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नौकरी फोकस


Volume-48, 24 February- 2 March, 2018

 

 

सिविल सेवाओं के लिये साक्षात्कार की  तैयारी कैसे करें

डॉ. शशिकलापुष्पा
डॉ. बी. रामास्वामी और
सुश्री दिव्या सेठी

चरित्र वह गुण होता है जो किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह को दूसरों से भिन्न करता है. यह अच्छे-बुरे की पहचान कराता है. यह एक मज़बूत और कमज़ोर व्यक्ति के जीवन में स्पष्ट बोलने के प्रयास में मूलभूत विशेषताओं को रेखांकित करता है. चरित्र जीवन का मूल आधार होता है.

 इस समय हमारे राष्ट्रीय जीवन में, कुछेक आदर्शों की जांच-परख करना आवश्यक हो जाता है, जिनसेे भारतीय राष्ट्र के बहु चरित्र का निर्माण हुआ है. चाहे वे अच्छे या बुरे, सही या गलत, मज़बूत या कमज़ोर, अथवा यहां तक कि हताश और उदात्त हैं.

वर्ष दर वर्ष भारतीय राष्ट्र के स्वरूप को इसके नेताओं  ने मूर्त रूप दिया है. औपनिवेशिक काल से लेकर स्वतंत्रता के बाद भारत पर जिसका भी शासन या प्रशासन रहा है, उसने देश के जीवन और इतिहास में एक विशेष चारित्रिक छाप छोड़ी है.

एक बात हमें अवश्य स्वीकार करनी चाहिये कि चरित्र ही एकमात्र ऐसा घटक होता है, चाहे यह राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक अथवा औद्योगिक विकास है, किसी प्रक्रिया के स्थाई फ़ीचर में एक बदलाव मात्र के तौर पर नेतृत्व में लगातार बना रहता है. किसी नेता का निधन हो सकता है परंतु उसका चरित्र इतिहास के आइने के तौर पर बना रहता है क्योंकि यह भावी नेताओं के कार्यों और निष्क्रियता में एक संदर्भ बिंदु होता है.

दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि चरित्र जीवन का सौंदर्य होता है. एक अच्छा जीवन जीने के लिये किसी को भी अनुकरण के योग्य चरित्र का निर्माण करना चाहिये.

राष्ट्र निर्माण:

भारत को अब युवा जनसंख्या होने का सौभाग्य प्राप्त है. यदि युवाओं को मौलिक विचारक बनने के लिये अपनी संज्ञानात्मक बुद्धि का विकास करने, टीम भावना के लिये भावनात्मक बुद्धिमत्ता को आत्मसात करने और एक तर्कसंगत जोखिम लेने की अभिरुचि का विकास करने, राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को जोडऩे के लिये नैतिक बुद्धिमत्ता का समावेश करने, कमज़ोर व्यक्तियों के नागरिक अधिकारों की रक्षा करने के लिये सामाजिक बुद्धिमत्ता का समावेश करने, लिंग समानता की रक्षा करने और अन्याय के खिलाफ लडऩे का उत्साह विकसित करने, और आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता का विकास करने की शिक्षा दी जाती है, तो भारत मानवता की एक ऐसी उत्कृष्ट प्रजाति-युवाओं का विकास कर सकता है, जिन पर अगले दो दशकों में देश को एक वैश्विक शक्ति बनाने में योगदान करने पर भरोसा किया जा सकता है. इसके लिये हमें 3 मोर्चों पर काम करना होगा.

पहला मोर्चा है कौशल सशक्तिकरण-सात प्रकार की बुद्धिमत्ता का विकास (भावनात्मक, सामाजिक, नैतिक, आध्यात्मिक, पर्यावरणीय और अभिनवता).

दूसरा राष्ट्र की विरासत और भविष्य के बारे में सामूहिक दृष्टिकोण है, जिसका अर्थ है भारत के मिथ्याग्रस्त इतिहास को सही-सही तरह से जानना.

तीसरा अधिकारों और दायित्वों के सामाजिक जुड़ाव की प्रतिबद्धता है, जैसे कि गुणवत्ता की प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा का मौलिक अधिकार, काम का अधिकार, मैरिट पर रोज़गार के सभी पदों पर प्रतिस्पर्धा का दायित्व, लिंग समानता व्यवहार और राष्ट्रीय हितों को स्वयं के हितों से ऊपर रखना.

आध्यात्मिक मूल्यों और संगठन नेतृत्व के लिये एक राष्ट्रीय नीति उपायों के जरिये हासिल की जा सकती है जिससे हम युवाओं में एक आधुनिक मानसिकता का सृजन कर सकते हैं.

