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volume-18, 03-09 August 2019

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी

विनय कुमार सिंह

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) प्रत्येक वर्ष सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करता है और इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थी विभिन्न कैडरों (यथा-आईएस, आईपीएस, आईएफएस आदि) में भर्ती किये जाते हैं. भारत में होने वाली सभी कॅरिअर परीक्षाओं में 'सिविल सेवा परीक्षाÓ का स्थान सर्वोपरि माना जाता है, क्योंकि इसमें उत्तीर्ण होने के लिए एक लंबी व रणनीतिक तैयारी की जरूरत होती है. सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) अभ्यर्थी के लगभग हर क्षेत्र के ज्ञान को टटोलने की कोशिश करता है.

सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष लगभग 10 लाख आवेदन किये जाते हैं और 5 से 6 लाख अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल होते हैं, किन्तु लगभग एक हजार अभ्यर्थी ही अंतिम रूप से इस परीक्षा में चयनित हो पाते हैं. इससे स्पष्ट है कि सिविल सेवा की परीक्षा में चयन का अनुपात अत्यंत कम है, जिससे किसी भी अभ्यर्थी के लिए इसमें उत्तीर्ण होने की चुनौती अन्य कॅरिअर परीक्षाओं की तुलना में अत्यधिक बढ़ जाती है. अत: सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी हेतु एक सटीक, योजनाबद्ध और वैज्ञानिक पद्धति पर आधरित रणनीति की आवश्यकता होती है.

सिविल सेवा परीक्षा का पैटर्न एवं पाठ्यक्रम

सिविल सेवा परीक्षा को यूपीएससी तीन चरणों में आयोजित करती है- प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य  परीक्षा और साक्षात्कार (इंटरव्यू). प्रारंभिक परीक्षा में दो अनिवार्य प्रश्नपत्र होते हैं जिनमें से प्रत्येक प्रश्नपत्र 200 अंक का होता है. प्रथम प्रश्न पत्र सामान्य अध्ययन का होता है जबकि द्वितीय प्रश्नपत्र को प्रचलित रूप से सिविल सेवा अभिवृत्ति परीक्षा या सीसैट (ष्टस््रञ्ज) कहा जाता है.

प्रथम प्रश्न पत्र में सामान्य अध्ययन से संबंधित 100 प्रश्न पूछे जाते हैं. प्रत्येक प्रश्न हेतु दो अंक निर्धारित होते हैं. गलत उत्तर होने की स्थिति में एक-तिहाई नकारात्मक अंकन पद्धति की व्यवस्था होती है, अर्थात् तीन प्रश्नों के गलत उत्तर देने की स्थिति में एक सही उत्तर के बराबर अंक काट लिये जाते हैं. यही स्थिति द्वितीय प्रश्न पत्र (सीसैट) में भी है. हालांकि वहां पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या 80 होती है. सही उत्तर हेतु 2 अंक मिलते हैं जबकि गलत उत्तर होने पर उसी प्रकार एक-तिहाई अंक काट लिये जाते हैं. वर्ष 2015 से प्रारंभिक परीक्षा के द्वितीय प्रश्न पत्र (सीसैट) को क्वालिपफाइंग (33 प्रतिशत) कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि सीसैट पेपर को यूपीएससी ने सन् 2011 में सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में शामिल किया था. शुरुआत में सीसैट के प्राप्तांक भी प्रारंभिक परीक्षा की मेरिट सूची में जुड़ते थे.

सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा की अंतिम मेरिट सूची में सीसैट के अंकों को नहीं जोड़ा जाता है और केवल सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र (प्रथम प्रश्नपत्र) के अंकों को ही शामिल किया जाता है. जो अभ्यर्थी प्रथम प्रश्न पत्र में जितना अच्छा स्कोर करता है, उसके मुख्य परीक्षा में शामिल होने के अवसर उतने ही ज्यादा हो जाते हैं.

सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के प्रथम प्रश्न पत्र में 50 (गलत हुए प्रश्नों के नकारात्मक अंक काटने के बाद बचे हुए प्रश्न) से कम प्रश्न को सही करने वाले अभ्यर्थियों (सामान्य वर्ग के) के मुख्य परीक्षा के लिए चयन की संभावना नगण्य होती है. इसी प्रकार प्रथम प्रश्नपत्र में जो अभ्यर्थी 50 से 55 प्रश्नों (गलत हुए प्रश्नों के नकारात्मक अंक काटने के बाद बचे हुए प्रश्न) का स्कोर करते हैं उनके अगले चरण में शामिल होने में आशंका बनी रहती है, अर्थात् उत्तीर्ण होने के 50-50 अवसर होते हैं. ऐसे अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम आने तक सशंकित रहते हैं और अधूरे मन से मुख्य परीक्षा की तैयारी करते हैं. यह स्थिति उनके चयन के अवसरों को सीमित करती है. जो अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र में 55 (गलत हुए प्रश्नों के नकारात्मक अंक काटने के बाद बचे हुए प्रश्न) से अधिक प्रश्नों को सही करते हैं, वे प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के प्रति निश्चिंत हो जाते हैं, इसलिए उनके अंतिम रूप से चयनित होने के अवसर भी बढ़ जाते हैं क्योंकि वे प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के बीच के समय में शंका रहित होकर तैयारी करते हैं. यहां पर यह बताना भी आवश्यक है कि अभ्यर्थियों को प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के बीच लगभग 3 से 4 महीने का ही समय मिल पाता है.

यहां पर यह भी बताना आवश्यक है कि विभिन्न वर्गों के अभ्यर्थियों के कटऑफ अंकों में विशेष अंतर नहीं होता है, इसलिए प्रत्येक अभ्यर्थी को उपर्युक्त विवरण को ध्यान में रखते हुए अपनी तैयारी को केंद्रित रखना चाहिए.

प्रारंभिक परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र का पाठ्यक्रम

·         राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की समसामयिक घटनाएं.

·         भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन.

·         भारत और विश्व का भूगोल-भौतिक, सामाजिक और आर्थिक.

·         भारतीय राजव्यवस्था और शासन- संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकार संबंधी मुद्दे आदि.

·         आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेश, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र की पहलें आदि.

·         पर्यावरण पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे.

·         सामान्य विज्ञान.

इनमें से किसी में भी विषयगत विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है.

प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद अभ्यर्थी यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में शामिल होते हैं. मुख्य परीक्षा में अनिवार्य विषय के पांच प्रश्न पत्र होते हैं (एक प्रश्नपत्र निबंध का और चार प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन के) तथा दो प्रश्नपत्र अभ्यर्थी द्वारा चुने गए वैकल्पिक विषय से होते हैं. इसके अतिरिक्त दो प्रश्नपत्र भाषा के होते हैं जिनमें से एक अनिवार्य रूप से अंग्रेजी भाषा का होता है तथा दूसरा किसी एक भारतीय भाषा (संविधान के आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भाषा यथा-हिन्दी, तमिल, उड़िया आदि) का होता है. भाषा के ये दोनों प्रश्नपत्र केवल क्वाालीफाइंग होते हैं. ये दोनों प्रश्नपत्र 300-300 अंकों के होते हैं. जो अभ्यर्थी इन प्रश्नपत्रों को क्वालीफाइ करता है केवल उन्हीं अभ्यर्थियों के अन्य विषयों का मूल्यांकन होता है.

सामान्य अध्ययन के पाँच प्रश्नपत्र और वैकल्पिक विषय के दो प्रश्नपत्र, सभी 250-250 अंकों के होते हैं, जिनका कुल योग 1750 अंक होता है. इन 1750 अंकों में से अभ्यर्थी द्वारा प्राप्त किये गए अंक ही निर्धरित करते हैं कि वह परीक्षा के अगले चरण (साक्षात्कार) में शामिल होगा कि नहीं, अर्थात् मुख्य परीक्षा के इन 7 प्रश्नपत्रों में अभ्यर्थी द्वारा प्राप्त किये गए अंकों के आधार पर साक्षात्कार के लिए मेरिट सूची तैयार की जाती है. यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा के साक्षात्कार के लिए कुल अंक 275 निर्धरित किए हैं. इस प्रकार मुख्य परीक्षा के 1750 अंकों और साक्षात्कार के 275 अंकों को मिलाकर अंतिम रूप से कुल अंकों का योग 2025 हुआ. इनमें से अभ्यर्थियों के द्वारा प्राप्त अंकों के आधार पर अंतिम मेरिट सूची जारी की जाती है और इस सूची में शामिल अभ्यर्थियों को सिविल सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण माना जाता है.

मुख्य परीक्षा के विभिन्न प्रश्नपत्रों का मोटे तौर पर विश्लेषण निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है-

·         मुख्य परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र में निबंध (श्वड्डह्यह्य4) को शामिल किया गया है. इसमें दो खण्ड होते हैं. दोनों खण्डों में से एक-एक निबंध को लिखना होता है. एक निबंध को लगभग 1000-1500 शब्दों में लिखना होता है.

