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विशेष लेख


Volume-36, 2-8 December, 2017

 
आईएफएफआई-2017: सिनेमा के भविष्य का समारोह


भारत के 48वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह-2017, जिसे फिल्म-प्रेमियों के बीच आईएफएफआई के तौर पर जाना जाता है, का 20 नवंबर, 2017 को गोवा में फिल्मी हस्तियों की मौजूदगी में रंगारंग शुभारंभ हुआ. फिल्म समारोह के उद्घाटन अवसर पर अपने संबोधन में वस्त्र और सूचना एवं प्रसारण मंत्री, श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि भारत उत्सव, समारोहों, सक्रिय युवाओं और कहानियों की भूमि है जहां 1600 बोलियों में कहानियां कही जाती हैं. उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के माध्यम से भारत का प्रयास कहानियों की धरती भारत में दुनियाभर से फिल्मकारों को आमंत्रित करना है. आईएफएफआई की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि यह समारोह फिल्म प्रेमियों के लिये भारतीय फिल्म उद्योग के बड़े और चमकीले सितारों से मिलाने में सहायक होगा.
इससे पहले, जाने-माने अभिनेता शाहरूख खान ने फिल्मकारों और प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि फिल्म प्रेम के लिये होती है एक विचार को वास्तविकता में बदलने के लिए सैंकड़ों लोग मिल कर काम करते हैं. उन्होंने कहा कि कहानी को कहने वाले और कहानी को सुनने वाले एक परिवार की तरह होते हैं और इन कहानियों में एक-दूसरे को साथ में बांधने की शक्ति होती है. आईएफएफआई 2017 के उद्घाटन समारोह का संचालन राजकुमार राव और राधिका आप्टे ने किया. इस अवसर पर जानी-मानी हस्तियां ए. आर. रहमान, श्रीदेवी, नाना पाटेकर तथा शाहिद कपूर उपस्थित थे। गोवा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर पर्रिकर ने समारोह में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि गोवा 2019 में 50वें आईएफएफआई की मेज़बानी भव्यता के साथ करेगा. उन्होंने कहा कि गोवा में पिछले कुछ वर्षों में अच्छी फिल्म की संस्कृति विकसित हुई है और राज्य सरकार गोवा में फिल्म उद्योग को आगे विकसित करने का काम जारी रखेगी.
आईएफएफआई 2017 की शुरूआती फिल्म भारत में निर्मित ईरानी निर्देशक माजिद माजीदी की फिल्म ‘‘बियोन्ड द क्लाउड्स‘‘ थी जिसे ए आर रहमान ने संगीत दिया था. मुंबई पर आधारित, फिल्म ‘‘मैक्सिमम सिटी‘‘ के सौंदर्य, एक महिमा, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है, को दर्शाती है। यह फिल्म निर्देशक के इस दृढ़ विश्वास पर आधारित है कि मोहब्बत किसी बाधा को नहीं पहचानती.
उद्घाटन समारोह में ड्रम ऑफ इंडिया‘, देश भर से ड्रमों के साथ संगीत कार्यक्रम और उत्सव‘, भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाने वाला दृश्यात्मक कार्यक्रम, जैसी आकर्षक श्रव्य दृश्य प्रस्तुतियां भी देखने को मिलीं.
आईएफएफआई 2017 में टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह से क्यूरेटिड फिल्मों के साथ विशेष फ़ोकस रहा. आईएफएफआई 2017 में मीडिया को संबोधित करते हुए टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के कला निर्देशक, श्री कैमरन बैले ने कहा कि विविधता कनाडा की एक बड़ी ताकत और प्रमुख मूल्य है, इस मूल्य को भारत के साथ बांटा जायेगा. समारोह में आठ कैनेडियाई फिल्में दर्शाई जायेंगी, इनमें डोंट टॉक टू इरिनऔर रेवेनसशामिल हैं. जबकि ओल्ड स्टोनकनाडा की $फोकस ओपनिंग फिल्म थी, ‘मेडिटेशन पार्कदेश $फोकस-गाला स्क्रीनिंग मूवी थी.
48वें आईएफएफआई में हाल के सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा को प्रदर्शित किया जायेगा. इसमें रिट्रोस्पेक्टिव, ब्रिक्स पुरस्कार विजेता फिल्में, श्रद्धांजलि और पिछले वर्ष के श्रेष्ठ भारतीय सिनेमा प्रोडक्शन को दिखाने वाला भारतीय पैनोरमा वर्ग है जिसका उद्देश्य युवा सृजनकारी मस्तिष्क को संवाद और विचार अभिव्यक्ति और सीखने का मंच प्रदान करना है.