इससे न केवल उनमें तकनीकी संज्ञानात्मक क्षमता हासिल करने की प्रेरणा उत्पन्न होगी बल्कि उनमें भावनात्मक, नैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, पर्यावरणीय और अभिनव बुद्धिमत्ता का विकास भी होगा.

यह उन्हें देशभक्त, उच्च चरित्रवान, आत्मनिर्भर, सामाजिक विवेकशील व्यक्ति बनायेगा और उनमें शासन, व्यावसायिक नैतिकता और सांगठनिक नेतृत्व से परिपूर्ण एक धनी प्रतिभा देखने को मिलेगी.

 प्रधानमंत्री का नये भारत का दृष्टिकोण:

 ‘‘मैं टीम इंडिया का 2022 तक नये भारत के लिये काम करने का आह्वान करता हूं. तब तक गऱीबों के पास अपना पक्का मकान होगा, किसानों की आय दोगुणा हो जायेगी, युवाओं और महिलाओं के लिये अनेक अवसर प्राप्त होंगे, एक ऐसा भारत जो जातिवाद, आतंकवाद, भ्रष्टाचार से मुक्त होगा’’

            -प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी

भारत के प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में नये भारत के अपने दृष्टिकोण का ख़ाका पेश किया जहां हमारे देश के युवाओं की 21वी सदीं के भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी होगी.

उन्होंने इस तथ्य को दोहराया कि हमारा युवाओं का देश है, इस सदी की शुरूआत में जन्म लेने वाले बच्चे 2018 में नौजवान हो जायेंगे. इस प्रकार, यह साफ है कि नये भारत के लिये विकसित राष्ट्र होना है, इसे अपने सर्वाधिक मूल्यवान संसाधन: उदीयमान, शिक्षित युवा से ताकत देनी होगी, जो कि अत्यंत कुशल और रोज़गार सृजन की क्षमता रखते हैं.

सं.लो.से.आ. (सिविल सेवाएं) साक्षात्कार की तैयारी कैसे करें:

आईएएस के लिये साक्षात्कार आधे घण्टे का कार्यक्रम होता जो आपके जीवन, राष्ट्र और लोगों के जीवन को बदल सकता है. सं.लो.से.आ. के साक्षात्कार में उच्च स्कोर कई बार मात्र 30 मिनट के भीतर साथी अभ्यर्थियों से 100 से अधिक अंकों का अंतर पैदा कर सकता है. अंतिम दौर होने के कारण, यह किसी को भी प्रतिस्पर्धा में अकाट लीड प्रदान करेगा-यद्यपि अंतिम रैंक सूची सं.लो.से.आ की प्रमुख परीक्षा के अंकों और साक्षात्कार के अंकों को जोडक़र तैयार की जाती है, बहुत कम हम देखते हैं कि साक्षात्कार के उच्च अंक प्राप्तकर्ता

अंतिम चयन सूची में भी सर्वोच्च स्थान प्राप्त करते हैं.

सिविल सेवाएं परीक्षा के लिये व्यक्तित्व परीक्षण की प्रकृति अन्य सेवाओं के साक्षात्कारों से भिन्न होती है. सिविल सेवाओं के लिये परीक्षा दे रहे अभ्यर्थियों का साक्षात्कार एक बोर्ड संचालित करता है जो पहले से उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक ट्रैक रिकॉर्ड की जानकारी रखता है.

उनसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व से संबंधित सामान्य विषयों के मामलों पर प्रश्न पूछे जाते हैं.

साक्षात्कार का उद्देश्य लोक सेवा में कॅरिअर के लिये  किसी अभ्यर्थी के व्यक्तित्व का सक्षम और निष्पक्ष पर्यवेक्षकों द्वारा मूल्यांकन करना होता है जो स्वयं लोक सेवाओं में वर्षों के अनुभव के साथ विभिन्न पदों पर

नौकारशाह के तौर पर उत्कृष्ट कॅरिअर प्रोफाइल रखते हैं.

