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नौकरी फोकस


Issue no 49, 4-10 March 2023

 

रंजना सिंह

महिला श्रम बल भागीदारी विकास की परिचालक है और इसलिए यहभागीदारी दर देश के अधिक तेजी से विकास करनेके सामर्थ्‍य को इंगित करती है। जैसा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने हाल ही में श्रम मंत्रियों के सम्मेलन में जोर देकर कहा था किभारत सरकार कार्यस्थलोंको लचीला बनाने,वर्क फ्रॉम होम (घर से काम करने)की व्‍यवस्‍था और कार्य के घंटों में लचीलेपनको लोकप्रिय बनाने की एक रणनीति पर विचार कर रही है, जिसका उपयोग महिला श्रम बल भागीदारी को प्रोत्साहित करने के अवसरों के रूप में किया जा सकता है।

कोविड-19 महामारी के बाद, जहां एक ओरअनेक गैर-सरकारी नियोक्तादूरस्थ कार्य (या रिमोट वर्क)की परिपाटी बरकरार रखे हुए हैं और कई कर्मचारी अब पूर्णकालिक या अंशकालिक आधार पर घर से ही काम कर रहे हैं, वहीं सरकारी मोर्चे पर,राजस्थान महिलाओं के लिए वर्क फ्रॉम होम के अवसर सुगम बनाने के प्रति समर्पित एक योजना को औपचारिक रूप से शुरू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। राजस्थान सरकार ने हाल ही में मुख्यमंत्री वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) पोर्टल का अनावरण किया, जिसमें सरकारी / निजी संगठन डब्ल्यूएफएच अवसरों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं और राजस्थान से संबंधित महिलाएं ऐसे अवसरों के लिए आवेदन कर सकती हैं। इन आवेदनों पर कार्रवाई की जाएगी और ऐसी नौकरियों के लिए उपयुक्त पाए जाने वाली उम्मीदवारों को डब्ल्यूएफएच केअवसर प्रदान किए जाएंगे।

भारत के रोजगार और श्रम बल भागीदारी रुझान

नवीनतम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार, शहरी और ग्रामीण भारत दोनों स्‍थानों पर श्रम बाजार पूर्व-कोविड ​​स्तरों से आगे निकल गए हैं, बेरोजगारी दर 2018-19 में 5.8% से घटकर 2020-21 में 4.2% हो गई है। पीएलएफएस 2020-21 (जुलाई-जून) में, श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) में पीएलएफएस 2019-20और 2018-19 की तुलना में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए सुधार हुआ है।

पुरुषों के लिए श्रम बल भागीदारी दर 2020-21 में बढ़कर 57.5% हो गई, जबकि 2018-19 में यह 55.6% थी। महिलाओं के लिए समग्र श्रम बल भागीदारी दर 2018-19 में 18.6% से बढ़कर 2020-21 में 25.1% हो गई। ग्रामीण महिला श्रम बल भागीदारी दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई औरयह 2018-19 में 19.7% से बढ़कर 2020-21 में 27.7% हो गई।

रोजगार पर सकारात्मक दृष्टिकोण होने के बावजूद, श्रम बल भागीदारी में लैंगिक  आधार परलगातार असमानता बनी हुई है और इसके लिए काफी हद तक महिला आबादी के समक्ष आने वाली अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाओं को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। ये बाधाएं महिलाओं की पारंपरिक भूमिकाओं, सांस्कृतिक विश्‍वासों और सामाजिक मानदंडों में गहरी जड़े जमाए हुए हैंऔर पेशेवर करियर बनाने की इच्छुक महिलाओं के लिए बहुत बड़ी चुनौतियां पेश करती हैं।

