जीएसटी के 4 वर्ष महत्व और प्रभाव
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की जुलाई में चौथी वर्षगांठ है; केंद्रीय सरकार ने एक जुलाई ''जीएसटी दिवस घोषित किया है जो ऐतिहासिक कर सुधारों के शुभारंभ को चिह्नित करने के लिए हर वर्ष मनाया जाता है. भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक से अधिक वैश्वीकृत हो रही है. इसलिए भारतीय उद्योग न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बल्कि घरेलू बाज़ार के लिए भी प्रतिस्पर्धा में सक्षम होने के लिए कराधान की एक राष्ट्रव्यापी सरल और पारदर्शी प्रणाली की ज़रूरत थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी के चार वर्ष पूरे करने पर प्रशंसा की और कहा कि यह भारत के आर्थिक परिदृश्य में मील का पत्थर रहा है. एक ट््वीट में प्रधानमंत्री ने कहा, ''जीएसटी ने करों की संख्या, अनुपालन बोझ और कुल मिलाकर आम आदमी पर समग्र रूप से कर का बोझ कम किया है जबकि इससे पारदर्शिता, अनुपालन और समग्र संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
जीएसटी क्या है?
जीएसटी संपूर्ण देश के लिए एक अप्रत्यक्ष कर है, जो भारत में एक समन्वित साझा बाज़ार का निर्माण करेगा. जीएसटी निर्माता से लेकर उपभोक्ता तक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के लिए एकल कर है. प्रत्येक चरण में भुगतान किए गए इनपुट करों का क्रेडिट, मूल्यवर्धन के बाद के चरण में उपलब्ध होगा, जो जीएसटी को अनिवार्य रूप से प्रत्येक चरण में केवल मूल्यवर्धन पर ही कर बनाता है. इस प्रकार अंतिम उपभोक्ता पिछले सभी चरणों में सेट-ऑफ लाभ के साथ आपूर्ति शृंखला में अंतिम व्यापारी द्वारा लगाए गए जीएसटी को ही वहन करेगा.
व्यापार और उद्योग के लिए जीएसटी का क्या अर्थ है?
- आसान अनुपालन: भारत में जीएसटी व्यवस्था की नींव एक मज़बूत और व्यापक आईटी प्रणाली है. सभी करदाता सेवाएं जैसे कि पंजीकरण, रिटर्न, भुगतान आदि करदाताओं के लिए ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जो अनुपालन को सरल और पारदर्शी बनाता है.
- कर की दरों और संरचनाओं में एकरूपता: जीएसटी से अप्रत्यक्ष कर की दरें और संरचनाएं पूरे देश में समान रूप में सुनिश्चित होती है जिससे निश्चिततता और व्यापार करने में आसानी बढ़ती है. दूसरे शब्दों में जीएसटी देश में व्यापार करने को कर तटस्थ बनाता है, भले ही व्यवसाय करने के स्थान का चुनाव कुछ भी हो.
- व्यापकता को हटाना: संपूर्ण मूल्य शृंखला और राज्यों की सीमाओं के आरपार निर्बाध कर-क्रेडिट की प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि करों की व्यापकता कम हो. यह व्यापार करने में छिपी लागत को कम करता है.
- बेहतर प्रतिस्पर्द्धा: व्यापार करने की लेन-देन लागत में कमी अंतत: व्यापार और उद्योग के लिए बेहतर प्रतिस्पर्धात्मकता की ओर ले जाती है.
- विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ: जीएसटी में प्रमुख केंद्रीय और राज्य करों को शामिल करने, इनपुट वस्तुओं और सेवाओं का पूर्ण और व्यापक सेट-ऑफ तथा केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं और सेवाओं की लागत कम हो जाती है. इससे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है और भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलता है. देश में कर दरों और प्रक्रियाओं में एकरूपता भी अनुपालन लागत को कम करने में एक लंबा मार्ग तय करती है.
