वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का संचालन
भारत के संघीय ढांचे को देखते हुए, जीएसटी के दो घटक होंगे-केन्द्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और राज्य जीएसटी (एसजीएसटी). केन्द्र और राज्य, दोनों ही मूल्य शृंखला के भीतर एक साथ जीएसटी लगाएंगे. वस्तु एवं सेवाओं की प्रत्येक आपूर्ति पर कर लगाया जाएगा. केन्द्र सरकार केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर (सीजीएसटी) लगाएगी और वसूल करेगी, तथा राज्य सरकारें अपने राज्य के भीतर सभी लेनदेनों पर वस्तु एवं सेवाकर लगाएंगी और वसूल करेंगी. सीजीएसटी के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था होगी, जिससे उत्पादन पर प्रत्येक चरण में सीजीएसटी देयता से मुक्ति मिलेगी. इसी प्रकार इनपुट पर अदा किए गए सीजीएसटी के लिए क्रेडिट की अनुमति होगी, जो उत्पादन पर एसजीएसटी के भुगतान के लिए समय दिया जाएगा. क्रेडिट दोहरे इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जाएगी.
एक साथ लगने वाला केंद्रीय कर
केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी उन छूट प्राप्त वस्तुओं और सेवाओं को छोडक़र, जो जीएसटी के दायरे से बाहर हैं, तथा ऐसे लेनदेन जो निर्धारित न्यूनतम सीमाओं से कम हैं, को छोडक़र अन्य सभी वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगेंगे. इसके अतिरिक्त दोनों जीएसटी समान कीमत या मूल्य पर लगाए जाएंगे. यह व्यवस्था राज्य वैट से भिन्न होगी, जो केंद्रीय आबकारी सहित वस्तुओं के मूल्य पर लगाया जाता था. किसी राज्य में दोहरे जीएसटी मॉडल की कार्य प्रणाली को आकृति-1 में आरेख के माध्यम से दर्शाया गया है.
वस्तुओं और सेवाओं के बीच क्रेडिट का दोहरा इस्तेमाल
वस्तुओं और सेवाओं के बीच सीजीएसटी के दोहरे क्रेडिट के इस्तेमाल की अनुमति होगी. इसी प्रकार एसजीएसटी के मामले में क्रेडिट के दोहरे इस्तेमाल की सुविधा दी जाएगी. परंतु, आईजीएसटी मॉडल (जिसे अगले प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट किया गया है) के अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं की अंतर-राज्य आपूर्ति के मामले में सीजीएसटी और एसजीएसटी के दोहरे उपयोग की अनुमति नहीं होगी.
अंतर-राज्य लेनदेन
अंतर-राज्य सौदों के मामले में, केंद्र संविधान के अनुच्छेद 269-ए(1) के अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं की समस्त अंतर-राज्य आपूर्तियों पर एकीकृत वस्तु एवं सेवाकर (आईजीएसटी) लगाएगा और वसूल करेगा. आईजीएसटी मोटेतौर पर सीजीएसटी+एसजीएसटी के समान होगा. आईजीएसटी व्यवस्था एक राज्य से दूसरे राज्य में इनपुट टैक्स क्रेडिट का अबाधित प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए की गई है. अंतर-राज्य विक्रेता अपनी वस्तुओं की बिक्री पर आईजीएसटी का भुगतान केंद्र सरकार को करेगा, लेकिन वह ऐसा करते समय अपनी खरीद पर आईजीएसटी, सीजीएसटी और एसजीएसटी के क्रेडिट (क्रमानुसार) समायोजित करेगा. निर्यातक राज्य आईजीएसटी के भुगतान में प्रयुक्त एसजीएसटी का क्रेडिट केंद्र सरकार को अंतरित करेगा. आयातक व्यापारी अपने राज्य में उत्पादन पर अपनी देयता (दोनों सीजीएसटी और एसजीएसटी) डिस्चार्ज करते समय आईजीएसटी के क्रेडिट का दावा करेगा. केंद्र आयातक राज्य को एसजीएसटी के भुगतान में प्रयुक्त आईजीएसटी का क्रेडिट अंतरित करेगा. चूंकि जीएसटी एक लक्ष्य आधारित कर है, अत: अंतिम उत्पाद पर सभी एसजीएसटी सामान्यत: उपभोग करने वाले राज्य पर उपचयित होंगे. अंतर-राज्य सौदों के लिए आईजीएसटी मॉडल की आरेखीय प्रस्तुति आकृति-2 में की गई है.