यूं तो रोजगार के अवसरों में लैंगिक आधार पर समानता सुनिश्चित करने के संदर्भ में नीतिगत स्तर पर अनेक कदम उठाए गए हैं, लेकिन भारत में करियर बनाने की कोशिश करने वाली महिलाओं के समक्ष कामकाज और जीवन के बीच संतुलन के अभाव की बाधा निरंतर बनी हुई है। अक्सर महिलाओं से बच्चों की देखभाल और घरेलू कामों सहित अधिकांश घरेलू ज़िम्मेदारियों को निभाने कीअपेक्षा की जाती हैजिससे अपने निजी और व्यावसायिक जीवन को संतुलित करना उनके लिए मुश्किल हो सकता है। यह उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो ऐसी नौकरियां करती हैं, जिनमें लंबे समय तक काम करना पड़ता है और आने-जाने में काफी समय लगता है।

इस बीच, महामारी के कारण परिदृश्य में कई बदलाव आ गए हैं। कर्मचारियों केदूरस्थ कार्य  करने का आदी हो जाने और व्यवसायों को फिजिकल फुटप्रिंट में कमी की बदौलत संभावित लागत में बचत काएहसास होने के कारण कई संगठन पारंपरिक कार्यालय की भूमिका का नए सिरे से मूल्यांकन कर रहे हैं। इसके चलतेआए बदलाव की परिणति अधिक लचीले, हाइब्रिड कार्यस्थलों में हुई है, जो दूरस्थ और व्यक्तिगत, दोनों ही रूपों में  काम करते हैंतथा रचनात्मकता और नवाचार को सहायता देने वाले सहयोगी स्थान बनाने पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। इस परिवर्तन को महिलाओं के लिए वरदान बताया जा रहा है।

कार्यस्थल के बारे में उभरते रुझान

दूरस्थ कार्य: महामारी के कारण  दूरस्थ कार्य का चलन बढ़ाहै, अनेक कर्मचारी अब पूर्णकालिक या अंशकालिक आधार पर घर से ही काम कर रहे हैं।

कार्य व्यवस्था मेंलचीलापन : महामारी की चुनौतियों से निपटने के लिए कई व्यवसायों ने अंशकालिक कार्यक्रम, नौकरी साझा करने, या कार्य की शुरुआत और समाप्ति के समय में लचीलापन जैसी अधिक लचीली कार्य व्यवस्थाओं को भी अपनाया है। इसके कारणकार्य के साथ-साथ परिवार के बच्चों या बुजुर्ग सदस्यों की देखभाल जैसी अन्‍य जिम्‍मेदारियों को भी संभालने वाली कर्मचारियों का तनाव कम करने में मदद मिली है।

कर्मचारियों के कल्याण पर अधिक फोकस: महामारी ने कर्मचारियों के शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के कल्याण के महत्व को रेखांकित  किया है। अनेक संगठनों ने दूरस्‍थ कार्य करते हुए कर्मचारियों को स्वस्थ रहने और जुड़े रहने में मदद करने के लिए वर्चुअल फिटनेस क्लासेस, मानसिक स्वास्थ्य संसाधन और ऑनलाइन सामाजिक आयोजनजैसे नए कार्यक्रम करने और लाभ देने शुरु किए हैं।

डिजिटल परिवर्तन पर बल: महामारी ने कई उद्योगों में डिजिटल परिवर्तन की गति भी तेज कर दी, क्योंकि व्यवसायों को दूरस्थ कार्य और ऑनलाइन इंटरैक्शन की नई वास्तविकता को तेजी से अपनाना पड़ा। इसकी बदौलत कर्मचारियों और ग्राहकों की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए नई तकनीकों को अपनाया गया  और नए डिजिटल उत्पादों और सेवाओं का विकास हुआ।

वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) के लाभ

अधिक लचीलापन: डब्ल्यूएफएच से महिलाएं अपने कार्यकी योजना में अधिक लचीलापन ला पाती हैं, जो उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है, जिन पर परिवार के बच्चों या बुजुर्ग सदस्यों की देखभाल करने जैसी जिम्मेदारियां हैं।

आवागमन के समय की बचत : वास्‍तविक  कार्यस्थल पर जाने की आवश्यकता न रहने पर महिलाएं आवागमनमें लगने वाले समय और धन की बचत कर सकती हैं, और इससे उनके पास कार्य या अन्य गतिविधियों के लिए और अधिक समय उपलब्‍ध होता है।