परीक्षण का उद्देश्य अभ्यर्थी की मानसिक शक्ति की परख करना होता है. व्यापक संदर्भ में यह न केवल उसकी बौद्धिक सक्षमता  बल्कि सामाजिक विशेषताओं और उसकी रोजमर्रा घटित होने वाली राष्ट्रीय और वैश्विक महत्व की घटनाओं में उसकी रुचि का वास्तविक मूल्यांकन होता है. कुछेक गुण, जिनका मूल्यांकन किया जाता है, इस प्रकार हैं: मानसिक चौकसी और शक्ति, गंभीर विश्लेषण और आत्मसात करना, विचारों में स्पष्टता और तार्किक प्रदर्शन, निर्णय का संतुलन, विविधता और हितों की गहराई, सामाजिक सामंजस्य और नेतृत्व के गुण, बौद्धिक और नैतिक सत्यनिष्ठा, देशभक्ति और राष्ट्र की सेवा में रुचि आदि

अभ्यर्थियों की न केवल उनके अपने अकादमिक विषयों में बल्कि अपने आसपास अपने राज्य और देश के भीतर घटित होने वाली घटनाओं के साथ-साथ आधुनिक विचार पहलुओं और नई खोज़ों के बारे में भी रुचि होनी चाहिये.

अत: यहां किसी के लिये भी अपने समक्ष मौजूद स्थितियों के अनुरूप पक्ष रखने और मुद्दों से निपटने में कूटनीतिक होना अपेक्षित होता है. भाषा का संक्षेपण, विचारों का अनुशासन और विचारों को रखने में व्यापक धैर्य होना इसकी पूर्वोपेक्षा है. स्मरण रखें, यहां आपके बोले गये एक-एक शब्द पर संपूर्ण व्यक्तित्व की परख होने वाली होती है. अत:, साक्षात्कार के दौरान किसी के लिये भी शब्दों के चयन के बारे में अतिरिक्त सावधान रहने की आवश्यकता होती है.

क्या करें:

राष्ट्र निर्माण के चरित्र का विकास:

राष्ट्र निर्माण के लिये युवाओं का चरित्र बहुत महत्वपूर्ण होता है, अपने चरित्र को गांधी और नेहरू जैसे राष्ट्रीय नेताओं द्वारा दिखाये गये पथ के अनुरूप विकसित करें. सत्य, अहिंसा अथवा प्यार, तालु पर नियंत्रण, गैर चोरी, गैर निर्भयता, अस्पृश्यता को दूर करना, रोजी रोटी, सहिष्णुता, समानता, साम्प्रदायिक एकता, धर्मों का सम्मान, स्वदेशी जैसे गुणों को आत्मसात करें.

समय से जागें:

मुख्य परीक्षा के परिणामों के लिये इंतज़ार करने में समय बर्बाद न करें, इससे केवल तनाव और कुंठा उत्पन्न होगी. इसकी अपेक्षा पहले से तैयारी शुरू कर दें. अपने व्यक्तित्व को शीघ्रातिशीघ्र चमकाने का काम शुरू कर दें.

स्वयं को जानना:

हमारे साथ सबसे महत्पपूर्ण समस्या यह है कि हम अपने आपको पूरी तरह से नहीं जानते हैं. मनुष्य के दिलों की गहराइयों में अनेक प्रतिबिंब होते हैं. हमें बहुत सी बातों की जानकारी होती है, परंतु हम स्वयं को नहीं जानते. अपने व्यक्तित्व के खुले, छिपे हुए या अज्ञात विभिन्न पहलुओं को जानने की कोशिश करें. यदि आपके व्यक्तित्व का कोई गुण राष्ट्र निर्माण के गुण के अनुरूप नहीं है, उससे पार पाने की कोशिश करें.

अच्छा सम्प्रेषण कौशल तैयार करें

 अपनी शारीरिक मुद्रा, व्यक्तिगत दिखावट और भाषा सम्प्रेषण पर काम करें क्योंकि साक्षात्कार में इनके आधार पर आपकी परख होने वाली है. साक्षात्कार के दौरान स्वयं को शांत रखें, आंखों से आंखों का संपर्क बनाये रखें, पैनल सदस्यों को पूरे धैर्य के साथ सुनें, उन्हें अच्छी तरह सम्मान दें और एक संयोजित शारीरिक मुद्रा में बहुत ही सचेत होकर उपस्थित हों.

आशावादी बनें

सं.लो.से.आ. साक्षात्कार के बारे में अनेक मिथक और अफवाहें होती हैं. आपके पिछले साक्षात्कारों को लेकर भी बुरे अनुभव हो सकते हैं. परंतु अपने विश्वास को नकारात्मक विचारों के साथ खंडित न होने दें. अपनी ऊर्जा और समय -साक्षात्कार बोर्ड, स्थान, प्रश्नों आदि मामलों पर बर्बाद न करें जो कि आपके नियंत्रण से बाहर की बात होती है. उत्कृष्ट की आशा करें.

