघु उद्यमी सरकारी खरीद में Government e-Market place यानी GeM के माध्यम से बड़ी भागीदारी निभा रहे हैं. Technology के माध्यम से बहुत ही transparent व्यवस्था विकसित की गयी है. पिछले एक साल में GeM Portal के जरिए, सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की चीजें खरीदी हैं. देश के कोने-कोने से करीब-करीब सवा-लाख लघु उद्यमियों, छोटे दुकानदारों ने अपना सामान सरकार को सीधे बेचा है. अब छोटे से छोटा दुकानदार भी GeM Portal पर सरकार को अपना सामान बेच सकता है - यही तो नया भारत है. ये केवल बड़े सपने देखता है, बल्कि उस लक्ष्य तक पहुंचने का साहस भी दिखाता है, जहां पहले कोई नहीं पहुंचा है. इसी साहस के दम पर हम सभी भारतीय मिलकर आत्मनिर्भर भारत का सपना भी जरूर पूरा करेंगे.

 

·         हाल ही में हुए पदम् सम्मान समारोह में आपने बाबा शिवानंद जी को जरूर देखा होगा. 126 साल के बुजुर्ग की फुर्ती देखकर मेरी तरह हर कोई हैरान हो गया होगा. वाकई, बाबा शिवानंद का जीवन हम सभी को प्रेरित करने वाला है. मैं उनकी दीर्घ आयु की कामना करता हूं. उनमें योग के प्रति एक Passion है और वे बहुत हेल्थी लाइफस्टाइल जीते हैं.

 

 

·         आज पूरे विश्व में health को लेकर भारतीय चिंतन चाहे वो योग हो या आयुर्वेद इसके प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है. पिछले ही सप्ताह कतर में एक योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें 114 देशों के नागरिकों ने हिस्सा लेकर एक नया World Record  बना दिया. इसी तरह से Ayush Industry का बाजार भी लगातार बड़ा हो रहा है. 6 साल पहले आयुर्वेद से जुड़ी दवाइयों का बाजार 22 हजार करोड़ रुपये के आसपास का था. आज Ayush Manufacturing Industry, एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपये के आसपास पहुंच रही है, यानी इस क्षेत्र में संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं.

 

·         मेरा Health Sector के Start-Ups और विशेषकर  Ayush Start-Ups  से एक आग्रह भी है. आप ऑनलाइन जो भी पोर्टल बनाते हैं, जो भी Content create करते हैं, वो संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त सभी भाषाओं में भी बनाने का प्रयास करें. दुनिया में बहुत सारे ऐसे देश हैं जहां अंग्रेजी इतनी बोली जाती है और ना ही इतनी समझी जाती है. ऐसे देशों को भी ध्यान में रखकर अपनी जानकारी का प्रचार-प्रसार करें. मुझे विश्वास है, भारत के Ayush Start-Ups बेहतर Quality के Products  के साथ, जल्द ही, दुनियाभर में छा जायेंगे.

 

·         हमारे देश में जल संरक्षण, जल स्रोतों की सुरक्षा, सदियों से समाज के स्वभाव का हिस्सा रहा है. मुझे खुशी है कि देश में बहुत से लोगों ने Water Conservation को लाइफ मिशन ही बना दिया है. मैं तो उस राज्य से आता हूं, जहां पानी की हमेशा बहुत कमी रही है. गुजरात में इन Stepwells को वाव कहते हैं. गुजरात जैसे राज्य में वाव की बड़ी भूमिका रही है. इन कुओं या बावड़ियों के संरक्षण के लिए 'जल मंदिर योजनाने बहुत बड़ी भूमिका निभाई. पूरे गुजरात में अनेक बावड़ियों को पुनर्जीवित किया गया. इससे इन इलाकों में वाटर लेवल (water level ) को बढ़ाने में भी काफी मदद मिली. ऐसे ही अभियान आप भी स्थानीय स्तर पर चला सकते हैं. Check Dam बनाने हों, Rain Water Harvesting हो, इसमें Individual   प्रयास भी अहम हैं और Collective Efforts भी जरूरी हैं. जैसे आजादी के अमृत महोत्सव में हमारे देश के हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर बनाए जा सकते हैं. कुछ पुराने सरोवरों को सुधारा जा सकता है, कुछ नए सरोवर बनाए जा सकते हैं.

