अभिलेखविद् के रूप में कॅरिअर
निधि प्रसाद
अभिलेखागार क्या है?
अभिलेखागार ऐसे दस्तावेजों या अभिलेखों का संग्रह है जिन्हें प्रमाण के रूप में या सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और अन्य शोध हेतु जानकारी के स्रोत के रूप में उनके मूल्य के कारण स्थायी संरक्षण के लिए चुना गया है. 'आर्काइव (अभिलेखागार) शब्द को ग्रीक शब्द 'आर्कियोन से लिया गया है जिसका अर्थ सार्वजनिक कार्यालय या टाउन हॉल है जिसमें महत्वपूर्ण आधिकारिक राज्य दस्तावेजों को आर्कन (शासक या लॉर्ड, अक्सर एक विशिष्ट लोक पद के शीर्षक के रूप में प्रयुक्त) के प्राधिकार के तहत दाखिल और प्रस्तुत किया जाता था. अभिलेखागार में सूचना और सामग्री को सुव्यवस्थित करने, संरक्षित करने और सुलभ बनाने के अध्ययन और प्रथा को अभिलेखीय विज्ञान या अभिलेखीय प्रशासन कहा जाता है.
अभिलेखविद् कौन होता है?
अभिलेखविद् दस्तावेजों और अन्य सामग्रियों की प्राप्ति, प्रबंधन और रख-रखाव करते हैं जिनका व्यक्तियों और संस्थानों के लिए दीर्घकालिक मूल्य होता है. वे कागजी दस्तावेजों, कंप्यूटर रिकॉर्ड के साथ-साथ ऑडियो-विजुअल सामग्री के साथ काम करते हैं. वे विवरण के साथ अभिलेखों के समूह को संरक्षित करने के लिए जिम्मेदार हैं. ऐसा करने में, उन्हें शैक्षिक अनुसंधान को ऐतिहासिक मूल्य वाले अभिलेखों और वस्तुओं के एकत्रीकरण, संरक्षण और प्रसूचीकरण के साथ जोड़ना होता है. ऐसे संग्रहालयों, सरकारी एजेंसियों, शैक्षणिक संस्थानों और संगठनों में अभिलेखविदें के लिए पद होते हैं जिनमें स्थायी रिकॉर्ड रखने की आवश्यकता होती है.
अभिलेखविद् की जिम्मेदारियां:
· अभिलेखों की प्राप्ति, संरक्षण, सुलभता और व्यवस्था को सुगम बनाना
· संरक्षण के मुद्दों को निर्धारित करने और उन मुद्दों को हल करने के लिए सामग्री की समीक्षा करना
· अभिलेखागार में संग्रहों का व्यवस्थापन और विवरण
· अभिलेखीय डेटाबेस को बनाए रखना और अद्यतन करना
· नए संग्रह के अधिग्रहण पर वार्ता करना
· सहायक स्टाफ और बजट का पर्यवेक्षण करना
· प्रदर्शक बनाना और आउटरीच अभियानों और गतिविधियों में शामिल होना
सामान्य प्रोफाइल
· पांडुलिपि अभिलेखविद्
· डिजिटल अभिलेखविद्
· फिल्म अभिलेखविद्
· फोटोग्राफ अभिलेखविद्
आवश्यक कुशलता
· विश्लेषणात्मक कौशल: अभिलेखविद् को मानचित्र, फिल्म, दस्तावेज़ और पेंटिंग जैसी सामग्री का विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है; उनकी प्रामाणिकता, भौतिक स्थिति और ऐतिहासिक सामग्री की जांच करनी होती है. सामग्री का विश्लेषण करके अभिलेखविद् दोषों का पता लगाने और यह निर्धारित करने में सक्षम होता है कि उस सामग्री को संग्रह में शामिल किया जा सकता है या नहीं. अभिलेखविद् के पास सटीकता के साथ काम करने के लिए व्यवस्थित दृष्टिकोण होना चाहिए.
· संरक्षण कौशल: अभिलेखविद् को विभिन्न समय अवधियों की भंडारण और संरक्षण तकनीकों के बारे में ज्ञान होना चाहिए. कुछ सामग्री को विशिष्ट पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है, इसलिए अभिलेखविद् सामग्री के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए आवश्यक भंडारण स्थान और सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी करता है.
· ग्राहक सेवा कौशल: अभिलेखविद् सामग्री को स्कैन और प्रतियों के माध्यम से जनता को उपलब्ध कराता है. आम तौर पर, वे उन लोगों की मदद करते हैं जो जानकारी प्राप्त करने या शोध करने के लिए अभिलेखागार में पहुंच चाहते हैं.
· संचार कौशल और आयोजन प्रबंधन: अभिलेखविद् प्रस्तुतियों, व्याख्यानों, कार्यशालाओं, प्रदर्शकों, प्रदर्शनों या पर्यटन के माध्यम से जनता को अभिलेखागार देखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
· कंप्यूटर कौसल: कंप्यूटर और इसी तरह के गैजेट्स का कार्यसाधक ज्ञान.
अभिलेखविद् कैसे बनें?