·         द्वितीय प्रश्नपत्र (सामान्य अध्ययन-प्रथम प्रश्नपत्र) में इतिहास, कला व संस्कृति, भारतीय समाज तथा भूगोल को सम्मिलित किया गया है.

·         तृतीय प्रश्नपत्र (सामान्य अध्ययन-द्वितीय प्रश्नपत्र) में भारतीय राजव्यवस्था, शासन व सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंध के खण्ड आते हैं.

·         चतुर्थ प्रश्नपत्र (सामान्य अध्ययन-तृतीय प्रश्नपत्र) में भारतीय अर्थव्यवस्था, आपदा प्रबंधन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तथा आंतरिक सुरक्षा जैसे विषयों को सम्मिलित किया गया है.

·         मुख्य परीक्षा के पंचम प्रश्न पत्र (सामान्य अध्ययन-चतुर्थ प्रश्नपत्र) में नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा, अभिरुचि, शासन में नीतिशास्त्र और केस स्टडीज जैसे महत्वपूर्ण विषयों को सम्मिलित किया गया है, जिसमें केस स्टडीज का भारांश सबसे अधिक रहता है जो दैनिक जीवन से जुड़ी हुई होती हैं.

अंत में साक्षात्कार (ढ्ढठ्ठह्लद्गह्म्1द्बद्ग2) होता है, जिसमें अभ्यर्थी के ज्ञान को न परखकर, उसके व्यक्तित्व को जांचा-परखा जाता है.

प्रथम प्रश्नपत्र में पूछे गए प्रश्नों का विश्लेषण

 

प्रथम प्रश्नपत्र में विगत वर्षों में यूपीएससी द्वारा पूछे गए विषयगत प्रश्नों की सूची

वर्ष

सामयिक मामले

इतिहास

भूगोल

राजव्यवस्था

अर्थव्यवस्था

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

पर्यावरण

2011

13

11

11

12

19

19

15

2012

1

19

17

20

17

9

17

2013

0

16

18

16

19

14

17

2014

8

20

14

14

10

16

18

2015

22

17

16

13

13

8

11

2016

27

15

7

7

18

8

18

2017

15

14

9

22

16

9

15

2018

14

22

10

13

18

10

13

 

विभिन्न वर्षों में यूपीएससी द्वारा प्रारम्भिक परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र के पाठ्यक्रम के खण्डों से पूछे गए प्रश्नों का अवलोकन करने पर निम्नलिखित परिणाम प्राप्त होते हैं-

·      करेंट अफेयर्स में यूपीएससी द्वारा पूछे गए प्रश्नों को सन् 2011 से लेकर 2018 तक देखें तो प्रतिवर्ष लगभग 13 प्रश्नों का औसत आता है. उपर्युक्त सूची में यूपीएससी द्वारा करेंट अफेयर्स से संबंध्ति उन प्रश्नों को रखा गया है जो प्रत्यक्ष रूप से समसामयिक घटनाओं से संबंध रखते हैं, यदि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में करेंट अफेयर्स के प्रश्नों का विश्लेषण किया जाये तो यह ज्ञात होता है कि यूपीएससी का करेंट अफेयर्स पर अत्यधिक जोर रहता है. यूपीएससी कोर विषयों के उन मुद्दों पर पैनी नजर रखती है जो किसी न किसी रूप में समसामयिक घटनाओं से जुड़े होते हैं. इसलिए अभ्यर्थी को सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करनी है तो करेंट अफेयर्स को अपने परम्परागत विषयों से जोड़कर पढ़ना अति आवश्यक है.

·      प्रथम प्रश्नपत्र के 'इतिहासÓ के खण्ड का विश्लेषण करें तो ज्ञात होता है कि यूपीएससी का विशेष ज़ोर 'आध्ुनिक भारत के इतिहासÓ पर रहता है. हालांकि यूपीएससी इस खण्ड में 'प्राचीन एवं मध्य भारत का इतिहासÓ और 'कला व संस्कृतिÓ से भी प्रश्न पूछती है, जिनमें से कला व संस्कृति पर अपेक्षाकृत अधिक ज़ोर रहता है. इतिहास के खण्ड में विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की संख्या देखें तो यह '11 प्रश्नÓ से कभी भी कम नहीं गई है और अधिकतम प्रश्नों की संख्या सन् 2018 में 22 तक पहुँच गयी. अत: अभ्यार्थियों को भारतीय इतिहास की एक सारगर्भित समझ होनी चाहिए.