नौकरी के अवसरों में वृद्धि: डब्ल्यूएफएच ने नौकरी के नए अवसरों के द्वार खोले हैं, विशेषकर प्रौद्योगिकी या दूरस्थ ग्राहक सेवा जैसे उद्योगों में, जो पहले महिलाओं के लिए ज्‍यादा सुलभ नहीं थे।

वंचितों के लिए अवसर: कंपनियों के भीतर दूरस्‍थ कार्य के अवसर शुरु होने की बदौलतपृथक भौगोलिक स्थानों में रहने वाले व्यक्तियों के साथ सहयोग की संभावनाएं संभव हो सकी हैं। यह नया परिप्रेक्ष्‍य,आभासी कार्यस्थल के भीतर व्‍यापक विविधता और समझबूझ  के लिए संभावनाओं के मार्ग प्रस्‍तुत करता है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर मौजूद वर्गों के पास अब अधिक समतावादी और समावेशी वातावरण में फलने-फूलने का सामर्थ्‍य मौजूद है।

अधिक समानता को प्रोत्‍साहन : आपकी निजी पृष्ठभूमि या रहने की व्यवस्था की चाहे कैसी भी हो, ऐसे कारकों के आपके कार्य प्रदर्शन या समग्र आउटपुट को प्रभावित नहीं करने की स्थिति में, उक्‍त अंतर से आपके व्‍यवसायिक सहकर्मियों के दृष्टिकोण प्रभावित नहीं होंगे। साथियों के बीच समान समझी जाने की यह नई क्षमता एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

कामकाज और जीवन के बीच संतुलन में सुधार: घर से कार्य करने सेमहिलाओं का अपने कामकाज और जीवन के बीच संतुलन पर अधिक नियंत्रण होता है, जिससे उनके तनाव में कमी आ सकती है और सेहत में सुधार हो सकता है।

नौकरी से संतुष्टि में वृद्धि  : अध्ययनों ने दर्शाया है कि डब्ल्यूएफएच नौकरी से संतुष्टि को बढ़ा सकता है, और यह  बात उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से सही है,जिनको करियर मेंतरक्‍की पाने के लिए भेदभाव या पूर्वाग्रह जैसी अतिरिक्त अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।

महिलाओं के लिए वर्क फ्रॉम होमके अवसर

सभी क्षेत्रों के रोजगार परिदृश्य में बहुत कम क्षेत्र ऐसे हैं जहां महिलाओं को स्पष्ट रूप से अनुपयुक्त माना जाता है। इसके विपरीत, अन्य सभी क्षेत्रों में, महिलाओं की भागीदारी को स्वीकार्य लेकिन सीमित माना जाता है, इसका कारण वे अनेक बाधाएं हैं, जिनका सामना काम की तलाश में घर से बाहर निकलने पर महिलाओं को करना पड़ता है। इसलिएमहिलाओं के लिए दूरस्थ कार्य की संभावनाएं अपने आप में कम नहीं हैं; लेकिन इष्टतम अवसरों की उपलब्धता व्‍यक्तिगत कौशल, अनुभव और पसंद पर निर्भर करती है। हालांकि कुछ सामान्य क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें महिलाएं वर्क फ्रॉम होम के अवसरों का पता लगा सकती हैं, जैसे:

फ्रीलांसिंग (यानी स्‍वतंत्र रूप से कार्य करना ): फ्रीलांसिंग परियोजना के आधार पर बहुत अधिक लचीलापन और काम करने का अवसर प्रदान करता है। महिलाएं लेखन, ग्राफिक डिजाइन, वेब डेवेलपमेंट, सोशल मीडिया प्रबंधन और कई अन्य क्षेत्रों में फ्रीलांसिंग के अवसर पा सकती हैं।

वर्चुअल असिस्‍टेंट (यानी आभासी सहायक):वर्चुअल असिस्‍टेंट व्यवसायों और व्यक्तियों को दूरस्थ रूप से प्रशासनिक सहायता प्रदान करते हैं। इनमें अपॉइंटमेंटशेड्यूल करना, ईमेल मैनेज करना और डेटा एंट्री जैसे कार्य शामिल हो सकते हैं।