आत्म विश्वास के साथ काम करें:

हर कोई आत्म-विश्वास रखने वाले व्यक्तियों को प्यार करता है, अत: पैनल सदस्यों के समक्ष आत्म-विश्वास के साथ उपस्थित हों. यदि आप किसी उत्तर को लेकर निश्चित नहीं हैं, परेशान मत होइए, केवल इतना कहें मुझे नहीं आता.

आप सूर्य के नीचे होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी नहीं रख सकते अत: यह एक सामान्य बात है. तनावमुक्त रहें. यदि आप अपनी धारणाओं, उत्तरों या समाधानों के बारे में पूरी तरह से आत्मविश्वासी हैं तो

भरोसे के साथ इन्हें रखें. परंतु विश्वास और अत्यधिक विश्वास के बीच की पंक्ति का ध्यान रखें.

अपने सम्प्रेषण कौशल को सुधारें:

 सं.लो.से.आ. साक्षात्कार के लिये अपने सम्प्रेषण कौशलों में सुधार करें. यदि आप 25-30 मिनटों के सं.लो.से.आ. व्यक्तित्व परीक्षण में शब्दों की खोज़बीन करेंगे, आपको अपने संपूर्ण विचारों को रखने के लिये समय कम पड़ सकता है. सम्प्रेषण कौशल बढ़ाने का एक मार्ग टेलीविजन चैनलों पर चर्चाओं और समाचारों को सुनना हो सकता है. साथ ही सं.लो.से.आ. साक्षात्कार के दौरान अपने मित्रों से बातें करना शुरू करें.

अपने विस्तृत आवेदन प्रपत्र को अच्छी तरह पढें:

सं.लो.से.आ. साक्षात्कार में ज़्यादातर प्रश्न आपके विस्तृत आवेदन प्रपत्र पर आधारित होंगे. अपने विस्तृत आवेदन प्रपत्र को कई-कई बार अच्छी तरह से पढ़ लें और विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि शिक्षा, रुचियों, पूर्व के कार्यानुभव, वरीयतन सेवाओं आदि के प्रश्नों को अच्छी तरह तैयार करे लें.

समस्या समाधान कौशलों का विकास:

किसी समस्या अथवा समस्याओं के सेट के लिये समाधान खोजने के लिये समस्या समाधान कौशल संगत होते हैं. कोई समस्या एक खास समय बिंदु पर अपेक्षित मामला स्थिति और वास्तविक मामला स्थिति के बीच का अंतर होती है.

इस अंतर को पाटने के लिये संगत कार्रवाई अपेक्षित होती है. इस कार्रवाई की पहचान के लिये समस्या समाधान कौशल अपेक्षित होते हैं. एक जन सेवक के तौर पर लोगों की रोज़मर्रा की समस्याओं के समाधान के लिये समस्या समाधान कौशल संगत होते हैं.

सीधे बिंदु पर पहुंचें:

 बिंदु अनुसार उत्तर देने की कला में प्रवीणता हासिल करें. अक्सर लंबे उत्तरों को संक्षेप में परंतु आकर्षित शब्दों में प्रस्तुत किया जा सकता है. केवल सच्चाई बतायें.

ताज़ा घटनाक्रमों की अद्यतन जानकारी रखें और समाचार पत्रों को अच्छी तरह पढ़ें:

महत्वपूर्ण ताज़ा घटनाक्रमों, समाचारों, चुनावों, सरकारी नीतियों आदि के बारे में स्वयं को अवगत रखें. आर्थिक सर्वेक्षण, योजना, कुरूक्षेत्र और इंडियन ईयरबुक  को अच्छी तरह पढ़ें तथा उनसे नोट तैयार करें. पैनल आपसे पिछले सप्ताह और बीते दिन समाचार पत्र में छपने वाले समाचारों के बारे में पूछ सकता है अत: स्वयं को अद्यतन रखें. सुनिश्चित करें कि आपको पिछले एक माह की ताज़ा घटनाओं की जानकारी है.

अपने वैकल्पिक विषयों को मज़बूत करें:

यह देखा जाता है कि बहुत से अभ्यर्थी सं.लो.से.आ. सीएसई मुख्य परीक्षा के उपरांत अपने वैकल्पिक विषयों को नज़रअंदाज कर दते हैं. परंतु साक्षात्कार पैनल आपसे साक्षात्कार वाले दिन आपके वैकल्पिक विषय से प्रश्न पूछ सकता है. अपने वैकल्पिक विषय से संबंधित हाल के घटनाक्रमों के बारे में जानकारी रखें, अपने वैकल्पिक विषय से संबंधित नवीनतम घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करें.

