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नौकरी फोकस


Career Volume-29

खाद्य प्रसंस्करण में कॅरिअर

प्रतिभा मिश्रा

खाद्य प्रसंस्करण, घटकों का प्रसंस्करण करने और उन्हें ऐसे खाद्य में परिवर्तन करना है जो मनुष्य एवं पशुओं के उपभोग के लिए सुरक्षित हो। इसमें, परिरक्षण तकनीकों तथा पद्धतियों का प्रयोग करके स्वाद बढ़ाना और खाद्य उत्पादों का विपणन करना निहित है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग खाद्य एवं पेय पदार्थों (एफ एवं बी) क्षेत्र को चलाता है, जिसका रिटेल बाजार में ६३ प्रतिशत हिस्सा है, वास्तव में भारत में खाद्य एवं पेय बाजार १४,११० बिलियन मूल्य का है। देश में संगठित रिटेल का धीमा प्रवेश होने के कारण, बाजार के विकसित होने की काफी संभावना है। भारत, युवा जनसंख्या (जो कुछ नया करने के प्रयास के संबंध में अधिक उत्साही होती है), बढ़ती हुई आय (जिसका अर्थ है मनुष्य की क्रय-शक्ति अधिक है) तथा समय अभावग्रस्त उपभोक्ताओं (जो डब्बाबंद खाद्य कंपनियों के लिए आसान लक्ष्य होते हैं) के साथ विश्व में सबसे बड़े उपभोक्ता आधार के रूप में उभरा है। इसलिए, एनएसडीसी (राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद) का अनुमान है कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र २०१२ से २०१७ तक १५ प्रतिशत सीएजीआर (कंपाउंड वार्षिक विकास दर) प्राप्त कर सकता है।

कई ऐसे अन्य तथ्य हैं जो भारत में निकट भविष्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए अच्छे संकेत देते हैं।

*ऑटोमेटिक रूट के अंतर्गत अब १००% एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की अनुमति दी जाती है सरकार प्रौद्योगिकी उन्नयन एवं नए उद्यम स्थापित करने के लिए उद्योग को वित्तीय सहायता भी देती है।

*उद्योग के लिए कच्चे माल की वर्ष भर सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए भारत में उपयुक्त वातावरण है। हम दूध, केले, अमरूद, आम के उत्पादन में प्रथम तथा चावल, गेहूं, मूंगफली, गन्ने, मटर एवं प्याज के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।

*भारत में मजदूरी, तुलनात्मक रूप में सस्ती है, जिसका अर्थ यह हुआ कि हम किसी छोटी लागत पर बड़े उत्पादन आधार स्थापित कर सकते हैं।

खाद्य प्रसंस्करण में कॅरिअर के विकल्प

पारंपरिक रूप में, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में असंघटित कार्य बल का उपयोग करता है, किंतु पर्यवेक्षकीय एवं प्रबंधकीय कार्यों के लिए यह अनुभवी व्यवसायियों को रखता है। सामान्यत: उद्योग में किसी नए व्यक्ति को एक प्रशिक्षणार्थी के रूप में या एक ऑपरेटर के रूप में रखा जाता है और उसे एक वर्ष तक का कार्यकालीन प्रशिक्षण दिया जाता है। ऐसे कार्यों के लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन अधिक विशेषज्ञतापूर्ण कार्यों के लिए सामान्यत: कम से कम कोई प्रमाणपत्र या डिप्लोमा पाठ्यक्रम आवश्यक होता है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग द्वारा अपेक्षित कौशल अधिकांशत: परिचालन (या प्रसंस्करण) से संबंधित होता है। अन्य जिन कार्यों के लिए व्यक्ति रखे जाते हैं वे कार्य हैं- सप्लाई चेन, गुणवत्ता जांच एवं अन्य कार्य जैसे प्रापण एवं विक्रय।

संबंधित क्षेत्रों में आईटीआई उत्तीर्ण या डिप्लोमा रखने वाले व्यक्ति इस उद्योग में प्रसंस्करण या रखरखाव कार्यों में ऑपरेटर या प्रशिक्षणार्थी के रूप में रखे जाते हैं। यद्यपि, इस उद्योग में पदोन्नति अधिकांशत: कार्य-निष्पादन पर निर्भर होती है, किंतु कुछ मामलों में, कंपनी में आपकी वरिष्ठता या कार्यकाल पदोन्नति के लिए महत्त्वपूर्ण हो सकता है। अधिकांश नियोक्ता श्रमिकों को अपने कार्य के साथ-साथ स्नातक योग्यता पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। प्रसंस्करण तथा प्रापण कार्यों में सामान्यत: कृषि विश्वविद्यालयों से विज्ञान स्नातकों को रोज़गार में रखा जाता है।

