वाणिज्य के छात्रों के लिए अध्ययन और
कॅरिअर के अवसर
विजय प्रकाश श्रीवास्तव
कुछ विषय अपनी प्रासंगिकता कभी नहीं खोते हैं. वाणिज्य एक सदा प्रचलित विषय है और कई छात्रों के लिए पसंदीदा विकल्प है. यहां तक कि जब इंजीनियरिंग या प्रौद्योगिकी में डिग्री सबसे अधिक मांग वाली योग्यताओं में से एक होती है, तब भी वाणिज्य की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आती है. वाणिज्य विषय का एक बड़ा लाभ यह है कि इस विषय का अध्ययन करने के लिए बहुत अधिक खर्च नहीं करना पड़ता है जबकि इंजीनियरिंग, चिकित्सा, वास्तुकला आदि पाठ्यक्रमों में, विशेष रूप से निजी संस्थानों में, भारी वित्तीय लागत की आवश्यकता होती है.
इसलिए वाणिज्य शिक्षा किफायती है. लेकिन आपको वाणिज्य का चयन तभी करना चाहिए जब आपको विषय रुचिकर लगे और आप में इसके लिए अभिवृत्ति हो.
वाणिज्य को 10+2 स्तर पर अध्ययन की एक विधा के रूप में चुना जा सकता है. हालांकि, यदि आप विज्ञान के छात्र रहे हैं, तो आप अपनी १२ वीं कक्षा के बाद बी.कॉम पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं. किसी वाणिज्य पाठ्यक्रम में प्रवेश ज्यादातर मैरिट आधारित होता है. पाठ्यक्रम में आपके प्रवेश का निर्धारण करने के लिए पिछली परीक्षा में आपके अंकों को ध्यान में रखा जाएगा. इस पाठ्यक्रम के लिए आपको कई इंजीनियरिंग, मेडिकल और कुछ अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवश्यक जेईई या एनईईटी जैसी परीक्षा में बैठने की आवश्यकता नहीं होती है.
वाणिज्य मुख्य रूप से व्यापार और व्यावसायिक गतिविधियों से संबंधित है जैसे उत्पादक द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा विक्रेता और अंतिम उपयोगकर्ता को बिक्री. एक वाणिज्य छात्र के रूप में, आप लेखांकन सिद्धांतों, अर्थशास्त्र, व्यवसाय और निवेश रणनीतियों का अध्ययन करेंगे. विषय आपको बैलेंस शीट, ट्रेडिंग खाते, लाभ और हानि एवं व्यवसाय के वित्तीय स्वास्थ्य को दर्शाने वाले विवरण और विभिन्न अन्य विवरण तैयार करने में सक्षम बनाएगा. आप व्यवसाय लेखांकन के बारे में भी जानेंगे.
वाणिज्य आधारित कॅरिअर में प्रवेश के लिए आपके पास कम से कम बी.कॉम की डिग्री होनी चाहिए. इसे पूरा होने में तीन वर्ष लगते हैं. अधिकांश संस्थानों द्वारा एक सामान्य बी.कॉम की पेशकश की जाती है, जबकि कुछ संस्थान इसे विभिन्न रूपों में भी पेश करते हैं जैसे बैंकिंग और बीमा में बी.कॉम; कराधान में बी.कॉम और अन्य संयोजनों के साथ.
कॉमर्स ग्रेजुएट बनने के बाद आपके पास कई विकल्प हैं. आप वाणिज्य में स्नातकोत्तर (एम.कॉम.) कर सकते हैं जिसमें दो वर्ष और लगेंगे. यहां तक कि अगर आप एम.कॉम नहीं करने का फैसला करते हैं, तो भी आपके पास आगे की पढ़ाई के लिए कई विकल्प हैं जैसे कि:-
प्रबंधन : जो एक प्रबंधन पेशेवर के रूप में विकसित होने के इच्छुक हैं, प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिग्री/डिप्लोमा उन्हें पूरी तरह से सुविज्ञ बनाता है. कई मायनों में, वाणिज्य के छात्रों को पाठ्यक्रम परिचित और समझने में आसान लगेगा. आपके द्वारा चुना गया पाठ्यक्रम दो वर्ष की अवधि के साथ पूर्णकालिक होना चाहिए और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा मान्यता प्राप्त होना चाहिए. आपको एक विशेषज्ञता चुनने की आवश्यकता होगी. हालांकि अधिकांश वाणिज्य छात्र वित्त में विशेषज्ञता को चुनते हैं, अपनी पसंद को देखते हुए आप मार्केटिंग, एचआर, सूचना प्रौद्योगिकी, संचालन प्रबंधन, कृषि-व्यवसाय प्रबंधन आदि जैसे अन्य विकल्पों में से कोई विकल्प चुन सकते हैं.