I. केंद्रीय और राज्य सरकारें
- सरल और आसान प्रशासन: केंद्र और राज्य स्तर पर कई अप्रत्यक्ष करों को जीएसटी द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था. एक मज़बूत एंड-टू-एंड आईटी प्रणाली के साथ, जीएसटी केंद्र और राज्य के अब तक लगाए गए अन्य सभी अप्रत्यक्ष करों की तुलना में सरल और आसान है.
- रिसाव पर बेहतर नियंत्रण: एक मजबूत आईटी अवसंरचना के कारण जीएसटी के परिणामस्वरूप बेहतर कर अनुपालन हुआ है. मूल्यवर्धन की शृंखला में एक चरण से दूसरे चरण में इनपुट टैक्स क्रेडिट के निर्बाध हस्तांतरण के कारण जीएसटी के डिजाइन में एक अंतर्निहित तंत्र है जो व्यापारियों द्वारा कर अनुपालन को प्रोत्साहित करता है. जीएसटी के चार साल पूरे होने के अवसर पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने समय पर रिटर्न दाखिल करने और कर के नकद भुगतान 54,000 से अधिक जीएसटी भुगतानकर्ताओं को प्रशंसा पत्र जारी किए हैं.
- उच्च राजस्व दक्षता: जीएसटी ने सरकार के कर राजस्व संग्रह की लागत कम कर दी है और इस तरह उच्च राजस्व दक्षता उत्पन्न हुई है II. उपभोक्ता
· वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के अनुपात में एकल और पारदर्शी कर: केंद्र तथा राज्य द्वारा लगाए जा रहे कई अप्रत्यक्ष करों के कारण, मूल्यवर्धन के प्रगतिशील चरणों में अपूर्ण या कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध नहीं होने से, अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की लागत पर देश में कई छिपे हुए कर हुआ करते थे. जीएसटी ने निर्माता से उपभोक्ता तक केवल एक कर सुनिश्चित किया जिससे अंतिम उपभोक्ता को भुगतान किए गए करों में पारदर्शिता आई है.
· समग्र कर बोझ में राहत: दक्षता लाभ और रिसाव की रोकथाम के कारण, अधिकांश वस्तुओं पर कुल कर बोझ उपभोक्ताओं के लाभ के लिए कम हो गया है.
केंद्र और राज्य स्तर पर किन करों को जीएसटी में समाहित किया गया है?
केंद्रीय स्तर पर:
क. केंद्रीय उत्पाद शुल्क
ख. अतिरिक्त उत्पाद शुल्क
ग. सेवा कर
घ. अतिरिक्त सीमा शुल्क, जिसे सामान्यत: प्रतिकारी शुल्क के तौर पर जाना जाता है.
ङ. विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क
राज्य स्तर पर
क. राज्य मूल्यवद्धित कर/बिक्री कर समाहित
ख. मनोरंजन कर (स्थानीय निकायों द्वारा लगाए गए कर के अलावा)
ग. केंद्रीय बिक्री कर (केंद्र द्वारा लगाया गया और राज्यों द्वारा वसूली किए जाने वाला)
घ. चुंगी और प्रवेश कर
ङ. क्रय कर
च. लग्जरी कर
छ. लॉटरी, सट्टेबाज़ी और जूए पर कर
जीएसटी का क्या प्रभाव हुआ है?
भारत का कर आधार पिछले चार वर्षों में 66.25 लाख से बढ़कर लगभग दोगुना यानी 1.28 करोड़ हो गया. केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार भारत में जीएसटी संग्रह लगातार आठ महीनों के लिए एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है और अकेले मई में 1,02,702 करोड़ रुपये का जीएसटी राजस्व संग्रह हुआ. यह इस तथ्य के बावजूद है कि कई राज्य लागू सख्त कोविड-19 लॉकडाउन के अधीन हैं.
