केंद्रीय बजट 2018-2019.
(पृष्ठ २ का शेष)
(दिनांक 10-16 फरवरी, 2018 के अंक से जारी-दूसरा और अंतिम भाग)
बुनियादी ढांचा और वित्तीय क्षेत्र विकास
वित्ता मंत्री ने बुनियादी ढांचे के विकास को अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार बताते हुए अनुमान लगाया कि सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि और समूचे देश को सडक़ों, हवाई अड्डों, रेलवे, बंदरगाहों और अंतर्देशीय जलमार्गों के नेटवर्क से जोड़ऩे के लिए 50 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता है. उन्होंंने 2017-18 में 4.94 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित व्यय के मुकाबले 2018-19 में बुनियादी ढांचे पर बजट आबंटन बढ़ाकर 5.97 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की.
सरकार ने रेल और सडक़ क्षेत्रों के लिये अब तक का सबसे अधिक आबंटन किया है और इसमें सार्वजनिक निवेश और बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है. प्रधानमंत्री स्वयं नियमित आधार पर बुनियादी ढांचे में लक्ष्यों और उपलब्धियों की समीक्षा करते हैं.
प्रगति ऑनलाइन निगरानी प्रणाली के तहत 9.46 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू की जा चुकी हैं और उनमें तेजी लाई गई है. पर्यटन में और सुधार के लिये बजट में दस प्रमुख स्थलों को संपूर्ण दृष्टिकोण अपनाते हुए विकसित करने का प्रस्ताव है जिसमें बुनियादी ढांचा और कौशल विकास, प्रौद्योगिकी का विकास, निजी निवेश को आकृष्ट करना, ब्रॉंडिंग और मार्केटिंग शामिल है.
भारतमाला परियोजना के अंतर्गत करीब 35 हजार किलोमीटर सडक़ के निर्माण को चरण एक में अनुमति दी जा चुकी है और इसकी अनुमानित लागत 5,35,000 करोड़ रुपये है.
रेलवे
वर्ष 2018-19 के लिए रेलवे का पूंजीगत व्यय 1,48,528 करोड़ रुपये रहा है. पूंजी का एक बड़ा हिस्सा क्षमता निर्माण के लिये लगाया गया है. 2017-18 के दौरान चार हजार किलोमीटर का विद्युत रेलवे नेटवर्क प्रारंभ हो चुका है. पूर्वी और पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रेट कोरीडोर्स का कार्य पूरे ज़ोरों पर है. 2018-19 के दौरान पर्याप्त संख्या में रॉलिंग स्टॉक 12000 वैगन, 5160 कोच और लगभग 700 लोकोमोटिव्स का प्रापण किया जा रहा है. वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान 3600 किलोमीटर पटरी नवीनीकरण का लक्ष्य रखा गया है. छह सौ बड़े रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास का काम शुरू किया गया है.
मुंबई का स्थानीय रेल नेटवर्क 11 हजार करोड़ रुपये की लागत से दोहरी लाइनों के साथ 90 किलोमीटर होगा. इसके अलावा 40 हजार करोड़ रुपये की लागत से एक अतिरिक्त 150 किलोमीटर का उप शहरी नेटवर्क योजानावित किया जा रहा है. बंैगलुरू शहर के विकास को देखते हुए 17000 करोड़ रु. की अनुमानित लागत पर लगभग 160 किलोमीटर के उपनगरीय नेटवर्क की योजना बनाई जा रही है.
हवाई परिवहन
एक नवीन पहल नभ निर्माण के अंतर्गत प्रतिवर्ष एक बिलियन आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए हवाई अड्डा क्षमता में पांच गुणा विस्तार करने का प्रस्ताव बजट में दिया गया है. इसके अलावा सरकार ने पिछले वर्ष प्रारंभ की गई उड़ान नामक क्षेत्रीय योजनाओं के अंतर्गत 56 हवाई अड्डों और 31 हैलीपैडों को पुन: जोड़ा जाएगा जिनमें अभी सेवाएं प्रदान नहीं की जा रही है.
