दुनिया को नेतृत्व प्रदान करता भारत
विश्व गुरू बनने की राह पर
भारत ने अपनी समृद्ध परंपराओं और संस्कृति के माध्यम से कई देशों के लिए वैश्विक ज्ञान, विकास और आर्थिक कल्याण में योगदान किया है। एक समय था जब भारत को विश्व गुरु के नाम से जाना जाता था और सुदूर देशों से छात्र यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। और, आज फिर से देश की वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन पर एक साथ मिलकर चलने की समृद्ध विरासत ने भारत को दुनिया भर में पहचान और सम्मान दिलाया है। भारत एक बार फिर विश्व गुरु बनने की राह पर है और दुनिया को रहने के लिए एक सुरक्षित जगह बनाने की पहल का नेतृत्व कर रहा है।
भारत आज दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने के लिए तेजी से प्रगति कर रहा है। और एक ऐसे भारत का निर्माण जो आत्मनिर्भर हो, जो अपने अतीत पर गर्व करता हो, जो न केवल अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त हो बल्कि जिसके युवाओं को भविष्य के बारे में स्पष्टता हो - इस नए भारत का निर्माण इस महान राष्ट्र के हर नागरिक का लक्ष्य और प्रयास है । आइए नजर डालते हैं कुछ ऐसे क्षेत्रों पर जहां भारत अपनी छाप छोड़ रहा है।
- जी20 की अध्यक्षता
भारत ने 20 राष्ट्रों के समूह, जी20 की अध्यक्षता प्राप्त कर ली है। अब एक साल के लिए, भारत दुनिया की दो-तिहाई आबादी, विश्व व्यापार के तीन-चौथाई और विश्व जीडीपी के 85 प्रतिशत भाग के लिए एजेंडा तय करेगा। 'वसुधैव कुटुम्बकम' (पूरा विश्व एक परिवार है) के भारतीय मार्गदर्शक दर्शन से प्रेरित 'वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर' की थीम के साथ, भारतीय प्रेसीडेंसी इस संगठन के 43 प्रतिनिधिमंडल प्रमुखों - जी20 में अब तक का सबसे बड़ा – को एक साथ लाएगी जो सितंबर 2023 में नई दिल्ली में अंतिम शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। भारत का लोगो और विषय देश के जीवन के लिए ग्रह-समर्थक दृष्टिकोण की पुष्टि करता है, जो प्रकृति के साथ पूर्ण सामंजस्य में होता है। जी20 द्वारा सामूहिक कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए भारत की अध्यक्षता में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एक नया कार्य समूह स्थापित किया जाएगा। लोकतंत्र और बहुपक्षवाद के लिए गहराई से प्रतिबद्ध राष्ट्र, भारत की जी20 अध्यक्षता उसके इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि यह सभी की भलाई के लिए व्यावहारिक वैश्विक समाधान ढूंढकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहता है।
- योग और आयुर्वेद
आयुर्वेद और योग ने वैश्विक मंच पर भारत का कद बहुत ऊंचा किया है, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान देखा भी गया था। आज आयुर्वेद, योग, होम्योपैथी, सिद्ध और यूनानी के सिद्धांतों और पद्धतियों को समझने की बड़ी जिज्ञासा हो गई है। योग वैश्विक स्वास्थ्य का प्रतीक बन गया है और कई देशों ने इसे अपने स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली में एकीकृत करना शुरू कर दिया है। योग वैश्विक स्वास्थ्य का प्रतीक बन गया है और कई देशों ने इसे अपने स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली में एकीकृत करना शुरू कर दिया है। 2014 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव और संकल्प को स्वीकार करते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह मानते हुए कि "योग स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है, 21 जून को 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' के रूप में घोषित किया। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस दुनिया भर के 190 देशों में मनाया जाता है। आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से पारंपरिक दवाओं की क्षमता को अधिकतम करने के लिए एक नए भविष्य की ओर अग्रसर आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन गुजरात में दुनिया का पहला और एकमात्र वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र स्थापित कर रहे हैं। यह केंद्र दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
- वैक्सीन मैत्री
