आधुनिक अर्थव्यवस्था के उत्कृष्ट सृजनों में से एक है- कम्पनी के रूप मे व्यवसाय का संचालन करना। यह व्यवसाय का एक ऐसा स्वरूप है जिसने विधि विज्ञान,प्रबंधन और दर्शनशास्त्रा संकाय में अपनी स्वयं की पहचान कायम की है तथा इनमें से एक व्यवसाय कम्पनी सचिवों का है।
कम्पनी सचिव किसी कम्पनी का एक प्रमुख अधिकारी होता है जो किसी भी निगमित
पफैसले से उत्पन्न विध्कि मामलों के संबंध् में निदेशक मण्डल के सलाहकार के रूप में
कार्य करते हैं। कुल मिलाकर उन पर कम्पनी कानून तथा समय-समय पर लागू अन्य
कानूनी प्रावधनों के अनुपालन का दायित्व रहता है। मुख्यतः कम्पनी सचिव विध्, कर
कानूनों, श्रम कानूनों, आर्थिक कानूनों क संबंध् में अनुपालन अधिकारी होता है और
दिन-ब-दिन उनकी जिम्मेदारियां बढ़ती जा रही हैं। निगमित क्षेत्रा में निर्णय लेने की
प्रक्रिया में उसका महत्वपूर्ण योगदान होता है। कम्पनी अध्नियम, 1956 के अनुरूप
कम्पनी सचिवों की बहुत बड़ी जिम्मेदारिया होती हैं।
हाल के वर्षों के दौरान निगमित क्षेत्रा के तीव्र विकास के कारण कम्पनी सचिवों की सेवाओं
की आवश्यकता में जबर्दस्त वृद्धि हुई है। कम्पनी सचिवों की मांग और आपूर्ति में बड़ा
अंतर है। यह आलेख इस व्यवसाय से जुड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों की जानकारी के लिए
एक संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया गया प्रयास है।
भारत में कम्पनी सचिवों का व्यवसाय कम्पनी सचिव अध्नियम, 1980 के तहत
विनियमित किया जाता है। व्यवसाय के नियमन के लिए भारत सरकार द्वारा इंस्टीट्यूट
ऑपफ कम्पनी सेक्रेटरीज ऑपफ इंडिया नामक संस्थान की स्थापना की गई है। इस व्यवसाय
से जुड़ने के लिए इस संस्थान की सदस्यता आवश्यक है।
संस्थान और क्षेत्राीय परिषद इंस्टीट्यूट ऑपफ कम्पनी सेक्रेटरीज् ऑफ इंडिया ;आईसीएसआईद्ध की एक प्रबंध्न परिषद है जिसमें संस्थान के चयनित वरिष्ठ सदस्य हैं। कार्य में सहायता के लिए भारत के चार मेट्रोपॉलिटन शहरों जैसे कि कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और दिल्ली में क्षेत्रीय परिषदें स्थापित की गई हैं। ये क्षेत्रीय परिषदें इस व्यवसाय से जुड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए केंद्र बिंदु हैं। छात्रों की
सहायता के लिए क्षेत्रीय परिषदों ने भारत के विभिन्न भागों में सहायक स्थापनाएं
खोली हैं। प्रत्येक क्षेत्राीय परिषद पुस्तकालया प्रशिक्षण सुविधओं, संकाय तथा कोचिंग
सुविधओं से सुसज्जित है ताकि छात्रा लाभान्वित हो सकें। क्षेत्रीय परिषदों के तत्वावधन में
छात्रों तथा सदस्यों के लिए नियमित रूप से संगोष्ठियां और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं।
पाठ्यक्रम
कम्पनी सचिव से संबंध्ति पाठ्यक्रम निम्नानुसार तीन चरणों में विभक्त किया गया है :-
1. आधर कार्यक्रम
2. निष्पादन कार्यक्रम
3. व्यवसाय कार्यक्रम
संपूर्ण पाठ्येत्तर गतिविधियों में मसौदा कौशल, विश्लेषणात्मक कौशल जैसे सॉफ्रट कौशल से
युक्त विध्, प्रबंध्न और लेखा का अनुपम संगम है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य ऐसे सक्षम
पेशेवर व्यक्तियों को तैयार करना है जो कम्पनी जगत में उच्चतर सोपानक तक तैनात किए जा
सकें।
आधर कार्यक्रम
यह पाठ्यक्रम का प्रवेश बिंदु है। आधार कार्यक्रम के लिए ऐसा कोई भी उम्मीदवार
