भारत में बदलता कृषि परिदृश्य
कृषि में डिजिटल उपकरणों की भूमिका
जगदीप सक्सेना
“बदलते भारत का एक महत्वपूर्ण पहलू डिजिटल कृषि है। यह हमारा भविष्य है और देश के प्रतिभावान युवा इसमें बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं। डिजिटल प्रौद्योगिकी के साथ भारत के किसानों को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं। फसल मूल्यांकन में प्रौद्योगिकी और कृत्रिम मेधा का इस्तेमाल बढा है, भूमि अभिलेखों का डिजिटीकरण किया गया है और कीटनाशकों तथा पोषक तत्वों का छिड़काव ड्रोन के माध्यम से किया जा रहा है।“
-प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी
डिजिटल कृषि अनिवार्य रूप से खेती को अधिक लाभप्रद तथा संधारणीय बनाने के लिए लक्षित सूचना तथा सेवाएं विकसित और वितरित करने में सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकियों (आईसीटी) और डेटा सिस्टम के उपयोग को बढ़ावा देती है। नई और उभरती प्रौद्योगिकियां जैसे कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), ड्रोन, रिमोट सेंसिंग, ब्लॉक चेन, कृत्रिम मेधा आदि पारंपरिक कृषि को डेटा-संचालित उम्दा कृषि प्रणाली में बदलने के लिए तैयार हैं। खेती और इससे संबंधित 40 से अधिक महत्वपूर्ण गतिविधियों की पहचान की गई है जिनमें डिजिटल प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग से दक्षता में काफी वृद्धि हो सकती है। कटाई-पूर्व अवस्था में, मृदा स्वास्थ्य रिकॉर्ड और मौसम पूर्वानुमान के आधार पर फसल और इनपुट चयन में डिजिटल अनुप्रयोग बहुत प्रभावी पाए गए हैं। फसल विकास चरण के दौरान, कीट तथा रोग निगरानी प्रबंधन, सिंचाई समय-निर्धारण और समय पर मौसम की सलाह ऐसे प्रमुख क्षेत्र हैं जिनमें डिजिटल तकनीकों ने अपनी प्रभावकारिता साबित की है। कटाई के बाद के चरण में, डिजिटल प्लेटफॉर्म घरेलू और विदेशी बाजारों में रीयल-टाइम डेटा संचरण से किसानों की मदद करते हैं। उत्पादकों को प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और परिवहन के बारे में क्षेत्र विशेष की सुविधा भी मिलती है। डिजिटल एप्लिकेशन सर्वोत्तम ऋण तथा फसल बीमा सुविधाएं हासिल करने के लिए मार्गदर्शन तथा सुविधा प्रदान करते हैं और किसानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में भी मदद करते हैं। डिजिटल तकनीकों को अपनाने से उत्पादन पद्दतियों का आधुनिकीकरण होता है, फसल की विफलता का जोखिम कम होता है और अधिक तथा संधारणीय पैदावार और सतत वार्षिक रिटर्न मिलता है। कृषक समुदाय के अलावा, कृषि के डिजिटीकरण से कृषि मूल्य श्रृंखला में गैर-पारंपरिक पक्षों जैसे सॉफ्टवेयर/ऐप डेवलपर, डेटा विश्लेषक, डिजिटल कृषि उद्यमी आदि के लिए नए अवसर खुलते हैं ।
दृष्टिकोण
भारत सरकार ने 2015 में, देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए एक बहुत व्यापक डिजिटल इंडिया कार्यक्रम शुरू किया। मिशन के तहत संगठित और लक्षित प्रयासों से दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे देश में सुरक्षित और स्थिर डिजिटल बुनियादी ढांचे की स्थापना हुई है। किसानों और अन्य ग्रामीण समुदायों को डिजिटल सेवाएं प्रदान करने के लिए 1.72 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड बुनियादी ढांचे के साथ सेवाओं के लिए तैयार किया गया है। 5.58 लाख से अधिक गांवों में अब वायरलेस ब्रॉडबैंड सुविधा उपलब्ध है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 692 मिलियन सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से 50 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण इलाकों से हैं। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि 'ज्यादातर विकास ग्रामीण भारत (351 मिलियन उपयोगकर्ता) द्वारा संचालित किया जा रहा है क्योंकि ऐसा लगता है कि शहरी भारत, स्थिरांक (341 मिलियन उपयोगकर्ता) पर पहुंच गया है। रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया है कि 2025 तक भारत में 900 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे। एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि 2026 तक भारत में 1 बिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्ता होंगे और इनकी संख्या में अत्यधिक बढ़ोत्तरी ग्रामीण क्षेत्रों में होगी। 2021 तक, भारत में लगभग 1.2 बिलियन मोबाइल ग्राहक थे, जिनमें से 750 मिलियन स्मार्ट फोन के उपयोगकर्ता थे।
ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे की सहायता से, सरकार कृषि क्षेत्र में दक्षता, पारदर्शिता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए डिजिटल कृषि मिशन (2021-25) लागू कर रही है। डिजिटल तकनीकों को बढ़ावा देने के अलावा, मिशन एक किसान डेटाबेस, एकीकृत किसान सेवा इंटरफ़ेस और अन्य किसान-अनुकूल ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म विकसित करने का प्रयास करता है। किसान डेटाबेस सरकार को बेहतर योजना बनाने और योजनाओं के प्रबंधन तथा नकद लाभ अंतरण में मदद करेगा। सरकार सीधे किसानों के साथ संवाद करने में सक्षम होगी और किसान भी सरकार के साथ संवाद कर सकेंगे। केंद्र तथा राज्य सरकारों और उनकी योजनाओं, वित्तीय संस्थानों और बैंकों को एक मंच पर लाया जाएगा। इससे किसानों को पारदर्शी तरीके से सभी योजनाओं का पूरा लाभ उठाने में मदद मिलेगी।
हाल में, सरकार ने इंडिया डिजिटल इकोसिस्टम ऑफ एग्रीकल्चर (आईडीईए) ढांचे की मूल अवधारणा को अंतिम रूप दिया। आईडीईए उभरती डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाते हुए नवोन्मेषी कृषि-केंद्रित समाधानों के निर्माण के लिए एक आधार के रूप में काम करेगा। यह देश में एग्रीस्टैक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है जो कृषि खाद्य मूल्य श्रृंखला में आरंभ से अंत तक सेवाएं प्रदान करेगा। मूल रूप से, एग्रीस्टैक प्रौद्योगिकियों और डिजिटल डेटाबेस का संग्रह है जो किसानों और कृषि क्षेत्र पर समग्र रूप से ध्यान केंद्रित करता है। डिजिटल रिपॉजिटरी सब्सिडी, सेवाओं और नीतियों के सटीक लक्ष्यीकरण में सहायता करेगी। कार्यक्रम के तहत, भूमि रिकॉर्ड, खेती के क्षेत्र, वित्तीय स्थिति आदि के लिंक के साथ एक अद्वितीय किसान आईडी बनाई जाएगी। इससे नकद लाभ अंतरण में पारदर्शिता तथा यथार्थता आएगी और लाभार्थियों का सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा। सरकार कृषि में एक राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना भी लागू कर रही है जिसमें एआई (कृत्रिम मेधा), ब्लॉकचैन, आईओटी, ड्रोन इत्यादि जैसी नई डिजिटल तकनीकों के उपयोग से जुड़ी परियोजनाओं के लिए राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को धनराशि जारी की जाती है। राज्यों को पहले से विकसित वेब और मोबाइल एप्लिकेशन के अनुकूलन/स्थानांतरण के लिए नए डिजिटल प्लेटफॉर्म के वास्ते धन मिल रहा है। इस बीच, एक किसान पोर्टल (farmer.gov.in) किसानों को उनके गांव/ब्लॉक/जिले या राज्य के आसपास के विशिष्ट विषयों पर सभी प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने के लिए 'वन स्टॉप शॉप' के रूप में सेवा दे रहा है। यह जानकारी पसंदीदा भाषा में टेक्स्ट, एसएमएस, ई-मेल और ऑडियो/वीडियो के रूप में दी जाती है। एक अन्य पोर्टल (mKisan.gov.in) केंद्रीकृत विस्तार प्रणाली प्रदान करता है जिसमें किसान अपने स्थान के लिए विशिष्ट स्थानीय भाषा में एसएमएस के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते हैं। किसान विशिष्ट मुद्दों पर अपने प्रश्न भी उठा सकते हैं। पोर्टल कई सामान्य मुद्दों पर सलाह का भंडार रखता है और अब इसे विभिन्न किसान-केंद्रित