वित्त
बांड बाजार से कोषों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए वित्त मंत्री ने नियामकों से निवेश वैधता के लिए एए से ए रेटिंग की ओर बढ़ऩे की अपील की. उन्होंने कहा कि सरकार भारत में अंतर राष्ट्रीय वित्त सेवा केंद्र में सभी वित्तीय सेवाओं को नियमित करने के लिए एकीकृत प्राधिकरण की स्थापना करेगी.
डिजिटल अर्थव्यवस्था
वित्त मंत्री ने कहा कि नीति आयोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरूआत करेगा.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग रोबोटिक्सि, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल उत्पादन, डाटा विश्लेषण, मात्रात्मक सम्प्रेषण और इंटरनेट ऑफ थिंग्स के लिए अनुसंधान, प्रशिक्षण और कौशल के लिये उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना में सहयोग के वास्तें एक मिशन की शुरूआत करेगा. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिए बजट-2018-19 में धन राशि आबंटन को दोगुना करके 3073 करोड़ रुपये किया गया है.
5 करोड़ ग्रामीणों को नेट कनेक्टिविटी से जोडऩे के लिए सरकार 5 लाख वाई-फाई हॉट स्पॉट का निर्माण करेगी. वित्त मंत्री ने दूरसंचार के बुनियादी ढांचे में विस्तार और निर्माण के लिये 2018-19 में 10 हजार करोड़ रुपये की धनराशि का आबंटन किया है.
रक्षा
सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये किये जा रहे बलिदानों का उल्लेख करते हुये वित्त मंत्री ने दो रक्षा औद्योगिक उत्पादन गलियारों के विकास का प्रस्ताव किया है. श्री जेटली ने घोषणा की कि आधार की तर्ज पर भारत में हरेक उद्यम को व्यक्तिश: विशिष्ट आईडी प्रदान की जायेगी.
विनिवेश
वित्त मंत्री ने कहा कि 2017-18 के लिए विनिवेश के लक्ष्य 72500 करोड़ रुपये से बढक़र एक लाख रुपये करोड़ होने की संभावना है. उन्होंने 2018-19 के लिए 80 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया है.
सार्वजनिक क्षेत्र की तीन बीमा कंपनियों- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, यूनाईटेड इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और ओरिएंटल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का विलय करके एक बीमा कंपनी बनाई जाएगी.
वित्तो मंत्री ने घोषणा की कि सोने के परिसंपत्ति मूल्य में वृद्धि करने के लिए सरकार एक समेकित स्वर्ण नीति का निर्माण करेगी. देश में स्वर्ण विनिमय को व्यापार और उपभोक्ता अनुकूल बनाने के लिए सरकार एक प्रणाली विकसित करेगी. स्वर्ण मुद्रीकरण योजना को पुनर्जीवित किया जाएगा, ताकि लोग बिना किसी परेशानी के स्वर्ण जमा योजना के खाते खुलवा सकें.
बजट में राष्ट्रपति का वेतन 5 लाख रुपये, उपराष्ट्रपति का 4 लाख रुपये और राज्यपाल का 3.5 लाख रुपये प्रति महीने करने का प्रस्ताव किया गया है. ये परिलब्धियां पिछली बार 2006 में संशोधित की गई थीं.
अक्तूगबर 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के लिए बजट में 150 करोड़ रुपये की राशि आबंटित की गई है.
वित्तीय प्रबंधन
बजट में परिव्यय का संशोधित अनुमान 2017-18 के लिए 21.57 लाख करोड़ रुपये (राज्यों को जीएसटी प्रतिपूर्ति अंतर का निवल) है, जबकि बजट का आकलन 21.47 लाख करोड़ रुपये का था.
वित्तीय कटौती और समेकन के सरकार के प्रयासों को जारी रखते हुए वित्त मंत्री ने 2018-19 के लिए बजट घाटे को जीडीपी के 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया. संशोधित वित्तीय घाटे का अनुमान वर्ष 2017-18 के लिए 5.95 लाख करोड़ रुपये का है, जो जीडीपी 3.5 प्रतिशत है. उन्होंने केंद्रीय सरकार के ऋण को जीडीपी अनुपात के 40 प्रतशित तक नीचे लाने के लिये वित्तीय सुधार और बजट प्रबंधन समिति की प्रमुख सिफारिशों को स्वीकार करने का भी प्रस्ताव किया.