आईटी का उपयोग
देश में जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने मिल कर गुड्स एंड सर्विसिज टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) पंजीकृत की है, जो लाभ न कमाने वाली गैर-सरकारी कंपनी है. यह केंद्र और राज्य सरकारों, करदाताओं और अन्य सम्बद्ध पक्षों को साझा बुनियादी ढांचा और सेवाएं प्रदान करेगी.
जीएसटीएन के मुख्य उद्देश्यों में करदाताओं को एक मानक और समान इंटरफेस प्रदान करना तथा केंद्र एवं राज्य/संघ शासित प्रदेशों की सरकारों को साझा ढांचा एवं सेवाएं प्रदान करना है.
जीएसटीएन एक अत्याधुनिक एवं व्यापक आईटी ढांचा विकसित करने की दिशा में काम कर रही है. इसमें एक साझा जीएसटी पोर्टल भी शामिल होगा, जो सभी करदाताओं को पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करने और भुगतान जैसी अग्रणी सेवाएं प्रदान करेगा. यह पोर्टल कुछ राज्यों के लिए बैकएंड आईटी मॉड्यूल भी प्रदान करेगा, जिसमें रिटर्नों की प्रोसेसिंग, पंजीकरण, लेखा परीक्षा, मूल्यांकन, अपील आदि कार्य शामिल होंगे. सभी राज्य, लेखांकन प्राधिकारी, भारतीय रिजर्व बैंक और बैंक भी जीएसटी के संचालन के लिए अपने अपने आईटी ढांचे तैयार कर रहे हैं.
जीएसटी के अंतर्गत हस्तलिखित रिटर्न दाखिल नहीं होंगी. सभी करों का भुगतान भी ऑनलाइन किया जाएगा. सभी बेमेल रिटर्न ऑटो जेनेरेटिड होंगी और मैनुअल हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. अधिकतर रिटर्न स्व-मूल्यांकित होंगी.
आयात पर कर
वर्तमान में आयात पर लगने वाले उत्पाद शुल्क अथवा सीवीडी पर अतिरिक्त ड्यूटी और विशेष अतिरिक्त ड्यूटी (एसएडी) को जीएसटी के अंतर्गत समाहित किया जाएगा. संविधान के अनुच्छेद 269-ए के खंड (1) के स्पष्टीकरण के अनुसार भारतीय भू-भाग पर किए जाने वाले समस्त आयात पर आईजीएसटी लगाया जाएगा. वर्तमान व्यवस्था से भिन्न, वे राज्य जहां, आयातित वस्तुएं उपभोग की जाती हैं, अब अपना हिस्सा आयातित वस्तुओं पर अदा किए गए आईजीएसटी से प्राप्त करेंगे.
संविधान (122वां संशोधन) विधेयक, 2014 की प्रमुख बातें
इस विधेयक की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:-
*वस्तु एवं सेवाकर के संचालन के बारे में संसद और राज्य विधान मंडलों को समान अधिकार प्रदान करना;
*केंद्रीय आबकारी शुल्क, अतिरिक्त आबकारी शुल्क, सेवाकर, अतिरिक्त सीमा शुल्क, जिन्हें आमतौर पर काउंटरवेलिंग ड्यूटी कहा जाता है और विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क जैसे विभिन्न केंद्रीय प्रत्यक्ष करों और लेवियों को समाहित करना;
*राज्य मूल्य संवर्धित कर/बिक्री कर, मनोरंजन कर (स्थानीय निकायों द्वारा लगाए जाने वाले कर से भिन्न), केंद्रीय बिक्री कर (केंद्र द्वारा लगाया जाने वाला और राज्यों द्वारा वसूल किया जाने वाला), चुंगी और प्रवेश कर, खरीद कर, विलासिता कर और लॉटरी, बाजी और जुए पर लगाए जाने वाले कर जीएसटी में समाहित किए गए हैं.