शिक्षा देना और ट्यूशन पढ़ाना : ऑनलाइन शिक्षा के उदय के साथ हीमहिलाएं  विभिन्न विषयों में दुनिया भर के छात्रों को शिक्षा देने  या ट्यूशन पढ़ाने के अवसर पा सकती हैं।

बिक्री और विपणन: अनेक कंपनियां अपने उत्पादों और सेवाओं के ऑनलाइन प्रचार  में सहायता के लिए दूरस्थ बिक्री और विपणन व्‍यवसायियों को भर्ती कर रही हैं।

आईटी और तकनीकी भूमिकाएं: तकनीकी कौशलों से संपन्‍न महिलाएं सॉफ्टवेयर डेवेलपमेंट, डेटाबेस मैनेजमेंट, नेटवर्क ए‍डमिनिस्‍ट्रेशन और अन्य तकनीकी भूमिकाओं में दूरस्थ अवसर पा सकती हैं।

परामर्श: किसी क्षेत्र विशेष में विशेषज्ञता रखने वाली महिलाएं दूरस्थ रूप से व्यवसायों को परामर्श सेवाएं प्रदान कर सकती हैं।

लेखन और संपादन: लेखन या संपादन में रुचि रखने वाली महिलाएंविषय सामग्री के सृजन, कॉपी राइटिंग और प्रूफरीडिंग में वर्क फ्रॉम होम के अवसर पा सकती हैं।

वर्क फ्रॉम होम के अवसर केवल शहरी ढांचे में ही महिलाओं तक सीमित नहीं हैं। ग्रामीण भारत की महिलाओं के पास भी कई प्रकार के कौशल होते हैं जिनकी अक्सर अनदेखी कर दी जाती है और उन्हें ज्‍यादा महत्‍व नहीं दिया जाता है। जबकि अधिकांश ग्रामीण भारत में महिलाओं की शिक्षा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, यहां तक कि ग्रामीण भारत में अशिक्षित महिलाओं के पास भी अपनी  दैनिक गतिविधियों और जिम्मेदारियों के कारण अक्‍सर अक्सर खेती करने, खाना पकाने, सफाई करने, बच्चे की देखभाल करने, सिलाईकरने, मरम्मतकरने आदि जैसे कौशल  होते हैं।

हस्तशिल्प और कारीगरी के कार्य: भारत में ग्रामीण महिलाओं का सुंदर हस्तशिल्प और मिट्टी के बर्तन, कढ़ाई, बुनाई और टोकरी बनाने जैसी कारीगरी की वस्तुओं को बनाने का एक लंबा इतिहास रहा है। वे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपने उत्पादों को स्थानीय स्तर पर या ऑनलाइन बेच सकती हैं।

खाद्य प्रसंस्करण: ग्रामीण महिलाएं अचार, मुरब्‍बा और चटनी जैसे उत्पाद बनाने के लिए घर पर ही छोटे पैमाने पर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां लगा सकती हैं। फिर वे इन उत्पादों को स्थानीय स्तर पर या ऑनलाइन मार्केटप्लेस के माध्यम से बेच सकती हैं।

कृषि-व्यवसाय: ग्रामीण महिलाएं भी छोटे पैमाने पर मशरूम की खेती, शहद उत्पादनआदि जैसे  कृषि से संबंधित व्यवसाय शुरू करके आय अर्जित कर सकती हैं।

होम-बेस्‍ड चाइल्‍ड केयर : ग्रामीण महिलाएं अपने समुदाय में कामकाजी माता-पिता को होम-बेस्‍ड चाइल्‍ड केयर सेवाएं प्रदान कर सकती हैं।

सिलाई और टेलरिंग : महिलाएं घर पर सिलाई और टेलरिंग का व्यवसाय शुरू कर सकती हैं और अपने समुदाय या ऑनलाइन ग्राहकों को अपनी सेवाएं दे सकती हैं।

