संयुक्त राष्ट्र ने नमामि गंगे को विश्व पारिस्थितिकी बहाली प्रयासों के लिए मशाल वाहक के रूप में मान्यता
'नमामि गंगे' पहल को संयुक्तराष्ट्र (यूएन) ने प्राकृतिक दुनिया पुनर्जीवित करने के शीर्ष10 विश्व बहाली फ्लैगशिप कार्यक्रमों में से एक के तौर पर मान्यता प्रदान की है।नमामि गंगे को दुनिया भर के 70 देशों से ऐसी 150 से अधिक पहलों में से चुना गया है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने नमामि गंगे का वर्णन कुछ इस प्रकार से किया है, “2014 में शुरू की गई, सरकार की अगुवाई वाली नमामि गंगे पहलके तहत गंगा और उसकी सहायक नदियों का कायाकल्प, सुरक्षा और संरक्षण किया जा रहा है, गंगा बेसिन के कुछ हिस्सों का वनीकरण किया जा रहा है और यह टिकाऊ खेती को बढ़ावा दे रहा है। इसका उद्देश्य प्रमुख वन्यजीव प्रजातियों को पुनर्जीवित करना है, जिनमें नदी डॉल्फ़िन, सॉफ़्टशेल कछुए, ऊदबिलाव और हिलसाशाद मछली शामिल हैं।भारत सरकार ने इसमें अब तक अब तक$4.25 अरब अमरीकी डॉलर का निवेश किया है ।इस पहल में 230 संगठनों की भागीदारी है, जिसमें अभी तक 1,500 किमी नदी को तक बहाल किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, 2030 तक 134,000 हेक्टेयर के लक्ष्य के साथ अब तक 30,000 हेक्टेयर वनीकरण का काम पूरा भी हो चुका है।”
इस मान्यता से नमामि गंगे को कैसे लाभ होगा?
वर्ल्ड रेस्टोरेशन फ्लैगशिप के तौर पर घोषित पहल संयुक्तराष्ट्र समर्थित प्रोत्साहन, परामर्श या धन प्राप्त करने के लिए पात्र होती हैं।
नमामि गंगे परियोजना क्या है?
सरकार ने पवित्र नदी गंगा में प्रदूषण रोकने और बाद में नदी का पुनरूद्धार करने के लिए 2014 में 'नमामिगंगे' नामक एक समन्वित गंगा संरक्षण मिशन शुरूकिया था। गंगा नदी न केवल अपने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह देश की40% से अधिक आबादी की मेजबानी करती है।नमामि गंगे कार्यक्रम का फोकस वनीकरण तथा जैवविविधता संरक्षण के अलावा प्रदूषण को कम करने,घाटों की सफाई, औद्योगिक प्रदूषण के नियामक नियंत्रण और नदी में प्रदूषण की रियल टाइम ऑनलाइन निगरानी करने पर रहा है।
नोडल एजेंसी: स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी), प्रदूषण को कम करने और गंगा नदी के कायाकल्प के लिए सभी आवश्यक निर्णय लेने और कार्रवाई करने के लिए नामित प्राधिकरण है। 'नमामिगंगे' कार्यक्रम लागू करने के लिए योजनाएं बनाने, वित्तपोषण, निगरानी और समन्वय एजेंसी के रूप में कार्य करने वाली नोडल एजेंसी एनएमसीजी है।
शुरूआत में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय नदी गंगा और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण,संरक्षण और कायाकल्प के प्रभावी उन्मूलन के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ जून 2014 में नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू किया था। जलशक्ति मंत्रालय की अनुदान मांगों में कार्यक्रम के लिए बजट प्रदान किया जाता है। स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन, राज्य परियोजना प्रबंधन समूहों (एसपीएमजी) को वार्षिक कार्ययोजनाओं के आधार पर और जब भी मांग की जाती है, धन जारी करता है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत, गंगा नदी की सफाई और कायाकल्प के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम संचालित किए गए हैं। इनमें घरेलू सीवेज, औद्योगिक कचड़ा, ठोस अपशिष्ट आदि सहित प्रदूषण उपशमन गतिविधियाँ, रिवरफ्रंट प्रबंधन, अविरल धारा, ग्रामीण स्वच्छता, वनीकरण, जैव विविधता संरक्षण, सार्वजनिक भागीदारी आदि शामिल हैं। 