प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों के अंतर्गत वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था में नकदी के उपयोग को कम करने तथा कर दायरा बढ़ाने से फायदा हुआ है. उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्षों 2016-17 और 2017-18 में प्रत्यक्ष करों की वृद्धि दर महत्व पूर्ण रही है. प्रत्यक्ष करों की वृद्धि दर 2016-17 में 12.6 प्रतिशत और 2017-18 में (15 जनवरी, 2018 तक) 18.7 प्रतिशत रही है. श्री जेटली ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 (आरई) में व्यक्तिगत आयकर में आधिक्य क्रमश: 1.95 और 2.11 रहा है. वित्तज मंत्री ने कहा कि यह इंगित है कि 2016-17 की अवधि से पूर्व औसत वृद्धि की तुलना में पिछले दो वित्तीय वर्षों में व्यक्तिगत आय कर का अतिरिक्त संग्रह हुआ है जो कि कुल 90 हजार करोड़ है जो कि सरकार के कर चोरी के खिलाफ सख्त उपायों का परिणाम है. वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि आय करदाताओं द्वारा विवरणिका दायर करने वालों की संख्या में व्यापक वृद्धि हुई है. करदाताओं की संख्या जो 2014-15 में 6.47 करोड़ थी, बढक़र 2016-17 में 8.27 करोड़ हो गई है.
श्री जेटली ने कृषक उत्पााद कंपनियों के तौर पर पंजीकृत कंपनियों में, जिनका वार्षिक कारोबार 100 करोड़ तक है, इन गतिविधियों से अर्जित लाभ के लिये वित्तीय वर्ष 2018-19 से पांच वर्ष की अवधि के लिये 100 प्रतिशत कटौती का प्रस्ताव किया है. उन्होंने कहा कि इससे फसल कटाई उपरांत कृषि गतिविधियों में वृद्धि होगी और पूर्व में घोषित ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ को भी प्रोत्साहन मिलेगा और संपदा योजना को बढ़ावा मिलेगा.
रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने के लिए परिधान उद्योग में और 150 दिनों की छूट के साथ धारा 80 जेजेएए के अंतर्गत दी जाने वाली 30 प्रतिशत की कटौती को चमड़े तथा जूता उद्योग में भी लागू किया जाएगा. वित्त मंत्री ने पहले वर्ष के दौरान न्यूनतम से कम अवधि के लिये नियुक्त नये कर्मचारी, परंतु जो बाद के वर्ष में न्यूनतम अवधि के लिये रोज़गार में बने रहते हैं, के लिये लाभ की अनुमति देते हुए 30 प्रतिशत की कटौती को युक्तिसंगत बनाये जाने का भी प्रस्ताव किया.
रियल एस्टेट का रूख करते हुए वित्त मंत्री ने प्रस्ताव किया कि अचल परिसंपत्तियों के लेनदेन में कोई समायोजन नहीं किया जायेगा जहां सर्कल रेट मूल्य विचारणीय मूल्य के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होता है. इससे रियल एस्टेट लेनदेन में न्यूनतम कठिनाई होगी.
कॉरपोरेट टैक्स को चरणबद्ध तरीके से कम करने के प्रयास के तहत 50 करोड़ रुपये तक की टर्नओवर वाली कंपनियों (वित्तीय वर्ष 2015-16 में) और जो वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान रु. 250 करोड़ तक के टर्नओवर की रिपोर्ट करती हैं, को 25 प्रतिशत के कर दायरे में रखा गया है. इससे 99 प्रतिशत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को लाभ होगा. इससे वित्त वर्ष 2018-19 में 7,000 करोड़ रुपये की राजस्व हानि होगी. इस निचले कार्पोरेट आयकर की दर से ऐसी कंपनियों को छूट मिल जायेगी जिनका उच्चतर निवेश योग्य अधिशेष है, इससे अधिक रोजग़ार अवसर उत्पन्न होंगे.