 

 

·         भारत की संस्कृति, हमारी भाषाओं, हमारी बोलियां, हमारे रहन-सहन, खान-पान का विस्तार, ये सारी विविधताएं हमारी बहुत बड़ी ताकत है. पूरब से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक भारत को यही विविधता, एक करके रखती हैं, एक भारत-श्रेष्ठ भारत बनाती हैं. 'माधवपुर मेलागुजरात के पोरबंदर में समुद्र के पास माधवपुर गांव में लगता है. हजारों वर्ष पूर्व भगवान् श्री कृष्ण का विवाह, नार्थ ईस्ट की राजकुमारी रुक्मणि से हुआ था. ये विवाह पोरबंदर के माधवपुर में संपन्न हुआ था और उसी विवाह के प्रतीक के रूप में आज भी वहां माधवपुर मेला लगता है. East और West का ये गहरा नाता, हमारी धरोहर है. समय के साथ अब लोगों के प्रयास से, माधवपुर मेले में नई- नई चीजें भी जुड़ रही हैं. हमारे यहां कन्या पक्ष को घराती कहा जाता है और इस मेले में अब नार्थ ईस्ट से बहुत से घराती भी आने लगे हैं. एक सप्ताह तक चलने वाले माधवपुर मेले में नार्थ ईस्ट के सभी राज्यों के आर्टिस्ट पहुंचते हैं, हेंडीक्राफ्ट (handicraft) से जुड़े कलाकार पहुंचते हैं और इस मेले की रौनक को चार चांद लग जाते हैं. एक सप्ताह तक भारत के पूरब और पश्चिम की संस्कृतियों का ये मेल, ये माधवपुर मेला, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की बहुत सुन्दर मिसाल बना रहा है.

·         आज़ादी का अमृत महोत्सव, अब जन भागीदारी की नई मिसाल बन रहा है. कुछ दिन पहले 23 मार्च को शहीद दिवस पर देश के अलग-अलग कोने में अनेक समारोह हुए. देश ने अपनी आज़ादी के नायक-नायिकाओं को याद किया श्रद्धापूर्वक याद किया. इसी दिन मुझे कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में बिप्लॉबी भारत गैलरी के लोकार्पण का भी अवसर मिला. भारत के वीर क्रांतिकारियों को श्रद्धांजली देने के लिए यह अपने आप में बहुत ही अनूठी गैलरी (gallery) है.

·         अप्रैल के महीने में हम दो महान विभूतियों की जयंती भी मनाएंगे. इन दोनों ने ही भारतीय समाज पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है. ये महान विभूतियां हैं- महात्मा फुले और बाबा साहब अम्बेडकर. महात्मा फुले की जयंती 11 अप्रैल को है और बाबा साहब की जयंती हम 14 अप्रैल को मनाएंगे. इन दोनों ही महापुरुषों ने भेदभाव और असमानता के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी. महात्मा फुले ने उस दौर में बेटियों के लिए स्कूल खोले, कन्या शिशु हत्या के खिलाफ आवाज़ उठाई. उन्होंने जल-संकट से मुक्ति दिलाने के लिए भी बड़े अभियान चलाये. महात्मा फुले की इस चर्चा में सावित्रीबाई फुले जी का भी उल्लेख उतना ही ज़रूरी है. सावित्रीबाई फुले ने कई सामाजिक संस्थाओं के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई. महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले, बाबा साहब अम्बेडकर के जीवन से प्रेरणा लेते हुए, मैं सभी माता-पिता और अभिभावकों से अनुरोध करता हूं कि वे बेटियों को ज़रूर पढ़ायें. बेटियों का स्कूल में दाखिला बढ़ाने के लिए कुछ दिन पहले ही कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव भी शुरू किया गया है, जिन बेटियों की पढ़ाई किसी वजह से छूट गई है, उन्हें दोबारा स्कूल लाने पर फोकस किया जा रहा है.

 

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