जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत की प्रमुख उपलब्धियां
ईएन टीम
जी 20 शिखर सम्मेलन 31अक्तूबर 2021 को सदस्य देशों द्वारा रोम घोषणापत्र के अनुमोदन के साथ ही संपन्न हो गया. सन् 2014 के बाद से यह जी-20 देशों का आठवां शिखर सम्मेलन था. इसके साथ ही सन् 2019 में ओसाका शिखर सम्मेलन के बाद से व्यक्तिगत उपस्थिति के साथ आयोजित किया गया यह पहला शिखर सम्मेलन था. इटली के राष्ट्रपति की मेजबानी में आयोजित इस शिखर सम्मेलन का विषय था- 'लोग, ग्रह, समृद्धि, जिसमें महामारी से उबरने पर स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, रोज़गार, शिक्षा, पर्यटन और जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई जैसे सभी प्रमुख विषयों को समाहित किया गया था. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण तथा सतत् विकास के विषयों पर आयोजित सभी तीन सत्रों में भाग लिया. विकासशील देशों से संबंधित अनेक विचारणीय विषय जिनमें भारत ने नेतृत्व की भूमिका अदा की. रोम घोषणापत्र के अन्तर्गत लाए गए.
कोविड-19: 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य
जी-20 देशों ने कोविड से निबटने में भारत के इस दृष्टिकोण का समर्थन किया कि व्यापक कोविड टीकाकरण विश्व के हित में है. सदस्य देशों ने एक दूसरे देशों के टीकों को शीघ्र मान्यता देने, टीकों का तेजी से अनुमोदन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन को सुदृढ़ बनाने और दिसम्बर 2021 तक विकासशील देशों के ऋण पर मूलधन और ब्याज का भुगतान स्थगित रखने पर भी सहमति व्यक्त की. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सम्बोधन में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत के योगदान पर प्रकाश डाला. 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के भारत के दृष्टिकोण के बारे में उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण भविष्य में किसी भी संकट से निपटने की दिशा में दुनिया के लिए एक बड़ी शक्ति बन सकता है. श्री मोदी ने बताया कि भारत अगले वर्ष के अंत तक 5 अरब से अधिक वैक्सीन डोज का उत्पादन करने के लिए तैयार है. जी-20 देशों ने बाधा रहित यात्रा के लिए, परीक्षण की आवश्यकताओं और परिणामों, टीकाकरण प्रमाणपत्रों और डिजिटल अनुप्रयोगों को परस्पर मान्यता देने सहित साझा मानकों के महत्व को भी स्वीकार किया. भारत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, आपूर्ति शृंखलाओं और उत्पादन केन्द्रों के विस्तार के जरिए, वैक्सीन और नैदानिक पद्धतियों सहित, कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण संबंधी साधनों तक समान और किफायती पहुंच का जबरदस्त पक्षधर रहा है.
जलवायु लक्ष्य
विश्व के नेताओं ने पहली बार ऊर्जा और जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में स्थायी और किफायती खपत तथा उत्पादन के महत्व को पहचाना. यह समूचे विश्व में स्थायी जीवनशैली के मंत्र को प्रोत्साहित करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है. केवल जलवायु लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय भारत अन्य विकासशील देशों के साथ मिलकर यह मुद्दा उठाने में सफल रहा कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में विकसित देशों सहित, कौन से उपाय करने की आवश्यकता है. विकासशील देशों ने '2050 तक नेट-जीरो का लक्ष्य हासिल तय करने की असमानतापूर्ण मांग का विरोध किया और विकसित देशों में जलवायु लक्ष्यों की तुलना में 'महत्वकांक्षा के अभाव और पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को स्थगित करने के उनके प्रयासों को उजागर किया. निर्धन देशों की तुलना में विकसित देशों में कार्बन उत्सर्जन अभी भी अधिक है.
