रोज़गार परामर्श
 
  
कैरियर और अकादमिक विषयक्षेत्र के रूप में - रक्षा अध्ययन

बहुधा राष्ट्रीय गतिविधियों की समझ के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है और यह किसी राष्ट्र की रक्षा तथा सुरक्षा समस्याओं के संबंध में बहुत हद तक सही भी है। इसके अलावा किसी देश की सुरक्षा पर राजनैतिक स्थिरता, भूरणनीतिक पर्यावरण, आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा हथियारों और सहायक तकनीकों में प्रगति का भी बहुत प्रभाव पड़ता है। इस बात से कई तथ्य जुड़े हैं कि रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे एक लम्बी सगर्भता अवधि की तरह होते हैं और उनसे संबंधित समझौतों का दीर्घकालिक असर होता है तथा चुनौतियों का
मुकाबला करने के वास्ते क्षमता निर्माण हेतु व्यापक संसाधनों तथा समय की जरूरत होती है। नई-नई तकनीकों तथा बदलावों ने युद्ध की स्वार्थी प्रकृति को एक राष्ट्रीयकृत
तथा पूर्ण युद्ध की स्थिति के रूप में परिवर्तित कर दिया है। आधुनिक युग में किसी भी देश का प्रत्येक नागरिक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में युद्ध की प्रक्रिया से जुड़ा है। एक अकादमिक विषय क्षेत्र के रूप में रक्षा अध्ययन में मुख्यतः ऐसे सभी घरेलू और रणनीतिक मुद्दों को सम्मिलित किया जाता है जो हमारे राष्ट्रीय रक्षा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को प्रभावित कर सकते हैं। रक्षा अध्ययन के महत्व और उसकी भूमिका को मान्यता देते हुए विभिन्न देशों, जैसे कि आस्टे्रलिया, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, पाकिस्तान, रूस, अमरीका और विश्व के कई अन्य देशों ने अपने देश के विश्वविद्यालय, कालेज तथा स्कूल स्तर पर रक्षा अध्ययन को एक अकादमिक विषय के रूप में शामिल किया है। रक्षा अध्ययन को विश्व में कई अन्य नामों जैसे कि
रक्षा और युद्धनीति अध्ययन, सैन्य विज्ञान, युद्ध और राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन, युद्ध और युद्धनीति अध्ययन से भी जाना जाता है। रक्षा अध्ययन से सैन्य शिक्षा के विकास तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में नागरिकों में जागरूकता पैदा करने के काम को बढ़ावा मिलता है। इससे युवा छात्रों को प्रोत्साहन मिलता है तथा उन्हें रक्षा तथा सुरक्षा से जुड़े मामलों को समझ पाने में मदद मिलती है। स्वतंत्रता के उपरांत भारत ने रक्षा और विकास के बारे में कई उतार-चढ़ावों का सामना किया है। 1962 में चीन तथा पाकिस्तान के साथ युद्धों ने भारत की सुरक्षा नीति की जरूरतों पर रोशनी डाली। हालांकि हमारा राजनैतिक नेतृत्व रक्षा और सुरक्षा मामलों पर अपने उद्गार व्यक्त करते वक्त पूरा ध्यान रखता है तथा ये प्रतिक्रियाएं सामान्यतः सीमित रहती हैं और एक अच्छी सोची-समझी नीति का नतीजा प्रतीत नहीं होता है। वर्तमान में भारत के कुछ मुट्ठी भर विश्वविद्यालयों में ही रक्षा अध्ययन, युद्ध अध्ययन, युद्ध नीति अध्ययन की पढ़ाई
कराई जाती है। इसके अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय कानून, अर्थव्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, क्षेत्र अध्ययन, परमाणु नीतियां, युद्ध के विचारक आदि महत्वपूर्ण
विषयों से जुड़े प्रश्नों को ही छुआ जाता है। भारत के कई विश्वविद्यालयों में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर मुख्य ध्यान देते हुए शिक्षण और शोध गतिविधियां संचालित की जाती
हैं। रक्षा अध्ययन के सभी विभागों में राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अन्तरविषयक स्वरूप में अध्ययन का दृष्टिकोण होता है तथा इसके अंतर्गत कई अन्य पहलुओं जैसे कि
भू-राजनैतिक तथा सैन्य भूगोल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रक्षा अर्थव्यवस्था, संघर्ष प्रबंधन और संघर्ष समझौते आदि पर अध्ययन कराया जाता है। राष्ट्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल उन
लोगों की ही नहीं है जो कि रक्षा बलों में हैं बल्कि इसका दायित्व राष्ट्र के सभी नागरिकों के कंधों पर होता है। रक्षा अध्ययन का उद्देश्य जीवन के अन्य क्षेत्रों से बहुत
नजदीक से जुड़ा है. अतः रक्षा अध्ययन से जुड़े छात्र न केवल उस वक्त सीखते हैं जब राष्ट्रीय और नागरिक रक्षा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं बल्कि अपने रोजमर्रा के जीवन
में भी कुछ न कुछ सीखते हैं तथा प्रत्येक नागरिक को अपने देश की सुरक्षा तथा रक्षा नीति की जानकारी होनी चाहिए। इस विषय से जुड़े शिक्षक और छात्र नियमित रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं तथा युद्ध की समस्या के बारे में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए लेख लिख सकते हैं जिससे सरकार और आम जनता में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के प्रति जागरूकता उत्पन्न होती है। भारत सरकार ने देश में एक रक्षा विश्वविद्यालय स्थापित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। आईएनडीयू देश में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर शिक्षा और अनुसंधान का एक उत्कृष्ट बहु-विषयक केन्द्र होगा। भारत राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय स्थापित करने वाला दुनिया का तीसरा देश होगा। राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय स्थापित करके वाले
अन्य देश चीन और अमरीका हैं।
निष्कर्ष :
अतः ऊपर वर्णित बातों के संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि रक्षा अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य रक्षा-उन्मुख बौद्धिक अभिरुचि का विकास करने के लिए ज्ञान देना तथा राष्ट्रीय
सुरक्षा की जरूरतों के प्रति जनमत तैयार करते हुए युद्ध के खिलाफ तथा शांति के पक्ष में जनता को एकजुट करना है। चूंकि भारत की भौगोलिक स्थिति कुछ ऐसी है कि उसकी
सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह विषय बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है अतः यह विषय भारतीय लोगों के दिमाग में सुरक्षा के प्रति जागरूकता लाने में काफी मददगार हो सकता है। प्रत्येक देश के लिए यह अब कुल मिलाकर अनिवार्य सा हो गया है कि वह सुरक्षा मामलों के बारे में राष्ट्रीय चेतना पैदा करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतिष्ठित दर्जा हासिल करें। रक्षा अध्ययन से हमारे
देश के नागरिकों को राष्ट्रीय सुरक्षा की समस्याओं तथा भविष्य-सापेक्षता के प्रति परिपक्व दिशा-निर्देशन प्राप्त होता है।
रोजगार के अवसर
1. रक्षा अध्ययन के विषय में स्नातकोत्तर डिग्री धारी छात्रों को विभिन्न स्तरों पर विषय पढ़ाने के वास्ते लेक्चरर के रूप में रोजगार प्राप्त होता है।
2. रक्षा अध्ययन विषय में स्नातकोत्तर डिग्री रखने वाले छात्रों को सेना/ नौसेना/वायु सेना में कमीशंड अधिकारी, शिक्षा कोर तथा ग्राउण्ड ड्यूटी ऑफिसर के रूप में सीधे भर्ती किया जाता है।
3. वे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, भू-रणनीतिक, भू-राजनैतिक, सामाजिक-आर्थिक तथा युद्ध के सामरिक पहलुओं सहित भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की समस्याओं के विभिन्न क्षेत्रों में उत्साह के साथ
शोध कार्य संचालित कर सकते हैं। इस क्षेत्र में उन्हें बुनियादी ज्ञान होने से वे अन्यों से अपने को बेहतर साबित कर सकते हैं।
4. राष्ट्रीय सुरक्षा में जनता की बढ़ती रुचि को देखते हुए रक्षा मामलों का बुनियादी ज्ञान रखने वाले युवा रक्षा-पत्रकारिता के लिए ज्यादा उपयुक्त हो सकते हैं।
5. भारतीय सशस्त्र सेनाएं 25000 से अधिक अधिकारियों की कमी की समस्या का सामना कर रही है, सुरक्षा मामलों की बुनियादी समझ और अभिरुचि रखने वाले युवा भारतीय सुरक्षा बलों में बेहतर योगदान कर सकते हैं।
6. रक्षा अध्ययन को पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तरांचल आदि राज्यों के लोक सेवा आयोगों की प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल कर लिया गया है।
7. इस विषय क्षेत्र में शिक्षकों तथा शोधार्थियों की भर्ती के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय स्तर पर कनिष्ठ अनुसंधान अध्येता/प्रवक्ता योग्यता परीक्षा का आयोजन करता है.
8. रक्षा अध्ययन के छात्र कुछ औपचारिकताएं पूरी करते हुए रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (आईडीएसए), नई दिल्ली में रिसर्च एसोसिएट/रिसर्च फैलो/ रिसर्च ऑफिसर के रूप में कार्य ग्रहण कर सकते हैं।
9. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा रक्षा मंत्रालय इस विषय क्षेत्र में शोध परियोजनाओं तथा पुस्तकें लिखने के लिए विभिन्न छात्रवृत्तियां प्रदान करता है।

