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Volume-9

सामाजिक और वित्तीय समावेश
पिछले तीन वर्षों में सरकार की पहलें

गुरु प्रकाश

पिछले तीन वर्षों के दौरान, हमें वंचित वर्गों के लिये सामाजिक न्याय की दिशा में मूलभूत परिवर्तन देखने को मिला है. अब कल्याण और पात्रता की राजनीति से हटकर अधिक भागीदारी के साथ सशक्तिकरण के मॉडल पर फ़ोकस किया जा रहा है. सामाजिक रूप से वंचित समाज के वर्गों के सशक्तिकरण के लिये भारत सरकार सभी तरीकों से विभिन्न पहलुओं का प्रभावी आकलन कर रही है. इस आलेख में वर्तमान सरकार द्वारा सामाजिक न्याय और गांव के अंतिम व्यक्ति तक के समग्र विकास के बुनियादी उद्देश्य को वास्तविकता में बदलने के लिये उठाये गये कदमों के बारे में कुछेक अवलोकन प्रस्तुत किया गया है, जो कि अंत्योदय के सिद्धांत की नित्य प्रतिबद्धता का परावर्तक है. सरकार के पिछले तीन वर्षों की वार्षिक वित्तीय विवरणों ने इसकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्वदेशी अवसंरचना को मज़बूत करने की इसकी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है जो कि हमारे गांवों के मूल में छिपी है. यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अनेक अवसरों पर दोहराई गई प्रतिबद्धता का संकेत है. वर्तमान सरकार के गठन के बाद से, उन्होंने अपने इरादों को स्पष्ट किया है कि सरकार का प्रमुख एजेंडा ‘‘वंचितों का कल्याण‘‘ बना रहेगा.
सामाजिक न्याय हमारे संविधान का आधार स्तम्भ रहा है. विकास और न्याय के दो भागों के बीच किसी को भी शासन की प्रमुख जि़म्मेदारियों को नजऱ अंदाज नहीं करना चाहिये. जहां तक विकास का संबंध है, ग़ैर-सरकारी क्षेत्र संसाधनों और विकास को संचालित करने के लिये पर्याप्त रूप से सुसज्जित हैं, लेकिन अधिक स्थाई समावेश केवल सरकार के हस्तक्षेप से ही वास्तविकता में बदल सकता है. यहां पर एक सक्रिय सहयोगी के तौर पर सरकार की भूमिका पर पुनरावलोकन आवश्यक हो जाता है. अत: यह राय व्यक्त की जाती है कि सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है और यह न्यूनतम नहीं होनी चाहिये. विनिवेश और एकाएक निजीकरण पर पारदर्शिता पर बहस और चर्चा होनी चाहिये क्योंकि लाभ कमाना और राजस्व सृजन करना व्यापक प्रतिस्पर्धा और योग्यतम का अस्तित्वसिंड्रोम को जन्म देता है. जो समाज के किनारे पर हैं वे कार्पोरेट दुनिया की अत्यधिक मांग की स्थिति में प्रतिस्पर्धा करने में समर्थ नहीं हो पाते हैं. अत: एक महत्वपूर्ण चुनौती समाज के इन वर्गों के लिये व्यवसाय करना आसान बनाने के लिये एक दोस्ताना वातावरण सृजित करना है.
यहां उपनगरीय उद्यमिताका विकास आता है, जिसका उद्देश्य वित्तीय और विनियामक सुविधाओं से युक्त अपेक्षित समर्थन प्रणाली के साथ उपनगरों को कौशल आधार से सुसज्जित करना है. हर कोई इस तथ्य को जानता है कि सरकारी नौकरियां सिकुड़ती जा रही हैं और किसी भी स्थिति में सरकारी नौकरियों पर अत्यधिक निर्भरता रखना वांछनीय स्थिति नहीं होती है. भारत परंपरागत रूप से विभिन्न कौशलों और दस्तकारों, जैसे कि जूते बनाना, एम्ब्रॉयडरी, पॉलिशिंग, हथकरघा आदि का संरक्षक रहा है. यह कौशल विकास का क्षेत्र है जिसमें किसी को भी अपने नागरिकों के मौजूदा कौशलों को वैश्वीकरण की दुनिया की अत्यधिक बढ़ती मांग के अनुरूप बनाना आवश्यक है. नीतियों के अनुरूप कार्रवाइयों में सहकारिताओं, कार्पोरेट्स और नागरिक समाज में सुसंगठित अंतरापृष्ठों के साथ-साथ सांस्थानिक और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर संलग्नता के जरिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिये.
वित्तीय समावेश समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर और कम आय वाले तबकों को किफायती लागतों पर वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है. इसकी सत्यता में, भारत सरकार ने सामाजिक क्षेत्र के मोर्चे पर कई कदम उठाये हैं जो कि सभी सामाजिक क्षेत्र नीति में महत्वपूर्ण बदलाव को परिलक्षित करते हैं. समावेशी विकास से परिपूर्ण कार्यात्मक नीति समय की मांग है और वर्तमान सरकार इस दिशा में अनेक योजनाएं और कार्यक्रम सफलतापूर्वक संचालित कर रही है.
संघीय सरकार द्वारा सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के लिये संचालित की गई महत्वपूर्ण पहलों का उल्लेख नीचे किया गया है:-
*गऱीबों का वित्तीय समावेश: प्रधानमंत्री जन धन योजना. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है जिसमें आर्थिक अस्पृश्यता समाप्त करने के लक्ष्य के साथ यह सुनिश्चित किया गया है कि आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों का बैंक खाता होना चाहिये.
*सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क का विस्तार: इसे प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (दुर्घटना बीमा), अटल पेंशन योजना (असंगठित क्षेत्र) और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना (जीवन बीमा) के जरिये हासिल किया गया है, जो कि समाज के वंचित वर्गों को व्यापक सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है.
*उपनगरीय उद्यमशीलता के लिये सांस्थानिक समर्थन: इसे भारत के ग्रामीण परिवेश में उद्यमियों को सूक्ष्मवित्त उपलब्ध करवाने के लिये मुद्रा बैंक के जरिये हासिल किया गया है. वंचित समुदायों से आने वाले अजा/अजजा उद्यमियों के लिये राष्ट्रीय हब का सृजन किया गया है.
वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिये मुद्रा ऋण:
सूक्ष्म इकाइयों को स्वीकृत किये गये मुद्रा ऋणों की संख्या- रु 3,48,80,924 (3.48 करोड़)
स्वीकृत राशि: रु 1,37,449.27 करोड़
वितरित राशि: रु 1,32,954.73 करोड़
*अनुसूचित जाति के उद्यमियों के लिये वेंचर कैपिटल फंड: इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जातियों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना और उन्हें रियायती वित्त उपलब्ध करवाना है. योजना का कार्यान्वयन इंडस्ट्रियल फाइनेंस कार्पोरेशन ऑफ  इंडिया (आईएफसीआई) लिमिटेड करेगा जिसके लिये 200 करोड़ रु आबंटित किए गए है.