आशा है कि २०१७ से २०२२ तक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगभग २६.५ लाख नए रोज़गार सृजित करेगा। चूंकि निर्यात पर बल बढ़ रहा है, इसलिए गुणवत्ता मापदंड प्रवर्तन की व्यापक मांग है। अत: गुणवत्ता ऐसा क्षेत्र है, जिसमें जनशक्ति की व्यापक मांग होने की संभावना है। इसी तरह, प्रौद्योगिकी एवं ऑटोमेशन अंगीकरण में हो रही वृद्धि के कारण, तकनीकी कार्यों (जैसे रख-रखाव), में विशेष रूप से अन्न एवं तिलहन तथा डिब्बाबंद खाद्य क्षेत्र में अधिक जनशक्ति की आवश्यकता होगी। इस उद्योग के लिए दक्षता बढ़ाने का यह एक अच्छा समय है।

उद्योग में बड़े कौशल अंतराल

वर्तमान में, खाद्य प्रसंस्करण जगत तथा सहायक उद्योगों (जैसे बॉटलिंग एवं डिब्बाबंदी) विभिन्न स्तरों पर कुशल जनशक्ति की अत्याधिक कमी का सामना कर रहे हैं, जैसे:-

*उपभोक्ता अब गुणवत्ता के प्रति अधिक सजग हो गए हैं वे इसमें स्वास्थ्य तथा स्वच्छता की मूल आवश्यकताओं की प्रत्याशा करते हैं।

*प्रसंस्करण इकाइयों को ऐसे विशेषज्ञ कार्मिकों को रखने की आवश्यकता है, जो कुछ उप-क्षेत्रों में आयातित मशीनों पर कार्य कर सकें।

*होटलों, रेस्तरां एवं रिटेलर जैसे सांस्थानिक समूहों से अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए कंपनियां अच्छा ग्राहक संबंध प्रबंधन कौशल रखने वाले कर्मचारियों को रखती हैं।

*प्रापण स्टाफ- जो फसल या उत्पादन परामर्श-तंत्र में सकारात्मक रूप में शामिल होता है, को उद्योग के लिए कच्चे माल की आपूर्ति कारगर करने की आवश्यकता है।

अपेक्षित शैक्षिक योग्यताएं:-

इस क्षेत्र में आने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए अल्पकालीन पाठ्यक्रमों से लेकर प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, स्नातक, मास्टर, पीएचडी और डॉक्टरोत्तर पाठ्यक्रमों जैसे अनेक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। अधि-स्नातक स्तर के अधिकांश खाद्य-प्रसंस्करण पाठ्यक्रमों के लिए आप भौतिकी, रसायन विज्ञान एवं जीव विज्ञान विषयों के साथ १०+२ उत्तीर्ण होने चाहिए। इनमें प्रवेश अधिकांशत: प्रवेश-परीक्षा के आधार पर दिया जाता है।

गृह विज्ञान में बीएससी जैसे पाठ्यक्रम या शर्करा, मादक पदार्थों, बेकरी, तेल, फल, वनस्पति आदि जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञता पूर्ण पाठ्यक्रम भी आपको इस जगत में प्रवेश दिला सकते हैं।

भारत एवं विदेश में खाद्य प्रसंस्करण के अनुसंधान तथा विकास कार्यों में प्रवेश करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए दो बड़ी छात्रवृत्तियां हैं। राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (एनएएआरएमआईसीएआर) वरिष्ठ अनुसंधान अध्येतावृत्ति और रामलिंगास्वामी अध्येतावृत्तियां। कृषि जैव प्रौद्योगिकी फाउंडेशन (एबीएफ) कृषि जैव प्रौद्योगिकी में पीएचडी अध्येतावृत्तियां भी देता है। अन्य मैरिट एवं आवश्यकता आधारित छात्रवृत्तियां-जो आप प्राप्त कर सकते हैं, वे हैं- एस। के। पाटिल ऋण छात्रवृत्तियां और जेएन टाटा प्रतिभा छात्रवृत्तियां। इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के इच्छुक सुयोग्य उम्मीदवारों के लिए कम ब्याज दर वाले शैक्षिक ऋण भी उपलब्ध हैं।