·      पूर्व में भूगोल के खण्ड से काफी प्रश्न पूछे जाते थे (अपेक्षाकृत भारत के भूगोल से ज्यादा) किन्तु पिछले 2-3 वर्षों में यूपीएससी ने भूगोल के प्रश्नों का अनुपात कम किया है. इसका तात्पर्य यह नहीं है कि यूपीएससी की दृष्टि में भूगोल की प्रासंगिकता कम हो गयी है (भूगोल की जानकारी किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के लिए अति महत्वपूर्ण होती है). यूपीएससी कभी भी भूगोल के प्रश्नों के भारांश को प्रथम प्रश्नपत्र में बढ़ा सकती है, अत: अभ्यर्थी को इस विषय को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

·      राजव्यवस्था और शासन से संबंधित प्रश्नों का भारांश प्रतिवर्ष औसत रूप से 13 प्रश्नों का है. यूपीएससी ने राजव्यवस्था और शासन के खण्ड को हमेशा से महत्त्व दिया है और वर्ष 2017 में इस खण्ड से लगभग 22 प्रश्नों को पूछा गया था.

·      अर्थव्यवस्था से संबंधित ज्यादातर प्रश्न समसामयिकी से जुड़े होते हैं, किन्तु 2018 में आयोग ने इस खण्ड से गहराई में जाकर प्रश्नों को पूछा था, अत: अभ्यर्थी को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार होना चाहिए.

·      विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के ज्यादातर प्रश्न कहीं न कहीं करेंट अफेयर्स से जुड़ाव रखते हैं, जैसे समसामयिक वर्ष में किसी प्रौद्योगिकी से संबंधित किसी वैज्ञानिक को नोबेल पुरस्कार मिला है तो यह संभावना अधिक होती है कि यूपीएससी इस प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रश्न पूछे. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी खण्ड के अधिकतर प्रश्न दैनिक जीवन से जुड़े होते हैं.

·      यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में वन सेवा (स्नशह्म्द्गह्यह्ल स्द्गह्म्1द्बष्द्ग) को भी शामिल करती है, इसलिए पर्यावरण एवं परिस्थितिकी से संबंधित प्रश्नों का प्रथम प्रश्नपत्र में भारांश भी अत्यधिक होता है.

प्रारंभिक परीक्षा को उत्तीर्ण करने की रणनीति

सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र के प्राप्तांकों को मेरिट सूची में शामिल किया जाता है, इसलिए इस प्रश्नपत्र को ध्यान में रखकर अभ्यर्थी को अपनी रणनीति बनानी चाहिए. प्रथम प्रश्नपत्र में 55 से अधिक प्रश्नों (गलत हुए प्रश्नों के नकारात्मक अंक काटने के बाद बचे हुए प्रश्न) को यदि प्राप्त करना है तो अभ्यर्थी को इस प्रश्नपत्र के विभिन्न खण्डों (यथा-राजव्यवस्था, अर्थव्यवस्था, इतिहास आदि) की तैयारी हेतु एक उचित समय देना चाहिए. यह उचित समय अलग-अलग अभ्यर्थी की क्षमता के अनुसार अलग-अलग होता है, लेकिन देखा गया है कि परीक्षा में पहली बार शामिल होने वाले ज्यादातर अभ्यर्थी आमतौर पर 6 से 7 महीने का समय प्रारंभिक परीक्षा को देते हैं.

अभ्यर्थी को प्रथम प्रश्नपत्र के कुछ विशेष खण्डों पर अच्छी पकड़ बनानी चाहिए. अभ्यर्थी आधुनिक भारत का इतिहास, समसामयिकी, भारतीय राजव्यवस्था, भूगोल और भारतीय अर्थव्यवस्था पर अच्छी पकड़ बनाकर प्रारंभिक परीक्षा को आसानी से उत्तीर्ण कर सकते हैं. इन खण्डों से आने वाले प्रश्नों में से यदि 80 से 90 प्रतिशत प्रश्नों को भी अभ्यर्थी सही कर दें तो वे आसानी से 50 से अधिक सही प्रश्न कर जाएंगे.

इसके बाद प्रथम प्रश्नपत्र के अन्य खण्डों (यथा-पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आदि) की बात करें तो यहाँ यदि 20त्न तक भी प्रश्न सही होते हैं तो प्रारंभिक परीक्षा में बिना दुविधा के कटऑफ अंकों से अधिक स्कोर किया जा सकता है.

लेखक ध्येय आईएएस, नई दिल्ली के फाउंडर और सीईओ हैं

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.  

(छायाचित्र: गूगल के सौजन्य से)