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विशेष लेख


अंक संख्या 34, 19-25 नवम्बर ,2022

प्राकृतिक चिकित्सा: रोगों का जड़ से उपचार

प्राकृतिक चिकित्सा भारत में पारंपरिक उपचार की महत्वपूर्ण प्रणालियों में से एक है। प्राकृतिक चिकित्सा का अर्थ है प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए शरीर को स्वस्थ रखना। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं। प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से अनुशासित दिनचर्या का पालन कर शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। वास्तव में, प्राकृतिक चिकित्सा मानव कल्याण का समग्र मार्ग है।

प्राकृतिक चिकित्सा एक विशिष्ट प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली है जो शरीर के स्व-उपचार तंत्र पर जोर देती है। इसके अंतर्गत मानव स्वास्थय की रक्षा के लिए उपचार प्रणालियों की विस्तृत श्रृंखला का इस्तेमाल किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांत व्यायाम, धूप, ताजा जल, तनाव प्रबंधन, स्वस्थ आहार आदि की उपयोगिता पर आधारित हैं। प्राकृतिक चिकित्सा स्वास्थ्य के महत्व पर बल देती है, बीमारी के लक्षणों को कम करती है, संपूर्ण मानव तंत्र को संतुलित करती है और स्वस्थ होने में शरीर की स्‍वयं की  क्षमता बढ़ाती है। इसलिए यह मानव शरीर से विषैले और अवांछित पदार्थों को निकाल कर  उसे स्वस्थ रखने का काम करती है।

प्राकृतिक चिकित्सा का मानना ​​है कि किसी भी बीमारी का प्राथमिक कारण शरीर में रुग्ण पदार्थों का जमा होना है। बैक्टीरिया और वायरस मानव शरीर में तभी प्रवेश करते हैं जब शरीर में रुग्ण पदार्थ जमा हो जाते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा का मानना ​​है कि पुरानी बीमारियां गलत उपचार और किसी पुराने रोग को दबाने का परिणाम हैं। मानव शरीर में स्वयं को रोगों से बचाने और उसे पुनर्जीवित करने की शक्ति होती है। इसलिए, इलाज की प्रक्रिया में, पूरे मानव शरीर को रोग को ठीक करने के लिए लक्षित किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा में दबी हुई बीमारियों को सतह पर लाया जाता है और स्थायी रूप से समाप्त कर दिया जाता है।

प्राकृतिक चिकित्सा में कई उपचार शामिल हैं जिनमें जड़ी-बूटियाँ, मालिश, व्यायाम और आहार/पोषण संबंधी परामर्श शामिल हैं। कुछ और लोकप्रिय उपचार जो प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत आते हैं, वे हैं मड थेरेपी, मैनिपुलेटिव थेरेपी, इलेक्ट्रोथेरेपी, एक्यूपंक्चर, हाइड्रोथेरेपी, कीमोथेरेपी, फिजियोथेरेपी, व्यायाम, योग थेरेपी और मैग्नेटिक थेरेपी। यहां हम प्राकृतिक चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली मुख्य उपचार विधियों का उल्लेख कर रहे हैं।

आहार चिकित्सा

प्राकृतिक चिकित्सा में, भोजन को आमतौर पर उसकी प्रकृति के अनुसार अम्लीय या क्षारीय के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इस प्रकार, आहार चिकित्सा शरीर के विभिन्न भागों और पूरे पाचन तंत्र की गति और कार्य को प्रभावित करती है। इस थेरेपी के तहत मुख्य रूप से तीन प्रकार के आहार होते हैं:

क) उन्मूलन आहार: यह आहार शरीर को शुद्ध करने पर केंद्रित है। मानव शरीर को फिर से जीवंत करने में मदद करने वाले खाद्य पदार्थ इस श्रेणी में आते हैं। यह आमतौर पर आहार चिकित्सा में पहले आता है। पूरे सिस्टम को शुद्ध करने के लिए, आपको शुरुआत में स्वास्थ्य की नींव रखनी होगी। इस डाइट में नींबू पानी, सिट्रिक जूस, ग्रीन टी आदि भोजन शामिल हैं।

ख) शांतिदायक आहार: शरीर को डिटॉक्सीफाई या विषाक्तता मुक्त करने का दूसरा तरीका शांतिदायक आहार है। यह आहार विशेष रूप से मानव शरीर को गैर विषैले खाद्य व्यवहार का आदी बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि शरीर ठोस भोजन को बेहतर ढंग से पचाना शुरू कर सके। इस आहार चिकित्सा में उबली हुई सब्जियां, सब्जी का सूप, सलाद आदि जैसे भोजन शामिल हैं।

ग) रचनात्मक आहार: रचनात्मक आहार इस चिकित्सा पद्धति की तीसरी और अंतिम विधि है जिसमें मानव शरीर बेहतर ढंग से कार्य करना शुरू कर देता है। इस चरण में, शरीर को साबुत गेहूं और कार्बोहाइड्रेट दिया जाता है। थेरेपी में अंकुरित अनाज, दालें, बिना पॉलिश किए चावल आदि भोजन शामिल हैं।

 

उपवास चिकित्सा

प्राकृतिक चिकित्सा उपचार का एक व्यवस्थित तरीका है जिसमें यह माना जाता है कि अधिकांश रोगों का मूल कारण पाचन तंत्र में विषाक्त पदार्थों का जमा होना है। उपवास को प्राकृतिक चिकित्सा की प्रमुख तकनीकों में से एक माना गया है। यह किसी भी रसायन का सेवन किए बिना प्राकृतिक उपचार के विचार को बढ़ावा देता है। प्राकृतिक चिकित्सा में, प्रकृति को शरीर में सफाई की प्रक्रिया शुरू करने और भोजन को पचाने के लिए अतिरिक्त भार को कम करने में सक्षम बनाने के लिए उपवास किया जाता है। उपवास चिकित्सा शरीर के स्वास्थ्य और ताजगी को पुनः प्राप्त करने के लिए पाचन तंत्र को आराम देने के विचार पर जोर देती है। यह चिकित्सा पाचन अंगों को अपनी दक्षता बहाल करने के लिए पर्याप्त समय देती है जो विषाक्त खाने की आदतों से विकृत हो गई है। चूंकि अस्वास्थ्यकर भोजन विकल्प हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं, उपवास चिकित्सा एक ऐसी प्राकृतिक घटना है जो शरीर को डिटॉक्सीफाई करती है ताकि दीर्घावधि में प्रतिरक्षा, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावात्मक सुरक्षा बढ़ायी जा सके।

उपवास चिकित्सा की अवधि रोगी की उम्र, बीमारी की स्थिति और पहले से इस्तेमाल की जा रही दवा की मात्रा और प्रकार पर निर्भर करती है। उपवास चिकित्सा के तहत, रोगियों को सलाह दी जाती है कि वे दो या तीन दिनों के छोटे उपवासों की एक श्रृंखला का पालन करें और प्रत्येक अगले दिन के साथ उपवास की अवधि को धीरे-धीरे बढ़ाएं। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि लंबे समय तक उपवास किसी विशेष प्राकृतिक चिकित्सक की देखरेख में किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उपवास करने वाले रोगियों को कोई नुकसान न हो।

मड थेरेपी

पृथ्वी विभिन्न खनिजों और यौगिकों से बनी है जो शरीर के प्रतिरक्षा स्तर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मिट्टी पृथ्वी का एक ऐसा तत्व है जिसे इसके उपचार गुणों के कारण कई धार्मिक मान्यताओं से जोड़ा गया है। प्राकृतिक चिकित्सा में, मड थेरेपी में शरीर को भीतर से लाभ पहुंचाने के लिए उचित तरीके से सिक्त मिट्टी का वैज्ञानिक उपयोग शामिल है। मिट्टी में शरीर से विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करने का गुण होता है जो अंततः कई बीमारियों की रोकथाम में मदद करता है।शरीर पर मिट्टी का लेप लगाने से ठंडक मिलती है और नमी बनाए रखने में मदद मिलती है। पानी डालकर मिट्टी के आकार और स्थिरता को आसानी से बदला जा सकता है। मड थेरेपी आसानी से उपलब्ध है और यह एक किफायती प्रक्रिया है। इसमें सूर्य से सभी रंगों को अवशोषित करने और उन्हें शरीर में पहुंचाने का गुण होता है।

मड बाथ थेरेपी में रोगी को बैठने या लेटने की स्थिति में मिट्टी लगाई जाती है। इसमें खनिजों से भरपूर मिट्टी और प्राकृतिक लवणों को शरीर पर लगाना शामिल है। इस चिकित्सा में, यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से ध्यान रखा जाना चाहिए कि रोगी स्नान के दौरान सर्दी से सुरक्षित रहे। नहाने के बाद रोगी को ठंडे पानी के जेट स्प्रे से अच्छी तरह धोना चाहिए। यदि रोगी को ठंड लग रही हो तो गर्म पानी का उपयोग किया जा सकता है। बाद में, रोगी को बीमारी से बचने के लिए गर्म बिस्तर पर ले जाना चाहिए। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि मिट्टी के स्नान की अवधि 45 से 60 मिनट होनी चाहिए।

स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के मूल कारण के बारे में शिक्षित करके, प्राकृतिक चिकित्सा का उद्देश्य लोगों को स्वस्थ होने के लिए अपनी जीवनशैली में अपनाए जा सकने वाले स्वस्थ परिवर्तनों के बारे में शिक्षित करना है। आहार और जीवनशैली में बदलाव की सलाह देने से लेकर भावनात्मक रूप से स्वस्थ होने की दिशा में आपका मार्गदर्शन करने तक; प्राकृतिक चिकित्सा का चिकित्सा जगत में  प्रमुख स्थान है। यदि हम आज के परिदृश्य पर एक व्यापक नज़र डालें, तो प्राकृतिक चिकित्सा व्यापक रूप से अपने लाभों के लिए जानी जाती है और उपचार के विभिन्न तरीकों के लिए इसकी बहुत सराहना की जाती है। इसे चिकित्सा की एक स्वतंत्र प्रणाली के रूप में स्वीकार किया गया है।प्राकृतिक चिकित्सा उपचार की एक प्राचीन और तर्कसंगत प्रणाली है जो शरीर की आत्म-उपचार क्षमता, जीवन शक्ति और विषहरण के सिद्धांत के आधार पर प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करती है। इस प्राकृतिक तरीके को अपनाकर हम जहरीले रसायनों के दुष्प्रभाव से बचकर लंबे समय तक स्वस्थ रह सकते हैं।

लेखक पत्र सूचना कार्यालय में उपनिदेशक है ई-मेल: suvidhakumra@gmail.com व्यक्त विचार