प्रख्यात प्रशिक्षण संस्थान

इस क्षेत्र में कुछ बड़े संस्थान एवं अनुसंधान संस्थान निम्नलिखित हैं:-

*राष्ट्रीय कृषि एवं खाद्य विश्लेषण तथा अनुसंधान संस्थान (एनएएफएआरआई), पुणे: यह स्वशासी, गैर-लाभग्राही संगठन खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों को उत्पाद विकास, परीक्षण, विश्लेषण एवं प्रशिक्षण सुविधाएं देता है। यह संस्थान खाद्य विश्लेषण विज्ञान में एक वर्ष का अंशकालिक डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी चलाता है। खाद्य प्रसंस्करण में किन, श्लेसविग होस्टीन, जर्मनी के सहयोग में एक व्यावासयिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का प्रस्ताव है। संस्थान कभी-कभी उद्यम विकास कार्यक्रम भी चलाता है।

*केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई), मैसूर: इसमें लगभग ३०० वैज्ञानिक, इंजीनियर तथा प्रौद्योगिकीविद् और ४०० से अधिक तकनीशियन, सहायक स्टाफ तथा कुशल कामगार कार्यरत हैं। इसके १६ अनुसंधान एवं विकास विभाग हैं, जिनमें खाद्य प्रसंस्करण, खाद्य सुरक्षा, सेंसरी साइंस, जैव प्रौद्योगिकी एवं सूक्ष्मजीव विज्ञान के लिए विशेष प्रयोगशालाएं भी शामिल हैं।

यह संस्थान खाद्य प्रौद्योगिकी में पीएच।डी एवं एमएससी कार्यक्रम, अंतरराट्रीय मिलिंग प्रौद्योगिकी स्कूल (आईएसएमटी में फ्लोर मिलिंग प्रौद्योगिकी पर एक वर्षीय पाठ्यक्रम-टोक्यो में स्थिति मुख्यालय वाले संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के साथ एक संयुक्त पाठ्यक्रम और निम्नलिखित पर अल्पकालीन पाठ्यक्रम चलाता है:-)

*उन्नत प्रसंस्करण तकनीक

*पशु तकनीक, एथिक्स एवं कल्याण

*फ्लोर मिलिंग एवं बेकिंग उत्पाद

*खाद्य इंजीनियरी

*खाद्य सूक्ष्मजीव विज्ञान एवं फर्मटेंशन प्रौद्योगिकी

*खाद्य फ्लेवर एवं सेंसरी साइंस

*खाद्य पैकेजिंग

*खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता नियंत्रण

*फ्यूमीगेशन, प्रोफिलेक्सीस एवं पोस्ट प्रबंधन

*खाद्यान्न प्रसंस्करण

*उपकरणीय विश्लेषण

*लिपिड साइंस एवं पारम्परिक खाद्य

*मीट एवं मीट उत्पाद

*पादप सेल जैव प्रौद्योगिकी

*फसलोत्तर हस्तन एवं ताजे उत्पादों का प्रसंस्करण

*प्रोटीन रसायन विज्ञान

*मसाले एवं पौधरोपण उत्पाद

*राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल: यह प्रमुख डेयरी अनुसंधान संस्था भारत में संपूर्ण डेयरी विकास के लिए उच्च कोटि का मानव संसाधन उपलब्ध कराती है।

संस्थान डेयरी विज्ञान के क्षेत्र में निम्नलिखित कार्यक्रम चलाता है:-

*डेयरी प्रौद्योगिकी में डिप्लोमा

*पशु पालन एवं डेयरिंग में डिप्लोमा

*बी।टेक (डेयरी प्रौद्योगिकी)

*डेयरिंग में मास्टर कार्यक्रम (१३ विषयों में)

*डेयरिंग में डॉक्टरल कार्यक्रम (१३ विषयों में)

*भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा: इसके दिल्ली में २० प्रभाग एवं ५ बहु-विषयक केंद्र, क्षेत्रीय केंद्र, २ ऑफ-सीजन नर्सरी तथा १० राष्ट्रीय केंद्र हैं। इसके संस्वीकृत कर्मचारियों की संख्या ३५४० है, जिसमें वैज्ञानिक, तकनीकी कार्मिक प्रशासनिक स्टाफ तथा सहायक स्टाफ शामिल है।

यह मान्यवत विश्वविद्यालय एमएससी, एम।टेक एवं पीएचडी कार्यक्रम चलाता है। यहां चलाए जाने वाले कुछ पाठ्यक्रम निम्नलिखित हैं:-