अभिलेखीय विज्ञान में डिग्री के अलावा, इतिहास, राजनीति विज्ञान, पुस्तकालय विज्ञान, लोक प्रशासन जैसे विषयों में डिग्री धारक व्यक्ति पर भी अभिलेखविद् के पद के लिए विचार किया जाता है. उपर्युक्त विषयों में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 है. विज्ञान और चिकित्सा पृष्ठभूमि वाले छात्र भी रेप्रोग्राफी - अभिलेखीय विज्ञान से संबंधित एक विशेष विषय - की पढ़ाई कर सकते हैं.
अभिलेखीय विज्ञान (आर्काइव साइंस) या संबंधित विषयों में स्नातक की डिग्री पूरी करने के बाद आगे समान विषय में एम.ए, एम.फिल और पीएच.डी पाठ्यक्रमों में नामांकन करा सकते हैं. कुछ संस्थान अन्य पाठ्यक्रम भी प्रदान करते हैं, जैसे अभिलेखागार में पीजी सर्टिफिकेट, अभिलेखागार रख-रखाव में पीजी डिप्लोमा, अभिलेखागार, प्रलेखन एवं प्रबंधन में पीजी डिप्लोमा, अभिलेखीय विज्ञान एवं पांडुलिपिविज्ञान में पीजी डिप्लोमा और अभिलेखीय अध्ययन में पीजी डिप्लोमा. रिकॉर्ड की सर्विसिंग और मरम्मत, रिप्रोग्राफी और अभिलेखागार प्रबंधन में कुछ अल्पकालिक सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम भी संचालित किए जाते हैं. इस तरह के पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के पीछे मूल विचार अभिलेख प्रबंधन, पुस्तकालय और सूचना विज्ञान प्रबंधन के आयामों, और ऐतिहासिक और अनुसंधान विधियों सहित बुनियादी अभिलेखीय सिद्धांत, विधियों, और/या मूल्यांकन प्रथा का ज्ञान प्राप्त करना है.
वर्ष 1976 में भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा स्थापित 'अभिलेखीय अध्ययन संस्थान अभिलेखीय अध्ययन के लिए भारत में सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक है. इसे पहले 'अभिलेखीय प्रशिक्षण संस्थान के रूप में जाना जाता था. अभिलेखीय विज्ञान और संबंधित विषयों में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में शामिल हैं:
· कला इतिहास, संरक्षण और संग्रहालय विज्ञान का राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान, दिल्ली- nmi.gov.in
· अभिलेखीय अध्ययन संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार, दिल्ली- nationalarchives.nic.in
· दिल्ली विरासत अनुसंधान एवं प्रबंधन संस्थान- dihrm.delhigovt.nic.in
· उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद- osmania.ac.in
· बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी-bhu.ac.in
अभिलेखागार क्यों महत्वपूर्ण हैं?
अभिलेखागार राष्ट्रों, क्षेत्रों, संगठनों, समुदायों और व्यक्तिगत लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं. वे अतीत में हुई गतिविधियों का प्रमाण प्रदान करते हैं, वे कहानियां बताते हैं, लोगों और पहचान का दस्तावेजीकरण करते हैं और अनुसंधान के लिए जानकारी के मूल्यवान स्रोत हैं. वे हमारी अभिलिखित स्मृति हैं और हमारे समुदाय, सांस्कृतिक, आधिकारिक और अनौपचारिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
अभिलेखागार संग्रह आमतौर पर अद्वितीय होते हैं, यही कारण है कि उनकी उचित देखभाल करना अति महत्वपूर्ण है. उन्हें वर्तमान और भविष्य के उपयोग के लिए सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए सावधानीपूर्वक संग्रहीत और प्रबंधित करने की आवश्यकता होती है. संग्रहालयों और पुस्तकालयों सहित अन्य संस्थानों द्वारा भी अभिलेखागार रखे जाते हैं. कभी-कभी अभिलेखीय संग्रह अक्सर अपने स्वयं के संस्थागत रिकॉर्ड रखने वाले धार्मिक संगठनों, विश्वविद्यालयों, स्कूलों, कंपनियों, धर्मार्थ एवं कला संगठनों और सामुदायिक समूहों जैसे अन्य स्थानों में भी रखे जाते हैं.
भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनएआई) भारत सरकार और उसके पूर्ववर्ती निकायों के सभी गैर-वर्तमान अभिलेखों का आधिकारिक संरक्षक है. ये अभिलेख पुस्तकों, कागजात, पत्रों, लिखित पांडुलिपियों, मानचित्रों, योजनाओं, डायरी, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, फोटोग्राफ, क्लिपिंग, वीडियो और ध्वनि रिकॉर्डिंग, और फिल्म चित्र, फोटोकॉपी और माइक्रोफिल्म सामग्री, आदि जैसे किसी भी प्रकार के दस्तावेज़ रूपों में संरक्षित किये जाते हैं. आजकल, इतिहासकार, विद्वान, वंशावली अन्वेषक, वकील, जीवनी लेखक, स्वतंत्र लेखक, वृत्तचित्र फिल्म निर्माता, जनसांख्यिकीविद्, छात्र, विश्लेषक और प्रशासनिक विभाग भी अभिलेखीय स्रोतों का लाभ उठाते हैं.