ब्यूटी और वेलनेस सेवाएं: ग्रामीण महिलाएं अपने घर से ही हेयर कटिंग, मसाज और ब्यूटी ट्रीटमेंट जैसी ब्यूटी और वेलनेस सेवाएं प्रदान कर सकती हैं।

ऑनलाइन फ्रीलांसिंग: ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएंजो शिक्षित होने के बावजूद पूर्णकालिक नौकरी करने में असमर्थ हैं, ऑनलाइन ट्यूशन पढ़ाने, विषय सामग्री का सृजन करने, परामर्श, स्वतंत्र लेखन आदि में सफल करियर बना सकती हैं।

स्वरोजगार और लघु उद्योग

स्वरोजगार और छोटे पैमाने के व्यवसाय भी कामकाज और जीवन के बीच स्वस्थसंतुलन बनाए रखते हुए आमदनी के पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं। लचीलापन स्व-रोज़गार द्वारा प्रदान किए जाने वाले सबसे बड़े लाभों में से एक है। स्वरोजगार करने वाली महिलाएं अपना समय खुद निर्धारित कर सकती हैं और कहीं से भी काम कर सकती हैं। जब आप स्वरोजगार करतीहैं, तो आपके करियर पर आपका नियंत्रण अधिक होता है। आप अपने काम के मुताबिक अपने जीवन को व्‍यवस्थित करने की जगह अपने जीवन के मुताबिक काम को व्‍यवस्थित कर सकती हैं। इससे कामकाज और जीवन के बीच संतुलन बेहतर हो सकता है और तनाव घट सकता है। इतना ही नहीं, कई महिलाओं को लगता है कि किसी अन्‍य के लिए काम करने की तुलना में स्वरोजगार करना अधिक संतुष्टिदायक है। अपने स्वयं के कारोबार लगाकर वे कुछ सार्थक काम कर सकती हैं तथा निजी और व्यावसायिक तरक्‍की हासिल कर सकती हैं। एक स्व-नियोजित महिला के रूप मेंआपके पास अपने काम के संबंध मेंअधिक स्वायत्तता और नियंत्रण होता है। आप अपने फैसले खुद ले सकती हैं और अपनी  मालिक खुद बन सकती हैं। इसके अतिरिक्त, यह आपके जुनून और रुचियों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। आप अपने शौक और रुचियों को व्यवसाय में बदल सकती हैं और अपना मन-पसंद काम करके आजीविका चला सकती हैं।

भारत सरकार की अनेक योजनाएं और कार्यक्रम हैं, जिनका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना और उन्हें अपना कारोबार शुरू करने के लिए प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना है। ये कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं को उनके चुने हुए क्षेत्र में सफलता हासिल करने में सहायता देने के लिए वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और नेटवर्किंग के अवसर प्रदान कर सकते हैं। ऐसे ही कार्यक्रमों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित  हैं:

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई): यह योजना महिलाओं सहित व्यक्तियों को उनकी रोजगार क्षमता और आमदनी में सुधार लाने के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती है।

महिला कोयर योजना: यह योजना कोयर उद्योग में महिलाओं को प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर प्रदान करती है। इसका उद्देश्य कोयर उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देते हुए महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है।

एसटीईपी (महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम सहयोग ): यह योजना महिलाओं , विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित महिलाओं को प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर प्रदान करती है। इसका उद्देश्य महिलाओं की रोजगार क्षमता को बढ़ाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनने में सक्षम बनाना है।

नई रोशनी: यह योजना नेतृत्व, स्वास्थ्य और स्वच्छता, वित्तीय साक्षरता और कानूनी अधिकारों जैसे क्षेत्रों में महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान करती है। इसका उद्देश्य महिलाओं को उनके समुदायों में परिवर्तन का प्रतिनिधि  बनने के लिए सशक्त बनाना है।

उद्योगिनी: यह योजना महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू और प्रबंधित करने में सक्षम बनाने के लिए उद्यमिता प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करती है। इसका उद्देश्य महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और आर्थिक विकास में योगदान देना है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: यह योजना महिलाओं के स्वामित्व वाले सूक्ष्म और लघु उद्यमों को ऋण प्रदान करती है। इसका उद्देश्य महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने और आत्मनिर्भर बनने में सक्षम बनाना है।

वित्तीय सहायता योजनाएं: महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा दी जाने वाली अन्य लोकप्रिय योजनाओं में अन्नपूर्णा योजना, स्त्री शक्ति योजना, देना शक्ति योजना, भारतीय महिला बैंक व्यवसाय ऋण, श्रृंगार, परवरिश, महिला उद्यम निधि योजना, ओरिएंट महिला विकास योजना, सेंट कल्याणी योजना, सिंड महिला शक्ति योजना आदिशामिल हैं।

सफल वर्क फ्रॉम होम करियर कैसे बनाएं

अपना कौशल बढ़ाने तथा वर्क फ्रॉम होम के अच्‍छे और बहुत अधिक भुगतान वाले अवसरों का पात्र बनने के लिए आप निम्‍नलिखित कदमों का अनुसरण कर सकती हैं:

ऐसे कौशलों को पहचाने, जो मांग में हैं: नौकरी के बाजार के मौजूदा रुझानों पर कुछ शोध करें और ऐसे कौशलों की पहचान करें,जिनकी वर्क फ्रॉम होम वाली नौकरियों में बहुत अधिक मांग है। इसके कुछ उदाहरणों में डिजिटल मार्केटिंग, डेटा एनालिसिज, वेब डेवेलपमेंट और प्रोग्रामिंग शामिल हो सकते हैं।

अपने वर्तमान कौशल का आकलन करें: अपनेसामर्थ्‍य  और कमजोरियों की पहचान करने के लिए अपने वर्तमान कौशल और ज्ञान का मूल्यांकन करें। इससे आपको यह समझने में मदद मिल सकती है कि नौकरी के बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनने के लिए आपको किन कौशलों पर काम करने की आवश्यकता है।

कमियों की पहचान करें : अपने कौशल का आकलन करने के बाद, अपने वर्तमान कौशलों और जो अधिक मांग वाले कौशलों के बीच के अंतर को पहचान करें। इससे  आपको उन कौशलों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सकती है जिन्हें आपको सुधारने की आवश्यकता है।

ऑनलाइन पाठ्यक्रम और प्रमाणन लें: ऐसे ऑनलाइन पाठ्यक्रम और प्रमाणन की तलाश करें, जो आपको आवश्यक कौशल हासिल करने में मदद कर सकते हैं।

पोर्टफोलियो तैयार करें :संभावित नियोक्ताओं को अपने कौशलों से अवगत कराने के लिए ऐसापोर्टफोलियो तैयार करें, जो आपकी क्षमताओं को प्रदर्शित करता हो। इसमें आपके द्वारा किए गए कार्यों के उदाहरणजैसे आपकी बनाई वेबसाइटें, आपके लिखे लेख, या आपके द्वारा प्रबंधित किए गए सोशल मीडिया अभियानशामिल हो सकते हैं।

नेटवर्क:उपयुक्‍त ऑनलाइन ग्रुप्‍स में शामिल होकर,वर्चुअल इवेंट्स में भाग लेकर और अपने उद्योग में पेशेवरों से जुड़कर एक पेशेवर नेटवर्क बनाएं। यह आपको उद्योग के नए रुझानों से अवगत रहने और संभावित नियोक्ताओं से जुड़ने में मदद कर सकता है।

उपयुक्‍त नौकरियों के लिए आवेदन करें: आवश्यक कौशल हासिल कर लेने  और अपना पोर्टफोलियो बना लेने के बाद, अपने कौशल और रुचियों के अनुरूप वर्क फ्रॉम होम वाली नौकरियों के लिए आवेदन करना शुरू करें। शुरुआती स्तर के पदों से शुरूआत और काम करने से मत घबराइए।

(लेखिका एक शिक्षाविद और करियर काउंसलर हैं। इनसे reach.ranjanas@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)