सेवाओं के साथ एकीकृत किया गया है। किसान कॉल सेंटर एक टेलीफोन कॉल पर किसानों के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए डिजिटल तकनीकों का उपयोग करते हैं। किसान कॉल सेंटर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करते हुए 14 स्थानों पर काम कर रहे हैं और 22 स्थानीय भाषाओं में जानकारी प्रदान कर रहे हैं। डिजिटल जागरूकता में सुधार के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने के लिए 'प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान' (पीएमजी-दिशा) शुरू किया गया है।
साधन और तरीके
सरकार ने आधुनिक डिजिटल उपकरणों के साथ तालमेल बनाते हुए, 'किसान सुविधा' ऐप लॉन्च किया है, जिसके लगभग 100 मिलियन पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं। यह स्मार्ट ऐप उपयोगी जानकारी प्रदान करता है और सभी कृषि योजनाओं/सेवाओं को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराता है। यह सुरक्षा प्रमाणपत्र और क्लाउड होस्टिंग के तहत एक मजबूत ऐप है। यह वर्तमान और अगले पांच दिनों के मौसम, बाजार कीमतों, इनपुट डीलरों, कृषि-सलाह और पौधों की सुरक्षा विधियों जैसे विभिन्न प्रासंगिक मुद्दों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। वर्तमान में, ऐप सात भाषाओं में जानकारी प्रदान कर रहा है, लेकिन जल्द ही इसमें और भी बहुत कुछ जोड़ा जाएगा।
किसानों और अन्य हितधारकों की सुविधा के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं और सेवाओं जैसे फसल बीमा, ई-बाजार, भूमि रिकॉर्ड आदि के अपने मोबाइल ऐप हैं। अलग-अलग स्मार्ट फोन में ऐप्स की उपस्थिति किसानों को सूचित निर्णय लेने में मदद करती है और वास्तविक समय के आधार पर सेवा प्रदाताओं/विशेषज्ञों के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान करती है। सार्वजनिक क्षेत्र की शीर्ष अनुसंधान और विकास संस्था- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कृषि और संबद्ध उद्यमों के पूरे स्पेक्ट्रम में 300 से अधिक मोबाइल ऐप विकसित किए हैं। इनमें से कई ऐप क्षेत्र विशेष की फसलों पर क्षेत्रीय/स्थानीय भाषा में सलाह और जानकारी प्रदान करते हैं। ये किसानों को कृषि-व्यवसाय और विपणन के माध्यम से बुवाई से लेकर कटाई तक संपूर्ण मूल्य श्रृंखला का ध्यान रखने में सक्षम बनाता है। इनमें से कुछ ऐप तस्वीरों के माध्यम से खेत की स्थिति के बारे में नियमित जानकारी लेकर खेतों की डिजिटल निगरानी की पेशकश करते हैं। ऐप्स की अधिक संख्या को देखते हुए, आईसीएआर ने वांछित ऐप्स के नेविगेशन में किसानों की सुविधा के लिए किसान 2.0 (कृषि इंटरग्रेटेड सॉल्यूशन फॉर एग्री ऐप्स नेविगेशन) विकसित किया है। यह ऐप आईसीएआर द्वारा विकसित 300 से अधिक मोबाइल ऐप को एग्रीगेटर मोड में एकीकृत करता है। किसान 2.0 ऐप किसानों को कृषि शिक्षा और विस्तार सहित विभिन्न संबंधित विषयों में कृषि ज्ञान का उपयोग करने के लिए कई क्षेत्रीय भाषाओं में एकल इंटरफ़ेस प्रदान करता है। इसके अलावा, बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र की कंपनियों ने बिजनेस मोड में मोबाइल एप बनाए हैं। ये ऐप ज्यादातर बाजार की जानकारी, मौसम की भविष्यवाणी, कीट तथा रोग प्रबंधन, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