अपनी रुचियों के संबंध में अच्छी तैयारी रखें:

अक्सर सं.लो.से.आ. द्वारा पूछा जाने वाला ये पहला प्रश्न होता है, कई बार जब बोर्ड हल्के मूड में होता है. अच्छी शुरूआत सुनिश्चित करें. गतिरोधपूर्ण उत्तर न दें. रुचियां साक्षात्कारकर्ता को अभ्यर्थी के व्यक्तित्व को समझने में मदद करती हैं. सं.लो.से.आ. साक्षात्कार से पूर्व पिछले सप्ताह तक अपनी रुचियों को लेकर अभ्यास जारी रखें और अपनी रुचियों के बारे में कुछ जानकारी भी एकत्र कर लें.

अपनी स्नातक की पुस्तकें पढ़ें:

सं.लो.से.आ. अभ्यर्थियों से अपनी स्नातक की पढ़ाई को गंभीरता से लेने की अपेक्षा रखता है. चूंकि यह उन क्षेत्रों में से एक होता है जहां साक्षात्कार पैनल उम्मीदवार से विशेषज्ञता रखने की आशा करता है. अत: इस क्षेत्र से अधिक गहराई के साथ प्रश्न पूछे जा सकते हैं.

संतुलित निर्णय देना सीखें:

आपके विचार संतुलित और तटस्थ होने चाहिये. इसका यह अर्थ नहीं है कि आप कोई पक्ष न अपनाएं-बगैर किसी राजनीतिक या सामाजिक पक्षपात के ऐसा होना चाहिये. एक बार आपके विवादित विषयों पर रुख करने से इसके लिये अपने औचित्य की तैयारी रखें. बिना किसी उचित आधार के सामान्यीकरण या विशेषीकरण न करें.

अपने जिले और राज्य की जानकारी रखें:

जिला, क्षेत्र और राज्य के बारे में प्रश्न पूछे जा सकते हैं. अपने जन्म स्थान के बारे में विवरण एकत्र करें. अपने गांव या शहर और राज्य में समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त करें. समाधानों के लिये भी तैयार रहें.

वास्तविक ‘‘आईएएस साक्षात्कार प्रश्नों‘‘ को समझें:

‘‘सं.लो.से.आ. साक्षात्कार प्रश्नों‘‘ के तौर पर इंटरनेट पर डाले गये ज्यादातर प्रश्न सं.लो.से.आ. साक्षात्कार में पूछे जाने वाले प्रश्न नहीं होते हैं. सं.लो.से. आ. का कहना है साक्षात्कार परीक्षण का उद्देश्य अभ्यर्थियों के विशेषीकृत या सामान्य ज्ञान की जांच करने के लिये नहीं होता है जिनका पहले ही उनके लिखित पेपरों में परीक्षण किया जा चुका है. वास्तविक सं.लो.से.आ. साक्षात्कार अनुभव के बारे में जानकारी के लिये सं.लो.से.आ. के टापर्स के साक्षात्कार खण्ड को पढ़ें.

व्यावहारिक ज्ञान का प्रयोग करें:

बहुत से लोग जिन्हें अच्छी जानकारी होती है परंतु कई बार वे व्यावहारिक ज्ञान से चूक जाते हैं अत: व्यावहारिक ज्ञान साक्षात्कार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. कई बार सं.लो.से.आ. सदस्य ऐसे प्रश्न पूछते हैं जिनका मात्र व्यावहारिक ज्ञान का इस्तेमाल करते हुए उत्तर दिया जा सकता है. परंतु साक्षात्कार वाले दिवस को तनाव रखने से आपकी सोचने की प्रक्रिया को नुकसान पहुंच सकता है. महसूस करें कि व्यावहारिक ज्ञान सामान्य नहीं होता है. कुछेक पहेलियों के लिये तत्काल निर्णायक या गौण विचार अपेक्षित होता है.

साफ और स्वच्छ पोशाक:

पहला प्रभाव महत्वपूर्ण होता है. परंतु ये सं.लो.से.आ. साक्षात्कार के लिये महंगे ब्लेजर्स या सूट पहनना आवश्यक नहीं है. जो भी आप पहनें सहज बने रहें. पुरुर्षों के लिये हल्के रंग की शर्ट और गहरे रंग का ट्राउजर एक पेशेवर की पहचान देता है. महिलाओं के लिये सामान्य चूड़ीदार या साड़ी की अनुशंसा की जाती है. जो भी आप पहनते हैं, उस पहनावे में आप आत्मविश्वासी और साफ सुथरे नज़र आने चाहिये. स्टाइलिश हेअरकट और दाड़ी के साथ जाने से बचें क्योंकि हम कोई मॉडलिंग के लिए नहीं बल्कि लोक सेवा के लिये जा रहे हैं.