वर्तमान में, लगभग हर क्षेत्र को अपने मूल्यवान अभिलेखों और दस्तावेजों को पेशेवर तरीके से संग्रहीत करने के लिए अभिलेखविद् की आवश्यकता होती है. कोई व्यक्ति भी उज्ज्वल कॅरिअर बनाने के लिए उपलब्ध व्यापक विशिष्ट अवसरों में से अभिलेखीय विज्ञान का विकल्प चुन सकता है और एक सफल अभिलेखाध्यक्ष बन सकता है.
संग्रहालय, अभिलेखागार और पुस्तकालय शब्द भ्रमित करने वाले लग सकते हैं. ये सभी सांस्कृतिक संस्थान हैं. ये ऐसी सांस्कृतिक विरासत के संग्रह और संरक्षण से संबंधित हैं, जो किसी भी आधुनिक राष्ट्र में एक अद्वितीय स्थान रखती है. तीनों क्षेत्र एक ही उद्देश्य के साथ इतिहास के सभी रूपों और प्रकारों का दस्तावेजीकरण करने के लिए मिल कर काम करते हैं, लेकिन प्रत्येक का अपना विषय, प्रशिक्षण के अपने कार्यक्रम और साहित्य समूह होते हैं. जहां एक ओर संग्रहालय ऐतिहासिक कलाकृतियों और वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं; वहीं पुस्तकालय पुस्तकों, पत्रिकाओं आदि जैसी प्रकाशित सामग्री के प्रबंधन में विषेषज्ञ होते हैं, और अभिलेखागार ऐतिहासिक अभिलेखों पर ध्यान केंद्रित करते हैं. यद्यपि अभिलेखीय संग्रह अक्सर पुस्तकालय भवनों के भीतर पाए जा सकते हैं, लेकिन वे अपने कार्यों और संगठन के संदर्भ में पुस्तकालयों से काफी अलग होते हैं.
'आर्काइव (अभिलेखागार) शब्द के अलग-अलग अर्थ हो सकते हैं और इसे तीन तरीकों से परिभाषित किया जा सकता है, यथा:
· ऐतिहासिक रिकॉर्ड संग्रह: ये किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा एकत्रित और संरक्षित कागजात, दस्तावेज, फाइल, फोटोग्राफ और अन्य समान सामग्री जैसे अभिलेखों के समूह हैं.
· रिपोजिटरी (भौतिक सुविधाएं): यहां अभिलेखागार भवन या भवन का हिस्सा जैसे किसी भौतिक स्थान या सुविधा को संदर्भित करता है जहां अभिलेखीय रिकॉर्ड रखे जाते हैं.
· संगठन: अभिलेखागार का अर्थ एक संगठन, कार्यक्रम या एजेंसी भी हो सकता है जो ऐतिहासिक अभिलेखों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए जिम्मेदार है.
हालांकि अभिलेखागार कई अलग-अलग संदर्भों में पाए जाते हैं, लेकिन सभी अभिलेखीय कार्यक्रमों का एक ही मौलिक लक्ष्य होता है; यानी, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत से संबंधित अभिलेखों का संरक्षण.
लोकप्रिय भर्तीकर्ता
अभिलेखविद् विभिन्न संगठनों में रोज़गार अवसर प्राप्त सकते हैं, जैसे:
· संग्रहालय
· सरकारी अभिकरण
· महाविद्यालय और विश्वविद्यालय
· औद्योगिक और वाणिज्यिक फर्म
· अस्पताल
· हिस्टोरिकल सोसाइटी
· निगम और संस्थान जहां रिकॉर्ड संभावित रूप से शोधकर्ताओं, प्रदर्शकों, वंशावलीविदों या अन्य लोगों के लिए मूल्यवान हो सकते हैं
· भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार, संस्कृति मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय, की विभिन्न इकाइयां
· इंडियन काउंसिल फॉर हिस्टोरिकल रिसर्च में अभिलेखविद्, सहायक अभिलेखविद्, अभिलेखागार निदेशक, सहायक अभिलेखागार निदेशक - रिकॉर्ड्स एवं पब्लिकेशन, और रिकॉर्ड्स कीपर के कई पद हैं.
वर्ष 2019 से 2029 तक अभिलेखविदें के रोज़गार में 8 प्रतिशत की वृ़िद्ध का अनुमान है, जो सभी व्यवसायों के औसत से काफी तेज वृ़िद्ध है. अभिलेखविदें की मांग बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि सार्वजनिक और निजी संगठनों को अधिक मात्रा में रिकॉर्ड और जानकारी को व्यवस्थित और सुलभ बनाने की आवश्यकता है.
(लेखिका परामर्श मनोवैज्ञानिक और कॅरिअर सलाहकार हैं. उनसे ठ्ठद्बस्रद्धद्ब nidhi prasadcs@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)
व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.
चित्र साभार: शूटर स्टॉक