आवेदन कर सकता है जिसने भारत में विधि द्वारा स्थापित किसी बोर्ड/विश्वविद्यालय की
वरिष्ठ माध्यमिक ;10+2 या समकक्ष परीक्षा अथवा केंद्र सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त
इसके समकक्ष कोई भी पाठ्यक्रम उत्तीर्ण किया है।
इस कार्यक्रम के तहत निम्नलिखित विषयों का अध्ययन कराया जाता है :
1. अंग्रेजी और व्यवसाय संचार
2. अर्थशास्त्रा और सांख्यिकी
स्थापनाओं द्वारा आयोजित मौखिक कोचिंग के जरिए अध्ययन करना होगा। केवल
सपफलतापूर्वक कोचिंग पूरी होने पर ही छात्रों को कोचिंग पूर्णता प्रमाण-पत्रा जारी किया
जाता है। इस प्रमाण-पत्रा के आधर पर कोई छात्रा वर्ष में दो बार जून और दिसम्बर में
आयोजित की जाने वाली परीक्षा में उपस्थित हो सकता है। परीक्षा में उपस्थित होने से पूर्व
सभी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए एक तिथि निर्धरित होती है।
निष्पादन कार्यक्रम
फाउंडेशन प्रोग्राम उत्तीर्ण करने के उपरांत कोई छात्रा फाउंडेशन प्रोग्राम के लिए स्वयं
का नामांकन करा सकता है। स्नातक/स्नातकोत्तर योग्यताएं रखने वाले उम्मीदवार
कुछेक शर्तों के अधीन फाउंडेशन प्रोग्राम से गुजरे बिना ही सीधे अपना नामांकन करा
सकते हैं। एक्जिक्यूटिव प्रोग्राम को नीचे वर्णित दो माड्यूल्स में विभाजित किया गया है :-
मॉड्यूल- सामान्य और व्यावसायिक कानून कम्पनी खाते, लागत एवं प्रबंध्न लेखा-
शास्त्रा कर कानून मॉड्यूल- कम्पनी कानून आर्थिक और श्रम कानून प्रतिभूति कानून और अनुपालन
छात्रों को या तो डाक कोचिंग अथवा क्षेत्रीय परिषदों/स्थापनाओं द्वारा आयोजित मौखिक
कोचिंग के जरिए संतोषजनक ढंग से अध्ययन करना होगा। कोचिंग के अलावा प्रत्येक छात्रा
को क्षेत्रीय परिषदों/मान्यताप्राप्त सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों द्वारा आयोजित अनिवार्य कम्प्यूटर
प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के उपरांत छात्रों को कोचिंग पूर्णता
प्रमाण-पत्रा जारी किए जाएंगे। सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद छात्रों को वर्ष
में दो बार आयोजित होने वाली परीक्षा में भाग लेना होगा।
व्यावसायिक कार्यक्रम
एक्जिक्यूटिव प्रोग्राम में उत्तीर्ण होने के उपरांत छात्रा को व्यावसायिक कार्यक्रम के लिए
पंजीकरण कराना होगा। यह कार्यक्रम नीचे दिए गए विवरण के अनुसार चार भागों में
विभक्त किया गया है :
मॉड्यूल- कम्पनी सचिवालीय व्यवहार आलेखन, पेशी तथा अभिवचन
मॉड्यूल वित्तीय, खजाना एवं विदेशी मुद्रा प्रबंध्न निगम पुनर्गठन तथा दिवालियापन
मॉड्यूल
रणनीतिक प्रबंध्न, संब(ता और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अग्रिम कर कानून और व्यवहार
मॉड्यूल- अपेक्षित अध्यवसाय और निगमित अनुपालन प्रबंध्न गवर्नेंस, व्यवसाय नीति-शास्त्रा और स्थायित्व कोचिंग पूर्ण करने के लिए निर्धरित अपेक्षाएं एक्जिक्यूटिव प्रोग्राम की तरह हैं। छात्रों को
सभी औपचारिकताएं पूरी करने के उपरांत परीक्षा में उपस्थित होना पड़ेगा। परीक्षा उत्तीर्ण
करने के उपरांत व्यवसाय में प्रवेश का एक मार्ग सापफ हो जाता है।
व्यावहारिक अनुभव और प्रशिक्षण
सभी परीक्षाएं उत्तीर्ण करने के उपरांत छात्रों को संस्थान के अधीन सूची किसी कंपनी
में या संस्थान से किसी कार्यरत कम्पनी सचिव के अधीन 15 माह की अवधि का