कृत्रिम मेधा (एआई): कृषि और संबद्ध गतिविधियों में कृत्रिम मेधा यानी एआई का उपयोग संबंधित मुद्दों और चुनौतियों पर सटीक सलाह प्रदान करके किसानों के हितों से जुडी प्रक्रियाओं में क्रांति ला रहा है। इसकी असीम क्षमता को देखते हुए नीति आयोग ने भारत में विभिन्न क्षेत्रों में एआई के कार्यान्वयन के लिए एक राष्ट्रीय कार्यनीति (2018) और रोडमैप तैयार किया है। इसके तहत एआई संचालित समाधानों के कार्यान्वयन के लिए कृषि की पहचान प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में की जाती है। भारत सरकार ने विभिन्न कृषि गतिविधियों में एआई सहित नई तकनीकों के लिए राज्यों को 2020-21 और 2021-22 के दौरान क्रमश: 1756.3 करोड़ रुपये और 2722.7 करोड़ रुपये आबंटित किए हैं। एआई एप्लिकेशन और मशीन लर्निंग पौधों, खरपतवार, कीटों तथा बीमारियों की पहचान और प्रबंधन के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीकों को सक्षम कर रहे हैं। एआई आधारित एक बुआई ऐप बुवाई के लिए इष्टतम तिथि पर भाग लेने वाले किसानों को बुवाई की सलाह भेजता है। किसानों को खेत में सेंसर लगाने की जरूरत नहीं है, उन्हें स्मार्ट फोन पर लिखित संदेश मिलते हैं। एआई समाधान किसानों को न केवल बर्बादी कम करने में सक्षम बना रहे हैं, बल्कि गुणवत्ता में भी सुधार कर रहे हैं और उपज के लिए तेजी से बाजार पहुंच सुनिश्चित कर रहे हैं।
ब्लॉकचेन: ब्लॉकचेन तकनीक एक आशाजनक डिजिटल पहल है जिसका उपयोग कृषि मूल्य श्रृंखला के कई पहलुओं पर जानकारी को समेकित करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यह खेत से बाजार तक फसल की यात्रा को ट्रैक कर सकता है। ब्लॉकचेन का डेटा एकत्रण उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने में मदद करता है। ब्लॉकचेन बाजार में लागत कम करने में भी मदद कर सकता है और लेनदेन को ट्रैक करने के लिए एक विश्वसनीय दृष्टिकोण प्रदान करता है। ब्लॉकचेन तकनीक को व्यापक रूप से अपनाने से किसान अधिक स्मार्ट बनेंगे और उनके जीवन की गुणवत्ता में बड़े पैमाने पर सुधार होगा।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी): आईओटी संचालित समाधानों में मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखलाओं और खेती के तरीकों में सुधार के लिए बड़ी संभावनाएं हैं। आईओटी अगले दशक में किसानों द्वारा फसल बोने, खाद देने और फसल काटने के तरीके में क्रांति लाने के लिए तैयार है। आईओटी डिवाइस और समाधान प्रदाता खेती पर खर्च कम करने के लिए कम लागत वाले स्थायी समाधानों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। भारत सरकार की आईओटी नीति में कृषि क्षेत्र को रेखांकित किया गया है और स्मार्ट कृषि में इसके संभावित उपयोगों की गणना की गई है।
एप्लीकेशन्स
ई-मोड में राष्ट्रीय कृषि बाजार (ईनैम): बिचौलियों को खत्म करने और किसानों को उनकी उपज के लिए सर्वोत्तम मूल्य प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने 2016 में ईनैम पोर्टल की शुरुआत की। यह एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है जो मौजूदा एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समिति) मंडियों को नेटवर्क करता है और इस प्रकार किसानों को अपनी उपज को बिना किसी बाधा के और सर्वोत्तम मूल्य पर बेचने की सुविधा प्रदान करता है। यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो किसानों को ऑनलाइन प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी मूल्य खोज प्रणाली और ऑनलाइन भुगतान सुविधा के माध्यम से अपनी उपज बेचने में सक्षम बनाता है। ईनैम पोर्टल की शुरुआत के बाद से, 22 राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों की 1260 मंडियों को इस पर एकीकृत किया गया है और 1000 और मंडियों को जल्द ही एकीकृत किया जाएगा। यह 1.76 करोड़ किसानों और व्यापारियों के साथ बेहद लोकप्रिय माध्यम है (जुलाई, 2022)। इसके अलावा, लगभग 2200 एफपीओ (कृषक उत्पादक संगठन) भी वाणिज्यिक व्यापार के लिए पंजीकृत किए गए हैं, जिससे बड़ी संख्या में किसान लाभान्वित हुए हैं। वर्तमान में, देश भर में 200 से अधिक वस्तुओं का कारोबार किया जा रहा है। डिजिटल नवाचारों पर आधारित, कृषि मूल्य श्रृंखला में परिचालित सेवा प्रदाताओं के विभिन्न प्लेटफार्मों को एकीकृत करने के लिए एक प्लेटफॉर्म ऑफ प्लेटफॉर्म (पीओपी) की शुरुआत भी की गई है। ई-नैम अब एक बहुभाषी (12 भाषाओं) व्यापार पोर्टल है और सभी हितधारकों के लिए एक प्रभावी मोबाइल ऐप भी मुफ्त में उपलब्ध है, जिसके माध्यम से हितधारक संबंधित लॉट की प्रगति को ऑनलाइन ट्रैक कर सकते हैं। ई-नैम को और बढ़ावा देने के लिए, सरकार इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के लिए आवश्यक विभिन्न उपकरणों सहित संबंधित हार्डवेयर और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रति मंडी 75 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
स्टार्टअप्स: एग्रीटेक स्टार्टअप्स/कंपनियां ब्लॉकचेन, मौसम और फसल सलाह, विपणन, वित्त, इनपुट आपूर्ति, प्रसंस्करण और मूल्य श्रृंखला में सेवाएं प्रदान करने वाली डिजिटल तकनीकों में प्रवेश कर रही हैं। अधिकांश एग्री-टेक स्टार्टअप मुख्य रूप से बाजार खंड में गुणवत्ता आश्वासन के साथ सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। ज्यादातर मामलों में, वे उपभोक्ताओं को सीधे किसानों से खरीदे गए ताजे और जैविक फलों/सब्जियों की आपूर्ति करते हैं। कुछ स्टार्टअप विशिष्ट मोबाइल ऐप के माध्यम से दैनिक आधार पर जैविक दूध और डेयरी उत्पादों की आपूर्ति करते हैं। लेकिन हाल में कई स्टार्टअप्स ने स्मार्ट और अधिक लाभदायक कृषि के लिए नवोन्मुखी तथा टिकाऊ समाधान प्रदान करना शुरू किया है। स्टार्टअप्स अब बायोगैस संयंत्र, सौर ऊर्जा से चलने वाले कोल्ड स्टोरेज, फेंसिंग और वाटर पंपिंग, मौसम की भविष्यवाणी, छिड़काव मशीन आदि जैसे समाधान प्रदान कर रहे हैं। ये स्टार्टअप किसानों, उत्पाद डीलरों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं तथा उपभोक्ताओं के बीच एक सूत्र के रूप में काम कर रहे हैं और मजबूत बाजार संपर्क तथा समय पर गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्रदान कर रहे हैं। डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने वाले एग्रीटेक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए, सरकार नवाचार और कृषि उदयमशीलता विकास नामक एक कार्यक्रम लागू कर रही है, जिसमें चयनित एग्री-टेक स्टार्टअप्स को मेंटरिंग/हैंड-होल्डिंग सेवाओं के साथ वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। सरकार ने हाल में कृषि-स्टार्टअप की सफल पहलों को आगे बढ़ाने और इन्हें लोकप्रिय बनाने के लिए 500 करोड़ रुपये की लागत से एक उत्प्रेरक कार्यक्रम का शुभारंभ किया है।
डिजिटल प्रौद्योगिकियां ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेषकर युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अपार अवसर पैदा कर रही हैं। उत्पादन से निरीक्षण, भंडारण, परिवहन और अंत में विपणन तथा खपत तक, डिजिटल प्रौद्योगिकियां विभिन्न स्तरों पर पेशेवरों के विविध समूह के लिए आजीविका के अवसर पैदा कर रही हैं। इसके अलावा, डिजिटल कृषि के लाभों में खाद्य सुरक्षा; मिट्टी, हवा तथा पानी की बेहतर गुणवत्ता; बेहतर आर्थिक लाभ और अंततः किसानों तथा अन्य भागीदारों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता भी शामिल है। कृषि निश्चित रूप से डिजिटल बदलावों से लाभान्वित होती है। कोई आश्चर्य नहीं कि यह क्षेत्र बड़े समूहों, प्रमुख आईटी कंपनियों, निवेशकों, युवा नवप्रवर्तकों और उद्यमियों को आकर्षित कर रहा है। कृषि का डिजिटीकरण टिकाऊ तरीके से उच्च और समावेशी विकास का वादा करता है। अंत में, डिजिटीकरण भविष्य में भारतीय कृषि के परिदृश्य को बदलने और किसानों को उच्च आय की गारंटी देने तथा संकट को कम करने के लिए तैयार है।
(लेखक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के पूर्व मुख्य संपादक हैं। उनसे jagdeepsaxena@yahoo.com पर संपर्क किया जा सकता है)
व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.