खाद्य विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में शिक्षा और रोजगार की संभावनाए
खाद्य विज्ञान खाद्य के सभी तकनीकी पहलुओं से जुड़ा एक ऐसा विषयक्षेत्र है जो फसल की कटाई से शुरू होता है तथा इसके पकाने और खपत के साथसम्पन्न होता है। इसे कृषि विज्ञानों की एकशाखा माना जाता है और सामान्यतः यहपोषण के क्षेत्र से थोड़ा भिन्न है। खाद्यवैज्ञानिकों की गतिविधियों में नए खाद्य उत्पादों का विकास, इनको तैयार करने सेसंबंधित प्रक्रियाएं, पैकेजिंग मैटीरियल काचयन, शेल्फ़-लाइफ अध्ययन तथा प्रशिक्षितविशेषज्ञ पैनल या प्रभावकारी उपभोक्ताओंकेसाथ-साथ सूक्ष्मजैविकीय तथारासायनिक परीक्षणों से उत्पादों का संवेदीमूल्यांकन सम्मिलित है। विश्वविद्यालयों मेंखाद्य वैज्ञानिक और अधिक मौलिक प्रतिमानोंका अध्ययन कर सकते हैं जो कि सीधे तौर पर विशिष्ट खाद्य उत्पाद तथा इसके गुणोंसे जुड़े हैं। दरअसल खाद्य विज्ञान एकउच्चतम अन्तर-विषयक अनुप्रयुक्त विज्ञानहै. यह सूक्ष्मजीव विज्ञान, रासायनिक इंजीनियरी, जैव रसायन विज्ञान तथा कईअन्य विज्ञानों सहित विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ाव्यापक क्षेत्र है।खाद्य विज्ञान के कुछ उप-क्षेत्र हैं
:स खाद्य सुरक्षा या खाद्य सूक्ष्मजीव विज्ञान-खाद्य पदार्थों के कारण होने वालीबीमारी के कारण तथा बचाव।स खाद्य संरक्षण - गुणवत्ता निम्नीकरण केकारण तथा बचाव। खाद्य इंजीनियरी - खाद्य पदार्थों के विनिर्माण में प्रयुक्त होने वाली औद्योगिक प्रक्रियाएं।
स उत्पाद विकास - नए खाद्य उत्पादों की खोज। स विश्लेषण संवेदनशीलता संबंधी - इस
बात का अध्ययन कि खाद्य पदार्थ को उपभोक्ता की चेतना किस प्रकार स स्वीकार करती हैंस
फूड-कैमिस्ट्री-खाद्य का आणविक संयोजन तथा इन आणुओं का रासायनिक क्रियाओं में योगदान।
स फूड पैकेजिंग - इस बात का अध्ययन कि खाद्य पदार्थों को प्रोसेसिंग क उपरांत सुरक्षित रखने के लिए कैसे पैक किया जाना चाहिए। स मालिक्यूलर गैसट्रोनोमी- पाक व्यवस्था तथा स्वादिष्ट व्यंजनों के व्यवहार तथा अधिक स्वाद-लोलुपता के लिए विज्ञान का अनुप्रयोग। स खाद्य प्रौद्योगिकी - प्रौद्योगिकी पहलू। मनुष्य का जीवन श्वास के बाद भोजन और स्वास्थ्य पर पूरी तरह निर्भर होता है तथा हमें स्वस्थ रखने में खाद्य विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के महत्व को, कभी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। आजकल की भाग-दौड़ के जीवन ने हमारे देश म सुविधाजनक रूप से उपलब्ध भोजन या
फास्ट-फूड संस्कृति को बहुत अधिक लोकप्रिय बना दिया है। एक ओर जहा इसने डिब्बाबंद और संसाधित भोजन की मांग में वृद्धि की है तो दूसरी तरफ इसन उपभोक्ता को गुणवत्ता तथा पोषण के प्रति अधिक जागरुक बना दिया है। इन सब कारणों से भारत में खाद्य संसाधन उद्योग का भविष्य बहुत उत्साहवर्द्धक प्रतीत होता है। खाद्य संसाधन उद्योग में मौलिक खाद्यपदार्थ जैसे गेहूं और चावल उत्पाद तथा उन्हें खाने योग्य बनाने की प्रक्रिया सम्मिलित हैं, इसके अलावा संसाधित