*कृषि रसायन

*कृषि अर्थशास्त्र

*कृषि इंजीनियरी

*कृषि विस्तार

*कृषि भौतिकी

*कृषि सांख्यिकी

*सस्यविज्ञान

*जैव रसायन विज्ञान

*जैव सूचना विज्ञान

*कंप्यूटर अनुप्रयोग

*कीट विज्ञान

*पर्यावरण विज्ञान

*पुष्पोत्पादन एवं भू-दृश्य वास्तुकला

*फल विज्ञान एवं बागवानी प्रौद्योगिकी

*आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन

*सूक्ष्म जीव विज्ञान

*मोलेक्यूलर जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी

*नेमॉटोलॉजी

*पादप शरीर विज्ञान

*पादप आनुवांशिक संसाधन

*पादप उपज प्रौद्योगिकी

*मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विज्ञान

*बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

*सब्जी (वनस्पति विज्ञान)

*जल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

*भारतीय फसल प्रसंस्करण प्रौद्यागिकी संस्थान (आईआईसीपीटी), तंजावुर: यह संस्थान खाद्य प्रसंस्करण इंजीनियरी में बी.टेक., एम.टेक तथा पीएच.डी कार्यक्रम एवं खाद्य विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में एम.टेक. पाठ्यक्रम चलाता है।

*पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना: पीएयू ने भारत में हरित क्रांति में मुख्य भूमिका निभायी है और पशुधन एवं कुक्कुट उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान किया है। इसके पांच कॉलेज हैं:

*कृषि कॉलेज

*कृषि इंजीनियरी एवं प्रौद्योगिकी कॉलेज

*मूलभूत विज्ञान एवं मानविकी कॉलेज

*गृह विज्ञान कॉलेज

*स्नातकोत्तर अध्ययन

*राष्ट्रीय शर्करा संस्थान: कानपुर, चेन्नै एवं कोलकाता में स्थित यह संस्थान शर्करा इंजीनियरी एवं प्रौद्योगिकी में इंटर्नशिप कार्यक्रम और औद्योगिक फर्मटेंशन तथा मादक पदार्थ प्रौद्योगिकी में डिप्लोमा कार्यक्रम चलाता है।

*आचार्य एन.जी. रंगा कृषि विश्वविद्यालय, बपटला

*आणन्द कृषि विश्वविद्यालय, आणन्द

*चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (सी.सी.एस. एच..यू.), हिसार

*चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सी.सी.एस.यू.), मेरठ

*केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान (सी.आई.एफ..), मुंबई

*चौधरी श्रवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय (सी.एस.एच.पी..यू.), पालमपुर

*फल प्रौद्योगिकी संस्थान (एफ.टी.आई.), लखनऊ

*गोविंद वल्लभ पंत विश्वविद्यालय (जी.बी.पी.यू.), पंतनगर

*रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.सी.टी.), मुंबई

*इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय (इग्नु)

*भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आई.वी.आर.आई.), इज्जतनगर

*महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, राहुरी

*मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ, परभणि

*महाराजा सामाजीराव (एम.एस.) विश्वविद्यालय, वडोदरा

*तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (टी.एन..यू.), कोयम्बत्तूर

यद्यपि, ‘आपूर्तिकार्य की मांग को पूरा करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय तथा अनुसंधान संस्थान है, किंतु सरकार रोज़गार समूहों के निकट प्रशिक्षण शिक्षा संस्थाएं स्थापित करने और प्रशिक्षु-प्रशिक्षक मॉडल पर जन-शक्ति को प्रशिक्षण देने के लिए निजी संस्थानों को आमंत्रित कर रही है।

इस क्षेत्र में भारत में रोज़गार देने वाले बड़े रोज़गार समूह हैं- आंध्र प्रदेश (अधिकतम पंजीकृत खाद्य इकाइयों के साथ), पुणे एवं मुंबई (अत्याधुनिक शहरीकरण के साथ), मध्य प्रदेश एवं झारखंड (नए उभर रहे समूह) तथा पश्चिम बंगाल क्षेत्र (विशेष रूप से समुद्री प्रसंस्करण के लिए)।

सरकार, पिसाई कार्यों (अन्न प्रसंस्करण के लिए) तथा पशु पकडऩे, चयन करने और डिबोनिंग (मीट एवं कुक्कुट पालन क्षेत्र के लिए) पर पाठ्यक्रम प्रारंभ करने के लिए प्रशिक्षण प्रदाताओं को प्रोत्साहित कर रही है।