कानून : कानून में स्नातक की डिग्री (एलएलबी) करने के लिए आपको पहले से ही स्नातक होना चाहिए. आपकी बी.कॉम योग्यता कानून में डिग्री के लिए प्रवेश द्वार हो सकती है जिससे आप कानून में कॅरिअर बना सकते हैं. आप कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और लॉ स्कूलों/ विश्वविद्यालयों में आयोजित तीन वर्षीय स्नातक डिग्री कार्यक्रम में से कोई चुन सकते हैं. आप इसके तुरंत बाद कार्य करना शुरू कर सकते हैं, लेकिन आपके पास एलएलएम या कॉर्पोरेट कानून आदि में विशेष पाठ्यक्रमों के लिए जाने के विकल्प हैं. इन दिनों वाणिज्य और कानून के संयोजन वाले एकीकृत कार्यक्रम भी बी.कॉम-एलएलबी के नामकरण के साथ उपलब्ध हैं. इसे पूरा करने में पांच वर्ष लगते हैं और एक वर्ष की बचत होती है. यदि आप एलएलबी के अलावा कुछ और करने का निर्णय लेते हैं, तो कुछ मामलों में बीकॉम के बाद इसे छोड़ने का विकल्प उपलब्ध है
कम्प्यूटर एप्लीकेशन
बहुत से लोग सोचते हैं कि जिन्होंने पहले कम्प्यूटर या सूचना विज्ञान का अध्ययन किया है, केवल वे ही मास्टर ऑफ कम्प्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) कोर्स कर सकते हैं. जबकि वाणिज्य स्नातक एमई या एम.टेक के लिए आवेदन के लिए पात्र नहीं होते हैं. एमसीए उनके लिए एक व्यवहार्य विकल्प है. वाणिज्य और कम्प्यूटर के ज्ञान के साथ, वे व्यवसाय कंप्यूटिंग में अपना कॅरिअर बना सकते हैं. एमसीए आमतौर पर तीन वर्ष का कोर्स होता है और कई संस्थानों द्वारा चलाया जाता है.
चार्टर्ड एकाउंटेंसी
यह कोर्स इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा संचालित और विनियमित किया जाता है. इस कोर्स के लिए आपको किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने की जरूरत नहीं होती है. पाठ्यक्रम स्व-शिक्षण, संपर्क कक्षाओं और व्यावहारिक प्रशिक्षण का एक संयोजन है और इसमें १०+२ और आईसीएआई द्वारा आयोजित सामान्य प्रवीणता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद प्रवेश लिया जा सकता है. कोर्स को इंटरमीडिएट और फाइनल में विभाजित किया गया है. फाइनल पूरा करने के बाद, आप आईसीएआई के सदस्य बन सकते हैं जो इसके छात्रों को प्लेसमेंट में मदद करता है. वाणिज्य में स्नातक सीए पाठ्यक्रम के साथ किया जा सकता है.
सीए बनने का एक और मार्ग है. न्यूनतम ५५ प्रतिशत अंकधारी वाणिज्य स्नातक/ स्नातकोत्तर और ६० प्रतिशत अंकधारी अन्य स्नातक/स्नातकोत्तर संस्थान में पहले इंटरमीडिएट पाठ्यक्रम के लिए नामांकन करा सकते हैं. इस लेवल को पूरा करने के बाद उन्हें प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और आर्टिकलशिप पूरी करनी होती है. अंतिम परीक्षा पूरी करके, उम्मीदवार आईसीएआई के सदस्य के रूप में नामांकन करा सकता है और उसे चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में नामित किया जाता है.