30,235 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत पर कुल 346 परियोजनाओं को शामिल किया गयाहै, जिनमें से 158 परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं (जुलाई 2022 तक)।
धन की निश्चितता और बढ़े हुए बजट ने मिशन को गंगा नदी के किनारे सभी शहरों, कस्बों, गांवों और उद्योगों की स्थिति का सर्वेक्षण और संचालन करने तथा उपयुक्त बहु-क्षेत्रीय हस्तक्षेपों के लिए एक वैज्ञानिक रोड मैप विकसित करने में सक्षम बनाया। गंगा कायाकल्प के कार्यक्रम को गति प्रदान करने और इसके दायरे को व्यापक बनाने के लिए, एक सशक्त संस्थागत ढांचा विकसित किया गया। कार्यक्रम, अपने समग्र दृष्टिकोण और नवीन सुविधाओं के साथ, कई परियोजनाओं के पूरा होने और नदी के कायाकल्प के लिए एक रूपरेखा विकसित करने के साथ गति प्राप्त कर चुका है।
कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से ही,प्रमुख मंत्रालय, जिनमें(क) जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण, (ख) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, (ग) शहरी विकास, (घ) पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता, (ड़) ग्रामीण विकास (च) पर्यटन, और (छ) नौवहन शामिल हैं,व्यापक दृष्टिकोण के लिए एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
गंगा के कायाकल्प की चुनौती को, बहु-क्षेत्रीय, बहु-आयामी और बहु-हितधारक प्रकृति के तौर पर स्वीकार करते हुए, कार्य योजना तैयार करने और केंद्र तथा राज्य स्तरों पर निगरानी में वृद्धि के साथ अंतर-मंत्रालयी और केंद्र-राज्य समन्वय में सुधार के प्रयास किए गए हैं। कार्यक्रम के कार्यान्वयन को प्रारंभिक स्तर की गतिविधियों (तत्काल दृश्यमान प्रभाव के लिए), मध्यम अवधि की गतिविधियों (5 वर्षों की समय सीमा के भीतर लागू किया जाना), और दीर्घकालिक गतिविधियों (10 वर्षों के भीतर कार्यान्वित किया जाना) में विभाजित किया गया है.
प्रारंभिक स्तर की गतिविधियों में तैरते हुए ठोस कचरे को हटाने के लिए नदी की सतह की सफाई; ग्रामीण सीवेज नालियों और शौचालयों के निर्माण के माध्यम से प्रवेश करने वाले प्रदूषण (ठोस और तरल) को रोकने के लिए ग्रामीण स्वच्छता; नदी में अधजले /आंशिक रूप से जले हुए शवों के निपटान के लिए शवदाह गृहों का नवीनीकरण, आधुनिकीकरण और निर्माण; चयनित शहरों और कस्बों में घाटों के विकास के लिए रिवर फ्रंट प्रबंधन मानव-नदी संपर्क को सुधारने के लिए घाटों की मरम्मत, आधुनिकीकरण और निर्माण कार्य करना शामिल है।गंगा नदी के किनारे मौजूदा सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) की बहाली और उन्नयन; जलीय जीवन का संरक्षण - डॉल्फ़िन, कछुओं और घड़ियालों पर विशेष ध्यान; फूलों और अन्य पूजा सामग्री का सुरक्षित निपटान; गंगा टास्क फोर्स और गंगा वाहिनी की स्थापना; गंगा बेसिन के लिए जीआईएस डेटा और स्थानिक विश्लेषण; अपनी पारंपरिक आजीविका के लिए गंगा पर निर्भर समुदायों का अध्ययन; राष्ट्रीय गंगा निगरानी केंद्र; गंगा में रेत खनन के लिए विशेष दिशा-निर्देश; गंगाजल के विशेष गुणों का आकलन; और संचार और सार्वजनिक आउटरीच गतिविधियाँ भी अल्पकालिक गतिविधियों में शामिल हैं।
