न्यायालयीय विज्ञान में रोज़गार के अवसर - डॉ. के. जयप्रकाश
फ़ॉरेंसिक साइंस अर्थात न्यायालयीय विज्ञान मुख्यतः अपराध की जांच के लिए वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुप्रयोग से संबंधित है। फॉरेंसिक वैज्ञानिक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से अपराध स्थल से एकत्र किए गए सुरागों को अदालत में प्रस्तुत करने के वास्ते स्वीकार्य सबूत के तौर पर इन्हें परिवर्तित करते हैं। यह प्रक्रिया अदालतों या कानूनी कार्यवाहियों में विज्ञान का प्रयोग या अनुप्रयोग है। जिज्ञासु और जीवंत प्रकृति के व्यक्तियों के लिए यह एक रोचक और चुनौतीपूर्ण व्यवसाय है। फ़ॉरेंसिक वैज्ञानिक अपराध स्थल से एकत्र किए जाने वाले प्रभावित व्यक्ति के शारीरिक सबूतों का, विश्लेषण करते हैं तथा संदिग्ध व्यक्ति से संबंधित सबूतों से उसकी तुलना करते हैं और न्यायालय में विशेषज्ञ प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। इन सबूतों में रक्त के चिह्न, लार, शरीर का अन्य कोई तरल पदार्थ, बाल, उंगलियों के निशान, जूते तथा टायरों के निशान, विस्फोटक, जहर, रक्त और पेशाब के ऊतक आदि सम्मिलित हो सकते हैं। उनकी विशेषज्ञता इन सबूतों के प्रयोग से तथ्य निर्धारण करने में ही निहित होती है। उन्हें अपनी जांच की रिपोर्ट तैयार करनी पड़ती है तथा सबूत देने के लिए अदालत में पेश होना पड़ता है। वे अदालत में स्वीकार्य वैज्ञानिक सबूत उपलब्ध कराने के लिए पुलिस के साथ निकटता से काम करते हैं।
शिक्षा : न्यायालयीय विज्ञान में मास्टर्स पाठ्यक्रम का अध्ययन करने के लिए आप स्नातक होने चाहिएं - वरीयतन भौतिकी, रसायन विज्ञान, प्राणि-विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जैव-रसायन विज्ञान, सूक्ष्मजीव विज्ञान, बी.फार्मा, बीडीएस या अनप्रयुक्त विज्ञान में प्रथम श्रेणी में स्नातक योग्यता अर्जित की हो। मृत्यु के कारणों का पता लगाने के लिए मृतकों के शवों का परीक्षण करने हेतु विशेषज्ञ बनने के लिए आपको सबसे पहले एमबीबीएस डिग्री प्राप्त करनी चाहिए और इसके उपरांत
न्यायालयीय विज्ञान में एमडी कर सकते हैं। सभी भारतीय विश्वविद्यालय जो एमबीबीएस पाठ्यक्रम संचालित करते हैं, न्यायालयीय विज्ञान में एमडी का अध्ययन कराया जाता है।
अनुसंधान के लिए : 30 वर्ष से कम आयु के भारतीय नागरिक जिन्होंने भौतिक विज्ञान/ रसायन विज्ञान/जैव-रसायन विज्ञान/ मानव विज्ञान/प्राणि विज्ञान/आनुवंशिकी जैव-विज्ञान/गणित (बैचलर डिग्री स्तर पर भौतिकी को एक विषय रखते हुए)/जैव प्रौद्योगिकी सूक्ष्मजीव विज्ञान/कम्प्यूटर विज्ञान/कम्प्यूटर इंजीनियरी/न्यायालयीय मनोविज्ञान आदि में से किसी एक विषय में मास्टर्स डिग्री में प्रथम श्रेणी अंक अर्जित किए हों या समान विषयों में एम.फिल योग्यता, जो भी किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय की पीएचडी डिग्री के लिए अनिवार्य हो।
व्यक्तिगत गुण : जिज्ञासु प्रकृति तथा विशुद्धता के प्रति उद्विग्नता ऐसे मुख्य गुण हैं जो कि इस क्षेत्र के लिए अपेक्षित होते हैं। उनकी तीक्ष्ण प्रेक्षण क्षमता, बुद्धिमत्ता, विस्तार से जानने की ललक, टीम भावना के साथ कार्य करने की क्षमता और युक्तिसंगत, व्यावहारिक तथा सुव्यवस्थित दृष्टि कोण होना चाहिए। वैज्ञानिक विश्लेषणों की अभिरुचि अनिवार्य है। कुछ प्रयोग- शालाओं के लिए अच्छी रंग दृष्टि का होना अपेक्षित है। आपराधिक रिकार्ड या शराब/नशीले पदार्थों के सेवन का इतिहास उनके बहिष्करण का कारण बन सकता है।