जीएसटी ने दुनिया में सबसे जटिल अप्रत्यक्ष कर प्रणालियों में से एक को काफी आसान कर दिया है. हर राज्य में कारेाबार करने की चाहत रखने वाली एक कंपनी को 495 अलग-अलग प्रस्तुति करनी होती थी. जीएसटी के तहत यह संख्या घटकर मात्र 12 रह गई है.
जीएसटी ने उस दर को कम कर दिया है जिस पर लोगों को कर देना होता है. आरएनआर (राजस्व तटस्थ दर) समिति द्वारा अनुशंसित राजस्व तटस्थ दर 15.3 प्रतिशत थी. इसकी तुलना में वर्तमान में भारित जीएसटी दर, आरबीआई के अनुसार, मात्र 11.6 प्रतिशत है.
जीएसटी उपभोक्ता और करदाता दोनों के अनुकूल है. जबकि जीएसटी-पूर्व युग की उच्च कर दरों ने कर का भुगतान करने के लिए एक निरूत्साह के रूप में काम किया, जीएसटी के तहत कम दरों ने अनुपालन को बढ़ाने में मदद की. अब तक 66 करोड़ से ज्यादा जीएसटी रिटर्न दाखिल किये जा चुके हैं. जीएसटी के तहत लगभग 1.3 करोड़ करदाताओं के पंजीकृत होने के साथ अनुपालन में भी लगातार सुधार हो रहा है.
आज, 40 लाख रुपये तक के वार्षिक कारोबार वाले व्यवसाय को जीएसटी से छूट (माल के लिए) है. आरंभ में यह सीमा 20 लाख रुपये थी. इसके अतिरिक्त जिनका कारोबार वर्ष में 1.5 करोड़ रुपये है वे कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं तथा केवल 1 प्रतिशत कर (माल के लिए) भुगतान कर सकते हैं. सेवाओं के लिए, वर्ष में 20 लाख रुपये तक के कारोबार वाले व्यवसाय को जीएसटी से छूट है. वर्ष में 50 लाख रुपये तक कारोबार रखने वाले सेवा प्रदाता सेवाओं के लिए कम्पोजिशन स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं और केवल 6 प्रतिशत कर का भुगतान कर सकते हैं.
कोविड-19 के आलोक में, करदाताओं को अपना बोझ कम करने के लिए कुछ अनुपालन संबंधी छूट दी गई थी. भुगतान स्थगित करने, ब्याज दर में कमी की गई और विलंब शुल्क की छूट दी गई. विलंब शुल्क की अधिकतम सीमा कुछ मामलों में 500 रुपये है.
जीएसटी परिषद ने कई प्रमुख कोविड-19 आवश्यक आपूर्तियों पर जीएसटी दर को कम करने का निर्णय लिया ताकि महामारी के दौरान नागरिकों को राहत प्रदान की जा सके.
मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन, रेमडेसिविर, हेपरिन (एंटी-कौयगुलांट), कोविड-19 टेस्टिंग किट, इंफ्लेमेटरी डायग्नोस्टिक किट, हैंड सैनिटाइज़र, हेलमेट (नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन), गैस /इलेक्ट्रिक/श्मशान के लिए अन्य भट्टियों के लिए जीएसटी में 5 प्रतिशत जीएसटी कटौती की गई थी. (उनकी स्थापना सहित), पल्स ऑक्सीमीटर, उच्च प्रवाह नाक प्रवेशनी उपकरण, ऑक्सीजन सांद्रता /जनरेटर, वेंटिलेटर, बीआईपीएपी मशीन, तापमान जांच उपकरण. एम्बुलेंस के लिए 12 प्रतिशत कटौती की घोषणा की गई थी और टोसीलिजुमैब और एम्फोटेरिसिन बी के लिए कोई जीएसटी नहीं था.