कॉस्ट अकाउंटेंसी : यह सीए योग्यता के समान है, हालांकि पाठ्यक्रम सामग्री काफी हद तक अलग होती है. यह कोर्स इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा संचालित और विनियमित किया जाता है जिसे पहले इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता था.
चार्टरित वित्तीय विश्लेषक
यह संयुक्त राज्य अमरीका स्थित सीएफए संस्थान द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन है और इसे हमारे देश में उपलब्ध कराया जाता है. सीएफए कार्यक्रम उन्नत निवेश विश्लेषण और पोर्टफोलियो प्रबंधन कौशल में एक मजबूत आधार प्रदान करने के लिए है. स्नातक इस सेल्फ-पेस्ड पाठ्यक्रम के लिए ऑनलाइन प्रारूप के साथ नामांकन करा सकते हैं. पाठ्यक्रम को तीन स्तरों में बांटा गया है. सीएफए बनने से वैश्विक कॅरिअर के लिए ज्यादातर निजी संगठनों में दरवाजे खुल सकते हैं.
एकाउंटिंग, ऑडिटिंग और कंसल्टिंग कॅरिअर योग्य चार्टर्ड / कॉस्ट अकाउंटेंट और चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट के लिए खुले हैं.
कंपनी सेक्रेटरी : कॉमर्स के छात्रों के लिए कंपनी सेक्रेटरीशिप भी कॅरिअर का एक आशाजनक विकल्प है. यह कोर्स इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) द्वारा संचालित किया जाता है. वाणिज्य में १०+२ या समकक्ष पास करने के बाद इस पाठ्यक्रम को चुनने वाले उम्मीदवारों को इसे आगे बढ़ाने के लिए तीन चरणों से गुजरना पड़ता है. इन चरणों में फाउंडेशन कार्यक्रम, कार्यकारी कार्यक्रम और व्यावसायिक कार्यक्रम शामिल हैं. ग्रेजुएशन पास करने के बाद इसमें प्रवेश करने वालों को केवल दो चरणों से गुजरना पड़ता है- कार्यपालक और व्यावसायिक. दोनों समूहों के लिए कंपनी सचिव पाठ्यक्रम के कार्यकारी कार्यक्रम को उत्तीर्ण करने देने के बाद ही व्यावसायिक कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जा सकता है. यह कोर्स सीए कोर्स के मॉडल पर भी काम करता है. हालांकि २०१४ से, आईसीएसआई ने उन लोगों के लिए ३ वर्ष का पूर्णकालिक पाठ्यक्रम शुरू किया है जो ५० प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक हैं या फाउंडेशन कोर्स पास कर चुके हैं. यह कोर्स नवी मुंबई में आयोजित किया जाता है और इसमें सीमित सीटें हैं. कॉमर्स के छात्रों के लिए कॅरिअर के कई अन्य उपयुक्त विकल्प हैं.
बैंकिंग : जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारत में बैंक, ज्यादातर सरकारी बैंक, काफी संख्या में भर्ती कर रहे हैं और इस प्रकार वहां रोज़गार चाहने वालों के लिए बेहतर अवसर हैं. वाणिज्य के छात्रों के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम में बैंकिंग एक प्रमुख विषय होता है. जब भी रिक्तियों का विज्ञापन दिया जाता है, वाणिज्य स्नातक बैंकों में लिपिक और अधिकारियों के पद के लिए आवेदन कर सकते हैं. कई मामलों में, निजी और सहकारी बैंक वाणिज्य की पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को पसंद करते हैं, हालांकि भर्ती के विज्ञापन में इसका विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया जा सकता है. मुख्यधारा की बैंकिंग के अलावा, मर्चेंट बैंकिंग, निवेश बैंकिंग आदि में भी रोज़गार उपलब्ध हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ-साथ निजी, सहकारी, बहुराष्ट्रीय और पेमेंट बैंकों में भी बैंकिंग कॅरिअर की तलाश की जा सकती है.