विनम्र रहें:

समूची साक्षात्कार प्रक्रिया के दौरान विनम्रता बनाए रखना बेहतर होता है. यहां तक कि यदि किसी साक्षात्काकर्ता द्वारा कोई अप्रिय स्थिति भी उत्पन्न कर दी जाती है (ऐसा आपके धैर्य की परख के लिये जानबूझकर किया जा सकता है), अपना आपा न खोएं. यदि आप अपने अहंकार की रक्षा के लिये गुस्सा करते हैं आपको एक अत्यंत भावुक व्यक्ति माना जा सकता है. याद रखें ये व्यक्तित्व गुण किसी भी रोज़गार के लिये उपयुक्त नहीं माने जाते हैं. यदि आप साक्षात्कार में विनम्र रहते हैं, यह इस बात का संकेत देता है कि आप दूसरों की आशाओं का सम्मान करते हैं, आप नये विचारों को स्वीकार करने के लिये खुला दिमाग रखते हैं और अपने आपको स्थिति की मांग के अनुरूप बदलें. ये सब आपके पक्ष में जायेगा.

अपने दस्तावेजों की पुन: जांच करें:

हम आखिऱी समय की भागदौड़ से बचने के लिये सलाह देते हैं कि साक्षात्कार के लिये जाने से पहले ध्यानपूर्वक दस्तावेजों की जांच कर लें. यह सुनिश्चित कर लें कि आपके पास सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार हैं.

मानक प्रश्नों का अभ्यास:

परीक्षा के लिये तैयारी करते समय कुछ छात्र मानक प्रश्नों के उत्तर देने के अभ्यास की प्रक्रिया को अपनाते हैं कि क्या वे निर्धारित समय के भीतर प्रश्नों की अपेक्षित संख्या को पूरा कर सकते हैं. इस अभ्यास के प्रकाश में वे अपनी कमी को, यदि कोई है, दूर करने का प्रयास करते हैं. इसी प्रकार आप साक्षात्कार में पूछे जाने वाले संभावित प्रश्नों का अभ्यास कर सकते हैं. इस प्रक्रिया से आपका विश्वास मज़बूत होगा क्योंकि आप इस प्रक्रिया के दौरान पेश आने वाली किसी भी कमी को दूर करने में सक्षम होंगे.

अपने उत्तरों और विचारों में प्रधानमंत्री के नये भारत के विचार को प्रतिबिंबित करें:

साक्षात्कार अभ्यर्थी के लिये यह सदैव महत्वपूर्ण होता है कि उसे वर्तमान सरकार की आकांक्षाओं और नीतियों का व्यापक ज्ञान हो, अत: यह सलाह दी जाती है कि 2022 तक नये भारत की प्रधान मंत्री की आकांक्षा के बारे में पढ़ लें.

वास्तविक बनें:

सं.लो.से.आ. बोर्ड के समक्ष स्वयं के बनावटी व्यक्तित्व को पेश करने की कोशिश न करें. सं.लो.से.आ. के साक्षात्कार के लिये रेडी-मेड उत्तरों को पेश न करें. वास्तविक बनें और अपनी राय अभिव्यक्त करें.

अभ्यास साक्षात्कार के लिये एनरॉल करें:

कम से कम 3 से 4 अभ्यास साक्षात्कार में शामिल होना सुनिश्चित करें और अंतिम सं.लो.से.आ. साक्षात्कार के लिये उपस्थित होने से पहले पैनल विशेषज्ञों की फीडबैक पर आधारित अपनी तैयारी में सुधार करें. अभ्यास साक्षात्कार का बुनियादी उद्देश्य साक्षात्कार देने वाले को वास्तविक साक्षात्कार का अहसास कराना होता है. यह अहसास इसलिये होता है क्योंकि अभ्यास साक्षात्कार समान शर्तों पर अथवा सं.लो.से.आ. के समान सृजित वातावरण में संचालित किया जाता है.