मध्यम अवधि में, जारी परियोजनाओं, गतिविधियों को पूरा होने के अलावा, सीवेज उपचार सहित सीवरेज बुनियादी ढांचे के कवरेज का विस्तार करने के लिए गंगा नदी के किनारों पर शहरी आवासों की पहचान करना शामिलहै; गंगा तट पर स्थित 1,600 से अधिक ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त बनाना; और सभी गंगा नदी बेसिन राज्यों में स्थित अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों द्वारा शून्य तरल निर्वहन को लागू करना शामिल है।
गंगा नदी के कायाकल्प के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण निर्मलधारा, अविरल धारा को सुनिश्चित करने और नदी की पारिस्थितिक और भूगर्भीय अखंडता को बनाए रखने की अवधारणा को परिभाषित करने के संदर्भ में नदी की संपूर्णता को बहाल करना है।
रणनीतिक कदम और कार्य
गंगा नदी के पुनरुद्धार और दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए रणनीतिक कदम और कार्रवाइयों को विभिन्न मिशनों के तहत समूहबद्ध किया गया है:
● मिशन 1: अवरिल धारा
आर्द्रभूमियों, जंगलों और वितरित भूजल और सतही जल भंडारों पर बल देते हुए जलसंसाधन नियोजन के लिए; पानी का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने हेतु; जलसंसाधन संरक्षण पर बल के साथ शिफ्टिंग नीति, देशांतरीय नदी संपर्क सुनिश्चित करना आदि।
● मिशन 2: निर्मल धारा
घरेलू/व्यावसायिक स्रोतों से उत्पन्न ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन; रिवरफ्रंट विकास, फ्लडप्लेन प्रबंधन और जल निकायों का कायाकल्प; उद्योग जनित ठोस और तरल कचरे का प्रबंधन और प्रदूषित कृषि अपवाह प्रबंधन हेतु।
● मिशन 3: पारिस्थितिकी बहाली
अप्रदूषित नदियों की बहाली; नदी तल खेती और नदी तल से बालू-खनन का विनियमन; स्पॉनिंग सीजन के दौरान विदेशी प्रजातियों के आक्रमण, ओवरफिशिंग और फिशिंग पर नियंत्रण; नदी के पोषकतत्वों का मूल्यांकन और बांधों/बैराजों के पीछे फंसी तल छट को नदी के निचले हिस्से में पहुंचाना; गंगानदी नेटवर्क की दीर्घकालिक जैव निगरानी; डॉल्फिन संरक्षण कार्ययोजना-2010 के साथ समन्वय करना; और नदी प्रणाली की पारिस्थितिक गतिशीलता पर व्यापक शोध हेतु।
● मिशन 4: टिकाऊ खेती
संसाधन संरक्षण के साथ मिट्टी की उर्वरता और कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए संरक्षण कृषि अपनाने को प्रोत्साहित करना; जैविक खेती को बढ़ावा देना; जारी और भविष्य की वैज्ञानिक खोजों के साथ पारंपरिक ज्ञान को संश्लेषित करने के लिए कृषि में नीरस कृषि-पारिस्थितिक तंत्र प्रभाव और प्रयोग, अनुकूलन शीलता और लचीलेपन का मुकाबला करने के लिए क्षेत्रीय संसाधन संरक्षण कार्यों को बढ़ावा देना।
● मिशन5: भूवैज्ञानिक सुरक्षा