व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा। इसके अतिरिक्त उम्मीदवार को तीन माह का
व्यावहारिक प्रशिक्षण भी प्राप्त करना होगा।
अंत में संस्थान के एसोसिएट सदस्य के रूप में नामांकन से पूर्व उम्मीदवार को क्षेत्राीय
परिषद द्वारा आयोजित 15 दिन के सेक्रेटेरियल मॉड्यूलर ट्रेनिंग प्रोग्राम ;एसएमटीपीद्ध में
भाग लेना होगाकम्पनी सचिव के रूप में रोजगार की संभावनाएं
जेसा कि शुरू में ही कहा जा चुका है, कम्पनी सचिवों का व्यवसाय अपने विकास
के चरण में है। कम्पनी सचिव के रूप में कॅरिअर को दो भागों में बांटा जा सकता हैः
रोजगार के रूप में कॅरिअर तथा प्रैक्टिस का कॅरिअर।
रोजगार में कॅरिअर
1. कम्पनी अध्नियम, 1956 की धारा 383ए के अनुसार ऐसी सभी कम्पनियों
को जिनकी कुल भुगतेय पूंजी 2 करोड़ रु. या इससे अध्कि की है, अनिवार्यतः
एक पूर्ण-कालिक कम्पनी सचिव नियुक्त करना होगा। कम्पनी सचिव के रूप में
नियुक्ति के लिए एकमात्रा योग्यता आईसीएसआई की सदस्यता है। इसके
अलावा ऐसी सभी कम्पनियां, जिनके शेयर शेयर-बाजार में सूची हैं, उन्हें
भी अनुपालन अधिकारी के रूप में पूर्ण-कालिक कम्पनी सचिव की नियुक्ति
करनी होगी। भारत में नई-नई कम्पनियों की स्थापना में तेजी से कम्पनी सचिवों
के लिए रोजगार के अवसरों में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी हुई है।
2. इस योग्यता को भारत सरकार ने उच्च-स्तर के पदों पर नियुक्ति के लिए मान्यता प्रदान
की हुई है। भारतीय कम्पनी विध्कि सेवा, एक संगठित समूह के सेवा में भर्ती के
लिए मान्य योग्यताओं में से यह भी एक योग्यता है।
3. कम्पनियों के अलावा, कम्पनी सचिव जैसे पेशेवरों की मांग कई ऐसे संगठनों में बढ़
रही है जो कि बोर्डों, परिषदों या अन्य निगमित व्यवस्था के तहत संचालित हो रहे
हैं। कई बड़ी सहकारी पफर्में भी कम्पनी सचिवों की सेवाएं ले रही हैं।
4. अकादमिक क्षेत्रा में रुचि रखने वाले व्यक्ति इस दिशा में शोध् का कॅरिअर
शुरू कर सकते हैं। 45 से अध्कि विश्वविद्यालयों में कंपनी सचिव की
योग्यता को पीएचडी हेतु मान्यता प्राप्त है। यहां तक कि कई विश्वविद्यालयों ने
वाणिज्य संकाय में प्रवक्ताओं की भर्ती के संबंध् में कम्पनी सचिव की योग्यता को
मान्यता प्रदान की हुई है।
5. व्यावसायिक संगठन, वित्तीय संस्थान, बैंक आदि विभिन्न वरिष्ठ पदों के लिए
कम्पनी सचिवों की भर्ती कर रहे हैं। प्रैक्टिस में कॅरिअर संस्थान से प्रैक्टिस का प्रमाण-पत्रा प्राप्त
करने के उपरांत, प्रैक्टिस का काम शुरू किया जा सकता है। कम्पनी सचिवों को कई
तरह की सेवाएं प्रदान करने के लिए मान्यता प्रदान की गई है। इनमें से कुछेक निम्नानुसार
हैं :-
1. कम्पनी कानून, कम्पनी सचिवों का मार्ग है। कम्पनी अध्नियम, 1956 की धारा 383ए के अनुसार ऐसी सभी कम्पनियों को, जिनकी 2 करोड़ रु. या अध्कि की भुगतेय शेयर पूंजी है,
पूर्ण-कालिक कम्पनी सचिवों की नियुक्ती करना जरूरी है। जिन कम्पनियों की 2
भुगतेय पूंजी 2 करोड़ रु. से कम है, उनहें प्रैक्टिस करने वाले कम्पनी सचिव से
एक अनुपालन प्रमाण-पत्रा प्रस्तुत करना होता है। इससे अवसरों की भरमार हो
गई है।
व्यावसायिक कम्पनी सचिवों को निम्नलिखित
मामलों में मान्यता प्रदान की गई है :
हृ कम्पनी के गठन के समय पफार्म-प् में
घोषणा करना।
हृ सूचीब( कम्पनियों के लिए वार्षिक