अभ्यास साक्षात्कारों का मूल्यांकन:

अभ्यास साक्षात्कार समाप्त होने के उपरांत, यह ज़रूरी है कि इसके परिणाम का मूल्यांकन किया जाये ताकि इसकी कमी को, यदि कोई है, दूर किया जा सके. अभ्यास साक्षात्कार के परिणाम का मूल्यांकन करते समय इसे एक वास्तविक साक्षात्कार के तौर पर माना जाये. परिणाम का मूल्यांकन आपके साथ-साथ साक्षात्कारकर्ता द्वारा किया जाना चाहिये. यह बेहतर है यदि पहले आप अभ्यास साक्षात्कार में अपने स्वयं के प्रदर्शन का मूल्यांकन करें और इसके बाद साक्षात्कारकर्ताओं से फीडबैक लें.

क्या न करें:

सं.लो.से.आ. के साक्षात्कार को हल्के में न लें:

प्रक्रिया और प्रश्नों के बारे में गंभीर हो जायें. बोर्ड सदस्यों को सम्मान प्रदान करें जो आपकी व्यक्तित्व की परीक्षा ले रहे होते हैं. बोर्ड में शामिल व्यक्तियों को कम करके न आंकें. वे व्यापक अनुभव और ज्ञान रखते हैं. गंभीर प्रश्नों को सामान्य रूप से न लें.

झूठ या बनावटी बातें न करें:

 सं.लो.से.आ. साक्षात्कार बोर्ड को प्रभावित करने के लिये झूठ न बोलें. अपने जीवन-वृत्त में जाली तथ्यों का उल्लेख न करें. इनके बारे में बहुत जल्द पता चल जाता है.

समाचार पत्र पढऩा न छोडें:

सं.लो.से.आ. की मुख्य परीक्षा संपन्न होते ही अभ्यर्थी अक्सर समाचार पत्रों को पढऩा छोड़ देते हैं. परंतु सं.लो.से.आ. की मुख्य परीक्षा की तरह ही आईएएस साक्षात्कार के लिये ताज़ा घटनाओं के बारे में जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होती है.

अपनी नैतिक सत्यनिष्ठा के साथ समझौता न करें:

सं.लो.से.आ. न केवल किसी के बौद्धिक गुणों बल्कि सामाजिक विशेषताओं और मूल्यों का भी मूल्यांकन करता है. सुनिश्चित करें कि आपकी नैतिक सत्यनिष्ठा मज़बूत है.

अफवाहों के बहकावे में न आयें:

बहुत से सं.लो.से.आ. अभ्यर्थियों को व्यक्तित्व परीक्षण को लेकर अफवाहों से ग्रसित देखा जाता है. कुछेक बोर्डों को अंक प्रदान करने में सख्त देखा गया है जबकि अन्य को उदार माना जाता है. यद्यपि थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है परंतु वास्तव में सभी बोर्ड सं.लो.से.आ. साक्षात्कार की तिथि को उम्मीदवार के प्रदर्शन के अनुरूप उच्च और निम्न अंक प्रदान करते हैं.

कुछेक शब्दों को बार-बार न दोहराएं:

कुछेक अभ्यर्थी बार बार कुछेक शब्दों को दोहराते हैं, जैसे कि यह कुछ नहीं है परंतु..........., मेरा आशय है कि...., मै महसूस करता हूं कि............., मेरे अनुसार............आदि, ऐसे शब्दों को बार बार दोहराने से साक्षात्कार प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कारकर्ताओं के मन में बुरा असर पड़ता है. अत: अपेक्षा से अधिक ऐसे शब्दों के इस्तेमाल से बचें.

संकोच न करें:

बहुत से अभ्यर्थी साक्षात्कार प्रक्रिया के दौरान संकोच दिखाते हैं. साक्षात्कार प्रक्रिया में कोई साक्षात्कारकर्ता ऐसा प्रश्न पूछ सकता है जिसे अभ्यर्थी सही प्रकार से समझ नहीं पाया है अथवा बिल्कुल भी समझ नहीं पाता है. ऐसे मामले में अभ्यर्थी को साक्षात्कारकर्ता को प्रश्न दोहराने का अनुरोध करना चाहिये परंतु अभ्यर्थी संकोच में ऐसा नहीं कर पाता है. परिणाम, या तो वह गलत उत्तर देता है अथवा इसके बारे में अनभिज्ञता दर्शाता है. दोनों की विकल्प अभ्यर्थी के खिलाफ जाते हैं.

साक्षात्कार कक्ष के भीतर अपना सैल फोन लेकर न जायें:

यदि आपको इसे साक्षात्कार कक्ष में ले जाना पड़ रहा है तो इसे बंद स्थिति में रखें. सैलफोन की घंटी बजने से ध्यान भटकता है जो किसी को भी पसंद नहीं होता है और इसे उन प्रौढ़ व्यक्तियों द्वारा अपराध के तौर पर महसूस करने की संभावना बढ़ जाती है.