भोजन जैसे कि बेकरी और कन्फेक्शनरी उत्पाद, डेरी उत्पाद, मांस और मछली उत्पाद, फल और सब्जियों के उत्पाद आदि जिन्हें संसाधित और पैक करके लंबे समय तक खाने योग्य रखा जा सकता है। इस प्रौद्योगिकी ने सचमुच में हमारे देश के लोगो के लिए उनके घरों में ही पका पकाया और आकर्षक रूप में पैक किया हुआ भोजन उपलब्ध करवाकर उनकी खाने-पीने की आदतों में क्रान्तिकारी परिवर्तन ला दिया है। दरअसल यह भोजन देश में कई परिवारों की प्रतिष्ठा का चिह्न भी बन गया है। शिक्षण संस्थान तथा पात्रता भारत में अब कई विश्वविद्यालय खाद्य विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी में डिग्री पाठ्यक्रम संचालित करते हैं। कुछ ऐसे भी संस्थान हैं जो कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी (पीएचटी) जैसे खाद्य संसाधन के विशेषीकृत पहलुओं में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित करते हैं। १०+२ स्तर पर भौतिकी, रसायन शास्त्र तथा गणित (पीसीएम) या भौतिकी, रसायन शास्त्र तथा जीव विज्ञान या कृषि विषय रखने वाले छात्र खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी गृह विज्ञान आदि में स्नातकपूर्व पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकते हैं। लेकिन एमएससी (खाद्य विज्ञान/खाद्य प्रौद्योगिकी) में प्रवेश
पाने के लिए पात्रता योग्यता बीएससी है (खाद्य विज्ञान/खाद्य प्रौद्योगिकी विषयों का प्रमुख पाठ्यक्रमों के रूप में स्नातक डिग्री पूर्व कार्यक्रम में अध्ययन किया हो)
कुछ विश्वविद्यालय/संस्थान तथा उनमें उपलब्ध पाठ्यक्रम
क्र.सं. पाठ्यक्रम का नाम विश्वविद्यालय/संस्थान का नाम
१. खाद्य प्रौद्योगिकी के साथ बीएससी दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली-११०००७
२. खाद्य प्रौद्योगिकी के साथ बीएससी मणिपुर विश्वविद्यालय, इम्फाल-७९५००३
३. खाद्य और पोषण के साथ बीएससी डॉ. बाबा साहेब अंम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय,
औरंगाबाद-४३१००४
४. खाद्य प्रौद्योगिकी के साथ बीएससी महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, प्रियदर्शिनी हिल्स पो.आ.,
कोट्टयम-६८६५६०
५. खाद्य और पोषण के साथ बीएससी काकतीय विश्वविद्यालय, वरंगल-५०६००९
६. खाद्य और पोषण के साथ बीएससी कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकत्ता-७०००७३
७. खाद्य विश्लेषण तथा गुणवत्ता आश्वासन/खाद्य मैसूर विश्वविद्यालय, क्राफोर्ड हाल, मैसूर-५७०००५
विज्ञान प्रौद्योगिकी में डिप्लोमा पाठ्यक्रम
८. खाद्य संरक्षण के साथ बीएससी मद्रास विश्वविद्यालय, मद्रास-६००००५
९. खाद्य प्रौद्योगिकी के साथ बीएससी मणिपुर विश्वविद्यालय, इम्फाल-७९५००३
१०. बी. टैक (खाद्य इंजीनियरिंग) चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, जिला सतना-४८५३३१
११. बी. टैक (खाद्य इंजीनियरिंग) कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर-२०८०२४ (उ.प्र.) (एमटेक भी
उपलब्ध है)
१२. बी. टैक (खाद्य इंजीनियरिंग) जादवपुर विश्वविद्यालय (बीएससी उपरांत) कोलकत्ता-७०००३२
१३. बी. टैक (खाद्य प्रौद्योगिकी) हरकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी संस्थान (एचबीटीआई), कानपुर-२०८००२
१४. बीएससी टेक. (बीएससी उपरांत) नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर-४४०००१
१५. बीएससी टेक. (बीएससी उपरांत) बम्बई विश्वविद्यालय, फोर्ट, मुंबई-४०००३२
१६. एमएससी टेक. (फूड टेक. और फर्मेन्टेशन टेक.) बम्बई विश्वविद्यालय, फोर्ट, मुंबई-४०००३२
१७. एमएससी (खाद्य विज्ञान) आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखपट्टणम-५३०००३ (आं.प्र.)
१८. एमएससी खाद्य प्रौद्योगिकी गोविंद वल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर-२६३१४५
(उत्तरांखड)
१९. एमएससी (खाद्य और पोषण) गोविंद वल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर-२६३१४५ (उत्तरांखड)
२०. एमएससी (फूड एवं फर्मेन्टेशन टेक्नोलॉजी तथा गुरु नानक देव खाद्य विज्ञान) विश्वविद्यालय,
अमृतसर १४३००५ (पंजाब)
२१. एमएससी (खाद्य एवं पोषण) तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयम्बत्तूर-६४१००३
२२. एमएससी (खाद्य और पोषण) कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, कृषि नगर, धारवाड़-५८०००५
२३. एमएससी (खाद्य एवं पोषण) मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर
२४. खाद्य विज्ञान संरक्षण/प्रबंधन तथा खाद्य विज्ञान प्रौद्योगिकीएसएनडीटी वूमैन्स विश्वविद्यालय, १ नाथीबाई ठाकरसे रोड, मुंबई-४०००२०
२५. खाद्य विज्ञान संसाधन/प्रबंध और खाद्य विज्ञान तथा प्रौद्योगिकीमद्रास विश्वविद्यालय, सेंटेनरी ऑफ मद्रास, सेंटेनरी बिल्डिंग, चेपॉक, चेन्नई-६००००५
२६. एमएससी खाद्य प्रौद्योगिकी गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार
२७. एमएसससी खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुप्रयुक्त विज्ञान संस्थान, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ-२००००५
२८. एमएससी खाद्य प्रौद्योगिकी केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकीय अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई), मैसूर-
५७००१३
२९. लघु अवधि पाठ्यक्रमों के प्रमुख क्षेत्र : केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकीय अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई)
स गुणवत्ता विश्लेषण और स्तर मैसूर-५७००१३
स फल और सब्जी उत्पाद प्रौद्योगिकी
स ताजा फलों तथा सब्जियों का कटाई उपरांत रखरखाव स मांस और मछली उत्पाद प्रौद्योगिकी रखरखाव
स जन्तु बाधा नियंत्रण और कीटनाशक
स गेहूं मिलिंग एवं बेकिंग प्रौद्योगिकी
स खाद्य पदार्थों का सूक्ष्मजैविकीय गुणवत्ता नियंत्रण
स चावल प्रौद्योगिकी
स खाद्य पैकेजिंग
स कन्फेक्शनरी प्रौद्योगिकी
स सेकेंडरी मैटेबॉलिटस का कोशिका और टिश्यूजरिए कल्चर के उत्पादन
स खाद्य प्रसंस्करण उपकरण
स खाद्यानों का भण्डारण
स खाद्य फ्लेवर और मसाले
स खाद्य विश्लेषण की उपकरणीय पद्धति
स मूल्य संवर्द्धन के लिए तिलहनों की प्रोसेसिंग
स मसालों तथा मसाला उत्पादों की प्रोसेसिंग और विश्लेषण
स खाद्य उद्योगों के लिए गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली (आईएसओ ९०००-संबंधी)
स खाद्य जैव-प्रौद्योगिकी
३०. एमएससी (कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी) भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली-११००१२