वाणिज्य मंत्री और जी-20 देशों के लिए नियुक्त शेरपा श्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत ने जलवायु कार्रवाई के आधार के रूप में जलवायु परिवर्तन संबंधी संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन और पेरिस समझौते के अनुरूप एक समान परन्तु विभेदक दायित्वों और अलग-अलग क्षमताओं के सिद्धांत (सीबीडीआर-आरसी) को शामिल करने पर बल दिया. 'भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि विकसित देशों ने 2020 तक सौ बिलियन डॉलर प्रति वर्ष उपलब्ध कराने का लक्ष्य हासिल नहीं किया, और उसने इस बात पर जोर दिया कि यह लक्ष्य 2023 तक अवश्य हासिल कर लिया जाना चाहिए.
सतत् विकास की दिशा में जी-20 की एक प्रतिबद्धता यह भी है कि विकसित राष्ट्र 2021 के अंत तक विदेशों में नए उपशमन-रहित कोयला विद्युत उत्पादन के लिए अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त के प्रावधान को समाप्त करेंगे. इसके बजाय वे हरित, समावेशी और सतत् विकास को प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक और निजी भागीदारी से धन जुटाएंगे.
वैश्विक आपूर्ति शृंखला दुरुस्त करना
जी-20 ने बाधित वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं की बढ़ती चुनौती पर भी विचार किया. वैश्वीकृत व्यापार प्रणाली अभी भी कोविड-19 महामारी से जूझ रही है, जिसके कारण वस्तुओं का अभाव पैदा हो रहा है और अनुचित व्यापार मार्ग बन रहे हैं.
जी20 शिखर सम्मेलन से अलग वैश्विक आपूर्ति शृंखला शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक आपूर्ति शृंखला को नियंत्रित करने के लिए तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर बल दिया-विश्वसनीय स्रोत, पारदर्शिता और समय-सीमा. महामारी के शुरुआती महीनों का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि उस दौरान किस तरह से विभिन्न देशों ने टीके, स्वास्थ्य उपकरण और आवश्यक दवाओं के उत्पादन के लिए कच्चे माल की कमी महसूस की. श्री मोदी ने कहा कि महामारी के बाद भी स्वस्थ विकास के रास्ते में आर्थिक सुधार और वस्तुओं की आपूर्ति की समस्या बाधा बन रही है.
'मेरा मानना है कि वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में सुधार के लिए तीन पहलू सबसे महत्वपूर्ण हैं - विश्वसनीय स्रोत, पारदर्शिता और समय-सीमा. यह आवश्यक है कि हमारी आपूर्ति विश्वसनीय स्रोतों से हो. यह हमारी साझा सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है. विश्वसनीय स्रोत ऐसा होना चाहिए कि उनमें प्रतिक्रियाशील प्रवृत्ति न हो ताकि आपूर्ति शृंखला को बदले की भावना के नज़रिए से बचाया जा सके. आपूर्ति शृंखला की विश्वसनीयता के लिए यह भी आवश्यक है कि उसमें पारदर्शिता हो. आज हम देख रहे हैं कि पारदर्शिता की कमी के कारण दुनिया की कई कंपनियां छोटी-छोटी चीजों की कमी का सामना कर रही हैं. यदि आवश्यक चीजों की समय पर आपूर्ति नहीं हुई तो इससे बड़ा नुकसान हो सकता है. यह अनुभव हमने कोरोना काल के दौरान दवा क्षेत्र और चिकित्सा आपूर्ति में स्पष्ट रूप से महसूस किया है. इसलिए एक समय सीमा के भीतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, हमें अपनी आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लानी ही होगी. इसके लिए विकासशील देशों में वैकल्पिक विनिर्माण क्षमता विकसित करनी होगी. - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आपूर्ति शृंखला सुधार पर वैश्विक शिखर सम्मेलन के दौरान.
भारत ने टीकों की वैश्विक आपूर्ति में सुधार के लिए टीकों के निर्यात की गति तेज की है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बेहतर और किफायती कोविड-19 टीकों की आपूर्ति के लिए भारत, क्वाड साझेदारों के साथ भी काम कर रहा है. भारत अगले वर्ष दुनिया के लिए 5 अरब कोविड टीकों का उत्पादन करने के लिए तैयारी कर रहा है, और इसके लिए महत्वपूर्ण यह है कि कच्चे माल की आपूर्ति में कोई बाधा न हो.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत पहले से ही आईटी और फार्मा आपूर्ति शृंखला का भरोसेमंद स्रोत है, और अब वह स्वच्छ प्रौद्योगिकी आपूर्ति शृंखला में भागीदारी का इच्छुक है.