परिषद की सिफारिशों पर, आईजीएसटी से कोविड-१9 से संबंधित राहत सामान जैसे कि चिकित्सा ऑक्सीजन, ऑक्सीजन सांद्रता, और अन्य ऑक्सीजन भंडारण और परिवहन उपकरण, कुछ नैदानिक मार्कर, परीक्षण किट और टीके, 31 अगस्त, 2021 तक राज्य के अधिकारियों की सिफारिश पर सरकार या किसी अन्य राहत एजेंसियों को दान करने हेतु आयात करने के लिए छूट प्राप्त हैं.
जीएसटी परिषद ने कोविड-19 महामारी के आलोक में कई व्यापार लाभकारी स्पष्टीकरणों की सिफारिश की. इनमें से एक आंगनबाड़ी से जुड़ी थी. यह स्पष्ट किया गया कि सरकारी अनुदानों से या कॉर्पोरेट दान के माध्यम से वित्त पोषण के बावजूद, भोजन परोसने/खानपान के माध्यम से, आंगनवाड़ी सहित एक शैक्षणिक संस्थान को आपूर्ति की जाने वाली सेवाओं पर जीएसटी लागू नहीं है.
पिछले कुछ वर्षों में जीएसटी संरचना योजना को नया रूप दिया गया; सेवा प्रदाताओं को योजना के तहत शामिल किया गया था, और निर्माताओं और व्यापारियों के लिए सीमा 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये सालाना कर दी गई. इन उपायों से 25 लाख से अधिक करदाताओं को लाभ हुआ. वित्तीय वर्ष 2019-20 से, सेवाओं के आपूर्तिकर्ताओं (50 लाख रुपये तक के कारोबार) के लिए कम्पोाजिशन स्कीम का विस्तार किया गया था. इसके अलावा, कंपोजीशन करदाताओं को पहले की तरह तिमाही के मुकाबले सालाना आधार पर रिटर्न दाखिल करने की अनुमति दी गई थी.
अध्ययनों से पता चला है कि जीएसटी की शुरुआत और अंतर-राज्यीय बाधाओं को हटाने के परिणामस्वरूप परिवहन क्षेत्र में टर्नअराउंड समय में 20 प्रतिशत की कमी आई है. सिस्टम के लॉन्च होने के बाद से कुल 194 करोड़ ई-वेबिल तैयार किए गए हैं, जिनमें से लगभग 40 प्रतिशत माल के अंतर-राज्यीय परिवहन के लिए हैं.
छोटे करदाताओं के सामने आने वाले मुद्दों को हल करते हुए, जीएसटी परिषद ने वार्षिक रिटर्न को सरल बनाया और इसे छोटे करदाताओं के लिए, जिनका टर्नओवर वित्त वर्ष के लिए 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 में 2 करोड़ रुपये था, वैकल्पिक कर दिया गया. पंजीकृत मोबाइल नंबर से एसएमएस सुविधा के माध्यम से शून्य जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की शुरुआत की गई है, जिससे लगभग 22 लाख शून्य रिटर्न दायर करने वालों को मदद मिलने की उम्मीद है. यह करदाताओं की सुविधा बढ़ाने की दिशा में एक और बड़ा कदम है.
5 करोड रुपये तक का कुल कारोबार करने वाले छोटे करदाताओं के लिए त्रैमासिक रिटर्न और मासिक भुगतान योजना 01.01.2021 से शुरू की गई है, जिसमें करदाता मासिक के बजाय त्रैमासिक रूप से अपना जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल कर सकते हैं, जबकि उन्हें मासिक कर का भुगतान करना आवश्यक है. त्रैमासिक रिटर्न और मासिक भुगतान योजना 1 जनवरी, 2021 को शुरू की गई थी और यह उन पंजीकृत व्यक्तियों के लिए लागू है जिनका टर्नओवर 5 करोड़ रुपये तक है.