रोज़गार की संभावनाएं खाद्य प्रसंस्कण उद्योग तेजी से विकसित हो रहा क्षेत्र है जिसके तहत भारत और विदेश में रोजगार की अच्छी संभावनाएं है। संसाधित और संरक्षित खाद्य पदार्थों ने शहरी जनसंख्या के एक बड़े भाग की खाने-पीने की आदतों में परिवर्तन ला दिया है। भरण-पोषण क लिए खाने मात्र से अब लोग मूल्य-वर्द्धित भोजन'' के रूप में अपनी खुराक लेने को वरीयता देते हैं। जनसंख्या के विभिन्न भागों में संसाधित भोजन की खपत तथा बाहर खाने'' की प्रवृत्ति में अत्यधिक वृद्धि हुई है। इन स्थितियों में संसाधित भोजन का बाजार अत्यधिक विकसित हो रहा है। ताजा अनुमानों के अनुसार यह तथ्य काफी रोचक है कि खाद्य उद्योग देश में पांचवां सबसे बड़ा उद्योग'' है। इसमें २० लाख लोगों के लिए रोजगार सृजन हुआ है तथा हर वर्ष २.५ लाख नए रोजगार उपलब्ध होने का अनुमान है। इसके अलावा बहुत से उन्नत देशों में यह सबसे बड़ा उद्योग है। स्पष्ट रूप से कहा जाए तो इस विकास को देखते हुए प्रसंस्करण, रिटेलिंग तथा सहकारिताएं स्थापित करने के वास्ते निवेश तथा पुनर्गठन की आवश्यकता है। इस औजार का व्यापक रूप से कृषि क्षेत्र को पटरी पर लाने के लिए भी किया जाता है जिससे खाद्य प्रौद्योगिकी उद्योग के विकास को बढ़ावा मिलता है। खाद्य उत्पादन, खरीद, संसाधन,वितरण नेटवर्क और रिटेलिंग आदि में यह क्षेत्र बड़ी संख्या में एकीकृत रूप से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। सरकार की मुक्त बाजार नीतियों तथा वैश्वीकरण से इस उद्योग ने भी बहुराष्ट्रीय साझेदारी को आकर्षित किया है। सरकार से भी मान्यता प्राप्त यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। कहने की आवश्यकता नहीं है, यह उद्योग योग्य खाद्य प्रौद्योगिकिविदों को रोजगार के जबर्दस्त अवसर प्रदान कर रहा है। खाद्य प्रौद्योगिकीविदों के लिए व्यापक अवसर हैं, विशेषकर प्रसंस्करण उद्योगों, होटलों, खाद्य उद्योगों, गुणवत्ता नियंत्रण, औषधीय उद्योग, जैव-रासायनिक इंजीनियरी, मसाला, अनाज तथा चावल मिलों आदि के साथ-साथ अस्पतालों, पैकेजिंग उद्योगों, डिस्टीलरी, बेकरी उद्योग, सॉफ्ट ड्रिंक निर्माणियों में इनके लिए रोजगार के बेहतरीन अवसर हैं। देश में इस समय नीचे वर्णित अनुपात में विभिन्न प्रकार के रोजगार उपलब्ध हैं :-
१. फैक्टरी उत्पादन : ६०ः
२. अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) : १५ः
३. सरकारी प्रयोगशालाएं : ३ः
४. शिक्षण : २ः
५. अन्य रोजगार : २०ः
पारिश्रमिक आजकल एक खाद्य वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद् बनना सफल कॅरिअर है तथा यह तेजी से उभरता क्षेत्र है। खाद्य विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी म स्नातकपूर्व डिग्री पाठ्यक्रम में सफल व्यक्ति फ्रेशर/प्रशिक्षु १०००० रु. से १८००० रु. तक प्रति माह वेतन प्राप्त कर सकता है। लेकिन एक
मास्टर डिग्री धारक प्रतिमाह १५००० रु. से २५००० रु. प्रतिमाह की रेंज में वेतन प्राप्त कर सकता है। आज स्थिति यह है कि इस क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के प्रवेश ने रोजगार के अवसरों को बढ़ा दिया है तथा आकर्षक वेतन प्राप्त हो रहा है। यहां तक कि भारत सरकार द्वारा कुछ सब्सिडी
और राष्ट्रीयकृत बैंकों के जरिए ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है ताकि योग्य खाद्य वैज्ञानिकों तथा प्रौद्योगिकीविदों को स्वयं के उद्यमशीलता कार्यक्रम शुरु करने के वास्ते बढ़ावा मिले। खाद्य विज्ञान प्रौद्योगिकीविद के रूप में कुछ विशेषज्ञता हासिल करने के उपरांत आपके लिए उज्ज्वल अवसर उपलब्ध हो सकते हैं तथा जहां तक वेतन और अन्य लाभों का संबंध है, इसकी कोई सीमा नहीं है।
(प्रथम लेखक अनुप्रयुक्त विज्ञान संस्थान, चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश में एमएससी (खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) के छात्र हैं तथा दूसरे लेखक जी.बी पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उत्तराखण्ड के पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान महाविद्यालय, पशु पोषणविभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं)
रोजगार परामर्श
प्रश्न १ : मैं रसायन विज्ञान (आर्गेनिक कैमिस्ट्री) में स्नातकोत्तर हूं तथा बीएचयूस अनुसंधान कर रहा हूं। कृपया एक अच्छा रोजगार ढूंढने में मेरी सहायता करें। आप रोजगार की तलाश के लिए प्रमुख
समाचार-पत्रों में प्रकाशित होने वाली भर्ती अधिसूचनाओं, ऑन जॉब साइटों तथा संभावित नियोक्ताओं की वेबसाइटों को देखते रहें। आप अपने वरिष्ठ सहयोगियों,संकाय सदस्यों तथा उद्योगों से परामर्श
करके भी मार्ग-दर्शन प्राप्त कर सकते हैं। - जयंती घोष
प्रश्न २ : मैं बीएससी सीएस के अंतिम सेमेस्टर में हूं। मुझे कैम्पस साक्षात्कार के जरिए एक प्रमुख बहुराष्ट्रीय कम्पनी में रोजगार प्राप्त हुआ है। मैं ऑनलाइन सर्टिफिकेशन्स करना चाहता हूं। कृपया मुझे कुछ संबंधित वेबसाइटों का पता बताएं?
आप अपेक्षित सूचना के लिए ूूूण्बकंब दवपकंण्पद का अवलोकन कर सकते हैं। -हिना नक्वी
प्रश्न ३ : मैं रेल परिवहन एवं प्रबंधन में कोई पाठ्यक्रम या डिग्री का अध्ययन करना चाहता हूं। कृपया मुझे इन पाठ्यक्रमों को संचालित करने वाले संस्थान का पता बताएं?
भारतीय रेलवे स्नातकपूर्ण पाठ्यक्रम संचालित करती है जिसे स्पेशल क्लास रेलवे अपे्रंटिस
(एससीआरए) कहा जाता है। लिखित परीक्षा के अंतर्गत गणित, भौतिकी, रसायन शास्त्र, अंग्रेजी भाषा, सामान्य ज्ञान तथा मनोवैज्ञानिक परीक्षा (मानसिक योग्यता) आयोजित की जाती है। चयनित उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता ह जिसके बाद मेडिकल होता है। परीक्षा का
स्तर ग्प्प् श्रेणी (सीबीएसई के समकक्ष) का होता है। परीक्षा की सूचना और फार्म तथा
पाठ्यक्रम आदि की घोषणा सं.लो.से.आ. द्वारा जून-जुलाई में की जाती है। रेल मंत्रालय के नए नियमों के अनुसार परीक्षा अब प्रत्येक दो वर्ष में आयोजित की जाती है। चयनित उम्मीदवारों को यांत्रिक इंजीनियरिंग में चार वर्ष का प्रशिक्षण लेना होता है जिसक लिए बीआईटी, मेसरा, रांची के साथ
समझौता किया गया है। अवकाश के दिनों में बीआईटी, मेसरा में कार्यशाला प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है। आप विवरण के लिए ूूूण्पतपउममण्ंबण्पदध्ेबतंध ेबतंण्ीजउस का अवलोकन कर सकते हैं।
- हिना नक्वी