सामाजिक श्रेणी मुद्रा ऋण लाभार्थी: तथ्य शीट

सामाजिक      
अजा                   
अजजा                 
अपिव                  
ऋणों की संख्या 2015-16
(शिशकु/कुमार/तरुण )
61,14,737
16,78,346
1,06,08,416
कुल मुद्रा ऋण का %
(3.48 करोड़)
17.5%
4.81% 
30.41%
वितरित राशि, रु करोड़ में
14,691.79
4,742.03
29,762.51
* स्रोत- mudra.org.in डीआईसीसीआई सचिवालय द्वारा संकलित

*अनुसूचित जातियों के लिये ऋण वृद्धि गारंटी योजना: योजना का उद्देश्य अनुसूचित जातियों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना और उन्हें रियायती वित्त सुविधा प्रदान करना है. इस योजना के संचालन के लिये आईएफसीआई लिमिटेड को 200 करोड़ रू का बजट आबंटित किया गया है.
*स्वच्छता उद्यमी योजना: प्रधानमंत्री द्वारा 2 अक्तूबर, 2014 में शुरू किये गये स्वच्छ भारत अभियानके अभिन्न भाग के तौर पर राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम ने व्यवहार्य सामुदायिक शौचालय योजनाओं और कूड़ा संग्रह के लिये स्वच्छता संबंधी वाहनों के वित्तपोषण के लिये एक नई योजना स्वच्छता उद्यमी योजनाशुरू की है.
*हरित व्यवसाय योजना: योजना की शुरूआत एनएसएफडीसी ने अनुसूचित जातियों और सफाई कर्मचारियों की सतत आजीविका के समर्थन के लिये हरित व्यवसायों को प्रोत्साहन के उद्देश्य से शुरू की है. उन आर्थिक गतिविधियों के लिये वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जायेगी जो कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को हल कर सकें, उदाहरणार्थ: ई-रिक्शा, सौर पंप और सौर ऊर्जा पर चलने वाले अन्य उपकरण आदि.
*सेनिटरी मार्ट स्कीम: यह योजना 2014-15 में शुरू की गई थी. योजना के अधीन शौचालयों/जैव-अवक्रमणीय शौचालयों के निर्माण के लिये सफाई कर्मचारियों को 15 लाख रु तक प्रदान किये जाते हैं.
*स्टैंड अप इंडिया - यह योजना हाल में समाज के सर्वाधिक वंचित वर्गों के बीच उद्यमशीलता की भावना के विकास के लिये शुरू की गई थी. ये विशिष्ट वर्ग अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातियां और महिलाएं हैं. इस योजना के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की प्रत्येक शाखा को महिला और अजा/अजजा श्रेणी से प्रत्येक से एक उद्यमी को समर्थन प्रदान करने को कहा गया है.
*पंचतीर्थ की घोषणा: भारत सरकार ने बाबासाहेब से संबंधित 5 महत्वपूर्ण स्थानों को पंचतीर्थ के तौर पर समर्पित करने का फैसला किया है जिसका उद्देश्य वर्तमान दलित पीढ़ी को तीर्थ स्थलों के प्रति प्रेरित करना है. मध्य प्रदेश सरकार ने बाबासाहेब की जन्मस्थली महू में एक विशाल मैमोरियल की स्थापना की है. महाराष्ट्र सरकार ने लंदन में 10, किंग हेनरी रोड को खरीद लिया है जहां बाबासाहेब ने उच्चतर शिक्षा ग्रहण की थी. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में शहर के दौरे के दौरान इसका उद्घाटन किया.
इन योजनाओं से यह स्पष्ट होता है कि मौजूदा सरकार दलितों और जनसंख्या के अन्य वंचित वर्गों के उत्थान के लिये प्रतिबद्ध है. जैसा कि उल्लेख किया गया है कि वर्तमान सरकार ने गरीबी उन्मूलन और समाज के कमज़ोर वर्गों के सशक्तिकरण के लिये अनेक कदम उठाये हैं.
लेखक इंडिया फाउण्डेशन, नई दिल्ली में वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता और परियोजना प्रमुख के तौर पर काम कर रहे हैं.
आलेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं.
सौजन्य: पीआईबी