किसान और खाद्य सुरक्षा
भारत और अन्य विकासशील देशों के लिए एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि नेताओं ने सैद्धांतिक रूप से छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने पर भी सहमति व्यक्त की. भारत ने जोर देकर कहा था कि नीतियां छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा और स्थानीय खाद्य संस्कृतियों के संरक्षण के अनुरूप होनी चाहिए, इससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी. इसके लिए सुदृढ़ और उन्नत खाद्य प्रणालियों और कृषि के क्षेत्र में नवाचारों की दिशा में वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है, जो भुखमरी और गरीबी समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं. जी20 शिखर सम्मेलन ने मटेरा घोषणा की पुष्टि की जिसमें, अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया गया है कि वह समावेशी और उन्नत खाद्य शृंखला बनाने और सभी के लिए पर्याप्त पोषण सुनिश्चित करे, जो 2030 तक 'भुखमरी की समस्या को पूरी तरह समाप्त करने के लिए निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप है. मटेरा घोषणा इस वर्ष जून में जी-20 के विदेश मामलों और विकास मंत्रियों की पहली संयुक्त बैठक में पारित की गई थी. यह घोषणा 'कृषि और खाद्य प्रणालियों को तेजी से, जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने पर केंद्रित है, क्योंकि बढ़ती जलवायु परिवर्तनशीलता और मौसम संबंधी आपदाएं कृषि उत्पादन को दुष्प्रभावित करती हैं और वैश्विक भूखमरी में वृद्धि को बढ़ावा देने वाले घटकों में शामिल हैं. इसमें स्थायी कृषि के महत्व को स्वीकार किया गया है.
वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर
जी-20 देशों के नेताओं ने न्यूनतम 15 प्रतिशत कॉर्पोरेट टैक्स के वैश्विक समझौते की औपचारिक रूप से पुष्टि की. नई कर व्यवस्था 2023 से प्रभावी होगी. इससे कराधान से बचने के लिए कारोबार और मुनाफे को कर की कम दरों वाले देशों में स्थानांतरित करने की बहुराष्ट्रीय कंपनियों की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा. सूचना प्रौद्योगिकी ने किसी क्षेत्र में भौतिक उपस्थिति के बिना ही व्यापार संचालन की अड़चने दूर कर दी हैं. परम्परागत रूप से, राष्ट्र अपने क्षेत्र में संचालित व्यापार पर कर लगाते रहे हैं. इस परम्परा को इंटरनेट की तीव्र गति से क्षति पहुंची है. इसलिए, नई वैश्विक कराधान नीति, आंशिक रूप से, कंपनियों द्वारा वैश्विक वाणिज्य के बढ़ते डिजिटीकरण को, कंपनियों द्वारा मुनाफा कमाने के स्थान की बजाय कार्य संचालन के स्थान के आधार पर, नियंत्रित करेगी.
विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला के अनुसार, कंपनियों पर 15 प्रतिशत न्यूनतम वैश्विक कॉर्पोरेट कर लगाने का विचार पहली बार 2014 में जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रस्तावित किया था, जिसका लक्ष्य- वैश्विक वित्तीय संरचना को अधिक निष्पक्ष और न्यायोचित बनाना है.
'यह अधिक युक्तिसंगत कर संरचना सुनिश्चित करने, और कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में बेहतर सहयोग सुनिश्चित करने की दिशा में अत्यन्त महत्वपूर्ण कदम है - विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंंगला.
दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रभावशाली देशों के नेताओं का वार्षिक सम्मेलन, जी-20 शिखर सम्मेलन, नेताओं को ज्वलंत आर्थिक और वैश्विक मुद्दों को हल करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराता है. समूह ने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से निबटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यह प्रमुख देशों के लिए व्यापार, जलवायु परिवर्तन, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और हाल ही में, कोविड-19 महामारी जैसे मुद्दों पर समझौतों के लिए वार्तालाप का स्थान है.
(स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय, आकाशवाणी,
जी20.ओआरजी और विदेश मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल)