हिंदी केवल हमारी राष्ट्रभाषा ही नहीं हैं, यह जनता की भाषा भी है। 2001
की जनगणना के अनुसार 41 प्रतिशत भारतीय जनसंख्या हिंदी बोलती है (मानक
रूप में और इसकी उपभाषाओं सहित)। बड़े हिंदी भाषी प्रदेशों, जैसे कि दिल्ली, हरियाणा,
उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़
में बोली जाने वाली करीब 30 बोलियां हैं। समकालीन भारत की प्रवीणता ने हिंदी को
एक लोकप्रिय भाषा बनाने में मदद की है। इनमें हिंगलिश (हिंदी और अंग्रेजी का
सम्मिश्रण) का आविर्भाव; जो कि देश के शिक्षित वर्ग द्वारा व्यापक रूप से बोली जाती
है, शक्तिशाली जनसंचार माध्यम के रूप में हिंदी सिनेमा का पुनः उत्थान, बढ़ते हिंदी
टीवी चैनलों की संख्या आदि शामिल हैं। एक अन्य महत्वपूर्ण कारक, जिसने प्रत्यक्ष या
अप्रत्यक्ष रूप से हिंदी भाषा के महत्व को बढ़ाने में योगदान किया है, वह है सूचना
प्रौद्योगिकी के अनुकूल हिंदी का आविर्भाव। हिंदी वेबसाइटें, जैसे कि
www.indianest.com, www.pital.com, www.dhamaka.com, www.jyotish.com, www.hanuman.com, bhasaindia.com
आदि उन हिंदी वेबसाइटों/पोर्टलों में से हैं जिनसे हिंदी बोलने वाले नेट प्रेमी आसानी से जुड़ सकते हैं।
www.reftaar.com
प्रथम हिंदी सर्च इंजन है। माइक्रोसॉफ्ट पहले ही हिंदी में ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत कर चुका है।
लोकप्रिय समाचार-पत्रों के इलेक्ट्रॉनिक रूपांतर तथा बीबीसी जैसे प्रतिष्ठित मीडिया समूहों के पोर्टल नेट पर उपलब्ध हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल ने ऑन-लाइन हिंदी सीखने की सुविधा
जैसी नई व्यवस्था ने, इसकी व्यापकता में काफी वृद्धि कर दी है। यह सुविधा ब्रिटेन, अमरीका, आस्ट्रेलिया, चीन, मॉरिशस आदि के विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा अपने छात्रों को हिंदी सिखाने के लिए
व्यापक रूप से इस्तेमाल की जा रही है। सौ से अधिक देशों में फैले अनिवासी भारतीय विभिन्न प्रकार से हिंदी का रोजमर्रा प्रयोग करके हिंदी को बढ़ावा दे रहे हैं। यह उल्लेखनीय है कि विदेशियों
में भी समृद्ध भारतीय संस्कृति को समझने की व्यापक चाह है। यही कारण है कि बहुत से बाहरी देशों ने भारतीय अध्ययन को प्रोत्साहन देने के लिए अध्ययन केंद्रों की स्थापना की है। भारतीय धर्म, इतिहास और संस्कृति पर पाठ्यक्रम संचालित करने के अलावा; इन केंद्रों में हिंदी, उर्दू और संस्कृत जैसी कई भारतीय भाषाओं में भी पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। वैश्वीकरण और निजीकरण के दौर में अन्य देशों के साथ भारत के बढ़ते व्यापारिक संबंधों से संबंधित व्यापार साझेदार देशों की भाषाओं को सीखने की अनिवार्यता सी हो गई है। इस स्थिति ने हिंदी को अन्य देशों में लोकप्रिय तथा
आसानी से सीखने वाली भारतीय भाषा के रूप में उबारने का काम किया है। अमरीका में कुछ स्कूलों ने अपने फ्रेंच, स्पेनिश और जर्मन साझेदारों के साथ हिंदी को एक विदेशी भाषा के रूप में शुरू
करने का फैसला किया है। कुल मिलाकर हिंदी ने अपने भाषा-विषयक कार्य क्षेत्र के लिए वैश्विक मान्यता अर्जित कर ली है।
हिंदी और रोजगार के अवसर
हमारी राष्ट्रीय भाषा की बढ़ती लोकप्रियता और अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के साथ-साथ हिंदी