कार्य-संभावनाएं और वेतन पैकेज: ऐसे देश, जहां लगभग ५०० मिलियन मध्यमवर्गीय एवं उच्चवर्गीय ग्राहक हैं। वहां खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का निश्चित रूप में उज्जवल भविष्य है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एम.एफ.पी.आई।) की भी भारत में एक क्रांति लाने तथा पूरे देश में ५०० से भी अधिक खाद्य पार्कों की स्थापना करके अधिक रोज़गार सृजित करने की योजना है।

रेस्तरां एवं होटलों से लेकर खाद्य पदार्थ होलसेलर, खानपान कंपनियों, खाद्य अनुसंधान प्रयोगशालाओं तक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की मूल्य चेन बहुत लंबी है। गृह विज्ञान स्नातक तथा पोषण, खाद्य प्रौद्योगिकी में या खाद्य सेवा प्रबंधन में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्ति इस क्षेत्र में उपलब्ध रोज़गार तलाश सकते हैं। अनुप्रयुक्त पोषण, खाद्य विज्ञान तथा परिरक्षण और आहारविज्ञान में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम आपकी उन्नति में आपके सहायक भी हो सकते हैं।

खाद्य प्रसंस्करण विशेषज्ञों के लिए अन्य संभावित नियोक्ताओं में वे कम्पनियां शामिल हैं, जो उपभोक्ता खाद्य पदार्थ जैसे पास्ता, ब्रेड, बिस्कुट, शीतल पेय, बीयर, मादक पेय, खनिज तथा डब्बाबंद पानी, कोको उत्पाद, केक, पेस्ट्री, कॉर्न फ्लेक्स तथा अन्य पकाने एवं खाने के लिए तैयार उत्पादों के उत्पादन से जुड़ी हैं।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) बैक्टीरिया-विज्ञानियों, विष विज्ञानियों, पैकेजिंग प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को तथा जैव रसायन विज्ञान, विश्लेषिक रसायन विज्ञान, कार्बनिक रसायन विज्ञान आदि में विशेषज्ञता रखने वालों को रोज़गार में रखता है।

मॉडर्न फूड कॉर्पोरेशन ब्रेड, फू्रट जूस तथा खाद्य तेलों जैसे उत्पादों के उत्पादन एवं विपणन कार्य कर सकने वाले व्यक्तियों को सेवा में रखते हैं। पूर्वोत्तर कृषि विपणन निगम भी खाद्य प्रसंस्करण एवं विपणन व्यावसायिकों को समय-समय पर तलाशता रहता है।

विदेश में बसने के इच्छुक खाद्य प्रसंस्करण विशेषज्ञों के लिए अमरीका तथा यूरोप में रोज़गार के आकर्षक अवसर विद्यमान हैं। भारत में, वेतन, उस कार्य, जिस कार्य से आप जुड़े हैं, आपकी शिक्षा एवं कौशल, आपके कार्य अनुभव तथा खाद्य प्रसंस्करण यूनिट के स्थान, जहां पर आप कार्य करते हैं, के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।

इस क्षेत्र से जुडऩे वाला नया व्यक्ति, सामान्यत: रु.८००० से रु.१२०००/- प्रति माह वेतन प्राप्त करता है। जबकि कुछ कार्य अनुभव रखने वाले व्यक्ति आसानी से रु.१५०००/- से रु.२५०००/- प्रति माह प्राप्त कर सकते हैं। किसी अच्छी कंपनी में वरिष्ठ प्रबंधकीय स्तर पर आप, जो वेतन अर्जित कर सकते हैं, उसकी कोई सीमा नहीं है।

यदि आप परिश्रमी व्यक्ति हैं, तो इस क्षेत्र में अच्छा वेतन प्राप्त करना आसान है। इसका अर्थ यह हुआ कि अत्यधिक प्रशिक्षित व्यवसायी होने पर भी आपको ऐसे व्यक्तियों के साथ कार्य करने के लिए तैयार रहना चाहिए, जो बहुत ज्यादा शिक्षित या प्रतिभा सम्पन्न नहीं हैं। आपको गैर-कार्य घंटों में भी कार्य करना पड़ सकता है। इस क्षेत्र की संभावनाओं की दिशा में बात करें, तो यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां प्रतिदिन नई-नई इकाइयां, विशेष रूप से महानगरों के आसपास, स्थापित हो रहीं हैं, इसलिए इस क्षेत्र में कोई नया रोज़गार तलाशना या अपना निजी उद्यम स्थापित करना तुलनात्मक रूप से आसान है।

 

(लेखिका एक स्तंभकार है। ईमेल: asrarulhaque@hotmail.com)।