आयकर प्रदाताओं के लिए वर्तमान में परिवहन भत्ते तथा अन्य चिकित्सा व्यय की परिपूर्ति के बदले 40,000 रुपये की मानक कटौती का प्रावधान किया गया है. दिव्यांगजनों को बढ़ी दर पर मिलने वाला परिवहन भत्ता आगे भी जारी रहेगा. इसके अलावा सभी कर्मचारियों के लिये अस्पयताल में भर्ती होने के मामले में चिकित्सा प्रतिपूर्ति लाभ जारी रखने का भी प्रस्ताव किया गया है. प्रस्तावित मानक कटौती से मध्यम दर्जे के कर्मचारियों को अपनी कर देयता घटाने में भी सहायता मिलेगी. इससे पेंशनभोगियों को भी महत्वपूर्ण लाभ होगा जो कि सामान्यत: परिवहन और चिकित्सा व्यय का लाभ नहीं लेते हैं. इससे 2.5 करोड़ वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों को लाभ होगा और रु 8000 करोड़ की राजस्व लागत आयेगी.
वरिष्ठ नागरिकों के लिए रियायत
बैंकों तथा डाकघरों में जमा राशि पर ब्याज आय में छूट 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये की गई है तथा आयकर धारा 194ए के तहत स्रोत पर आयकर की कटौती नहीं की जाएगी. यह लाभ सावधि जमा योजनाओं तथा आवर्ती जमा योजनाओं में प्राप्त होने वाले ब्याज के लिए भी उपलब्ध होगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि धारा 80 डी के अंतर्गत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम या चिकित्सा व्यय हेतु कटौती सीमा को 30 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया है. अब सभी वरिष्ठ नागरिक किसी स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम या किसी चिकित्सा के संदर्भ में 50 हजार रुपये प्रतिवर्ष तक कटौती के लाभ का दावा कर सकेंगे.
वित्त मंत्री ने धारा 80 डीडीबी के अंतर्गत गंभीर बीमारी के संदर्भ में चिकित्सा खर्च के लिए कटौती सीमा को वरिष्ठ नागरिकों के मामले में 60 हजार रुपये से और अति वरिष्ठ नागरिकों के मामले में 80 हजार रुपये से बढ़ाकर सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक लाख रुपये का प्रस्ताव किया.
इन रियायतों से वरिष्ठ नागरिकों को 4 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर लाभ प्राप्त होगा.
टैक्स रियायतों के अतिरिक्त वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री वय वंदना योजना को मार्च 2020 तक बढ़ाया गया है. इस योजना के तहत प्रति वरिष्ठ नागरिक 7.5 लाख रुपये की मौजूदा निवेश सीमा को बढ़ाकर 15 लाख रुपये किया जा रहा है.
नकदी अर्थव्यवस्था पर अंकुश के उपाय के तौर पर ट्रस्टों और संस्थानों द्वारा किये गये 10 हजार से अधिक के भुगतानों की अनुमति खत्म की जायेगी और ये कर के विषयाधीन होगी. इन संस्थाओं द्वारा स्रोत पर कर कटौती के अनुपालन के लिये वित्त मंत्री ने प्रस्ताव किया कि कर कटौती न किये जाने पर 30 प्रतिशत राशि को अस्वीकृत किया जायेगा और उस पर कर लगाया जायेगा.