गहरे भूजल की निकासी और भूमिगत उत्खनन सहित भूगर्भीय रूप से खतरनाक गतिविधियों को नियंत्रित / विनियमित करना; पहाड़ी ढलानों पर वनों की कटाई और निर्माण गतिविधियों जैसे भू-आकृति विज्ञान की दृष्टि से हानिकारक भूमि उपयोग कार्यों पर प्रतिबंध; निचले इलाकों में जल निकासी में सुधार और अशांत क्षेत्रों का स्थिरीकरण; तथा नदी प्रवास क्षेत्रों का मानचित्रण और बेसिन की भूवैज्ञानिक निगरानी करना।
● मिशन 6: आपदाओं बेसिन संरक्षण
आर्द्रभूमियों के संरक्षण, विविध वनस्पतियों और स्वदेशी वनों को बढ़ावा देकर, और मानवभूमि उपयोग की गड़बड़ी और अतिक्रमणों को रोककर विनाशकारी आपदाओं की रोकथाम; बाढ़ के मैदान संबंधी नियम; जंगल की आग और महामारी की पारिस्थितिकी का अध्ययन करना; भूस्खलन को कम करने के लिए, वनों की कटाई, सड़क और भवन निर्माण, ऊपरी गंगा बेसिन और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में असुरक्षित मलबे के निपटान की जांच सुनिश्चित करने के लिए कि पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए.
● मिशन7: नदी के खतरों का प्रबंधन
बेसिन स्केल बाढ़-जोखिम मानचित्र तैयार करना; जल निकासी सुधार सुनिश्चित करना; 'बाढ़ के साथ जीवन' की अवधारणा पर जोर देते हुए बाढ़ प्रबंधन के लिए तटबंधों के विकल्पों की तलाश करना; स्थायी नदी प्रबंधन रणनीतियों आदि के लिए नदी प्रबंधन परियोजनाओं में तल छट की गतिशीलता और इसके अनुप्रयोग पर शोध.
● मिशन8: पर्यावरण ज्ञान
बेसिन के प्राकृतिक संसाधनों, मानव जनित गतिविधियों और बेसिन की पर्यावरणीय निगरानी के बारे में सूचना का प्रसंस्करण और भंडारण; बेसिन प्रक्रियाओं की संवेदनशीलता और व्यापक समझ को सक्षम करने के लिए हितधारकों और इच्छुक नागरिकों के साथ शैक्षिक कार्यशालाएं और अभियान आयोजित करना; हितधारकों की भागीदारी के साथ गंगा नदी बेसिन के पर्यावरण की जमीनी स्तर पर निगरानी और क्षेत्र अनुसंधान करना।
गंगा कायाकल्प के लिए एनएमसीजी के दीर्घकालिक दृष्टिकोणों में से एक नदी की सभी स्थानिक और लुप्तप्राय जैवविविधता की व्यवहार्य आबादी का पुनरूद्धार करना है ताकि वे अपनी पूरी ऐतिहासिक सीमा को प्राप्त कर सकें और गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता को बनाए रखने में अपनी भूमिका निभास कें।नदी के पारिस्थिति की तंत्र में समृद्ध जैवविविधता की उपस्थिति नदी के स्वास्थ्य का अंतिम संकेतक है। गंगा नदी पारिस्थिति की तंत्र 25,000 से अधिक जैविक और पशुप्रजातियों का समर्थन करता है। किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र की जैवविविधता को उसके निवास स्थान के नुकसान या गिरावट से सबसे ज्यादा खतरा है।गंगा नदी की जैवविविधता के लिए प्रमुख खतरों को पांच अतिव्यापी श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है: अति-दोहन, जल प्रदूषण, प्रवाह संशोधन, विनाश अथवा आवास का क्षरण और विदेशी प्रजातियों द्वारा आक्रमण, वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय परिवर्तन इन सभी को लेकर होता है।
शुभंकर
एनएमसीजी अपने आउटरीच और सार्वजनिक संप्रेषण प्रयासों के भाग के रूप में युवा ओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है क्योंकि वे परिवर्तन के प्रवर्तक हैं। इस दिशा में एक कदम के रूप में एनएमसीजी ने कॉमिक्स, ई-कॉमिक्स और एनिमेटेड वीडियो विकसित और वितरित करने के लिए डायमंड टून्स के साथ करार किया है। सामग्री को गंगा और अन्यन दियों के प्रति बच्चों के व्यवहार में बदलाव लाने के उद्देश्य से तैयार किया जाएगा। बच्चों के बीच जुड़ाव बढ़ाने के लिए, चाचा चौधरी को नमामि गंगे कार्यक्रम का शुभंकर घोषित किया गया और यह गंगा कायाकल्प के लिए जमीनी स्तर पर सक्रियता में उपयोगी होगा।
पारिस्थितिक तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक
पारिस्थितिक तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक का उद्देश्य हर महाद्वीप और महासागर में पारिस्थितिक तंत्र में आने वाली गिरावट को रोकना और पलटना है। पारिस्थितिक तंत्र पृथ्वी पर सभी प्रकार के जीवन का समर्थन करते हैं। हमारे पारिस्थितिक तंत्र जितने स्वस्थ होंगे, ग्रह और उसके लोग उतने ही स्वस्थ होंगे। यह गरीबी को समाप्त करने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और बड़े पैमाने पर विलुप्त होने की स्थिति रोक ने में मदद कर सकता है। मान्यता प्राप्त पहलें, जैसे नमामि गंगे, को वर्ल्ड रेस्टारेशन फ़्लैगशिप घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र समर्थित प्रोत्साहन, परामर्श, तकनीकी विशेषज्ञताया धन प्राप्त करने के लिए पात्र हैं। साथ में, 10 फ़्लैगशिप का लक्ष्य 68 मिलियन हेक्टेयर से अधिक को पुनर्स्थापित करना और लगभग 15 मिलियन रोजगार सृजित करना है। नमामि गंगे को उन फ़्लैगशिप में से एक के रूप में चुना गया था जो "पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र के दशक के 10 बहाली सिद्धांतों को मूर्त रूप देते हुए, बड़े पैमाने पर और दीर्घकालिक पारिस्थितिकी तंत्र बहाली का सबसे अच्छा उदाहरण हैं"।
यूएनईपी वर्ल्ड रेस्टोरेशन फ़्लैगशिप के बारे में
संयुक्तराष्ट्र ने दुनिया भर से 10 महत्वपूर्ण प्रयासों को प्राकृतिक दुनिया को बहाल करने में उनकी भूमिका के लिए मान्यता दी है। विजेता पहलों का अनावरण मॉन्ट्रियल में संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (सीओपी15) और एक विशेष आभासी समारोही कार्यक्रम में किया गया।
· मध्य अमेरिका से लेकर पूर्वी एशिया तक के प्रयासों को वर्ल्ड रेस्टोरेशन फ्लैगशिप के रूप में सम्मानित किया गया
· ये पहलें अब संयुक्त राष्ट्र समर्थित प्रोत्साहन, परामर्श या धन प्राप्त करने के योग्य हैं
· संयुक्त राष्ट्र दशक में बड़े पैमाने पर और दीर्घकालिक पारिस्थितिकी तंत्र बहाली के सर्वोत्तम उदाहरणों का सम्मान करने की बात कही गई है.
· 2030 तक, वर्ल्डरेस्टोरेशन फ्लैगशिप के लिए नियमित आह्वान शुरू किये जायेंगे।
· एक साथ, 10 फ़्लैगशिप कार्यक्रमों का लक्ष्य 68मिलियन हेक्टेयर से अधिक- म्यांमार, फ्रांस या सोमालिया से बड़ा क्षेत्र,को बहाल करना है।
· एक साथ, 10 फ़्लैगशिप पहलों से लगभग15 मिलियन रोज़गार सृजित होने की उम्मीदहै।
स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय/एनएमसीजी/www.decadeonrestoration.org/unep.org
संकलन: अनीशा बैनर्जी और अनुजा भारद्वाजन