पूरे ग्रह की देखभाल करने के भारत के लोकाचार के अनुरूप, वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत कई देशों को कोविड-19 टीके भेजे गए, जिसकी दुनिया भर में बहुत सराहना की गई है। 'वसुधैव कुटुम्बकम' के मंत्र से प्रेरित होकर, भारत 150 से अधिक देशों को कोविड-19 महामारी से संबंधित भारत में निर्मित टीकों, चिकित्सा उपकरणों और दवाओं के रूप में सहयोग देने में सक्षम रहा है। भारत ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में कई देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, रेमेडिसविर और पैरासिटामोल टैबलेट के साथ-साथ डायग्नोस्टिक किट, वेंटिलेटर, मास्क, दस्ताने और अन्य चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति की। वैक्सीन मैत्री पहल ने कई मायनों में "दुनिया की फार्मेसी" के रूप में भारत की साख को मजबूत किया। वैश्विक नेताओं ने महामारी के महत्वपूर्ण समय में वैक्सीन उत्पादन और आपूर्ति में तेजी से विस्तार करने के भारत के प्रयासों की सार्वजनिक रूप से सराहना की। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारत के वैक्सीन परोपकारिता को कोाविड -19 टीकों की समान पहुंच के सूत्रधार के रूप में मान्यता दी।
- अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष
बाजरे के बारे में जागरूकता पैदा करने और इसके उत्पादन तथा खपत को बढ़ाने के उद्देश्य से, भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के पास 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। भारत के प्रस्ताव का 72 देशों ने समर्थन किया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 मार्च, 2021 को 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित किया। बाजरा भारत में उगाई जाने वाली शुरूआती फसलों में से एक थी, जिसके सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान उपभोग के कई प्रमाण हैं। । वर्तमान में 130 से अधिक देशों में उगाए जाने वाले बाजरा को पूरे एशिया और अफ्रीका में आधे अरब से अधिक लोगों के लिए पारंपरिक भोजन माना जाता है। बाजरा की विशाल क्षमता को पहचानते हुए, जो संयुक्त राष्ट्र के कई सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ भी संरेखित है, भारत सरकार बाजरा को प्राथमिकता दे रही है। उच्च पोषक मूल्य, छोटे और सीमांत किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण की क्षमता और पृथ्वी की जैव विविधता को बनाए रखने में इसके योगदान को ध्यान में रखते हुए बाजरा को 'न्यूट्री अनाज' के रूप में फिर से ब्रांड किया जा रहा है।
- मिशन लाइफ
भारत ने व्यक्तिगत और सामुदायिक व्यवहार को बदलने की ओर दुनिया का ध्यान खींचा है जो पर्यावरण और जलवायु संकट पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के पक्षकारों के सम्मेलन (सीओपी26) के 26वें सत्र में प्रधानमंत्री ने पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण तथा जलवायु संकट का मुकाबला के लिए एक वैश्विक जन आंदोलन के रूप में 'मिशन लाइफ: लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट' की शुरुआत की। । इसका मंत्र है "नासमझ और विनाशकारी उपभोग के बजाय सचेत और समझ बूझकर उपयोग"
मिशन लाइफ का उद्देश्य व्यक्तियों और समुदायों को एक ऐसी जीवन शैली का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करना है जो प्रकृति के साथ समकालिक हो और इसे नुकसान न पहुंचाए। मिशन लाइफ के पीछे का विचार जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को लोकतांत्रिक बनाना है जिसमें हर कोई अपनी क्षमता के अनुसार योगदान दे सके। इसका उद्देश्य व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन में सरल कार्य करने के लिए प्रेरित करना है जो दुनिया भर में अपनाए जाने पर जलवायु परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। यह भारत के नेतृत्व वाला वैश्विक जन आंदोलन जलवायु कार्रवाई के लिए भारत के परिवर्तनीय प्रयासों का प्रतिनिधित्व है।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