भारतीय राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय, जिसे भारतीय फिल्म संस्कृति के संरक्षण, प्रिजर्वेशन, बहाली और डिजिटाइजेशन का जि़म्मा सौंपा गया है, ने आईएफएफआई में एक स्टाल लगाया, जिसका विषय था महिला शक्ति‘.  इस स्टॉल का उद्घाटन श्रीमती ईरानी ने 20 नवंबर को किया. फिल्म प्रभाग और कई अन्य निजी संस्थाओं ने भी इस अवसर पर स्टॉल लगाये जिससे वातावरण शोभायमान, आनंद और उत्सव से परिपूर्ण लग रहा था.
48वें आईएफएफआई में श्रद्धांजलि प्रस्तुतियों में दिवंगत अभिनेताओं ओम पुरी, विनोद खन्ना, टॉम अल्टर, रीमा लागू, जयललिता, निर्देशक अब्दुल माजिद, कुंदन शाह, दासरी नारायण राव और चलचित्रकार रामानंद सेनगुप्ता को श्रद्धांजलि दी गई.
समारोह में 82 देशों से 195 फिल्मों को प्रदर्शित किया गया जिनमें 10 विश्व प्रीमियर, 10 एशियाई और अंतर्राष्ट्रीय प्रीमियर और 64 से अधिक भारतीय प्रीमियर शामिल हैं.
48वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह, 2017 में भारतीय पैनोरमा में फ़ीचर और ग़ैर-फ़ीचर फिल्मों दोनों को प्रदर्शित किया गया. भारतीय पैनोरमा के फीचर फिल्म वर्ग की उद्घाटन फिल्म विनोद कापड़ी निर्देशित पीहू थी. भारतीय पैनोरमा की ओपनिंग फिल्म (फीचर) के निर्देशक कापड़ी से जब पूछा गया कि उन्होंने मात्र 2 साल के बच्चे के साथ कैसे इसे बनाया तो उनका इतना ही कहना था ‘‘कोई तकनीक नहीं, केवल प्यार और स्नेह ’’. मूवी में सुश्री मायरा विश्वकर्मा, जो कि अपने माता-पिता के लिये पीहूके तौर पर जानी जाती है, एकमात्र एक्टर है. श्री कापड़ी ने कहा कि वे यह संदेश देना चाहते थे कि जब माता-पिता एक दूसरे के साथ अहम की लड़ाइयां लड़ते हैं और बच्चों के बारे में खतरनाक फैसले लेते हैं तो उनके  बच्चे किस कदर टूट जाते हैं, उन्होंने एक बच्चे के भविष्य के साथ इस कहानी को बताने का भरपूर प्रयास किया. पीहू के पिता ने कहा कि जो कोई अपने बच्चे से प्यार करता है उसे इस फिल्म को अवश्य देखना चाहिये. भारतीय पैनोरमा के गैर फीचर फिल्म वर्ग की शुरूआती फिल्म कमल स्वरूप द्वारा निर्देशित पुष्कर पुराण थी.
‘‘आप जो भी हैं, आप जहां भी हैं और जो कुछ भी हैं, आपको सपने लेने का हक़ है.’’ प्रेरणाओं की यह झलक सुश्री रीमा दास, विलेज रॉकस्टार्स की निर्देशक, भारतीय पैनोरमा वर्ग में एक अन्य फिल्म, ने प्रस्तुत की. सुश्री दास ने कहा कि वह एक गांव में जीवन की सुंदरता का संदेश देना चाहती थी और वह आज की दुनिया में किस तरह प्रगामी रूप से नष्ट होती जा रही है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि किसी की कुछ भी पृष्ठभूमि रही हो, वह सपने ले सकता है और अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को बुलंद कर सकता है.
ओडिय़ा फिल्मनिर्माता अमत्र्य भट्टाचार्य, ख्यानिका-दि लोस्ट आइडिया के निर्देशक, ने कम मशहूर फिल्मनिर्माताओं की फिल्मों को शामिल करने और अपनी आवाज़ बुलंद करने का अवसर प्रदान करने के लिये आईएफएफआई के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि डिजिटल मीडिया के आगमन से फिल्म निर्माण में महत्वपूर्ण लोकतंत्रीकरण आया है जबकि सृजनात्मकता की मार्केटिंग में प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी.
देश में अपनी तरह का पहला, आईएफएफआई 2017, में जेम्स बॉण्ड फिल्मों का विशेष क्यूरेटिड खण्ड रखा गया. इस वर्ग में विभिन्न प्रमुख कलाकारों की फिल्में शामिल होंगी, जिन्होंने 9 फिल्मों के पैकेज के जरिए 1962 से 2012 तक जेम्स बॉण्ड के प्रतिष्ठित चरित्र की भूमिका निभाई है.
इस वर्ष के आईएफएफआई संस्करण की एक ख़ास विशेषता सुगम्य भारत फिल्मों का वर्ग थी. इस श्रेणी के तहत दो फिल्में सिक्रेट सुपरस्टारऔर हिंदी मीडियमको प्रदर्शित किया गया. परिभाषित विशेषज्ञता यह थी कि स्क्रीनिंग एक ऑडियो विवरण के साथ अतिरिक्त व्याख्या के साथ की गई थी जो कि चित्रों, दृश्य सूचना अथवा फिल्म के ग़ैर-वार्ता भागों को बोल-चाल के शब्दों में रखा गया था ताकि दृष्टि बाधित लोग इसे समझ सकें, आनंदित हो सके और लोकप्रिय फिल्मों के कार्यों से सीख ले सके. सिक्रेट सुपरस्टार की पहली स्क्रीनिंग के बाद जब एक दिव्यांग बच्चे ने अपनी संगीत प्रतिभा को प्रदर्शित किया तो आईएफएफआई में मौजूद फिल्म प्रेमी करूणा और भावुकता से ओतप्रोत हो उठे.
पत्र सूचना कार्यालय