बीमा : भारत को एक कम बीमित देश माना जाता है, इस प्रकार यह क्षेत्र बीमा व्यवसाय के लिए अपार विकास के अवसर प्रदान करता है. बीमा व्यवसाय में जीवन और गैर-जीवन बीमा शामिल है जो आगे उप-विभाजित है. हमारे देश में बीमा व्यवसाय सार्वजनिक और निजी- दोनों क्षेत्र की कंपनियों द्वारा किया जा रहा है, जिसमें कोई भी व्यक्ति एक एजेंट, लेखा/वित्त पेशेवर या एक बीमांकक के रूप में शामिल हो सकता है. एक्चुअरी (बीमांकक) बनने के लिए आपको एक्चुरियल साइंस का कोर्स करना होगा. उपलब्ध एक्चुअरी की संख्या कम होने के कारण, इनकी बेहतर मांग होती है.
स्टॉक ब्रोकिंग : भारत में, स्टॉक एक्सचेंजों में व्यापार की मात्रा बढ़ रही है क्योंकि अधिक से अधिक लोग शेयरों में निवेश कर रहे हैं. शेयरों की बिक्री और खरीद भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पंजीकृत स्टॉक ब्रोकर्स के माध्यम से होती है. आप ऐसी किसी भी स्टॉक ब्रोकिंग फर्म में शामिल हो सकते हैं जहां आपका काम ग्राहकों के आदेशों से निपटना, उन्हें सलाह देना, इक्विटी अनुसंधान आदि की पेशकश करना हो सकता है. ऐसे रोज़गार ज्यादातर बड़े शहरों में उपलब्ध होते हैं. सब ब्रोकर के रूप में काम करना भी संभव है जो छोटे शहरों और कस्बों में भी संभव है.
ऑडिटिंग : कई ऑडिटिंग फर्म हैं जो चार्टर्ड अकाउंटेंट और कॉमर्स ग्रेजुएट्स को ऑडिट कार्य करने या अपने वरिष्ठ ऑडिटर्स की सहायता करने के लिए नियुक्त करती हैं. बैंकों और अन्य सूचीबद्ध कंपनियों के लिए खातों का ऑडिट कराना अनिवार्य होता है और यह मान्यताप्राप्त ऑडिट फर्मों के माध्यम से आयोजित किया जाना होता है. कुछ ऑडिट फर्म स्थानीय स्तर पर काम करती हैं, वे क्षेत्रीय स्तर पर और कुछ अन्य अखिल भारतीय आधार पर या विश्व स्तर पर काम करती हैं.
अध्यापन : एम.कॉम योग्यता वाले लोग अध्यापन कॅरिअर का विकल्प चुन सकते हैं. आप माध्यमिक या उच्च कक्षाओं के लिए और प्रबंधन शिक्षा संस्थानों में शिक्षक बन सकते हैं. इसके अलावा, कई कोचिंग संस्थान हैं जो छात्रों को वाणिज्य के इनपुट के साथ पाठ्यक्रम और प्रमाणन की तैयारी में मदद करते हैं. निजी ट्यूशन देना भी एक विकल्प है.
परामर्श : वाणिज्य पृष्ठभूमि वाले और वरीयत: कुछ अनुभव वाले लोगों के पास परामर्श कार्य के व्यापक अवसर हैं. परामर्श के लिए कई क्षेत्र हैं जैसे- ऑडिटिंग (कंपनियों को ऑडिट की तैयारी करने की सलाह देना), इनकम टैक्स, सर्विस टैक्स, वैल्यू एडेड टैक्स आदि. गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के लागू होने से इस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले परामर्शदाताओं के लिए अधिक अवसर हैं. वित्तीय नियोजन भी परामर्श का एक क्षेत्र है जिसके लिए आप प्रमाणित वित्तीय योजनाकार पाठ्यक्रम में शामिल होना चुन सकते हैं. आप एक स्वतंत्र परामर्शदाता के रूप में काम कर सकते हैं और आपको डेलॉइट, एडलवाइस इत्यादि जैसी परामर्श सेवा-प्रदाता फर्मों में शामिल होने का अवसर भी मिल सकता है.