सौर ऊर्जा को वैश्विक रूप से अपनाने में तेजी लाने के लिए एक बड़े प्रोत्साहन के रूप में, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक दूरदर्शी पहल शुरू की गई थी। आईएसए सभी की पहुंच के भीतर स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा लाने और एक स्थायी दुनिया बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का हिस्सा है। यह भारत में मुख्यालय वाला पहला अंतरराष्ट्रीय और अंतर-सरकारी संगठन है, और भारत में आईएसए सभा के अध्यक्ष का कार्यालय स्थित है, जिसमें फ्रांस सरकार सह-अध्यक्ष के रूप में है। यह संगठन 121 सदस्य देशों में सौर ऊर्जा को सस्ती और विश्वसनीय हरित और स्वच्छ ऊर्जा का मूल्यवान स्रोत बनाने के लिए सौर ऊर्जा के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित रहेगा।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएसए की पहली सभा के दौरान वैश्विक स्तर पर परस्पर सौर ऊर्जा अवसंरचना के लिए 'वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड' (ओएसओडब्ल्यूओजी) पहल के विचार का प्रस्ताव रखा। इसका उद्देश्य वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए सार्वभौमिक ऊर्जा पहुंच और ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने के लिए सौर ऊर्जा के विकास और तैनाती में तेजी लाने के लिए एक नई शुरुआत करना है।
- आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन
प्रधान मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन 2019 में डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) के लिए एक वैश्विक गठबंधन की घोषणा की। भारत सरकार के नेतृत्व में और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनडीआरआर) के सहयोग से, डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) राष्ट्रीय सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और कार्यक्रमों, बहुपक्षीय विकास बैंकों, निजी क्षेत्र और शैक्षणिक संस्थानों की एक बहु-हितधारक वैश्विक साझेदारी है । सीडीआरआई का उद्देश्य जलवायु और आपदा जोखिमों के लिए बुनियादी ढांचा प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ावा देना है, जिससे सतत विकास सुनिश्चित हो सके। भारत सरकार ने 2023-24 में समाप्त होने वाली पांच वर्षों की अवधि के लिए तकनीकी सहायता और अनुसंधान परियोजनाओं को जारी रखने के लिए कोष के लिए 480 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। सीडीआरआई की पृष्ठभूमि में भारत ने ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ, भारत, यूनाइटेड किंगडम और छोटे द्वीप विकासशील देशों (एसआईडीएस) के प्रतिनिधियों के साथ नवंबर 2021 में छोटे द्वीप राष्ट्रों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए छोटे द्वीप राष्ट्रों (आईआरआईएस) के लिए एक महत्वाकांक्षी पहल की शुरुआत की। । आईआरआईएस एक प्रमुख रणनीतिक पहल है जिसे एसआईडीएस के लिए लचीलापन और जलवायु अनुकूलन समाधान प्राप्त करने और वितरित करने के लिए एक उपकरण के रूप में डिजाइन किया गया है, जो जलवायु परिवर्तन से सबसे बड़े खतरे का सामना करते हैं और सबसे कमजोर देशों में से हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) उपग्रह के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में चक्रवात, कोरल-रीफ निगरानी, तट-रेखा निगरानी आदि के बारे में समय पर जानकारी प्रदान करने के लिए एक विशेष डेटा विंडो का निर्माण कर रहा है।
- तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम
स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में और कई यूनिकॉर्न के मामले में भी भारत विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। इस प्रोत्साहन के साथ, भारत विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) के वैश्विक नवाचार सूचकांक 2022 में 40वें स्थान पर पहुंच गया है, जो सात वर्षों में 41 स्थानों की बड़ी छलांग है। 2016 में शुरू की गई स्टार्टअप इंडिया योजना के साथ, देश में नवाचार और स्टार्टअप के पोषण के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में सरकार के निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या जो 2016 में 500 से कम थी, 2022 में बढ़कर लगभग 90,000 हो गई है। स्टार्टअप 56 विविध क्षेत्रों में फैले हुए हैं। सरकार ने 2017 में एक स्टार्टअप इंडिया ऑनलाइन हब भी लॉन्च किया, जो भारत में उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र के सभी हितधारकों के लिए एक-दूसरे को खोजने, संपर्क करने और जोड़ने के लिए अपनी तरह का एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है। ऑनलाइन हब स्टार्टअप्स, निवेशकों, फंड्स, मेंटर्स, अकादमिक संस्थानों, इनक्यूबेटर्स, एक्सेलरेटर्स, कॉरपोरेट्स और सरकारी निकायों को एकजुट करता है। 2022 में, भारत नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया क्योंकि देश इस दौरान अपने 100वें यूनिकॉर्न के जन्म का प्रत्यक्षदर्शी बन गया।
स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय/आईएसए/सीडीआरआई/आईआरआईएस/विदेश मंत्रालय