अपने गुणों का बहुत ज्यादा बखान न करें:

अपने बारे में अपने गुणों को स्वयं प्रदर्शित होने दीजिए. यदि आप अपने गुणों के बारे में बहुत ज्यादा बातें करेंगे इससे साक्षात्कर्ताओं की अपेक्षाएं बढ़ेंगी और वे उन आशाओं के अनुरूप आपका मूल्यांकन करेंगे जो कि अंत में आपके लिये खतरनाक साबित हो सकती हैं और यह सही भी नहीं होता है.

कुछेक और बातें जो नहीं करनी चाहिये:

साक्षात्कार प्रक्रिया के दौरान घबराहट न दिखाएं. साक्षात्कार से पहले अपनी घबराहट को दूर करने के लिये कुछ व्यायाम/योग/ध्यान करें.

साक्षात्कार प्रक्रिया के दौरान किसी भी समय सं.लो.से.आ. आदि द्वारा प्रदान की गई सुविधाओं पर अथवा सम्प्रेषण की पद्धति के बारे में कोई विपरीत टिप्पणी न करें, याद रखें कि ये सब गौण बातें हैं.

साक्षात्कार प्रक्रिया के दौरान अपनी घड़ी पर समय की जांच न करें. यह अल्प आत्म-विश्वास का संकेत होता है.

किसी प्रकार की अधीरता न दर्शाएं यहां तक कि यदि आपका साक्षात्कार आपकी आशाओं के अनुरूप नहीं चल रहा है. उन बाधाओं को पार करते हुए अपनी अपेक्षाओं के अनुरूप स्थिति को वापस लाने का प्रयास करें जिनके कारण यह घटना/स्थिति उत्पन्न हुई है और यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं वे अपने आप चली जायेंगी, बस धैर्य बनाए रखें. वे कई बार प्रतिकूल और कठिन समय के दौरान आपके सचेतन और धैर्य की जांच करते हैं. अत: इसे उस भावना से लें.

ऐसा कोई सुराग न दें, मौखिक या ग़ैर मौखिक कि आप इस कॅरिअर के लिये बहुत ज्यादा मुक़्तलिफ़ हैं. किसी भी प्रकार की गुस्ताख़ी को पसंद नहीं किया जाता है. यदि आप साक्षात्कार में अच्छा करते हैं, आपको पद का प्रस्ताव किया जायेगा.

निष्कर्ष:

‘‘यदि मुझे किसी पेड़ को काटने के लिये छह घण्टे का समय दिया जाता है, मैं पहले चार घण्टे कुल्हाड़ी को तेज़ करने में लगाऊंगा’’-अब्राहम लिंकन

इस कथन से आशय है कि किस तरह आईएएस जैसी परीक्षाओं के लिये साक्षात्कार की अच्छी तैयारी किसी के जीवन को बदल सकती है. आपका साक्षात्कार का सत्र बीस मिनट, तीस मिनट या एक घण्टा हो सकता है परंतु आपको अधिक लंबी अवधि के लिये स्वयं को तैयार करना होगा.

व्यक्तित्व परीक्षण में किसी के आचरण का मूल्यांकन किया जाता है और न कि कोई अभ्यर्थी क्या कहता है बल्कि किसी प्रकार से कहता है. इसके अलावा अभ्यर्थियों को अंतिम मूल्यांकन या अंक इसके आधार दिये जाते हैं कि उसने क्या उत्तर दिया है और उन प्रश्नों के लिये नहीं जो कि अनुत्तर रहे हैं.

सं.लो.से.आ. साक्षात्कार अधिकतर मामलों में मैत्रीपूर्ण कार्रवाई होती है. इससे डरने की बहुत ज़्यादा आवश्यकता नहीं है सिवाय इसके कि आपके चयन के अवसर इस पर निर्भर करते हैं. अपनी सत्यता बनाये रखें और आत्मविश्वास के साथ उत्तर दें.

‘‘आपके सं.लो.से.आ. साक्षात्कार के लिये शुभकामनाएं’’

डॉ. शशिकलापुष्पा संसद सदस्य (राज्यसभा) हैं.

डॉ. बी रामास्वामी पूर्व प्रो वाइस चांसलचर एपीजी शिमला यूनिवर्सिटी, हिमाचल प्रदेश हैं. सुश्री दिव्या सेठी एक अकादमिक शोधकर्ता (प्रबंध) हैं. ई-मेल: sasikalapushpamprs@gmail.com.