भारत में रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में निम्नलिखित विश्वविद्यालयों और संस्थानों में विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं :
1. इलाहाबाद विश्वविद्यालय - सीनेट हाल, इलाहाबाद-211002, उत्तर प्रदेश, रक्षा एवं युद्धनीति अध्ययन विभाग, एमए, एमफिल, पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित करता है।

2. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय - रु गोरखपुर- 273009, उत्तर प्रदेश, रक्षा एवं युद्धनीति अध्ययन विभाग बीए, एमए, पीएचडी, पीजीडीडीएनएसएम (आपदा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा) पाठ्यक्रम संचालित करता है।
3. हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय - रु श्रीनगर, गढ़वाल- 246174, रक्षा और युद्धनीति अध्ययन विभाग, बीए/बीएससी, एमए/ एमएससी, पीएचडी, पीजीडीएमएसडी
(सैन्य अध्ययन एवं रक्षा प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा) पाठ्यक्रम संचालित करता है।
4. महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय - रोहतक -124001, हरियाणा, रक्षा और युद्ध नीति अध्ययन विभाग एमए, पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित करता है।
5. यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास - चेपॉक कैम्पस, ट्रिपलीकेन, पो.आ. - चेन्नई- 600005, तमिलनाडु, रक्षा एवं युद्धनीति अध्ययन विभाग एमए, एमफिल, पीएचडी में पाठ्क्रम संचालित करता है
6. पुणे विश्वविद्यालय - पुणे-411007, महाराष्ट्र, रक्षा एवं युद्धनीति अध्ययन विभाग एमए/एमएससी, एमफिल, पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित करता है
7. पंजाब विश्वविद्यालय रु चंडीगढ़- 160014, रक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन केन्द्र एमए, पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित करता है।
8. पंजाबी विश्वविद्यालय रु पटियाला -147002, पंजाब, रक्षा एवं युद्धनीति अध्ययन विभाग एमए, एमफिल, पीएचडी कार्यक्रम संचालित करता है।
9. छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय - कल्याणपुर-208024, कानपुर, उत्तर प्रदेश, सैन्य अध्ययन में बीए/बीएससी, एमए/एमएससी, पीएचडी कार्यक्रम संचालित करता है
10. कलकत्ता विश्वविद्यालय - सीनेट हाउस 87/1, कालेज स्ट्रीट, कलकत्ता-700073, पश्चिम बंगाल, सैन्य अध्ययन में बीए (एनसीसी उम्मीदवारों हेतु एक विकल्प) पाठ्यक्रम संचालित करता है.
11. एमजेपी रोहिलखण्ड विश्वविद्यालय डोरीलाल अग्रवाल मार्ग, विश्वविद्यालय परिसर, बरेली-243001, उत्तर प्रदेश, सैन्य अध्ययन एवं सैन्य विज्ञान में बीए/बीएससी, एमए/एमएससी,
पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित करता है।
12. मणिपुर विश्ववि+ालय - कांचिपुर, इम्फाल-795003, मणिपुर, रक्षा अध्ययन में बीए/बीएससी पाठ्यक्रम संचालित करता है
13. नॉर्थ महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी - रु पो.आबॉक्स नं. 80, उमाविनगर, जलगांव- 425002, महाराष्ट्र, रक्षा एवं युद्धनीति
अध्ययन में बीए/बीएससी, एमए/ एमएससी, पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित करती है।
14. त्रिपुरा विश्वविद्यालय - पो.आअगरतला कालेज, त्रिपुरा पश्चिम, सूर्यामणि नगर, अगरतला-799004, रक्षा अध्ययन में बीए/बीएससी पाठ्यक्रम संचालित करता है।
15. ओस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद भी रक्षा प्रबंधन में मास्टर पाठ्यक्रम संचालित करता है।
16. लखनऊ विश्वविद्यालय में भी सैन्य विज्ञान विभाग है।
17. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली-110067, अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय, पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित करता है,
सूची सांकेतिक है।
(लेखक पत्राचार अध्ययन विभाग, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला में रक्षा एवं युद्धनीति अध्ययन के प्रवक्ता हैं)

  

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