विवरणिकाओं पर हस्ताक्षर करना।
हृ प्रबंध्कीय पारिश्रमिक के संबंध् में अनुसूची
ग्प्प्प् की अनुपालन का प्रमाणन।
हृ ई-पफाइलिंग के लिए सभी पफार्मों का
प्री-सर्टिपिफकेशन।
हृ कम्पनी कानून बोर्ड के समक्ष अध्किृत
प्रतिनिध्ि के रूप में कार्य करना।
हृ प्रतिभूति अपीलीय अध्किरण के समक्ष
अध्किृत प्रतिनिध्ि के रूप में कार्य
करना।
हृ जमाकर्ताओं/जमाओं के संबंध् में आंतरिक
लेखापरीक्षक के तौर पर कार्य करना।
2 कर कानूनों के तहत कार्यरत व्यावसायिक
कम्पनी सचिवों को आयकर अध्नियम,
1961, केंद्रीय उत्पाद कर अध्नियम/सीमा
शुल्क अध्नियम, लगभग सभी राज्यों के
मूल्यवर्(ति कर कानून के तहत अधिकरणों
के समक्ष उपस्थित होने के लिए मान्यता
प्रदान की गई है। उन्हें सम्पत्ति कर
अधिनियम, 1956 के अधीन प्रतिभूतियों के
मूल्य निर्धरक के रूप में नियुक्त किया जा
सकता है। कर सलाहकार के रूप में कार्य
करने के भी व्यापक अवसर मौजूद हैं।
3. आजकल बैंक और वित्तीय संस्थान )ण
प्रदान करने से पूर्व सहायता इकाइयों के
सचिवालयीय लेखापरीक्षण का ज्यादा
विश्वास करने लगे हैं। सहायता प्राप्त
इकाइयों की अन्वेषण रिपोर्ट/अनुपालन
रिपोर्ट तैयार करने के लिए कम्पनी सचिवों
की व्यावसायिक कार्यों के लिए सेवाएं ली
जाती हैं। इस क्षेत्रा में संभावनाएं तेजी से
बढ़ रही है
4. कार्यरत सदस्य करों की रिटर्न की ई-पफाइलिंग, एमसीए 21 रिटर्न के लिए सुविध केंद्र
स्थापित कर सकते हैं। अपने व्यावसायिक अनुभव के आधर पर वे इस उद्यम से कापफी
लाभ अर्जित कर सकते हैं। वे किसी उद्यम में कर प्रशासन का कार्य भी अपने हाथ में
ले सकते हैं।
5. व्यवसाय से जुड़े वरिष्ठ सदस्यों के लिए संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे
प्रेक्टिसिंग सदस्य, जिनके पास कम से कम 15 वर्ष का अनुभव है, कम्पनी कानून
बोर्ड/प्रस्तावित राष्ट्रीय कम्पनी कानून अध्किरण या राष्ट्रीय कम्पनी कानून
अधिकरण के सदस्य के पदों के लिए प्रयास कर सकते हैं। इसके अलावा जिनके
पास जटिल कानूनी मामलों की देखरेख का व्यापक अनुभव है, आर्बिट्रेशन की
सांस्थानिक प्रणाली के अंतर्गत आर्बिट्रेट के रूप में सूचीब( होने के भी अवसर हैं।
वैकल्पिक विवाद प्रणाली की निहित उत्कर्षता के कारण आर्बिट्रेशन/समझौते के क्षेत्रा
में अवसरों में लगातार वृ(ि हो रही है।
६. अब पेशेवर सेवाओं के वैश्वीकरण का दौर है। वे दिन लद चुके हैं जब पेशेवर किसी
एक व्यवसाय से पूर्णतः संतुष्ट होकर रह जाते थे। वैश्वीकरण के इस दौर में इस व्यवसाय
से जुड़े पेशेवर अन्य पेशेवरों के साथ मिलकर बड़ी पफर्में शुरू करके बड़ी-बड़ी
परियोजनाओं के लिए कार्य कर सकते हैं।
७. अंत में, नए कानूनों के मद्देनज्+ार हर रोज्+ा प्रेक्टिसिंग क्षेत्रा का विस्तार होता जा रहा है। समाज
को आज कम्पनी सचिवों की सेवाओं पर भरोसा है। इस वजह से निश्चित तौर पर यह
व्यवसाय प्रगति करेगा।
इच्छुक उम्मीदवार अध्कि जानकारी के लिए नीचे दिए गए पतों या क्षेत्राीय परिषदों से
संपर्क कर सकते हैं। विस्तृत सूचना वेबसाइट : ूूूण्पबेपण्मकन से भी प्राप्त की जा
सकती है।
३. वित्तीय लेखा-शास्त्रा
4. व्यवसाय कानून तथा प्रबंध्न के मूल तत्व
छात्रों को या तो संस्थान द्वारा डाक से
कोचिंग के जरिए अथवा क्षेत्रिय परिषद/आधुनिक अर्थव्यवस्था के उत्कृष्ट सृज़नों में से एक है कम्पनी के रूप में व्यवसाय का संचालन करना यह व्यवसाय का एक ऐसा रूप है जिसने विधि विज्ञान, प्रबंधन और दर्शनशास्त्र संकाय में अपनी स्वयं की पहचान कायम की है तथ इनमें से एक व्यवसाय कम्पनी सचिवों का है
कम्पनी सचिव किसी कम्पनी का एक प्रमुख अधिकारी होता है जो किसी भी निगमित फैसले से उत्पन्न विधिक मामलों के संबंध में निदेशक मंडल के सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं कुल मिलकर उन पर कम्पनी कानून तथा समय - समय पर लागू अन्य कानूनी प्रावधानों के अनुपालन का दायित्त्व रहता है मुख्यत: कम्पनी सचिव विधि, कर कानूनों, श्रम कानूनों, आर्थिक कानूनों के संबंध में अनुपालन अधिकारी होता है और दिन - ब - दिन उनकी जिम्मेदारियां बढती जा रही हैं निगमित क्षेत्र में निर्णय लेने की प्रक्रिया में उसका महत्वपूर्ण योगदान होता है कम्पनी अधिनियम, 1956 के अनुरूप कम्पनी सचिवों की बहुत बड़ी जिम्मेदारियां होती हैं
हाल के वर्षों के दौरान निगमित क्षेत्र के तीव्र विकास के कारण कम्पनी सचिवों की सेवाओं की आवश्यकता में जबर्दस्त वृद्धि हुई है कम्पनी सचिवों की मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर है यह आलेख इस व्यवसाय से जुड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों की जानकारी के लिए एक संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया गया प्रयास है
भारत में कम्पनी सचिवों का व्यवसाय कम्पनी सचिव अधिनियम, 1980 के तहत विनियमित किया जाता है व्यवसाय के नियमन के लिए भारत सरकार द्वारा इंस्टिट्यूट ऑफ कम्पनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया नामक संस्थान की स्थापना की गयी है
संस्थान और क्षेत्रीय परिषद्
इंस्टिट्यूट ऑफ कम्पनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया की एक प्रबंधन परिषद् है जिसमें संस्थान के चयनित वरिष्ठ सदस्य हैं कार्य में सहायता के लिए भारत के चार शहरों जेसे की कोलकाता, मुंबई,चेन्नई और दिल्ली में क्षेत्रीय परिषदें स्थापित की गयी हैं ये क्षेत्रीय परिषदें इस व्यवसाय से जुड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए केंद्र बिंदु हैं छात्रों की सहायता के लिए क्षेत्रीय परिषदों ने भारत के विभिन्न भागों में सहायक स्थापनाएं खोली हैं
पाठ्यक्रम
कम्पनी सचिव से संबंधित पाठ्यक्रम निम्नानुसार तीन चरणों में विभक्त किया गया है
1 आधार कार्यक्रम
2 निष्पादन कार्यक्रम
3 व्यवसाय कार्यक्रम
आधार कार्यक्रम
यह पाठ्यक्रम का प्रवेश बिंदु है आधार कार्यक्रम के लिए ऐसा कोई भी उम्मीदवार आवेदन कर सकता है जिसने भारत में विधि द्वारा स्थापित बोर्ड या विश्वविद्यालय की वरिष्ठ माध्यमिक परीक्षा पास की हो
निष्पादन कार्यक्रम
फाउंडेशन प्रोग्राम पास करने के उपरांत कोई छात्र फाउंडेशन प्रोग्राम के लिए स्वयं का नामांकन करा सकता है स्नातक योग्यता रखने वाला उम्मीदवार फाउंडेशन प्रोग्राम से गुजरे बिना ही सीधे अपना नामांकन करा सकता है
व्यवसाय कार्यक्रम
एक्जिक्यूटिव प्रोग्राम में पास होने के उपरांत छात्र को व्यवसायिक कार्यक्रम के लिए पंजीकरण करना होगा
व्यावहारिक अनुभव और प्रशिक्षण
सभी परिक्षयं पास करने के उपरांत छात्रों को संस्थान के अधीन सूचीवृद् किसी कंपनी में किसी कार्यरत कंपनी सचिव के अधीन माह की अवधि का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा