आतंकवाद विरोधी विशेष बल एनएसजी के 37वें स्थापना दिवस पर
भारत में, छह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) हैं, अर्थात् सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (गृह मंत्रालय के तहत एनएसजी), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) गृह मंत्रालय सीएपीएफ से संबंधित सभी मामलों को देखता है, जिसमें उनकी तैनाती भी शामिल है. एनएसजी 16 अक्टूबर को अपना 37वां स्थापना दिवस मना रहा है.
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड क्या है?
1984 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक संघीय आकस्मिकता बल बनाने का निर्णय लिया जिसमें ऐसे कार्मिक शामिल थे जो आतंकवाद की विभिन्न घटनाओं से निपटने के लिए अत्यधिक प्रेरित, विशेष रूप से सुसज्जित और भली-भांति प्रशिक्षित हों. जून 1984 में, एनएसजी के महानिदेशक और अन्य अपेक्षित अधिकारियों के साथ संचालक तंत्र को मंजूरी दी गई और बल को बढ़ाने के लिए कदम उठाए गए. इस संगठन के निर्माण के लिए एक विधेयक अगस्त 1986 में संसद में पेश किया गया और इसे पारित होने पर 22 सितंबर, 1986 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली.
सामरिक बुद्धिमत्ता के आधार पर सर्जिकल ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए विशेष बल बनाने की आवश्यकता भारत में उस समय महसूस की गई थी, जब बार-बार सीमा पर से आंतकी खतरा बढ़ने लगा. एनएसजी की परिकल्पमना और स्थापना, दुनिया के अन्य विशेष बलों, जैसे ब्रिटेन में एसएएस, फ्रांस में जीआईजीएन, जर्मनी में जीएसजी-9, इज़राइल में 'शारेत-मातकलÓ और अमरीका में डेल्टा, का अध्ययन और विश्लेषण करने के बाद की गई थी. तद्नुसार, एनएसजी की स्थापना 16 अक्टूबर 1985 को गृह मंत्रालय के तहत एक संघीय आकस्मिक बल के रूप में की गई. राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड सेना, सीएपीएफ और राज्य पुलिस बलों के चुने हुए कार्मिकों का अनूठा मिश्रण है. एनएसजी शत-प्रतिशत प्रतिनियुक्ति आधारित बल है जिसके 53 प्रतिशत कार्मिक सेना से और 47 प्रतिशत सीएपीएफ/राज्य पुलिस संगठनों से लिए गए हैं.
बल का मुख्यालय नई दिल्ली में है. मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले के बाद, कार्रवाई करने में शीघ्रता और अखिल भारतीय उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बल के चार क्षेत्रीय केन्द्र (मुंबई, चेन्नै, हैदराबाद और कोलकाता) स्थापित किए गए थे. 2016 में गांधीनगर में इसका पांचवां केन्द्र अस्तित्व में आया.
एनएसजी कैसे काम करता है?
एनएसजी का नेतृत्व भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) कैडर के महानिदेशक द्वारा किया जाता है और इसे विशेष कार्रवाई समूह (एसएजी) और विशेष रेंजर्स ग्रुप (एसआरजी) में विभाजित किया गया है. एसएजी, जो प्रत्यक्ष संचालन के लिए जिम्मेदार है, भारतीय सेना से रंगरूट लेता है. दूसरी ओर, एसआरजी, जो सहायक क्षमता में कार्य करता है, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) से अपने लिए कार्मिकों की भर्ती करता है.
एनएसजी का मूल दर्शन शीघ्र और तीव्र गति से स्ट्राइक करना और कार्रवाई स्थल से तत्काल वापसी करना है. एनएसजी कमांडों को अपहरण और आतंकरोधी अभियानों, जैसी उच्च जोखिम स्थितियों से निपटने में प्रशिक्षित किया जाता है. उन्हें उच्च जोखिम निर्दिष्टि व्यक्तियों को मोबाइल सुरक्षा संरक्षण प्रदान करने का कार्य भी सौंपा गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड देश में किसी भी आतंकी या अपहरण की घटना से निपटने के लिए अलग-अलग स्तर पर दो टास्क फोर्स बनाए रखने में सक्षम है.
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के प्राथमिक कार्य इस प्रकार हैं:
1. तत्काल बैकअप सुरक्षा अभियान (आईबीयूएस)
2. गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस समारोह सहित राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रमों के दौरान एनएसजी टास्क फोर्स (टीएफ) को सुरक्षा व्यवस्था के हिस्से के रूप में तत्कााल बैकअप सुरक्षा अभियान (आईबीयूएस) संचालन के लिए तैनात किया जाता है.
2. आप्रेशन कॉमट
एनएसजी कमांडों देशभर में संवेदनशील मार्गों पर विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में स्काई मार्शल के रूप में तैनात किए जाते हैं. अपहरण के किसी खतरे का मुकाबला करने के लिए उन्हें विदेशों में भी तैनात किया जाता है.
3. गड़बड़ी की आशंका वाले क्षेत्रों/महत्वपूर्ण स्थलों/हवाई अड्डों का सैन्य कारणों से सर्वेक्षण गड़बड़ी की आशंका वाले क्षेत्रों/महत्वपपूर्ण स्थलों/हवाई अड्डों एनएसजी देशभर में महत्व्पूर्ण स्थानों/ प्रतिष्ठानों/हवाई अड्डों का सैन्य कारणों से नियमित रूप से सर्वेक्षण करता है. वह सर्वेक्षण के दौरान, स्वयं के संचालन की योजना बनाने के लिए महत्वपूर्ण स्थानों और प्रतिष्ठानों की जानकारी हासिल करता है.
4. करीब से सुरक्षा प्रदान करने वाला बल
करीबी सुरक्षा दायित्वों का निर्वाह करने के लिए विशिष्ट अभिरुचि, सामरिक कौशल और विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. इसके लिए बल के जवानों को क्लोज प्रोटेक्शन फाउंडेशन और रिफ्रेशर कोर्स से गुजरना पड़ता है. सीपीएफ राज्यों के क्षमता निर्माण के हिस्से के रूप में करीबी सुरक्षा कर्तव्यों को निभाने वाले राज्य पुलिस बल कर्मियों को प्रशिक्षित करता है.
निर्दिष्ट उच्च जोखिम व्यक्तियों के लिए मोबाइल सुरक्षा कवर, अति विशिष्ट व्यक्तियों (वीवीआईपी) की यात्रा/सार्वजनिक बैठक स्थल के संबंध में किसी प्रकार की तोड़-फोड़ की जांच, और विस्फोट के बाद के अध्ययन भी राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के कार्यों के अंतर्गत आते हैं.
एनएसजी केन्द्र क्षमता निर्माण और राज्य पुलिस बलों के साथ नियमित अभ्यास करने में भी योगदान करते हैं. इसके अंतर्गत एक रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल, परमाणु और विस्फोटक (सीबीआरएनई) कार्य दल के गठन के प्रयास भी किए जा रहे हैं.
प्रमुख अभियान
एक संघीय आकस्मिकता बल के रूप में, एनएसजी को, उत्कृष्टता के इसके लोकाचार और 'सर्वत्र, सर्वोत्तम, सुरक्षाÓ के आदर्श वाक्य के साथ, कई आतंकवाद विरोधी सफल अभियानों का श्रेय प्राप्त है. कुछ ऑपरेशन की जानकारी नीचे दी गई है:
एनएसजी कमांडो द्वारा जून से नवंबर 1990 तक ऑपरेशन क्लाउड बर्स्ट को अंजाम दिया गया था. इस ऑपरेशन में पंजाब के सीमावर्ती जिलों - तरण-तारन, बटाला, गुरदासपुर और अलगांव कोठी- में आतंकी ठिकाने को निष्प्रभावी कर दिया गया. ऑपरेशन अश्वमेध के अंतर्गत नई दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडियन एयरलाइंस की उड़ान संख्या आईसी-427 के 126 यात्रियों और चालक दल के 6 सदस्यों को बचाने के लिए 24/25 अप्रैल, 1993 की रात को अमृतसर हवाई अड्डे पर एक अपहरण रोधी अभियान को अंजाम दिया गया. 2002 में अक्षरधाम मंदिर, गांधीनगर, गुजरात में ऑपरेशन वज्र शक्ति संचालित किया गया. एनएसजी कमांडो ने मंदिर परिसर पर धावा बोल दिया और दो आतंकवादियों को मार गिराया. ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो 2008 के मुंबई हमलों के दौरान एक आतंक विरोधी अभियान था.
समर्पण, शौर्य और सर्जिकल ऑपरेशनल क्षमताओं के लिए, इस विशेष बल के कमांडो ने 'ब्लैक कैट्स का खिताब हासिल किया है. एनएसजी सदस्य आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए संयुक्त कार्य समूहों का महत्व पूर्ण हिस्सा बन गए हैं, जो आतंकी खतरे का मुकाबला करने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के बीच तालमेल, संयुक्त कौशल और क्षमता निर्माण में सहायता करने के लिए मित्र देशों के साथ गठित किए जाते हैं. बल का प्रत्येक सदस्य भारत के साथ-साथ भारत के बाहर किसी भी भाग में सेवा करने के लिए उत्तरदायी है.
हरित अरावली जैसी पर्यावरण परियोजनाएं भी बल द्वारा चलाई जा रही हैं. मानेसर परिसर में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए 'प्रेरणा नामक एक सुविधा केंद्र स्थापित किया गया है, जिसका उद्देश्य ऐसे बच्चों को विभिन्न उपचार प्रदान करना है ताकि उनके मानसिक और शारीरिक कौशल को बढ़ाया जा सके. ऐसे बच्चों के माता-पिता को उनकी विशेष जरूरतों की जानकारी देना और उनके कौशल में सुधार के लिए समय-समय पर विभिन्न परामर्श सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं.
(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)
स्रोत-एनएसजी/गृह मंत्रालय