आज़ादी का डिजिटल महोत्सव
डिजिधन मिशन - कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर
भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था का निर्माण करने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने की दिशा में तेजी से आमूलचूल परिवर्तन ला रहा है. डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उदय के साथ मोबाइल फोन का तेजी से प्रसार हुआ. इसके बाद सरकार ने एक मजबूत, सुरक्षित, अखिल भारतीय डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने की दिशा में केंद्रित पहल की, ताकि इसके लाभ समस्त आबादी के सभी वर्गों तक पहुंचाए जा सके. सरकार ने जून 2017 में डिजिधन मिशन की शुरुआत की ताकि सभी क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित किया जा सके. इसके बाद सरकार ने लगातार आगे कदम बढ़ाए और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वित्त वर्ष 2018 में 2 हजार 71 करोड़ रुपये का कुल लेनदेन हुआ, इसके बाद वित्त वर्ष 2021 में कुल लेनदेन बढ़कर 5 हजार 5 सौ 51 करोड़ रुपये हो गया.
डिजिटल भुगतान, एक तरह से डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का ही विस्तार है. इसमें वित्तीय लेनदेन को औपचारिक रूप देकर भारत की अर्थव्यवस्था को बदलने की क्षमता है. वित्तीय समावेशन भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती रही है. डिजिधन मिशन ने औपचारिक वित्तीय सेवाओं और ई-कॉमर्स के लाभों तक सभी की पहुंच सुगम बनायी है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिन्हें बैंकों में भुगतान प्रणाली की महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद इसके लाभ नहीं मिल पा रहे थे.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हाल ही में आजादी का अमृत महोत्सव (भारत की स्वाधीनता के 75 वर्ष) मनाने के हिस्से के रूप में डिजिटल भुगतान उत्सव का आयोजन किया. यह आयोजन डिजिधन मिशन की सफलता को समर्पित किया गया. इसका लक्ष्य भारत में डिजिटल भुगतान की यात्रा और उसके विकास का उत्सव मनाना था, जिसमें सरकार, बैंकिंग क्षेत्र, फिनटेक कंपनियों और स्टार्टअप्स के प्रमुख प्रतिनिधियों ने हिस्सां लिया. इस कार्यक्रम में डिजिधन लोगो का अनावरण करने के साथ ही, डिजिटल भुगतान संदेश यात्रा नामक एक जागरूकता अभियान का शुभारंभ हुआ. इसका शीर्षक डिजिटल भुगतान गान 'चुटकी बजा के (कैशलेस, टचलेस, पेपरलेस) था. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की दिशा में वित्त वर्ष 2019-20 और वित्त वर्ष 2020-21 में विभिन्न श्रेणियों में शीर्ष बैंकों और फिनटेक को उनकी उपलब्धियों के लिए पुरस्कृत और सम्मानित किया गया. आयोजन के दौरान, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने रेहड़ी पटरी वालों के लिए पीएम स्वनिधि योजना-माइक्रो क्रेडिट सुविधा के अन्तर्गत रेहड़ी पटरी वालों यानी स्ट्रीट वेंडर्स को ऑनबोर्ड करने के लिए चार भुगतान प्रणालियों की एकरूपता के योगदान को भी मान्यता दी गई.
इस आयोजन में अभिनव समाधानों या नूतन उपायों का शुभारंभ हुआ जैसे :
पेमेन्ट-ऑन-द-गो
सिटी यूनियन बैंक ने रुपे-ऑन-द-गो लॉन्च किया. इस गैजेट के साथ, हर कोई अब भुगतान को अपने फैशन एक्सेसरी का हिस्सा बना सकता है, जिसे वे हर दिन, कहीं भी अपने साथ ले जा सकते हैं, साथ ही बटुए से मुक्ति भी मिल जाती है.
यह नवीन समाधान सम्पर्क रहित भुगतान को नई परिभाषा प्रदान करता है, जिसमें कार्ड ले जाने की भी आवश्यकता नहीं है और एक सरल 'टैप, पे, गो तंत्र के साथ तत्काल भुगतान संभव हो जाता है. रुपे ऑन-द-गो एक इंटरऑपरेबल, ओपन-लूप समाधान है जिसका उपयोग ग्राहक रिटेल आउटलेट्स पर रुपे कॉन्टैक्टलेस-इनेबल्ड पीओएस पर कर सकते हैं.
सभी के लिए समावेशी क्रेडिट
फिनटेक में क्रेडिट कार्ड अगला बड़ा कदम है और यह भी संपर्क रहित लेनदेन करने में आगे का रास्ता है. इसे अगले स्तर तक ले जाने के लिए, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक-पंजाब नेशनल बैंक, कोटक बैंक, यस बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और सिटी यूनियन बैंक ने रुपे नेटवर्क पर संपर्क रहित क्रेडिट कार्ड शुरू किए हैं.