दीर्घावधि पूंजी लाभ (एलटीसीजी) को तर्कसंगत बनाने को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि अब तक किये गये सुधारों और प्रोत्साहनों से इक्विटी बाज़ार में वृद्धि का रुख रहा है. निर्धारण वर्ष 2017-18 के लिए सूचीबद्ध शेयरों और यूनिटों से छूट प्राप्त पूंजी लाभ की राशि लगभग 3,67,000 करोड़ रुपये है. श्री जेटली ने कहा कि इस लाभ का प्रमुख हिस्सा कार्पोरेट्स और एलएपीज को हासिल हुआ है. इससे विनिर्माण के खिलाफ पूर्वाग्रह भी उत्पन्न हुआ है जिससे वित्तीय परिसंपत्तियों में अधिक व्यवसाय अधिशेष को निवेश किया जा रहा है. वित्त मंत्री ने कहा कि इक्विटी पर निवेश में वापसी पर आकर्षण के कारण, यहां तक कि कर छूट के बगैर भी, सूचीबद्ध इक्विज से दीर्घावधि पूंजीगत लाभ को कर के दायरे में लाने का मज़बूत मामला बनता है. हालांकि उन्होंने यह स्वीकार करते हुए कि आर्थिक विकास के लिये लचीले इक्विटी बाज़ार की आवश्यकता है, वर्तमान व्यवस्था में केवल मामूली बदलाव के साथ एक लाख रुपये से अधिक के ऐसे दीर्घावधि पूंजी लाभों पर किसी सूचकांक के बिना 10 प्रतिशत की दर से कर लगाने का प्रस्ताव किया. हालांकि 31 जनवरी, 2018 तक के सभी लाभों को इससे छूट मिलेगी. वित्त मंत्री ने विकासोन्मुख कोषों और लाभांश वितरण कोषों के बीच लेवल फील्ड प्रदान करने के लिये 10 प्रतिशत की दर से इक्विटी उन्मुख म्युचुअल फंड्स से वितरित आय पर कर शुरू करने का प्रस्ताव किया है. पूंजीगत लाभ कर में प्रस्तावित बदलाव से पहले साल में, छूट के मद्देनजऱ, करीब 20 हजार करोड़ की अच्छी राजस्व वृद्धि होने आशा है.
गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों तथा ग्रामीण परिवारों की शिक्षा और स्वास्थ्य जरूरतों के लिए बजट में व्यक्तिगत आयकर तथा निगम कर की वर्तमान 3 प्रतिशत की अपेक्षा 4 प्रतिशत अधिशेष की व्यवस्था की गई है. नये अधिशेष को स्वास्थ्य व शिक्षा उपकर के नाम से जाना जाएगा और इससे अनुमानित 11 हजार करोड़ रु की अतिरिक्त राशि जुटाये जाने का अनुमान है.
वित्त मंत्री ने देश भर में व्यक्तिगत संपर्क को लगभग समाप्त करने के वास्तेे ई-निर्धारण लागू करने के प्रस्ताव की भी घोषणा की जिससे प्रत्यक्ष कर संग्रह में व्यापक दक्षता और पारदर्शिता आयेगी. प्रत्यक्ष कर संग्रह के लिए 2016 में प्रयोग के आधार पर ई-निर्धारण प्रारंभ किया गया था. 2017 में इसका विस्तार 102 नगरों में किया गया है.
अप्रत्यक्ष कर के संदर्भ में वस्तु और सेवा कर लागू होने के पश्चात् यह पहला बजट है. बजट के प्रावधान सीमा शुल्क के संबंध में है. वित्त मंत्री ने सीमा शुल्क में बदलाव का प्रस्ताव किया है जिससे देश में रोज़गार के अवसरों का सृजन होगा तथा खाद्य प्रसंस्करण इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहनों का पुर्जा निर्माण, जूते तथा फर्नीचर जैसे क्षेत्रों में मेक-इन-इंडिया को बढ़ावा मिलेगा. इसलिए मोबाइल फोन पर सीमा शुल्क को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत तथा मोबाइल व टीवी के कलपुर्जों के लिए सीमा शुल्क को बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है.
आयातित वस्तुओं पर लगने वाले शिक्षा उपकर तथा उच्च शिक्षा उपकर को समाप्त करने का प्रस्ताव दिया गया है. इसके स्थान पर आयातित वस्तुओं पर 10 प्रतिशत की दर से एक सामाजिक
कल्याण उपकर लगाया जाएगा. जिन आयातित वस्तुओं को शिक्षा उपकर से छूट मिली हुई है, वह जारी रहेगी. इसके अलावा बजट भाषण के अनुलग्नक 6 में वर्णित कुछेक विनिर्दिष्ट़ वस्तुओं पर
केवल समग्र सीमा शुल्क के 3 प्रतिशत की दर से प्रस्तावित उपकर लगेगा. जीएसटी लागू होने के पश्चात बजट में केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड-सीबीईसी का नाम बदलकर केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड करने का प्रस्ताव भी किया गया है.
(पत्र सूचना कार्यालय से साभार )