फोरेंसिक अकाउंटिंग / ऑडिटिंग : फोरेंसिक अकाउंटिंग या ऑडिटिंग एक उभरता हुआ क्षेत्र है जिसमें कॉमर्स के छात्र विशेष प्रशिक्षण लेने के बाद शामिल हों सकते हैं. आप इन क्षेत्रों में काम करने वाली एजेंसियों, बैंकों और जांच निकायों के साथ काम कर सकते है.
जोखिम प्रबंधन : वाणिज्य के छात्र भी आवश्यक प्रमाणपत्र प्राप्त करके जोखिम प्रबंधन पेशेवरों के रूप में काम करने की योजना बना सकते हैं. व्यवसाय अब अधिक जोखिमों से भरा है, ऐसे जोखिमों के प्रबंधन के लिए योग्य जोखिम प्रबंधकों की अधिक संख्या में मांग की जाती है.
वेल्थ एडवाइजिंग : हाई नेटवर्थ वाले लोग वेल्थ एडवाइजर्स की सेवाएं लेते हैं. वाणिज्य पेशेवर इस कार्य के लिए उपयुक्त होते हैं और इस विषय में प्रशिक्षित/ प्रमाणित होने के बाद, वे धन सलाहकार फर्मों में लगी फर्मों में शामिल हो सकते हैं या स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं.
काम करने के स्थान
ऊपर यथा वर्णित कार्य की प्रकृति के आधार पर, आपके कार्य का स्थान तय किया जाएगा जो एक बैंक, शैक्षणिक संस्थान, परामर्श या ऑडिट फर्म हो सकता है. इसके अतिरिक्त वाणिज्य योग्यता के साथ, आप निम्नलिखित कॅरिअर के अवसरों की तलाश कर सकते हैं:-
कॉर्पोरेट क्षेत्र : सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों सहित हर बड़ी और मध्यम आकार की कंपनी में, एक लेखा / वित्त विभाग होता है जिसमें विभाग के प्रमुख और सहायक टीम के सदस्य होते हैं. वाणिज्य में योग्यता के साथ, आप टीम में कनिष्ठ पदों पर कार्य कर सकते हैं और अनुभव के साथ आगे बढ़ सकते हैं.
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) : देश में विभिन्न आकार की कई गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) काम कर रही हैं, जो वित्त से संबंधित सेवाओं की मेजबानी करती हैं, जिन्हें वाणिज्य पेशेवरों की विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है. बड़ी एनबीएफसी की देश भर में शाखाएं हैं.
ई-कॉमर्स कंपनियां : बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां हर दिन बड़ी संख्या में लेन-देन करती हैं, जिसके लिए रिकॉर्ड रखरखाव, लेखांकन और बिलिंग के बड़े पैमाने पर अभ्यास की आवश्यकता होती है, जिसके लिए वाणिज्य में योग्यता काम आ सकती है. वाणिज्य का अध्ययन करने के बाद आपको निर्यात और आयात कंपनियों, छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई), म्यूचुअल फंड कंपनियों, ट्रस्टों, गैर-सरकारी संगठनों, पारिवारिक व्यवसायों आदि में, मुख्य रूप से उनके खाता अनुभाग में काम के अवसर मिल सकते हैं. कॉमर्स के साथ एक उत्कृष्ट कॅरिअर बनाने के लिए, आपके पास संख्याओं के लिए अभिरुचि होनी चाहिए क्योंकि अधिकांश समय आप आंकड़ों और संख्याओं के साथ काम करेंगे. साथ ही, आपके पास तार्किक और विश्लेषणात्मक सोच होनी चाहिए जो आपको बैलेंस शीट, लाभ और हानि विवरण और अन्य वित्तीय आंकड़ों का विश्लेषण करने में मदद करेगा. इन सभी गुणों को सच्चे प्रयासों से विकसित किया जा सकता है.
(लेखक कॅरिअर काउंसलर हैं, ई-मेल: vj2j25@yahoo.in)
व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं
छवि सौजन्य : गूगल