*संविधान के अंतर्गत ‘विशेष महत्व की घोषित वस्तुओं’ की धारणा समाप्त कर दी गई है. वस्तुओं एवं सेवाओं के अंतर-राज्य सौदों पर समेकित वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) लगाना;
*मानव खपत के लिए अल्कोहल युक्त शराब को छोडक़र जीएसटी सभी वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाएगा. पेट्रोलियम और पेट्रोलियम
उत्पादों पर जीएसटी बाद में अधिसूचित तारीख से लगेगा, जो वस्तु एवं सेवाकर परिषद द्वारा अधिसूचित की जाएगी.
*वस्तु एवं सेवाकर लागू करने के कारण राज्यों को होने वाले राजस्व की प्रतिपूर्ति के लिए राज्यों को पांच वर्ष तक मुआवजा दिया जाएगा;
*वस्तु एवं सेवाकर परिषद की स्थापना, जो वस्तु और सेवा कर संबंधी मुद्दों की पड़ताल करेगी और दरों, करों, उप-करों और अधिभारों के समायोजन के बारे में केंद्र और राज्यों को अपनी अनुशंसाएं प्रदान करेगी. परिषद जीएसटी से छूट प्राप्त वस्तुओं की सूची और न्यूनतम सीमाएं, मॉडल जीएसटी कानून आदि भी तय करेगी. परिषद केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में काम करेगी और सभी राज्य सरकारें इसकी सदस्य होंगी.
पंजीकरण प्रक्रिया: जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित पंजीकरण प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताएं नीचे दी गई हैं:
1)मौजूदा व्यापारी: वैट/केंद्रीय आबकारी/सेवा कर अदा करने वाले मौजूदा व्यापारियों को जीएसटी के अतर्गत पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं होगी.
द्बद्ब) नए व्यापारी: जीएसटी के अंतर्गत पंजीकरण के लिए ऑनलाइन एकल आवेदन दाखिल करना होगा.
2)पंजीकरण संख्या पैन आधारित होगी और केंद्र एवं राज्य दोनों के लिए उद्देश्य पूरा करेगी.
3)दोनों कर प्राधिकारियों के लिए एकीकृत आवेदन.
5)प्रत्येक व्यापारी को जीएसटीआईएन के लिए विशिष्ट आईडी प्रदान की जाएगी.
6)तीन दिन के भीतर समकक्ष अनुमोदन.
7) केवल जोखिम आधारित मामलों में पंजीकरण परवर्ती जांच.
रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया: जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार होंगी:
क.एक समान रिटर्न केंद्र और राज्य सरकार दोनों का मकसद पूरा करेगी.
ख.जीएसटी व्यापार प्रक्रिया में रिटर्न दाखिल करने के लिए 8 फार्मों का प्रावधान है. अधिकतर औसत करदाताओं को अपनी रिटर्न दाखिल करने के लिए केवल 4 फार्म भरने पड़ेंगे. ये रिटर्न आपूर्तियों, खरीदों, मासिक रिटर्न और वार्षिक रिटर्न के लिए होंगे.
ग.छोटे करदाता: कम्पोजीशन स्कीम अपनाने वाले छोटे करदाताओं को तिमाही आधार पर रिटर्न दाखिल करनी होगी.
घ.रिटर्न दाखिल करने का काम पूरी तरह ऑनलाइन होगा. सभी कर भी ऑनलाइन अदा किए जाएंगे.
भुगतान
जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित भुगतान प्रक्रियाओं की प्रमुख विशेषताएं निम्नांकित हैं:
1)इलेक्ट्रोनिक भुगतान प्रक्रिया: किसी स्तर पर कोई कागज सृजित करने की आवश्यकता नहीं होगी.
2)चालान निकालने के लिए एकल बिंदु इंटरफेस -जीएसटीएन
3)भुगतान में आसानी: भुगतान ऑनलाइन बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड, एनईएफटी/आरटीजीएस और बैंक में चैक/नकद किया जा सकेगा.
4)ऑटो पापुलेशन विशेषताओं वाला एक समान चालान फार्म
5)एकल चालान और एकल भुगतान विलेख का उपयोग.
6)अधिकृत बैंकों का एक समान सेट.
7)एक समान लेखांकन कोड.
पीआईबी
(समाप्त)