कुल मिलाकर, 400 वस्तुओं और 80 सेवाओं पर जीएसटी दरों में कमी की गई है. यह देखते हुए किए पूर्व-जीएसटी शासन में, अधिकांश वस्तुओं पर केंद्र और राज्यों की संयुक्त दरें 31 प्रतिशत से अधिक थीं, यह कटौती करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है. हेयर ऑयल, टूथपेस्ट और साबुन जैसी सामान्य उपयोग की वस्तुओं पर जीएसटी से पहले की टैक्स दरें 29.3 प्रतिशत से घटकर जीएसटी के तहत मात्र 18 प्रतिशत रह गई हैं. जीएसटी के कारण फ्रिज, वाशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, फूड ग्राइंडर और मिक्सर, शेवर, हेयर क्लिपर्स, वॉटर हीटर, हेयर ड्रायर, इलेक्ट्रिक स्मूथिंग आयरन, टीवी (32 इंच तक) जैसे उपकरणों पर टैक्स की दरें 31.3 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई हैं. दैनिक उपयोग की अधिकांश वस्तुएं शून्य अथवा 5 प्रतिशत स्लैब में हैं. आवासीय परिसरों के निर्माण में दरों में सामान्य रूप से 5 प्रतिशत और किफायती घरों के लिए 1 प्रतिशत की भारी कमी देखी गई. रेस्टोरेंट्स के लिए भी जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत की दर के अंतर्गत लाया गया है.
जीएसटी में कृषि क्षेत्र को पर्याप्त रियायतें दी गई हैं. उर्वरकों पर, जीएसटी में शुद्ध कर देनदारी को आधा कर दिया गया था. कृषि मशीनरी पर, कर की दर 15 प्रतिशत/18 प्रतिशत से 12 प्रतिशत और कुछ वस्तुओं पर लगभग 8 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक कम हो गई है. रासायनिक उर्वरकों पर जीएसटी पूर्व कर की दर 10 प्रतिशत से अधिक थी. (1 प्रतिशत उत्पाद शुल्क, 2.44 प्रतिशत एम्बेडेड उत्पाद शुल्क, लगभग 4 प्रतिशत भारित औसत वैट और 2.5 प्रतिशत केंद्रीय बिक्री कर, चुंगी आदि) जबकि जीएसटी शासन में सभी प्रकार के रासायनिक उर्वरक केवल 5 प्रतिशत कर की दर के तहत आते हैं. पशु चारा, जलीय चारा और पोल्ट्री फीड सभी को जीएसटी में शून्य दर पर रखा गया है, जैसा कि सभी प्रकार के बीजों के मामले में हैं. दूसरे शब्दों में, कृषि प्रक्रिया में ये महत्वपूर्ण इनपुट जीएसटी प्रणाली के तहत किसी भी कर को आकर्षित नहीं करते हैं.
जीएसटी ने जटिल अप्रत्यक्ष कर ढांचे को एक सरल, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-संचालित कर व्यवस्था में बदल दिया है और इस प्रकार भारत को एक-समान बाजार में एकीकृत कर दिया है. प्रक्रियाओं के निरंतर सरलीकरण और दर संरचनाओं के युक्तिकरण के साथ हम मानवीय स्पर्श के साथ देश के आर्थिक एकीकरण हासिल करने में सक्षम हुए हैं ताकि आम आदमी के साथ-साथ व्यापार के लिए जीएसटी अनुपालन आसान बनाया जा सके. भारत भर में कई बाजारों में, प्रत्येक राज्य में कर की एक अलग दर वसूलने के कारण, बड़ी अक्षमताएं और अनुपालन की लागतें बढ़ीं. इन 4 वर्षों में, जीएसटी ने कर व्यापकता में कमी, दोहरे (बहुल) कराधान, कर के बोझ में कमी के माध्यम से बेहतर कर अनुपालना हासिल की है, और छिपे हुए और अंतर्निहित करों को हटाकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में घरेलू उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार किया है.
(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)
(स्रोत: वित्त मंत्रालय/पत्र सूचना कार्यालय)