छोटे व्यापारियों को सशक्त बनाना
भारत में करीब 1.5 करोड़ खुदरा स्टोर या किराना स्टोर हैं. यूनियन बैंक ने पॉइंट ऑ$फ सेल्स के लिए एंड्रॉइड-आधारित सॉफ्टपोस मोबाइल ऐप शुरू करने की घोषणा की. यह भी डिजिटल भुगतान अपनाने को आगे बढ़ाएगा.
डिजिधन क्या है?
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने की दृष्टि से भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है. 'फेसलेस, पेपरलेस, कैशलेस डिजिटल इंडिया की घोषित भूमिकाओं में से एक है. भारत सरकार द्वारा डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है. इसका लक्ष्य यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), अनस्ट्रेक्चर्ड सप्लीमेंटरी सर्विस डेटा (यूएसएसडी), आधार पे, इम्मीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) और डेबिट कार्ड के माध्यम से भारत के सभी नागरिकों को सुविधाजनक, आसान, किफायती, त्वरित और सुरक्षित तरीके से निर्बाध डिजिटल भुगतान की सुविधा प्रदान करना है.
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने और मिशन मोड में लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई पहल की हैं. उनमें से कुछ नीचे उल्लिखित हैं.
· उच्च नागरिक संपर्क वाले केंद्रीय मंत्रालयों, सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए डिजिटल भुगतान लेनदेन के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं.
· कई मंत्रालयों के साथ डिजिटल भुगतान जागरूकता पर प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन किया गया अथवा आयोजन करने की योजना बनाई गई है; इनमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, डाक विभाग, विद्युत मंत्रालय, पंचायती राज और रक्षा मंत्रालय शामिल हैं.
· डिजिटल भुगतान के प्रचार के लिए प्रचार सामग्री हितधारकों के साथ साझा की जा रही है ताकि जागरूकता और जानकारी बढ़ायी जा सके.
· बैंकों द्वारा डिजिटल लेनदेन के लक्ष्य हासिल करने की दिशा में प्रगाति का पता लगाने और उन पर निगरानी रखने के लिए डिजिटल भुगतान डैशबोर्ड बनाया गया है.
• व्यापारियों के लिए कैश बैक योजनाएं
• आधार व्यापारी प्रोत्साहन योजनाएं
• व्यक्तियों के लिए रेफरल बोनस योजनाएं
डिजिधन के विकास पर निगरानी रखना
कम-नकदी अर्थव्यवस्था के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए देश में होने वाले सभी डिजिटल लेनदेन की सटीक रिपोर्टिंग, निगरानी और विश्लेषण की आवश्यकता है ताकि भौतिक/मोबाइल/भीम आधार पीओएस उपकरणों की तैनाती के माध्यम से बुनियादी ढांचे का विकास किया जा सके. एमईआईटीवाई ने 'डिजीधन डैशबोर्ड विकसित किया है जो देश में डिजिटल भुगतान लेनदेन के विकास को ट्रैक करने में मदद करता है और डिजिटल भुगतान प्रचार गतिविधियों की प्रभावी योजना के लिए इनपुट प्रदान करता है. यह बैंक-वार लेनदेन के विवरण के साथ-साथ भीम, आईएमपीएस, कार्ड आदि जैसे लेनदेन के विभिन्न तरीकों के विकास पैटर्न की जानकारी ग्राफिकल रूप में प्रदान करता है.
डिजिधन डैशबोर्ड एकमात्र ऐसा डैशबोर्ड है जो रिजर्व बैंक, नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) और 100 से अधिक बैंकों, शहरों, राज्यों और मंत्रालयों से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), इम्मडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस), डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड जैसे 15 से अधिक डिजिटल भुगतान माध्यमों का समेकित रूप प्रदान करता है. डैशबोर्ड के पी आईज (प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों) के आधार पर बैंकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है और शीर्ष और निम्न प्रदर्शन करने वाले बैंकों की पहचान करता है. इसके अलावा, डैशबोर्ड प्रति व्यक्ति आधार पर डिजिटल भुगतान लेनदेन का राज्य-वार विवरण प्रदान करता है और बिजनेस इंटेलिजेंस संचालित डेटा विश्लेषण सामने रखता है.
डैशबोर्ड में डिजिधन मित्र चैटबॉट भी है. यह 2019 में शुरू किया गया, एआई-आधारित चैटबोट (एनआईसी द्वारा डिजाइन और विकसित) डिजीधन पोर्टल का अध्ययन करते हुए, उपयोगकर्ता के साथ एक टेक्स्ट और आवाज पर आधारित बातचीत को सक्षम बनाता है. चैटबॉट वास्तविक समय में उपयोगकर्ता के प्रश्नों का सक्रिय रूप से समाधान करता है और उपयोगकर्ता के प्रश्नों का यथा शीघ्र निबटान करता है, जिससे संसाधन और समय की बचत होती है. चैटबॉट कई भाषाओं में काम कर सकता है और टेक्स्ट, बार ग्राफ और चार्ट के रूप में अनुकूलित जानकारी के माध्यम से उपयोगकर्ता के प्रश्नों का उत्तर दे सकता है. यह अंग्रेजी और हिंदी में आवाज की पहचान भी कर सकता है.
प्रमुख ड्राइवर्स
डिजिटल भुगतान क्षेत्र की व्यापक प्रगति कई कारकों से प्रेरित है, जिनमें भुगतान करने की सुविधा, लगातार बढ़ती स्मार्ट फोन की पहुंच, गैर-बैंकिंग भुगतान संस्थानों (भुगतान बैंक, डिजिटल वॉलेट, आदि) का उदय, प्रगतिशील नियामक नीतियां और डिजिटल पेमेंट प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने के इच्छुक उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या, शामिल हैं. भारत, वर्तमान में, 300 मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार है. इनमें से 50 प्रतिशत उपयोगकर्ता केवल मोबाइल फोन के माध्यम से इंटरनेट से जुड़े हैं और वे डिजिटल भुगतान की विकास गाथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. भुगतान बैंक, डिजिटल वॉलेट और भारतक्यूआर जैसी अगली पीढ़ी की भुगतान प्रणाली के आगमन से डिजिटल भुगतान को और बढ़ावा मिल रहा है. द फ्यूचर ऑफ पेमेंट्स इन इंडिया: मोर स्पेकेक्युलर ग्रोथ अहेड शीर्षक से आईडीसी फाइनेंशियल इनसाइट्स की रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया है कि भारत में डिजिटल भुगतान 2022 तक नकदी की जगह ले लेगा. डिजिटल भुगतान के अन्य प्रमुख संचालकों में नीतिगत ढांचे में सकारात्मक बदलाव और यूपीआई, आधार से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक भुगतान और डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार जैसे सरकार के उपाय शामिल हैं.
किफायती
डिजिटल भुगतान सेवाएं प्रदान करने में शामिल संस्थाएं लागत वहन करती हैं, जो आम तौर पर व्यापारी या ग्राहक से वसूल की जाती हैं या एक या अधिक प्रतिभागियों द्वारा वहन की जाती हैं. ग्राहकों द्वारा इन शुल्कों को वहन करने के फायदे और नुकसान दोनों हैं, परन्तु, वे उचित होने चाहिए और डिजिटल भुगतान को अपनाने में बाधक नहीं होने चाहिए. इसे ध्यान में रखते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 08 दिसंबर 2021 को घोषणा की कि वह एक विमर्श पत्र जारी करेगा जो उन शुल्कों पर केंद्रित होगा जिनका भुगतान ग्राहकों को विभिन्न भुगतान प्रणालियों जैसे क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, प्रीपेड भुगतान माध्यमों (कार्ड और वॉलेट), यूपीआई, आदि पर करना होता है. रिजर्व बैंक की विज्ञप्ति में कहा गया है कि 'विमर्श पत्र में सुविधा शुल्क, अधिभार आदि, से संबंधित मुद्दों और डिजिटल लेनदेन को उपयोगकर्ताओं के लिए किफायती और सेवा प्रदाताओं के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी बनाने के लिए आवश्यक उपायों के बारे में फीडबैक भी आमंत्रित किया जायेगा.
वैश्विक बाजार के साथ तुलना
अनुमान है कि भारत में करीब पच्चीस अन्य देशों की तुलना में डिजिटल भुगतान का सबसे विकसित तंत्र है. यह सर्वेक्षण अमेरिका की बैंकिंग प्रौद्योगिकी कंपनी एफआईएस द्वारा किया गया था. इसमें ब्रिटेन, चीन और जापान भी शामिल हैं. इन 25 देशों में डिजिटल भुगतान को मापने के लिए एफआईएस द्वारा उपयोग किए जाने वाले मापदंडों में सेवाओं की चौबीसों घंटे उपलब्धता, मंजूरी और भुगतान की शीघ्रता शामिल है. एफआईएस ने इन 25 देशों में 1-5 के पैमाने पर विभिन्न भुगतान प्रणाली के फास्टर पेमेंट्स इनोवेशन इंडेक्स (एफपीआईआई) दरों का उपयोग किया, जिसमें 5 उच्चतम रेटिंग है. एफपीआईआई के अनुसार ब्रिटेन, सिंगापुर, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, चीन, जापान और अन्य देशों को पीछे छोड़ते हुए, भारत की आईएमपीएस सेवा 5 रेटिंग स्तर प्राप्त करने वाली एकमात्र प्रणाली थी.
यह निश्चित रूप से भारत की डिजिटल भुगतान कहानी को एक बड़ी रोमांचक प्रगति की ओर उन्मुख करता है.
संकलन : ईएन टीम
(स्रोत : pibindia.gov.in, meity.gov.in, digipay.gov.in, ibef.org)