भाषा के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हुई है। अधिक विशिष्टता के साथ देखें तो
अनप्रयुक्त या कार्यात्मक हिंदी रोजगार चाहने वालों के लिए पूर्ण क्षमताओं से भरा क्षेत्र
है। कार्यात्मक हिंदी के अंतर्गत संबंधित विभाग/संगठन के रोजमर्रा के कार्य आते
हैं। केंद्र सरकार/राज्य सरकारों की विभिन्न संस्थाओं इकाइयों में (हिंदी भाषी राज्यों में),
हिंदी भाषा में कार्य करना अनिवार्य है। केंद्र सरकार द्वारा हर वर्ष सितंबर माह में हिंदी के
प्रयोग को प्रोत्साहन देने के वास्ते हिंदी दिवस और हिंदी सप्ताह/पखवाड़ा मनाया
जाता है। (हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है). केंद्र/राज्य सरकार के विभिन्न
विभागों/ इकाइयों में हिंदी अधिकारी, हिंदी अनुवादक, हिंदी सहायक, प्रबंधक (राजभाषा)
जैसे अलग-अलग पद हैं। सरकारी और निजी क्षेत्र के मीडिया घरानों में भी कार्यात्मक
हिंदी की व्यापक संभावना है। निजी टीवी और रेडियो चैनलों की शुरुआत तथा स्थापित
पत्रिकाओं/समाचार-पत्रों के हिंदी रूपांतरणों से इस दिशा में अवसरों में व्यापक वृद्धि हुई
है। हिंदी मीडिया के क्षेत्र में रिपोर्टरों, संवाददाताओं, उप-संपादकों, संपादकों, प्रूफ-रीडरों, रेडियो जॉकी, एंकरों आदि की बहुत मांग है। पत्रकारिता/जनसंचार में डिग्री/डिप्लोमा के साथ-साथ हिंदी में
अकादमिक (पीजी/पीएचडी) पूर्वापेक्षित है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में, रेडियो जॉकी, एंकर आदि जैसे पदों के लिए हिंदी और अंग्रेजी में दक्षता होना अनिवार्यता रहती है क्योंकि उनके और मीडिया उपयोगकर्ताओं के बीच सीधा संपर्क होता है।
सम्भाव्य :
द्विभाषी दक्षता प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में भी लाभकारी सिद्ध होती है। सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों, बैंकों आदि में व्यापक अवसर हैं। इन क्षेत्रों के अलावा स्वतंत्र रूप से अनुवाद कार्य करने का भी एक प्रमुख क्षेत्र है। इसके अंतर्गत प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय लेखकों के कार्य का हिंदी में तथा हिंदी लेखकों का
अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं में अनुवाद कार्य सम्मिलित है। फिल्मों के आलेख/विज्ञापनों को हिंदी/अंग्रेजी में अनुवाद का कार्य भी होता है। लेकिन द्विभाषी दक्षता इस क्षेत्र की जान है। कोई
भी व्यक्ति स्वतंत्र अनुवादक के रूप में अपनी आजीविका चला सकता है तथा अपनी स्वयं की अनुवाद फर्म भी स्थापित कर सकता है। ऐसी फर्में अनुबंध आधार पर कार्य प्राप्त करती हैं तथा कई पेशेवर
अनुवादकों को रोजगार उपलब्ध कराती हैं। विदेशी एजेंसियों से जुड़कर भी अनुवाद परियोजनाएं और अवसर प्राप्त किए जा सकते हैं। यह कार्य इंटरनेट के जरिए आसानी से संपन्न किया जा सकता है। इस भाषा में विदेशी विश्वविद्यालयों की बढ़ती रुचि के साथ ही कार्यात्मक हिंदी के लिए अवसरों की कोई सीमा नहीं है। विदेशों में भी स्कूल अध्यापक/विश्वविद्यालय प्रवक्ता के रूप में रोजगार प्राप्त किया जा सकता है। यह सेवा हमारे देश की शिक्षण संस्थाओं को भी प्रदान की जा सकती है। टीवी और
रेडियो पर हिंदी विज्ञापनों की लोकप्रियता ने कार्यात्मक हिंदी के लिए अवसरों को और बढ़ा दिया है। इसके तहत रेडियो/टीवी/ सिनेमा के लिए स्क्रिप्ट लेखक/संवाद लेखक/गीतकार के रूप में कार्य किया जा सकता है। इस क्षेत्र के लिए सृजनात्मक लेखन में कलात्मकता तथा सहजता की आवश्यकता होती है। लेकिन सृजनात्मक लेखन में डिग्री/डिप्लोमा से लेखन की क्षमता में वृद्धि हो सकती है।
हिंदी में स्नातकोत्तर डिग्री/पीएचडी रखने वाले व्यक्ति कार्यात्मक हिंदी के क्षेत्र में रोजगार के अवसर तलाश सकते हैं। अनुवाद, स्क्रिप्ट लेखन और रेडियो जॉकिंग/एंकरिंग में रुचि रखने वालों के लिए अनुवाद में डिप्लोमा तथा अंग्रेजी भाषा का कार्यसाधक ज्ञान महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
इस प्रकार हिंदी भाषा से संबंधित निम्नलिखित क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर
उपलब्ध हो सकते हैं :-
- सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्रों में प्रशासनिक पद (हिंदी अधिकारी/प्रबंधक-हिंदी भाषा)
- अनुवाद (मीडिया और अन्य क्षेत्रों में)
- विदेशी रोजगार/दूतावासों में व्याख्याता
- सुजनात्मक लेखन
- मीडिया
- अकादमिक क्षेत्र
यह सही है कि हमारे देश में अंग्रेजी भाषा को इसकी औपनिवेशिक पृष्ठभूमि के कारण
विशेष दर्जा प्राप्त है। कुछ प्रतिशत भारतीयों को अंग्रेजी भाषा के प्रति उत्साह है। लेकिन
यह भी सही है कि वर्षों से अंग्रेजी भाषा को दिए जा रहे प्रोत्साहन के बावजूद अब भी यह
मुश्किल से भारत की पांच प्रतिशत जनसंख्या की ही भाषा है। हम इस बात को नहीं भुला
सकते कि हिंदी हमारे स्वतंत्रता संग्राम की लोकभाषा रही है। विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों
ने औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए हिंदी पत्र-पत्रिकाओं को माध्यम बनाया। आधुनिक भारत में हिंदी का राष्ट्रभाषा और जन भाषा के रूप में परिवर्तन का दौर चल रहा है। इसका श्रेय सूचना प्रौद्योगिकी, मीडिया, लोकप्रिय मीडिया (रेडियो/टीवी/हिंदी सिनेमा), लोकप्रिय हिंदी लेखकों तथा हिंदी भाषा को प्रोत्साहन देने के लिए बनी सरकारी नीतियों को जाता है। कार्यात्मक हिंदी के क्षेत्र से जुड़ने का दोहरा लाभ है; एक ओर जहां इससे रोजी-रोटी चलती है वहीं हमें राष्ट्रभाषा को
प्रोत्साहन देने का अवसर प्राप्त होता है।
अकादमिक अध्ययन के लिए शैक्षणिक संस्थान
स केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों के हिंदी विभाग।
व्यावसायिक अध्ययनों के लिए संस्थान
(सांकेतिक सूची)
स केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान, माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा विभाग, मानव संसाधन
विकास मंत्रालय, भारत सरकार, मानस
गंगोत्री, मैसूर।
स इंदिरा गांधी, राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू)-हिंदी में एमए, सृजनात्मक लेखन
में पाठ्यक्रम, हिंदी माध्यम से मीडिया पाठ्यक्रम।
स भारतीय जन-संचार संस्थान, जेएनयू कैम्पस, नई दिल्ली (विशिष्ट पाठ्यक्रम/
लघु अवधि पाठ्यक्रम, मुख्यतः मीडिया से संबंधित पाठ्यक्रम)।
स जामिया मिलिया इस्लामिया, जामिया नगर, नई दिल्ली।
स केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा (उ.प्र.)- उन्नत अकादमिक पाठ्यक्रमों के लिए।