रोज्+ागार की संभावनाएं :
वे कानून लागू करने वाली एजेंसियों, पुलिस, विधि व्यवस्था तथा सरकारी जांच सेवाओं और यहां तक कि निजी एजेंसियों में भी रोज्+ागार प्राप्त कर सकते हैं। वे उन संस्थानों में शिक्षक के रूप में भी कार्य कर सकते हैं जो इस विषय से संबंधित पाठ्यक्रम संचालित करते हैं। न्यायालयीय वैज्ञानिकों के लिए सरकारी संगठनों जैसे कि आसूचना ब्यूरो (आईबी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तथा राज्य पुलिस बलों के अपराध प्रकोष्ठों में जांच अधिकारियों के रूप में अवसर उपलब्ध हैं। न्यायालयीय विशेषज्ञ न्यायालयीय प्रयोगशालाओं में अनिवार्यतः कार्य करते हैं
और कई बार अपराधी तथा अपराध के बीच संपर्क स्थापित करने के वास्ते निजी गुप्तचर एजेंसियों में भी वे काम करते हैं।
कॅरिअर के विकल्प
न्यायालयीय विशेषज्ञों के लिए बहुत से विकल्प मौजूद हैं। वे विभिन्न विषयों में जैसे कि चिकित्सा, इंजीनियरिंग अंगुलिछाप, कीट अध्ययन, भाषाओं, भू-विज्ञान आदि में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं।
अपराध के घटनास्थल की जांच : घटनास्थल की जांच में सुरक्षा, संदूषण से बचाव, सबूतों से जुड़ी, वस्तुओं का पता लगाना और उन्हें एकत्र करना, सबूतों की व्याख्या तथा घटना के पुनः निर्माण की संभावना आदि से जुड़े मुद्दे आते हैं। ये घटनास्थल एक साधारण घर में लगी आग से लेकर बहु-मंजिला इमारतों या शहर में हुई गोलीबारी से जुड़े घटनास्थल तक हो सकते हैं।
अपेक्षित योग्यता : न्यायालयीय अन्वेषण में डिप्लोमा या न्यायालयीय अन्वेषण में डिग्री या विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान में डिग्री।
न्यायालयीय रोग विज्ञान/चिकित्सा :
न्यायालयीय रोग-विज्ञानी संदिग्ध हत्या या आत्महत्या के मामलों में मृत्यु के कारणों तथा समय का निर्धारण करते हैं। इसके अंतर्गत मृत्यु के कारण तथा तरीके के निर्धारण के लिए शवों के परीक्षण का कार्य आता है (अर्थात अचानक तथा असंभावित मृत्यु या दुर्घटना या चोट, आत्महत्या या मानववध)।
अपेक्षित योग्यता : चिकित्सा डिग्री (एमबीबीएस) साथ में एमडी या न्यायालयीय विज्ञान में उपयुक्त स्नातकोत्तर योग्यताएं।
न्यायालयीय मानव विज्ञान : न्यायालयीय मानव विज्ञानी अपने मानवीय कंकाल रचना के ज्ञान का उपयोग कंकाल की अस्थियों की पहचान के लिए करते हैं। उन्हें व्यक्ति विशेष की हत्याओं या आपदा में मारे गए व्यक्तियों, जैसे कि विमान दुर्घटना, विस्फोट, अग्निकांड और अन्य इसी तरह की दुर्घटनाओं में मारे गए व्यक्तियों की पहचान के लिए बुलाया जाता है जहां बड़ी संख्या में मृत शरीर पड़े होते हैं। वे मृतक की आयु, लिंग, वंश, मूर्त और विशिष्ट पहलुओं की पहचान भी कर सकते हैं।
अपेक्षित योग्यता : मानव विज्ञान में पीएच.डी साथ में मानव अस्थिविज्ञान तथा संरचना के अध्ययन पर जोर दिया गया हो या मेडिकल डिग्री (एमबीबीएस) साथ में उपयुक्त स्नातकोत्तर योग्यता।
न्यायालयीय मनोविज्ञान और मनोविकृति विज्ञान : मनोविकृति-विज्ञान और मनोविज्ञान इस बात की जांच से संबंधित हैं कि क्या किसी कथित अपराध की घटना के पीछे कोई मानसिक विकृति या स्थिति तो जिम्मेदार नहीं थी; अथवा कोई व्यक्ति ट्रायल के लिए मानसिक रूप से योग्य है या नहीं। साथ ही अपराध के लिए दोषी पाए गए मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों का इलाज करना। न्यायालीय मनोवैज्ञानिक ही एक ऐसा मनोवैज्ञानिक होता है जो कि प्रशिक्षण या अनुभव के कारण किसी अदालत या तथ्यों की जांच करने वाली एजेंसी को सही निष्कर्ष
या फैसले करने में मददगार हो सकता है। न्यायालयीय मनोवैज्ञानिकों या मनोविकृति वैज्ञानिकों को किसी हत्या के स्थान पर हत्यारे की संभावित मनःस्थिति का पता लगाने के लिए प्रोफ़ाइल तैयार करने हेतु बुलाया जा सकता है।
अपेक्षित योग्यता : मेडिकल डिग्री (एमबीबीएस), साथ में उपयुक्त स्नातकोत्तर योग्यताएं।
न्यायालयीय दन्तचिकित्सा (दन्त विज्ञान): यह दन्तचिकित्सा की एक शाखा है जिसके अंतर्गत क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों के अधिकारियों तथा सिविल और आपराधिक कार्यवाहियों में दंत्य सबूतों के संग्रहण, मूल्यांकन तथा उपयुक्त रखरखाव से जुड़े कार्य आते हैं। दन्तविज्ञानी की भूमिका में शरीर और बची हुई अस्थियों से दन्त्य रिकार्ड एकत्र करना, खोपड़ी से पुनः चेहरे का निर्माण करना तथा जहां संभव हो दंश चिह्नों की व्याख्या करना शामिल है।
अपेक्षित योग्यता : दन्त चिकित्सा में डिग्री, न्यायालयीय दन्त विज्ञान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा।
क्लीनिकल न्यायालयीय चिकित्सा : क्लीनिकल न्यायालयीय चिकित्सा में शामिल व्यक्तियों को अन्य बातों के अलावा अपराध से प्रभावितों की तथा ऐसे संदिग्ध व्यक्ति की जांच करनी होती है, जिसे आपराधिक कार्रवाई करते समय हो सकता है कोई चोट आदि लगी हो। वे चोट लगने के संभावित कारणों तथा समय जैसे अपने निष्कर्षों की व्याख्या करते हैं।
अपेक्षित योग्यता : मेडिकल डिग्री (एमबीबीएस), साथ में उपयुक्त स्नातकोत्तर योग्यता।
न्यायालयीय सीरम विज्ञान : न्यायालयीय सीरम विज्ञान अपराध के पश्चात् अपराधी की पहचान के उद्देश्य से किया जाने वाला रक्त समूह, रक्त और अन्य शारीरिक तरल पदार्थों का अध्ययन है। न्यायालयीय सीरम विज्ञानी उंगलियों के निशानों का डीएनए परीक्षण भी करते हैं, जिसके जरिए किसी व्यक्ति के रक्त या वीर्य से सकारात्मक पहचान की संभावना होती है।
न्यायालयीय कैमिस्ट : इससे संबंधित कार्य क्षेत्रों में निषिद्ध औषधियों की पहचान तथा खोज, आगजनी के मामलों, विस्फोट तथा बंदूक की गोली के अवशेषों से उनमें प्रयुक्त विस्फोटक सामग्री की जांच करना और पेंट, ग्लास, पोलीमर तथा फाइबर सहित विभिन्न सबूतों का पता लगाना शामिल है।
अपेक्षित योग्यता : विश्लेषणात्मक, अनुप्रयुक्त या न्यायालयीय रसायन विज्ञान को प्रमुख विषय के रूप में रखते हुए विज्ञान में डिग्री।
न्यायालयीय भाषा विज्ञान : न्यायालयीय भाषा विज्ञानी लिखित या मौखिक संप्रेषण की विषय-वस्तु का विश्लेषण करते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन व्यक्ति बोल रहा है तथा यह निर्धारित किया जा सके कि दोनों बातें एक ही व्यक्ति द्वारा कहीं गई हैं। अपहरण के मामलों में यह बहुत महत्वपूर्ण है।
अस्त्र विज्ञान : अस्त्र-विज्ञान अस्त्रों के उड़ान मार्ग का अध्ययन है, लेकिन आधुनिक अस्त्र विज्ञान में अब आग्नेय अस्त्रों से जुड़ी सभी कार्रवाइयों का अध्ययन शामिल है। इसके अंतर्गत किसी विशिष्ट लक्ष्य को भेदने के वास्ते चलाई गई गोली के कोण तथा दूरी का निर्धारण शामिल है।
अपेक्षित योग्यता : मुख्य संगत विषय रखते हुए विज्ञान में डिग्री, न्यायालयीय अन्वेषण में डिप्लोमा, न्यायालयीय अन्वेषण में डिग्री।
न्यायालयीय इंजीनियर : इसके अंतर्गत यातायात दुर्घटनाओं, अग्निकांड की जांच तथा विभिन्न प्रकार की चोट लगने की घटनाओं संबंधी छानबीन आती है। इंजीनियरों को विफलता के विश्लेषण, दुर्घटना पुनर्निर्माण, अग्निकांड या विस्फोटों के मूल कारणों तथा निर्माण या विनिर्माण आदि के गुणवत्ता के मूल्यांकन कार्य में शामिल किया जाता है।
योग्यता: इंजीनियरी में डिग्री, साथ में न्यायालयीय इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर योग्यता।
पारिश्रमिक : विभिन्न सरकारी न्यायालयीय विभागों में सरकारी वेतन-मानों के अनुरूप। सरकारी विभागों में वेतन करीब 8000 रु. प्रति माह से आरंभ होता है तथा रैंक और अनुभव के वर्षों के अनुरूप इसमें वृद्धि होती रहती है। स्नातकोत्तर योग्यताधारी वैज्ञानिक आरंभिक वेतन 12000 रु. - 18000 रु. प्र.मा. की आशा कर सकते हैं जो कि संगठन की प्रकृति पर निर्भर करता है। निजी न्यायालयीय प्रयोगशालाएं कुछ वर्षों का अनुभव रखने वाले वैज्ञानिकों को आकर्षक वेतन पैकेज का प्रस्ताव करते हैं।
न्यायालयीय विज्ञान पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थान
1 न्यायालयीय विज्ञान विभाग, ÷÷फ़ारेंसिक हाउस'', 30-ए, कामराजार सलाई, मायलापुर, चेन्नई-600004।
2 डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, सीनेट हाउस, पालीवाल पार्क, आगरा- 282004।
3 पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला- 147002।
4 दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली-110007।
5 अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई-600025।
6 कर्नाटक विश्वविद्यालय, पावाटे नगर, धारवाड़-580003।
7 डॉक्टर हरिसिंह गौड़ विश्वविद्यालय, गौड़ नगर, सागर-470003।
8 लखनऊ विश्वविद्यालय बादशाह बाग, लखनऊ-226007।
9 पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़।
10 अपराध विज्ञान और न्यायालयीय विज्ञान संस्थान, 4-ई, झण्डेवालान एक्सटेंशन, रानी झांसी रोड, नई दिल्ली-110056।
11 लोक नायक जयप्रकाश नारायण अपराध विज्ञान और न्यायालयीय विज्ञान राष्ट्रीय संस्थान, दिल्ली।
12 केंद्रीय न्यायालयीय प्रयोगशाला, कोलकाता, सीएफआई परिसर, 30 गोराचंद रोड, कोलकाता-700014।
13 गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, कश्मीरी गेट, दिल्ली-110006, भारत।
14 इलाहाबाद कृषि संस्थान, विश्व- विद्यालयवत्, इलाहाबाद।
यह सूची सांकेतिक है।
अनुसंधान कार्य के लिए विकल्प
1 केंद्रीय न्यायालयीय विज्ञान प्रयोगशाला, हैदराबाद, सीएफआई काम्प्लेक्स, रामन्तापुर, हैदराबाद-500013।
2 न्यूट्रान सक्रियता विश्लेषण इकाई, बीएआरसी, मुंबई।
3 केंद्रीय न्यायालयीय विज्ञान प्रयोगशाला, चंड़ीगढ़, सीएफआई कॉम्प्लेक्स, सेक्टर 36ए, चंडीगढ़-160036।
4 केंद्रीय न्यायालयीय प्रयोगशाला, कोलकाता, सीएफआई कॉम्प्लेक्स, 30 गोराचंद रोड, कोलकाता-700014।
(लेखक जैव प्रौद्योगिकी विद्यालय, करुणय विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफ़ेसर हैं)